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Author: Dialogue India

लोकसभा चुनाव- क्या मुद्दा बनेगा ‘राम मंदिर’?

लोकसभा चुनाव- क्या मुद्दा बनेगा ‘राम मंदिर’?

Today News, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
आर.के.सिन्हा आगामी सितंबर के महीने में राजधानी में जी-20 शिखर सम्मेलन के फौरन बाद से ही देश में 2024 के लोकसभा चुनावों की हलचल तेज होने लगेगी। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर के द्वार दुनिया भर के राम भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे। इससे दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि स्थानों पर पर्यटन भी तेजी से बढ़ेगा I इसलिए यह सवाल तो पूछा ही जाएगा कि क्या अगले आम चुनावों में राम मंदिर चुनावी मुद्दा बनेगा? जिस तरह से भाजपा राम मंदिर को लेकर जनता के बीच जा रही है उससे तो यह स्पष्ट ही है कि पार्टी इसे अपनी उपलब्धि के तौर पर पेश करेगी और करे भी क्यों नहीं जो काम 500 वर्षों के समय-समय पर हुये भयंकर रक्तपातों और लाखों राम भक्तों की कुर्वानियों से भी हासिल न हो सका, वह भाजपा के शासन में आसानी से हो भी गया और किसी को चूं चपड़ तक करने की हिम्मत तक न हुई । 1980 ...
तेल के खेल के लिए जिहाद का समर्थन करता ओआईसी

तेल के खेल के लिए जिहाद का समर्थन करता ओआईसी

TOP STORIES, विश्लेषण
तेल उत्पादक देशों की संस्था ओआईसी ने रामनवमी पर भारत में हुई हिंसा पर विरोध जताया है और बिहार शरीफ में मदरसे में हुई आगजनी पर पत्र जारी कर के आपत्ती की है। ओआईसी के लोग भारत में लगातार होती आ रही इस्लामिक हिंसा पर सदा मौन रहते हैं,यहाँ तक कि अनेक प्रसंगों पर मुखर समर्थन भी करते रहे हैं, ओआईसी के लोग हिन्दूओं पर कश्मीर में हुए सामूहिक नरसंहार पर मौन रहे, बल्कि आतंकवादियों का समर्थन करते रहे। केरल में, बंगाल में तथा अन्य राज्यों में हो रही जिहादी हिंसा पर भी ये हिंसा करने वाले जिहादियों के ही पक्षधर रहे हैं। बिहार शरीफ में हिन्दुओं की शोभायात्रा पर हमले करने वाले जिहादियों की इनलोगों ने निंदा तक नहीं की,बल्कि हमले की प्रतिक्रिया में जो अप्रिय घटनाएँ घट गई, उसपर ये भारत को बदनाम करने की चेष्टा करने लग गए। इनके दर्द का राज इन हिंसाओं में नहीं छुपा है, बल्कि भारत इनको वरीयता न देते हुए रसिया स...
विकास की दौड़, मौसम के कारण पिछड़ता किसान

विकास की दौड़, मौसम के कारण पिछड़ता किसान

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
कहावत है कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती लेकिन यदि इंसान किसान की भूमिका में हो तो कृषि व्यवसाय में मेहनत भी शिकस्त का दंश झेलने को मजबूर रहती है। मार्च व अप्रैल महीने में रबी की फसल पूरे शबाब पर होती है। मगर बारिश व ओलावृष्टि के कहर ने किसानों व बागवानों की कई महीनों की मेहनत पर पानी फेर कर किसानों को मायूस कर दिया है। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में बेमौसम बरसात से ‘ब्लॉज्म ब्लाइट’ रोग ने आम की पैदावार को भारी नुकसान पहुंचाया है। कृषि अर्थशास्त्र की बुलंद इमारत अन्नदाता अतीत से एक बड़े परीक्षार्थी की तरह जीवनयापन करता आ रहा है। मौसम अपने तल्ख तेवरों व बेरूखे मिजाज से किसान वर्ग की सबसे बड़ी परीक्षा लेता है। फसल तैयार होने पर बाजार नाम की व्यवस्था व उपभोक्ता किसानों की परीक्षा लेते हैं। कभी व्यवस्थाओं में बैठे अहलकार तो कभी सरकारें किसानों की परीक्षा लेती हैं। कृषि उत्पादन में क...
इंटरनेट क्रांति से भारत का नये दौर में प्रवेश !

इंटरनेट क्रांति से भारत का नये दौर में प्रवेश !

