Shadow

Author: Dialogue India

सांस्कृतिक और संस्कारिक एकता के मूल आधार है हमारे सामाजिक त्यौहार।

सांस्कृतिक और संस्कारिक एकता के मूल आधार है हमारे सामाजिक त्यौहार।

TOP STORIES, राष्ट्रीय, संस्कृति और अध्यात्म
हिंदुस्तान त्योहारों का देश है। त्योहार हमको सामाजिक और संस्कारिक रूप से जोड़ने का काम करते हैं। हमारी सांस्कृतिक और संस्कारिक एकता ही भारत की अखंडता का मूल आधार है। ‘‘व्रत -त्यौहारों के दिन हम देवताओं का स्मरण करते हैं, व्रत, दान तथा कथा श्रवण करते हैं, जिससे व्यक्तिगत उन्नति के साथ सामाजिक समरसता का संदेश भी समाज में पहुंचता है। इसमें ही भारतीय संस्कृति के बीज छिपे हैं। ’’ हमारे सामाजिक जीवन में कुछ ऐसे दिन आते हैं जिनसे मात्र एक व्यक्ति, या परिवार ही नहीं वरन पूरा समाज आनंदित और उल्लासित होता है। भारत को यदि पर्व-त्योहारों का देश कहा जाए तो उचित होगा। यहां भोजपुरी भाषा में एक कहावत है- ‘सात वार नौ त्यौहार’। -डॉo सत्यवान सौरभ कृषि प्रधान होने के कारण प्रत्येक ऋतु - परिवर्तन हंसी - खुशी मनोरंजन के साथ अपना - अपना उपयोग रखता है। इन्हीं अवसरों पर त्योहार का समावेश किया गया है , जो उच...
प्रभावशाली रही ऊर्जा मंत्री की “कैरट एंड स्टिक” पॉलिसी?

प्रभावशाली रही ऊर्जा मंत्री की “कैरट एंड स्टिक” पॉलिसी?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
 डॉ. अजय कुमार मिश्रा किसी भी राज्य के विकास में कई महत्वपूर्ण पहलुओं के आलावा ऊर्जा का विशेष स्थान होता है | यही एक इकाई है जिस पर औद्योगिक और निवेश करने वालो की अपेक्षाओं पर पूर्ति होना जरुरी है | उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुए निवेशकों की बैठक में ऊर्जा क्षेत्र को सर्वाधिक प्रस्ताव प्राप्त हुए है | यानि की ऊर्जा एक महत्वपूर्ण इकाई के रूप में विकास के लिए अति आवश्यक भी है | परन्तु विगत के कुछ दिनों से ऊर्जा विभाग को लेकर के जिस तरह की छवि बन रही थी वह किसी से छिपी नहीं है | ऊर्जा विभाग के कई संगठनों ने 72 घंटो की स्ट्राइक का आव्हान किया था | जिससे उत्तर प्रदेश के कई जिलों में ऊर्जा सप्लाई को लेकर बड़ी समस्या उत्पन्न हो गयी थी | मीडिया की सुर्खियाँ यह विभाग लगातार बना रहा | कई दौर की बात-चीत के बाद समय से पहले संगठनों ने स्ट्राइक समाप्त करने की घोषणा किया, तब जाकर लोगों को राहत मिली...
भारत की प्राचीन जल संस्कृति को जीवंत करें-ललित गर्ग

भारत की प्राचीन जल संस्कृति को जीवंत करें-ललित गर्ग

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
विश्व जल दिवस, 22 मार्च 2023 पर विशेष जल प्रदूषण एवं पीने के स्वच्छ जल की निरन्तर घटती मात्रा को लेकर बड़े खतरे खड़े हैं। धरती पर जीवन के लिये जल सबसे जरूरी वस्तु है, जल है तो जीवन है। जल ही किसी भी प्रकार के जीवन और उसके अस्तित्व को संभव बनाता है। जीव मंडल में पारिस्थितिकी संतुलन को यह बनाये रखता है। पीने, नहाने, ऊर्जा उत्पादन, फसलों की सिंचाई, सीवेज के निपटान, उत्पादन प्रक्रिया आदि बहुत उद्देश्यों को पूरा करने के लिये स्वच्छ जल बहुत जरूरी है। जिन पाँच तत्वों को जीवन का आधार माना गया है, उनमें से एक तत्व जल है। जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। मानव एवं जीव-जन्तुओं के अलावा जल कृषि के सभी रूपों और अधिकांश औद्योगिक उत्पादन प्रक्रियाओं के लिये भी बेहद आवश्यक है। परंतु आज पूरी दुनिया जल-संकट के साए में खड़ी है। अनियोजित औद्योगीकरण, बढ़ता प्रदूषण, घटते रेगिस्तान एवं ग्लेशियर...
मदरसों का विरोध क्यों?

