Shadow

Author: Dialogue India

श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग

श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग

धर्म
परशुरामजी माता-पिता से उऋण हो गए किन्तु अपने गुरु से उऋण क्यों नहीं हो सके? श्रीरामचरितमानस का श्रवण, पारायण और सुनाने के बारे में गोस्वामी तुलसीदासजी ने अत्यन्त गम्भीर बात बालकाण्ड में स्पष्ट कर दी है। श्रीरामचरितमानस के प्रसंग स्वयं कथा करने वाले को अच्छी तरह समझकर कहना चाहिए। श्रीरामकथा श्रवण करने वाले को श्रद्धा भक्ति एवं रुचि से समझना चाहिए? यदि कथा सुनाने वाले और श्रवणकर्ता भक्तों में तालमेल नहीं है तो इस पवित्र कथा का फल (लाभ) प्राप्त कभी भी नहीं होता है यथा-भनिति मोरि सिव कृपाँ बिभाती। ससि समाज मिलि मनहुँ सुराती।।जे एहि कथहि सनेह समेता। कहिहहिं सुनहिं समुझि सचेता।।होइहहिं राम चरन अनुरागी। कलिमल रहित सुमंगल भागी।।श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड १५-५-६तुलसीदासजी कहते हैं कि उनकी कविता श्रीशिवजी की कृपा से ऐसी सुशोभित होगी जैसी तारागणों के सहित चन्द्रमा के साथ रात्रि शोभित होती है। जो इस...
WINTER AIR POLLUTION TRENDS: EAST INDIA

WINTER AIR POLLUTION TRENDS: EAST INDIA

प्रेस विज्ञप्ति
Smaller towns in eastern states record higher pollution this winter – says CSE’s latest analysis West Bengal, Bihar and Odisha experience most polluted winter season since 2019-20 Even though the long term trend in winter air quality improved marginally over the last three years, it worsened compared to the previous year’s winter in most cities Patna in Bihar had the highest increase in winter pollution this winter among the major cities Pollution levels worst in smaller towns of Bihar Peak winter pollution dangerously high in all eastern states Beginnings of a multi-pollutant crisis noted in the region with high nitrogen dioxide levels in early winter More action needed to control pollution from vehicles, industry, open burning, landfill fires, use of solid fuels...
सामाजिक विषमता का कारक है आरक्षण

सामाजिक विषमता का कारक है आरक्षण

TOP STORIES, सामाजिक
डॉ शंकर सुवन सिंहआरक्षण दो शब्दों से मिलकर बना है आ + रक्षण। आरक्षण शब्द में ‘आ’ उपसर्ग है और रक्षणअर्थात सुरक्षित करना। किसी वस्तु या व्यक्ति के लिए कोई स्थान पहले से बचा कर रखनाआरक्षण कहलाता है। वर्ष 1947 में भारत ने स्वतन्त्रता प्राप्त की। डॉ. अम्बेडकर कोभारतीय संविधान के लिए मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। सभीनागरिकों के लिए समान अवसर प्रदान करते हुए सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछले वर्गोंया अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की उन्नति के लिए संविधान में विशेष धाराएँरखी गयी। 10 सालों के लिए उनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिएअनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए अलग से निर्वाचन क्षेत्र आवंटित किए गए।स्वतंत्र भारत में 26 जनवरी 1950 को आरक्षण लागू हुआ था। पिछड़ी जातियों को डॉभीम राव अम्बेडकर द्वारा दिया गया संरक्षण या आरक्षण उचित था। उस समय देश गुलामीकी जंजीरों से...
बुराई तब बढ़ती है जब अच्छे लोग कुछ नहीं करते”?

बुराई तब बढ़ती है जब अच्छे लोग कुछ नहीं करते”?

सामाजिक
अच्छे लोगों पर अपने समुदाय को बनाए रखने के लिए बुराइयों के सामने बोलने और कार्य करने की जिम्मेदारी है। एडमंड बर्क ने कहा था; "बुराई की जीत के लिए केवल एक चीज जरूरी है कि अच्छे लोग कुछ न करें।" अल्बर्ट आइंस्टीन ने भी कहा था कि: "दुनिया उन लोगों द्वारा नष्ट नहीं की जाएगी जो बुराई करते हैं, बल्कि उन लोगों द्वारा जो बिना कुछ किए उन्हें देखते हैं।" हम बुराई से बुराई का मुकाबला नहीं कर सकते। शांति और प्रेम की दुनिया में क्रोध और घृणा का कोई स्थान नहीं है। इससे लड़ने का एकमात्र तरीका सच्चाई का पर्दाफाश करना है। अपनी दुनिया के साथ ज्ञान साझा करें जब आप उन चीजों को जानते हैं जो भ्रष्ट हैं, लोगों को नियंत्रित करने के लिए हेरफेर की गई हैं। -डॉ सत्यवान सौरभ यदि आप कुछ ऐसा होने देते हैं जो स्वाभाविक रूप से बुरा या बुरा था जब आपके पास ज्ञान या अनुभव था कि घटना नैतिक रूप से गलत थी, तो आप "बुराई" क...
समाज

