नफरती सोच एवं हेट स्पीच पर न्यायालय की सख्ती
ललित गर्ग
राष्ट्रीय एकता एवं सामाजिक ताने-बाने को ध्वस्त कर रहे जहरीले भाषणों की समस्या दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। संकीर्णता एवं साम्प्रदायिकता का उन्माद एवं ‘हेट स्पीच’ के कारण न केवल विकास बाधित हो रहा है बल्कि देश की एकता एवं अखण्डता भी खण्ड-खण्ड होने के कगार पर पहुंच गयी है। अब तो ऐसा भी महसूस होने लगा है कि देश की दंड व्यवस्था के तहत जहां ‘हेट स्पीच’ को नये सिरे से परिभाषित करने की आवश्यकता है वहीं इस समस्या से निपटने के लिए ‘हेट स्पीच’ को अलग अपराध की श्रेणी में रखने के लिए कानून में संशोधन का भी वक्त आ गया है? राजनेताओं एवं तथाकथित धर्मगुरुओं के नफरती, उन्मादी, द्वेषमूलक और भड़काऊ भाषणों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने एक बार फिर कड़ी टिप्पणी की है। एक मामले पर दो दिनों तक चली सुनवाई में अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि ऐसे नफरती भाषणों के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई हुई ...