मदरसों का विरोध क्यों?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
-बलबीर पुंज गत दिनों वाम-उदारवादी और स्वघोषित सेकुलरवादी, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर भड़क उठे। इसका कारण उनका वह हालिया वक्तव्य है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि असम में लगभग 600 मदरसे बंद किए जा चुके है और राज्य सरकार अब सभी मदरसों को बंद करना चाहती है। यूं तो भारतीय संविधान द्वारा अल्पसंख्यकों को अपने अनुरूप शिक्षण संस्था चलाने का अधिकार प्राप्त है। फिर मुख्यमंत्री सरमा ने ऐसा बयान क्यों दिया? आखिर उनके विचारों का निहितार्थ क्या है? क्या विश्व में पहली बार मदरसों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है? वैश्विक समुदाय आज जिस मजहबी कट्टरता से ग्रस्त है— उसे प्रेरित करने वाली मानसिकता को पोषित करने में अधिकांश मदरसों की भी महती भूमिका है। जिस तालिबान की जकड़ में अफगानिस्तान है, जहां उसने अन्य मध्यकालीन प्रतिबंधों के साथ लड़कियों पर प्राथमिक विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय तक कि...
बेमौसम बारिश ने गणित बिगाड़ दिया

बेमौसम बारिश ने गणित बिगाड़ दिया

BREAKING NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, समाचार
भारत में खेती बारिश के भरोसे ही फलती-फूलती है, और उससे जुड़ा चक्र बाज़ार और बाज़ार आम आदमी को प्रभावित करता है । मानसूनी बारिश का इंतजार किसान शिद्दत से करता है, लेकिन यदि यही बारिश बेमौसमी हो तो आफत का सबब बनती है।अगले दिन कैसे बीतेंगे,चिंता का सबब है। पिछले कुछ दिनों से पश्चिमी विक्षोभ से होने वाली बारिश ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें ला दी हैं। दरअसल, खेतों में गेहूं की फसल पक चुकी है। किसान अनाज खलिहानों से निकालकर मंडी ले जाने की तैयारी में है। इसी तरह सरसों की फसल भी पक चुकी है। पिछले दिनों से उत्तर भारत के कई राज्यों में हुई बेमौसमी बरसात से गेहूं-सरसों की फसल को काफी नुकसान हुआ। जहां सरसों में बीज तैयार हो चुका था, ओलावृष्टि से वो बिखरा है। दूसरी ओर जो सरसों मंडियों तक पहुंची थी, वह बारिश से भीग गयी। दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में ग्लोबल वार्मिंग से जो तापमान वृद्धि हुई है,...
किफायती सौर-बैटरी बनाने की नई तकनीक

किफायती सौर-बैटरी बनाने की नई तकनीक

Current Affaires, EXCLUSIVE NEWS, समाचार
नई दिल्ली, 21 मार्च(इंडिया साइंस वायर): सिलिकॉन सौर सेल में उपयोग होने वाले अर्द्ध-चालक (सेमीकंडक्टर) में निकेल ऑक्साइड जैसे धातु ऑक्साइड महत्वपूर्ण होते हैं। भारतीय शोधकर्ताओं को आधुनिक संरचना वाले सिलिकॉन सौर सेल में उपयोग होने वाली सस्ती धातु ऑक्साइड परत विकसित करने में सफलता मिली है। इस अध्ययन के बाद सस्तीसौर बैटरीविकसित करने की राह आसान हो सकती है। सिलिकॉन सौर सेल बनाने के लिए निकेल ऑक्साइड फिल्म (झिल्ली) तैयार करनी होती है, जिसकी मोटाई मनुष्य के बालों की मोटाई से एक लाख गुना कम, नैनो पैमाने पर होती है। नैनो स्तर पर निकेल ऑक्साइड झिल्ली विकसित करने की प्रक्रिया अत्यधिक खर्चीली है, क्योंकि इसके उत्पादन में उपयोग होने वाले उपकरण आयात करने पड़ते हैं। इन झिल्लियों के विकास में उपयोग होने वाले निकेल एसिटाइलसीटोनेट जैसे पूर्ववर्ती घटक भी बेहद महँगे हैं। इस तकनीक का महँगा होना इसके उपयोग...
हिंदू राष्ट्र विचारक- डॉ. हेडगेवार

हिंदू राष्ट्र विचारक- डॉ. हेडगेवार

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, समाचार
जन्मतिथि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ( इस वर्ष 22 मार्च) पर विशेष-मृत्युंजय दीक्षितभारत के सबसे विशाल, समाजसेवी व राष्ट्रभक्त संगठन, “राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ” के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म युगाब्द 4991 की चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नागपुर के एक गरीब वेदपाठी परिवार में हुआ था। डॉ. हेडगेवार जी के पिता का नाम श्री बलिराम पंत व माता का नाम रेवतीबाई था। हेडगेवार जी का बचपन बहुत ही गरीबी में बीता किन्तु गरीबी के उस वातावरण में भी व्यायाम, कुश्ती, लाठी चलाना आदि में उनकी रूचि रही। बचपन में विभिन्न भवनों पर फहराते हुए यूनियन जैक को देखकर वे सोचते थे कि हमारे भारत वर्ष का हिन्दुओं का झंडा तो भगवा ही है क्योंकि भगवान राम और कृष्ण, शिवाजी, महाराणा प्रताप सभी की जीवन लीलाएं इसी झंडे की छत्रछाया में संपन्न हुई हैं और यहीं से उनके ह्रदय में यूनियन जैक को उतार फेंकने की योजना तैयार होने लगी।केशव...
अगर बचानी ज़िंदगी, करें आज संकल्प।जल का जग में है नहीं, कोई और विकल्प।

