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Author: Dialogue India

पवार का पंच

पवार का पंच

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राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी शरद पवार ने एक सच्ची बात कहकर विपक्ष के होश उड़ा दिए हैं !हालांकि सकते में पड़ी कांग्रेस के प्रवक्ता यह कहते हुए झेंप मिटा रहे हैं कि शरद के बयान से विपक्षी एकजुटता पर कोई असर नहीं पड़ता !परंतु कांग्रेस जानती है कि पहले ममता , फिर केजरीवाल , फिर केसीआर और फिर अखिलेश के कांग्रेस से कन्नी काट लेने के बाद अब शरद पवार जैसे आधुनिक चाणक्य की इस झन्नाटेदार चपत का मतलब क्या है ? शरद बाबू ने न केवल अडानी अंबानी को देश की तरक्की में सहयोगी बताया , अपितु इस बात पर भी अफसोस जताया कि अपनी युवावस्था में वे भी टाटा बिड़ला जैसे उद्यमियों पर तौहामत लगाते थे !बाद में उनकी समझ आया कि उद्योगपतियों का देश की तरक्की में कितना बड़ा योगदान है , और वे कितने गलत थे !उन्होंने कहा कि अडानी ने अनेक प्रोजेक्ट्स और पावर सैक्टर के माध्यम से देश की प्रगति यात्रा को बहुत आगे बढ़ाया है ! शरद...
इमरान खान – आज के पाकिस्तान का शेर

इमरान खान – आज के पाकिस्तान का शेर

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने खेल जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई हुई है। आज भी सम्पूर्ण विश्व इमरान खान को उनकी पूर्व की छवि से ही याद करते है। वे 80 के दशक के एक लोकप्रिय क्रिकेटर रहे हैं, उनके असंख्य प्रशंसक ना केवल पाकिस्तान में अपितु भारत देश में भी हैं। उन्होंने खेल जगत में क्रिकेट को आकाश की ऊँचाईयों तक पहुँचाया है, इसलिए उनके प्रशंसक उनका दिल से सम्मान करते हैं।आज सम्पूर्ण पाकिस्तान राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में नित्प्रतिदिन पतन की ओर अग्रसर हो रहा है, ऐसी परिस्थिति में जनता त्राही-त्राही कर रही है। वर्ष 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय में भी वहाँ की जनता ने हिन्दुओं को लूटकर अपने घर भरे और समय का लाभ उठाया, परन्तु वर्तमान में उनके किए हुए कुकर्मो का फल उन्हें बहुतायत में मिल रहा है। यदि हम पाकिस्तान के अस्तित्व से लेकर अब तक की स्थिति का आंकलन करे...
सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी मंगल पाण्डेय का बलिदान

सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी मंगल पाण्डेय का बलिदान

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
8 अप्रैल 1857 सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी मंगल पाण्डेय का बलिदान इन्ही के स्वाभिमान की चिंगारी क्राँति का दावानल बनी- रमेश शर्मा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में 1857 की क्रान्ति को सब जानते हैं। यह एक ऐसा सशस्त्र संघर्ष था जो पूरे देश में एक साथ हुआ । इसमें सैनिकों और स्वाभिमान सम्पन्न रियासतों ने हिस्सा लिया । असंख्य प्राणों की आहूतियाँ हुईं थी । इस संघर्ष का सूत्रपात करने वाले स्वाभिमानी सिपाही मंगल पाण्डेय थे । अपने स्वत्व और स्वाभिमान की रक्षा के लिये न केवल गाय की चर्बी वाले कारतूस लेने से इंकार किया अपितु दो अंग्रेज सैन्य अघिकारियों को गोली भी मार दी ।ऐसे इतिहास प्रसिद्ध क्राँतिकारी मंगल पाण्डेय का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के अंतर्गत नगवा नामक गांव में 19 जुलाई 1827 को हुआ था। इनके पिता दिवाकर पांडे था भारतीय परंपराओ से जुड़े थे । घर में पूजा पाठ का वातावरण था । मंगल पाण्डेय ...
मीडिया पर प्रतिबंध, अभिव्यक्ति की आज़ादी पर प्रतिबंध