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
इंडिया आज डिजीटल हो रहा है। सच तो यह है कि 5जी इंटरनेट सेवाओं की दिशा में भारत इतिहास रच रहा है। इंटरनेट क्रांति से आज भारत एक नये दौर में प्रवेश कर गया है। सच तो यह है कि आज इंडिया 'डिजिटल इंडिया' बन चुका है और यहां अधिकतर काम इंटरनेट की सहायता से बखूबी हो रहे हैं। आज इंडिया में हाई स्पीड मोबाइल इंटरनेट 5जी सर्विस काम करने लगी है और आज हम डिजीटल दुनिया के नये दौर में सांस ले रहे हैं। पिछले साल एक अक्टूबर 2022 को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा 5जी क्रांति का तोहफा भारतीयों को दिया गया था। वास्तव में प्रधानमंत्री जी ने उस समय बिल्कुल ठीक ही कहा था कि वास्तव में यह शुरुआत 'अवसरों के अनंत आकाश' की शुरुआत है। उल्लेखनीय है कि 1 अगस्त को 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी सफलता के साथ पूरी हुई थी और इस ऑक्शन(नीलामी) में डॉट(डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस)  ने 1,50,173 करो...
Big Jump for FOX group 

Big Jump for FOX group 

EXCLUSIVE NEWS, प्रेस विज्ञप्ति
Fox Petroleum in Association with JV Partners – investing in sector wise in Africa following 123 Billion Rand Investment.  A proposal has been given to President Cyril Ramaphosa. Major sectors Fox is focusing are – Ports, Oil Tank Farm and Solar Panel manufacturing, along with Farmers loan.South Africa is churning from black-out as electricity supply has been a big problem. The South African energy crisis is an ongoing period of widespread national blackouts of electricity supply. The investment from Fox to establish Dual fuel electricity plant at six locations may ease it. And Solar Panel manufacturing and installation to farmers and middle class house on sixt easy instalments is going to cut down this problem.The other major sector is – Capital insertion in the market thru banks....
क्यों उठते हैं एनकाउंटर पर सवाल?

क्यों उठते हैं एनकाउंटर पर सवाल?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, समाचार, सामाजिक
विनीत नारायणउत्तर प्रदेश के व्यापारी आजकल कहते हैं कि योगी राज में मुसलमानों का आतंक ख़त्म हो गया है। इसलिये माफिया डॉन अतीक अहमद के बेटे असद अहमद की एनकाउंटर में मौत का समाचार उन लोगों को सुखद लगा। एनकाउंटर के विषय में कुछ तथ्य और क़ानूनी पेचीदगियों का ज़िक्र मैं इस लेख में आगे करूँगा। पर यहाँ एक सवाल जो समाजवादी पार्टी ने उठाया है वो भी महत्वपूर्ण है। वो ये कि ऐन चुनावों के पहले ही इस एनकाउंटर को करने का योगी सरकार का क्या उद्देश्य था? सिवाय इसके कि इस एनकाउंटर की खबर को दिन-रात टीवी चैनलों पर चलवाकर इसका फ़ायदा अगले महीने होने वाले निकायों के चुनावों में लिया जाए। इसलिये सरकार की नीयत पर शक होता है। क़ानून की नज़र में सब बराबर होने चाहिए। किसी अपराधी का कोई जाति या धर्म नहीं होता। इसलिए बिना भय और पक्षपात के अगर प्रदेश के माफ़ियाओं के विरुद्ध योगी सरकार कड़े कदम उठाती है तो उसका स्...
बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है-ग्रामीण पत्रकारिता !

बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है-ग्रामीण पत्रकारिता !

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
भारत आज भी गांवों का ही देश है। भारतीय जनमानस में भी ग्रामीण परिवेश और ग्रामीण जन के प्रति गहरी संवेदनाएं हैं, लेकिन लोकतंत्र का चौथा पाया प्रेस आज गांवों से नहीं बल्कि शहरों से ही चलता प्रतीत होता है। सच तो यह है कि भारत आज भी गांवों में ही परिलक्षित और प्रतिबिंबित होता है। भारत की पहचान आज भी उसके गांवों से ही है, शहरों से नहीं। दूसरे शब्दों में कहें तो भारत का अतीत भी गांव ही है और भारत का वर्तमान भी गांव ही हैं, इसलिए पत्रकारिता के क्षेत्र में भी गांवों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। गांवों की पत्रकारिता को एक तरह से नजरअंदाज सा किया जा रहा है और अक्सर यह देखा जाता है कि छोटे-छोटे गाँवों की बहुत सी ऐसी खबरें होती हैं जो राष्ट्रीय स्तर की बनती हैं। वास्तव में सीमित संसाधनों के साथ आज ग्रामीण पत्रकारिता करना बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य हो गया है। गानों में संसाधनों की कमी होती है और गा...
डॉ. आंबेडकर जी से गद्दारी करने वाली कांग्रेस