अगर बचानी ज़िंदगी, करें आज संकल्प।जल का जग में है नहीं, कोई और विकल्प।

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
(22 मार्च जल दिवस विशेष ) हम यह भूल जाते हैं कि पानी के बिना वे सब बेकार हैं। हम अपनी जरूरत से ज्यादा पानी का इस्तेमाल करते रहते हैं। कम से कम हममें से हर व्यक्ति अपने घरों और कार्यस्थलों में पानी का उचित इस्तेमाल तो कर ही सकता है। कई बार ऐसा देखा जाता है कि सड़क किनारे लगे हुए नलों से पानी बह रहा है और बेकार जा रहा है, लेकिन हम वहां से गुजर जाते हैं और नल को बंद करने की चिंता नहीं करते। हमें इन विषयों पर सोचना चाहिए और अपने रोज के जीवन में जहां तक संभव हो पानी बचाने की कोशिश करनी चाहिए। इस समय पृथ्वी ग्रह पर जीवन को बचाये रखने के लिए सबसे बड़ी जरूरत पानी को बचाने की है; यह सुनिश्चित करने के लिए जल संसाधनों का प्रबंधन कैसे किया जाएगा कि देश में सभी को समान मात्रा में पानी मिले। --- डॉ सत्यवान 'सौरभ' जैसे-जैसे जनसंख्या और अर्थव्यवस्था बढ़ती है, वैसे-वैसे पानी की मांग भी बढ़ती है। ...
हिन्दू नववर्ष ; सृष्टि चक्र का शाश्वत सनातन प्रवाह

हिन्दू नववर्ष ; सृष्टि चक्र का शाश्वत सनातन प्रवाह

TOP STORIES, राष्ट्रीय, संस्कृति और अध्यात्म
कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटलचैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि भारतीय संस्कृति में अपना विशिष्ट महत्व रखती है। यह तिथि नवसम्वत्सर - हिन्दू नववर्ष के उत्साह पर्व की तिथि है। यह तिथि भारतीय मेधा के शाश्वत वैज्ञानिकीय चिंतन - मंथन के साथ - साथ लोकपर्व के रङ्ग में जीवन के सर्वोच्च आदर्शों से एकात्मकता स्थापित करती है। वैज्ञानिकता पर आधारित प्राचीन श्रेष्ठ कालगणना पध्दति के अनुरूप ऋतु चक्र परिवर्तन एवं सूर्य - चन्द्र की गति के अनुरूप नव सम्वत्सर का प्रारम्भ होता है। भारतीय संस्कृति यानि हिन्दू संस्कृति के माहों ( मासों ) का नामकरण नक्षत्रों के नाम पर हुआ। और इसके लिए हमारे पूर्वजों ने व्यवस्था दी कि - जिस मास में जिस नक्षत्र में चन्द्रमा पूर्ण होगा , वह मास उसी नक्षत्र के नाम से जाना जाएगा। और इस पध्दति के अनुसार — चैत्र - चित्रा, वैशाख - विशाखा, ज्येष्ठ - ज्येष्ठ, अषाढ़ - अषाढ़ा, श्रावण - श्रवण, भ...
गुड़ी पड़वा : नवसंवत्सर का आरंभ

गुड़ी पड़वा : नवसंवत्सर का आरंभ

TOP STORIES, राष्ट्रीय, संस्कृति और अध्यात्म
वैज्ञानिक अनुसंधान के सभी पहलू हैं काल गणना आरंभ के इस नववर्ष में रमेश शर्मा आज सृष्टि के विकास आरंभ का दिन है, और संसार के लिये कालगणना के लिये नवसंवत्सर । अर्थात नये संवत् वर्ष का प्रथम दिन है । आज से विक्रम संवत् 2080 और युगाब्द 5125 आरंभ हो रहा है । इस संवत्सर का आरंभिक नाम नल और 24 अप्रैल से पिंगल होगा । वर्ष राजा के बुध और मंत्री का दायित्व शुक्र के पास रहेगा।युगाब्द महाभारत युद्ध के बाद सम्राट युधिष्ठिर के राज्याभिषेक की और विक्रम संवत् शकों की मुक्ति के बाद महाराज विक्रमादित्य के राज्याभिषेक की तिथि है । भारत में कोई तिथि, त्यौहार, परंपरा, उत्सव और उसका शब्द संबोधन यूँ ही नहीं होता । इसके पीछे सैकड़ो वर्षों का शोध, अनुसंधान का निष्कर्ष होता है । जिसमें प्रकृति से तादात्म्य निहित होता है । यह विशेषता इस नव संवत्सर तिथि की भी है । नवसंवत् आरंभ होने का यह दिन गुड़ी पड़वा दूसरा ...