मीडिया पर प्रतिबंध, अभिव्यक्ति की आज़ादी पर प्रतिबंध

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
देश की शीर्ष अदालत ने सत्ताधीशों को आईना दिखाया है। शीर्ष अदालत ने मलयालम चैनल मीडिया वन पर लगे प्रतिबंध को हटाते हुए सरकार को यह नसीहत दी है। याद कीजिए, केंद्रीय सूचना व प्रसारण और गृह मंत्रालय ने इस मलयालम चैनल मीडिया वन को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा बताते हुए बीती 31 जनवरी को इस पर रोक लगायी थी। याद कीजिए, उस कहावत को कि “मजबूत लोकतंत्र के लिये मीडिया की आजादी ज़रूरी है।“ इसी तथ्य को एक बार फिर दोहराकर देश की शीर्ष अदालत ने सत्ताधीशों को आईना दिखाने का ही प्रयास किया है। शीर्ष अदालत की पीठ ने यह भी कहा कि चैनल के शेयरधारकों का जमात-ए-इस्लामी हिंद से जुड़ाव का दावा चैनल के अधिकारों को प्रतिबंधित करने का वैध आधार भी नहीं है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी.वाई़ चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने बीते बुधवार कहा कि सरकार मीडिया की आजादी पर अनुचित प्रतिबंध नहीं लगा सकती। ऐसा करने...
क्यों झूठ बोल रहे हैं केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ?

क्यों झूठ बोल रहे हैं केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राज्य, समाचार
अनुज अग्रवाल , अध्यक्ष, मौलिक भारतबेमौसम आँधी , तूफ़ान , बर्फ़बारी और बरसात से सब्ज़ी, फलों, गेहूं व तिलहन आदि की फसल का देश के आधे से ज़्यादा जिलो में दस से पचास प्रतिशत तक नुक़सान हुआ है।औसत रूप से बीस प्रतिशत तक रबी की फ़सलों की कम पैदावार होने का आँकलन स्वतंत्र समीक्षक व कृषि विशेषज्ञ कर रहे हैं।लगभग हर प्रभावित ज़िले से दो - चार किसानों के आत्महत्या अथवा सदमे से मौत के समाचार आ रहे हैं किंतु केंद्रीय कृषि मंत्रालय व खाद्य सचिव झूठ पर झूठ बोल रहे हैं व देश के किसानों व जनता को धोखा दे रहे हैं। वे नहीं बता पा रहे हैं कि - 1) किसी राज्य में अगर ज़्यादा पैदावार भी जाती है तो क्या उसका फ़ायदा किस तरह उन राज्यो के किसानों को होगा जिनकी फसल बर्बाद हो गई है ? 2) मंत्रालय यह क्यों नहीं बता रहा है कि बेमौसम बरसात व बर्फ़बारी से फ़सलों की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हुई है। बिना गुण...
बेलगाम शिक्षा व्यवस्था: किताबों में कमीशन का खेल, अभिभावक रहे झेल

बेलगाम शिक्षा व्यवस्था: किताबों में कमीशन का खेल, अभिभावक रहे झेल

TOP STORIES, घोटाला, समाचार
स्कूलों की मनमानी, किताबें बनी परेशानी। निजी स्कूल बने किताबों के डीलर तो दुकानदार बने रिटेलर। स्कूलों द्वारा तय निजी प्रकाशकों की किताबें एनसीईआरटी की किताबों से पांच गुना तक महंगी हैं। एनसीईआरटी की 256 पन्नों की एक किताब 65 रुपये की है जबकि निजी प्रकाशक की 167 पन्नों की किताब 305 रुपये में मिल रही है। कई किताबों में तो प्रिंट रेट के ऊपर अलग से प्रिंट स्लिप चिपकाकर प्रकाशित मूल्य से कहीं अधिक वसूली की जाती है। निजी स्कूलों में कमीशन के चक्कर में हर साल किताबें बदलने के साथ अलग-अलग प्रकाशकों की महंगी किताबें लगाई जाती हैं। अभिभावक भी बच्चों के भविष्य को लेकर ज्यादा विरोध नहीं कर पाते। छोटे-छोटे बच्चों की चुनिंदा किताबें लेना अब अभिभावकों की मजबूरी बन गई हैं। निजी स्कूलों की मनमानी से माता-पिता पिस रहे हैं। सरकार, जनप्रतिनिधि प्रशासन चुप हैं? -प्रियंका सौरभ स्कूलों में नया सत्र शु...
जैव-विविधता के लिए जरूरी है हाथियों और बाघों का संरक्षण !

जैव-विविधता के लिए जरूरी है हाथियों और बाघों का संरक्षण !

TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
भारत का राष्ट्रीय पशु(जानवर) बाघ है। समय के साथ मानवीय हस्तक्षेप के कारण बाघों पर भी खतरा मंडराया और यह बात हमें आंकड़ों से पता चलती है। एक समय था जब बाघों की तेजी से कम होती संख्या को लेकर चिंता जताई जाने लगी थी, लेकिन अब धीरे-धीरे इसमें प्रोजेक्ट टाइगर व अन्य बाघ संरक्षण कार्यक्रमों से इसमें कुछ सुधार आ रहा है। समय के साथ ही वन्यजीवों के शिकार के संबंध में कानून को भी सख्त बनाया गया है। बहरहाल, एक अनुमान के अनुसार, विश्व भर के बाघों ने अपने प्राकृतिक निवास स्थान का तकरीबन 93 प्रतिशत हिस्सा खो दिया है। यह बहुत ही गंभीर व संवेदनशील है कि इन निवास स्थानों(अधिवासों) को अधिकांशतः मानव गतिविधियों द्वारा नष्ट किया गया है। वनों और घास के मैदानों को कृषि ज़रूरतों के लिये परिवर्तित किया जा रहा है। बाघों से मानव को कथित खतरे को देखते हुए और मौद्रिक लाभ कमाने के उद्देश्य से बाघों का शिकार मानव द...
चपातियां बहुत जल्द ही विलुप्त होने वाली है।