डॉ. आंबेडकर जी से गद्दारी करने वाली कांग्रेस

TOP STORIES, विश्लेषण
प्रशांत पोळ आज १४ अप्रैल. डॉ. बाबासाहब आंबेडकर जी की जयंती. अनेक राज्यों में चुनाव का माहौल हैं. कांग्रेस के नेता आज डॉ. आंबेडकर जी की प्रतिमा पर माला डालने अवश्य आएंगे. उन्हें रोकिये. उनका कोई अधिकार नहीं हैं बाबासाहब जी की प्रतिमा पर माल्यापर्ण करने का.. जिस कांग्रेस ने जीते जी आंबेडकर जी को जलील किया, उनकी उपेक्षा की और उनके मृत्यु के ६७ वर्ष के बाद भी जो संविधान की धारा बदलने के नाम पर उनका अपमान कर रहे हैं, वो किस अधिकार से आंबेडकर जी को के नाम से वोट मांग सकते हैं? *स्वतंत्रता मिलने से पहले, और मिलने के बाद भी कांग्रेस ने आंबेडकर जी का खुलकर विरोध किया.* उनके आग्रह के विरोध में गाँधी जी ने अनशन किया और यह सुनिश्चित किया की आंबेडकर जी उन्हें शरण आये. यह समझौता ‘पूना पैक्ट’ के नाम से जाना जाता हैं. *व्हॉट काँग्रेस एंड गांधी हैव डन टू द अनटचेबल्स?* (काँग्रेस और गांधी ने अछूतों के...
जय भीम , जय मीम का नैरेटिव सिर्फ़ और सिर्फ़ फ्राड है

जय भीम , जय मीम का नैरेटिव सिर्फ़ और सिर्फ़ फ्राड है

TOP STORIES, विश्लेषण
दयानंद पांडेय जय भीम , जय मीम के पैरोकारों को इस्लाम और मुस्लिम समाज पर एक बार आंबेडकर के विचार ज़रूर जान लेना चाहिए । इस एक लेख में अम्बेडकर की एक किताब पाकिस्तान के निर्माण की बेचैनी के मार्फत बहुत सी बातें स्पष्ट कही गई हैं । मुस्लिम समाज के जातीय संघर्ष , सामाजिक मुद्दों , राष्ट्रीय अवसाद आदि पर खुल कर लिखा है आंबेडकर ने । 1857 के विद्रोह तक को आंबेडकर हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक नहीं मानते । वह उसे मुसलमानों द्वारा ' छीनी गई ' शासक की भूमिका को फिर से पाने के लिए अंग्रेजों से छेड़ा गया विद्रोह मानते हैं । आंबेडकर ने मुस्लिम समाज और उन की विसंगतियों को ले कर यह एक किताब ही नहीं और भी बहुत कुछ लिखा है । आंबेडकर मुस्लिम समाज को अभिशाप शब्द से याद करते हैं । पाकिस्तान बंटवारे के बाबत इस किताब छपने के पंद्रह साल बाद लिखे एक लेख में आंबेडकर लिखते हैं कि जब विभाजन हुआ , तब मुझे ऐसा ल...
योगी जी का राजधर्म

योगी जी का राजधर्म

EXCLUSIVE NEWS, राज्य, समाचार
क्षत्रिय-वृत्ति के प्रति, जो तत्परता युद्ध में एक सेनापति दिखाता है, वही तत्परता निर्णय लेते समय एक राजा में दिखलाई पड़े; तो समझिए राजधर्म का सम्यक निर्वहन हो रहा है। वेदव्यास संन्यासी थे। वह जानते थे कि कृष्ण एक क्षत्रिय योद्धा हैं और युद्ध में हिंसा होती ही है। तिस पर भी वो यह कहना नहीं चूकते कि " वासुदेव तुम धर्म के विषय में सब जानते हो। " ऐसा इसलिए, क्योंकि कलुष निरसन के लिए क्षात्र-वृत्ति की आवश्यकता और प्रयोजनीयता ऋषिवर समझते थे। जब कपिलवस्तु को कोशल सेना ने घेर लिया था, तब तथागत की आज्ञा पाकर कई भिक्षुओं ने, जो शाक्य थे, मातृभूमि रक्षार्थ युद्ध में भाग लिया था। किसी के प्रश्न का उत्तर देते हुए महात्मा बुद्ध ने कहा था "अनुचित का प्रतिकार न करना भी एक प्रकार की हिंसा होती है। जब बात मातृभूमि की आए, तब दायित्व और बढ़ जाता है। " भारत में कई संत संन्यासी हथियार उठाते रहे हैं। क...