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Author: Dialogue India

लोकतंत्र चौराहे पर

लोकतंत्र चौराहे पर

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चुनाव सिर पर हैं, भाजपा समर्थक मीडिया पाकिस्तान के विरुद्ध उन्माद पैदा करने में जुटा है। अंदेशा है कि प्रधानमंत्री मोदी भी कुछ ऐसा कर सकते हैं जो हवा उनकी तरफ बहने लगे। संविधान की धारा 35 व 370 को राष्ट्रपति के अध्यादेश से खत्म करवाना ऐसा ही एक कदम है। धारा 35 हटने से कश्मीर के बाहर के भारतीय नागरिक वहां स्थाई संपत्ति खरीद पायेंगे और 370 हटने से कश्मीर को मिला विशेष दर्जा समाप्त हो जाएगा। ये दोनों ही बातें ऐसी हैं जिनकी मांग संघ व भाजपा के कार्यकर्ता शुरू से करते आ रहे हैं। जाहिर है कि अगर मोदी जी ऐसा करते हैं तो इसे चुनावों में भुनाने की पुरजोर कोशिश की जायेगी जिसका जाहिरन काफी लाभ भाजपा को मिल सकता है। किन्तु इसमें कुछ पेंच हैं। संविधान का कोई भी संशोधन संसद की स्वीकृति के बिना स्थाई नहीं रह सकता। क्योंकि राष्ट्रपति अध्यादेश की अवधि 6 महीने की होती है। आवश्यक नहीं कि अगली लोकसभा इसे पारि...
क्यों घुटनों के बल आया पाकिस्तान

क्यों घुटनों के बल आया पाकिस्तान

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आर.के.सिन्हा विंग कमांडर अभिनंदन पूरे धमाके के साथ भारत लौट आए हैं। भारतीय वायुसेना का एक लड़ाकू विमान का पायलट, जो शत्रु के घर पर हमला करता है, उसकी तुरंत दो दिनों के अन्दर स्वदेश वापसी का हो जाना हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। यह नए भारत का असर है कि पाकिस्तान ने घुटनों को टेक कर अभिनंदन को ससम्मान भारत भेज दिया। क्या आपको इस तरह का दूसरा उदाहरण विश्व में कहीं और मिलेगा? पुलवामा हमलेसे नाराज भारत का पाकिस्तान की सरहद के अंदर घुसकर सैकड़ों आतंकियों को मार गिराना उस भारत की तस्वीर पेश करता है,जो आत्म विश्वास से लबरेज है। उस भारत में अब धैर्य नहीं बचा है कि वह अपने ऊपर होने वाले हमलों को निरीह बनकर झेलता ही रहे। सारी दुनिया ने देखा था कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के भयाक्रांत चेहरे को जब वे अपने देश की संसद में अभिनंदन की रिहाई की घोषणा कर रहे थे। उन्होंने बिना किसी शर्त के अभि...
मोदी सरकार के पांच साल क्या खोया, क्या पाया

मोदी सरकार के पांच साल क्या खोया, क्या पाया

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फरवरी 12 को सोलहवीं लोकसभा का सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होते ही नई यानी 17वीं लोकसभा के चुनावों की आहट सुनाई देने लगी। सियासी फिज़ां में यह सवाल तैरना स्वाभाविक है कि अगले चुनाव के बाद दिल्ली की रायसीना पहाडिय़ों पर स्थित साउथ और नॉर्थ ब्लॉक की चमचमाती कुर्सियों पर किसे बैठने को मिलेगा? सवाल यह भी है कि अपनी लोकप्रियता के दम पर क्या मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दल-बल के साथ फिर से वापस लौट पाएंगे, या फिर कोई नया चेहरा विदेशों में देश की नुमाइंदगी करेगा और अपनी धरती पर अपने लोगों की अगुवाई करेगा? इन सवालों का जवाब तो आने वाले चुनाव के नतीजे देंगे, लेकिन वे नतीजे मौजूदा लोकसभा के प्रति जवाबदेह रही मौजूदा सरकार की उपलब्धियों और नाकामियों पर कहीं ज्यादा निर्भर करेगा। ऐसे में इसकी पड़ताल स्वाभाविक है कि मौजूदा सरकार ने अपने पौने पांच साल के कार्यकाल में क्या खोया और क्या पाया? ...
जहरीले जिहाद का जुनून