समाज

TOP STORIES, सामाजिक
समाज । यह एक शब्द है जो आज के घुटनों तक कच्छा पहनकर घूमने वाले युवक युवतियों को बड़ा ही बकवास और दकियानूसी लगता है । क्युकी यह समाज ही है जो अभी तक अपने कंधे पर अपने अतीत और अपनी सामाजिक परम्पराओं की गठरी लेकर चलता आया है और समाज यह गठरी जिम्मेदारी के उन कंधों पर डालता है जो इसे संभालकर रख सके और आगे किसी जिम्मेदार व्यक्ति को हस्तांतरित कर सके । लेकिन यह हमारे और आपके लिए कितने अफसोस और शर्म की बात है कि हमारे इतनी बड़ी बड़ी डिग्री धारण करने के बाबजूद समाज के जिम्मेदार व्यक्तियों को वो कंधे नही मिल पा रहे है । वैसे समाज करता क्या है ? समाज का काम क्या है ? समाज ने आज तक किया ही क्या है ? ये सब बातें आज के पढ़े लिखे कूल ड्यूड के दिमाग में आती ही है क्युकी आजका कुल ड्यूड हर चीज को अपने किताबी ज्ञान के तर्क,वितर्क और कुतर्कों से ही परखता है । यहां तर्क,वितर्क और कुतर्को का नाम इसलिए दिया जा ...
तालमेल’ ही परिवार को बचाएगा

तालमेल’ ही परिवार को बचाएगा

राष्ट्रीय, सामाजिक
मेरे सहपाठी और चिकित्सक मित्र डॉक्टर प्रमोद अग्रवाल ने भी समाज में आ रहे बदलाव से व्यथित होकर अपने पेज पर हरियाणा के चरखी दादरी की उस घटना को स्थान दिया है, जिससे समाज का हर संवेदनशील व्यक्ति व्यथित है। इस घटना में संपन्न, पढ़े-लिखे व उच्च अधिकारियों के परिवार के बच्चों की ओर से घोर उपेक्षा के चलते बुजुर्ग मां-बाप ने आत्महत्या कर ली। समाज में इस प्रकार की घटना के अतिरिक्त “माँ” से सम्बोधित गौ, नदी, धरती की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। इसका विस्तार फिर कभी। इस घटना में , वृद्ध दंपति का आरोप था कि उनके बच्चे तीस करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं और वे रोटी के लिये तरस रहे हैं। महिला की गंभीर बीमारी भी इस संकट का एक पहलू है। वैसे इस घटनाक्रम का विवरण पुलिस रिपोर्ट के आधार पर है और वास्तविक तथ्य तो जांच के बाद सामने आएंगे। लेकिन एक बात तो तय है कि यह मामला सिर्फ मां-बाप की भूख का ही नहीं है। ...
हिन्दुओं के त्यौहारों पर ही हिंसक घटनाएं क्यों?

हिन्दुओं के त्यौहारों पर ही हिंसक घटनाएं क्यों?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
- ललित गर्ग- रामनवमी पर निकाली गई शोभा यात्राओं के दौरान देश के विभिन्न राज्यों में हिंसा की जो वीभत्स, त्रासद एवं उन्मादी घटनाएं सामने आई हैं वे एक सवाल खड़ा करती हैं कि हिन्दुओं के त्यौहारों को ही अशांत एवं हिंसक क्यों किया जाता है? आखिर हिन्दू उत्सवों के मौके पर सांप्रदायिक सौहार्द का माहौल खराब करने के लिए क्या जानबूझकर कोई षड्यंत्र किया जाता है? क्यों हिन्दू देवी-देवताओं से जुड़ी आस्था पर ही हमला क्यों किया जाता है। गैर भाजपा सरकारों के राज्यों में ही हिन्दूओं पर हमले क्यों हो रहे हैं? सवाल यह भी है कि संबंधित राज्य की सरकार और स्थानीय पुलिस-प्रशासन ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पहले से ही सतर्क क्यों नहीं रहता और दो समुदायों के बीच हिंसा भड़कने का इंतजार क्यों करता है? हर साल की तरह इस बार भी रामनवमी के दिन पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र में हिंसा हुई और इसके बाद बिहार सुलग उठा। ब...
क्या है हिन्दू फोबिया का कारण

