बच्चों को बेचने वाला संवेदनहीन समाज
ललित गर्ग
झारखण्ड में एक बच्चे को जन्म देने के तुरंत बाद कथित रूप से साढ़े चार लाख में बेच दिए जाने की शर्मनाक घटना ने संवेदनहीन होते समाज की त्रासदी को उजागर किया है। जहां इस घटना को मां की संवेदनहीनता और क्रूरता के रूप में देखा जा सकता है, वहीं आजादी के अमृत काल में भी मानव-तस्करी की घिनौनी मानसिकता के पांव पसारने की विकृति को सरकार की नाकामी माना सकता है। सरकार को बच्चों से जुड़े कानूनों पर पुनर्विचार करना चाहिए एवं बच्चों के प्रति घटने वाली ऐसी संवेदनहीनता की घटनाओं पर रोक लगाने की व्यवस्था की जानी चाहिए।झारखण्ड के चतरा में जिस बच्चे को साढ़े चार लाख रुपये में बेचे जाने की खबर आई, उसमें मां के हाथ में एक लाख रुपए आए। बाकी के साढ़े तीन लाख रुपये बिचौलियों या दलालों के हाथ लगे। चूंकि इसकी सूचना पुलिस तक पहुंच गई और समय रहते सक्रियता भी दिखी, इसलिए बच्चे को बरामद कर लिया गया और कई आरो...