चपातियां बहुत जल्द ही विलुप्त होने वाली है।

TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
एक बहुत ही प्रसिद्ध हृदय-चिकित्सक समझाते है के गेहूं खाना बंद करने से आपकी सेहत को कितना अधिक लाभ हो सकता है। हृदय-चिकित्सक Dr विलियम डेविस MD ने अपने पेशे की शुरुवात हृदय रोग के उपचार के लिए 'अंजीओप्लास्टी' और 'बाईपास सर्जरी' से किया था। वे बताते है के "मुझे वो ही सब सिखाया गया था और शुरू शुरू में तो मैं भी वोही सब करना चाहता था।" लेकिन जब उनकी अपनी माताजी का निधन साल 1995 में दिल का दौरा पड़ने से हुआ जो उन्हें बेहतरीन इलाज उपलब्ध कराने के बावाजूद हुआ। तब उनके मन में अपने ही पेशे को लेकर चिंता और परेशान कर देने वाले प्रश्न उठने लगे। वे कहते है के, मैं रोगीयों के हृदय का इलाज कर तो देता था, लेकिन वे कुछ ही दिनों में उसी समस्या को लेकर मेरे पास फिर लौट आते थे। वो इलाज तो मात्र 'बैंड-ऐड' लगाकर छोड़ देने के समान था, जिसमें बीमारी का मूल कारण पकड़ने का तो प्रयास भी नहीं किया जाता था।" इ...
भारत के भविष्य से जुड़ा सवाल?

भारत के भविष्य से जुड़ा सवाल?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
आज का ‘प्रतिदिन’ भारत के भविष्य से जुड़ा है। यह भारत के भविष्य के लिए अत्यंत ही चिंताजनक बात है, जो फ़ौरन कार्रवाई की अपेक्षा की माँगती है । राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् यानी एनसीईआरटी तथा भारत सरकार के स्कूली शिक्षा मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में एक सर्वे हुआ। इस सर्वे के आंकड़ों के अनुसार देशभर में कक्षा तीन के बच्चे विशेष रूप से गणित, अंग्रेजी एवं हिंदी में औसत से भी कमजोर साबित हुए हैं। मानव जीवन में शिक्षा का बड़ा महत्व है। दरअसल, बेहतर व्यक्तियों के निर्माण तथा उज्ज्वल करिअर के लिए सर्वथा उचित शिक्षा की आवश्यकता होती है। वैसे आजादी के बाद से ही हमारी शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव किये गये, लेकिन हाल ही में एक सर्वे से प्राप्त आंकड़ों एवं जानकारियों से पता चलता है कि उद्देश्यगत बेहतरी के लिए शिक्षा के क्षेत्र में अब तक किये गये तमाम प्रयास अपर्याप्त रहे हैं। ...
विश्व स्वास्थ्य दिवस, 7 अप्रैल)

विश्व स्वास्थ्य दिवस, 7 अप्रैल)

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
डॉक्टर और दवाइयों की कमी से जूझता देश का स्वास्थ्य प्रत्येक 10,000 लोगों के लिए केवल एक एलोपैथिक डॉक्टर उपलब्ध है और 90,000 लोगों के लिए एक सरकारी अस्पताल उपलब्ध है। मासूम और अनपढ़ मरीजों या उनके रिश्तेदारों का शोषण किया जाता है। अधिकांश केंद्र अकुशल या अर्ध-कुशल पैरामेडिक्स द्वारा चलाए जाते हैं और ग्रामीण सेटअप में डॉक्टर शायद ही कभी उपलब्ध होते हैं। मरीजों को जब आपात स्थिति में तृतीयक देखभाल अस्पताल में भेजा जाता है जहां वे अधिक भ्रमित हो जाते हैं और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और बिचौलियों के एक समूह द्वारा आसानी से धोखा खा जाते हैं। बुनियादी दवाओं की अनुपलब्धता भारत की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की एक सतत समस्या है। कई ग्रामीण अस्पतालों में नर्सों की संख्या जरूरत से काफी कम है. -डॉ सत्यवान सौरभ विश्व स्वास्थ्य दिवस, 7 अप्रैल, स्वास्थ्य समस्या या विशेष ध्यान देने योग्य मुद्दे पर विश्व ...