क्या है हिन्दू फोबिया का कारण

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
क्या है हिन्दू फोबिया का कारणहिन्दू धर्म या सनातन संस्कृति जिसकी जड़ें संस्कारों के रूप में, परम्पराओं के रूप में भारत की आत्मा में अनादि काल से बसी हुई हैं।ये भारत में ही होता है जहाँ एक अनपढ़ व्यक्ति भी परम्परा रूप से नदियों को माता मानता आया है और पेड़ों की पूजा करता आया है क्या है हिन्दू फोबिया का कारणआज जहां एक तरफ देश में हिन्दू राष्ट्र चर्चा का विषय बना हुआ है। तो दूसरी तरफ देश के कई हिस्सों में रामनवमी के जुलूस के दौरान भारी हिंसक उत्पात की खबरें आती हैं। एक तरफ हमारे देश में देश में धार्मिक असहिष्णुता या फिर हिन्दुफोबिया का माहौल बनाने की कोशिशें की जाती हैं तो दूसरी तरफ अमेरिका की जॉर्जिया असेंबली में 'हिंदूफोबिया' (हिंदू धर्म के प्रति पूर्वाग्रह) की निंदा करने वाला एक प्रस्ताव पारित किया जाता है। इस प्रस्ताव में कहा जाता है कि "हिंदू धर्म दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे पुरा...
आसान नहीं  है कर्नाटक की राजनीति को समझना

आसान नहीं  है कर्नाटक की राजनीति को समझना

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राज्य, विश्लेषण
उमेश चतुर्वेदी टीवी चैनलों के दौर इस में बौद्धिकों की नजर में हर विधानसभा चुनाव सेमीफाइनल बन गया है। विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित होते ही विशेषकर राजधानी केंद्रित बौद्धिक घोषित करने लगते हैं कि आने वाले चुनावों पर इस चुनाव विशेष के नतीजों का बड़ा असर होगा। कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर भी ऐसी ही स्थापित धारणाएं लगातार प्रसारित हो रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी के उभार के बाद ऐसी धारणाएं कई बार ध्वस्त हुई हैं। फिर भी इन्हीं धारणाओं के इर्द-गिर्द कर्नाटक के संभावित नतीजों का आकलन किया जा रहा है। अतीत के अनुभवकर्नाटक के अतीत के अनुभव भी इन स्थापित धारणाओं को खारिज करते रहे हैं।याद कीजिए 1999 के विधानसभा चुनाव को। तब जनता दल के जेएच पटेल मुख्यमंत्री थे। आम धारणा थी कि येदियुरप्पा की अगुआई में दक्षिण के इस राज्य में अपने दम पर कमल खिल जाएगा। लेकिन कमल खिलने के पहले ही मुरझा गया। वजह ...
हनुमान जी – साहस, शौर्य और समर्पण के प्रतीक

हनुमान जी – साहस, शौर्य और समर्पण के प्रतीक

BREAKING NEWS, TOP STORIES, धर्म, राष्ट्रीय
हनुमान, जिन्होंने सीता देवी को दिखाने के लिए अपना हृदय खोल दिया कि भगवान राम और वह उनके हृदय में निवास करते हैं और उन्हें उनसे उपहार के रूप में मोतियों के हार की आवश्यकता नहीं है, ऐसे अद्भुत समर्पण और बलिदान की आज कल्पना भी नहीं की जा सकती . लेकिन भगवान अपने अनुयायियों की भक्ति के लिए ही पीछे हटते हैं। हनुमान की पूजा सभी लोग विशेष रूप से करते हैं जो खेल और कठिन योगाभ्यास में लगे हुए हैं। हनुमान की तरह, हमें अपने मन, बुद्धि को अपनी आत्मा के नियंत्रण में लाकर, अपने स्वामी (हमारे सच्चे स्व, आत्मान) की सेवा करने का प्रयास करना चाहिए। -प्रियंका सौरभ हनुमान सबसे लोकप्रिय हिंदू देवताओं में से एक हैं। वह सेवा (सेवा), भक्ति (भक्ति) और समर्पण (समर्पण, अहंकारहीनता) का अवतार है। वह शिव के अवतार हैं। उन्हें अंजनी देवी के पुत्र पवन-देवता (मरुता) का पुत्र भी माना जाता है। उनकी ठुड्डी ऊंची है (इसलि...