जहरीले जिहाद का जुनून

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क्या यह उचित है कि दुश्मन के छद्म युद्धों का सिलसिला बना रहें और हम उसे कायराना हमला कहकर निंदा करके अपने दायित्वों से भागते रहें? निस्संदेह केवल आक्रोशित होकर उत्साहवर्धक बयान तक सीमित रह जाने वाला नेतृत्व आज हमारे देश की नियति बन चुका है। 14 फरवरी 2019 ज मू-कश्मीर हाईवे पर अवंतीपोर के पास गोरीपोरा में सी.आर.पी.एफ. के 2500 सैनिकों से अधिक के काफिले पर लगभग 100 किलो आर.डी.एक्स. (विस्फोटक) से भरी 'कार बम’ बनी एक स्कॉर्पियो गाड़ी से आत्मघाती आतंकवादियों ने आक्रमण करके एक बार फिर हमको ललकारा है। इस जिहादी जुनून में हमारे लगभग 40 जवानों का बलिदान हुआ और 25 से अधिक घायल हुए हैं। इस्लामिक आतंकवादियों के दुस्साहस को बार-बार कायराना हमला कहकर हम केवल शब्दवीर बन जाते हैं। जबकि ऐसे नरसंहारों से जिहादियों के हौंसले आसमान को छूने लगते हैं। हम शत्रुओं की जिहादी सोच को समझने के बाद भी अपनी रणनीति को ...
भारत में चुनाव से ठीक पहले आतंकवादी हमले के पीछे क्या है पाकिस्तान की मंशा?

भारत में चुनाव से ठीक पहले आतंकवादी हमले के पीछे क्या है पाकिस्तान की मंशा?

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बड़ा औपचारिक सा लगने लगा है और थोड़ा-थोड़ा फज़ऱ्ी भी, जब एक आतंकवादी हमला होता है और हम अपना गुस्सा प्रकट करने के लिए ज़ोर-ज़ोर से बहुत कुछ बोलना शुरू कर देते हैं। लेकिन सच यह है कि ऐसे आतंकवादी हमले झेलना भारत की नियति है। इसके साथ ऐसा होता रहा है और आगे भी होता रहेगा। मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं, जऱा ठंडे दिमाग से सोचिएगा और समझिएगा। हमारा देश एक ऐसा लोकतांत्रिक देश है, जिसे फस्र्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम वाली चुनाव प्रणाली के ज़रिए चुने गए जनप्रतिनिधियों द्वारा बहुमत से बनाई गई सरकार चलाती है। सबसे पहले समझिए कि फस्र्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम क्या है? फस्र्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम यह है कि चुनाव में जिस भी उ मीदवार को सबसे अधिक वोट मिलेंगे, वह निर्वाचित हो जाएगा, भले ही वह बहुमत यानी आधे से अधिक लोगों द्वारा नापसंद किया गया हो। नतीजा यह है कि वे लोग चुनकर आ रहे हैं, जिन्हें सौ में केवल 30-3...
Akashwani should place Samayaki just after main evening Hindi news-bulletin like Spotlight is relayed after main English news-bulletin

Akashwani should place Samayaki just after main evening Hindi news-bulletin like Spotlight is relayed after main English news-bulletin

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Timings of news-bulleting and other programmes presented by News Services Division of All India Radio (Akashwani) were last revised more than five decades ago when Television-network had insignificant presence. Then timings were revised in a manner that Hindi bulletins may be broadcast just before English news-bulletins like shifting main Hindi bulletin from then 8.15 pm to now 8.45 pm. But such placement deprived Samayaki important time-place just after main Hindi bulletin like is there for Spotlight relayed at 9.15 pm just after main English bulletin. All India Radio should go for a total new time-schedule for all its news-bulletins and other programmes presented by News Services Division. Main evening Hindi news-bulletin should be advanced to 8 pm followed by Samayaki at 8.15 pm just a...
Surgical strike necessary to prevent misuse of RTI Act and saving public-resources apart from easing use of RTI Act by general public

Surgical strike necessary to prevent misuse of RTI Act and saving public-resources apart from easing use of RTI Act by general public

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RTI Act should be saved by preventing it from misuse. RTI fees should be uniform for all states and competent authorities at rupees 50 that may include copying charges for first 20 copied pages for saving to both public-authorities and portioners on demanding and remitting copying charges, but eliminating non-serious RTI petitioners because of a negligible fee of just rupees ten. People in BPL category are already exempted from paying RTI fees. When government-fees for every public-service is increased manifold in last more than a decade, there is no sense in not revising RTI fees also that too by providing additional benefit of free 20 copied pages. To prevent RTI applications being filed under fake names, ID proof should be compulsorily enclosed with RTI application in tune with para ...
गंगा शहीदों की मांगों पर संकल्प कब ?

गंगा शहीदों की मांगों पर संकल्प कब ?

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भारत भी मां है और गंगा भी। भारत माता की जय का उद्घोष हमें जोश से भर देता है; हमारी बाजुओं की मछलियां फड़कने लगती हैं। यह हमारी राष्ट्रभक्ति का प्रतीक है। यह जयघोष, देश के दुश्मनों को ललकार का भी प्रदर्शन है। पुलवामा के नापाक आतंकी हमले में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के 40 जवानो की शहादत के पश्चात् पूरे भारत ने इस जयघोष के साथ दुश्मन को ललकार का प्रदर्शन किया; बदला-बदले की आवाज़ें बुलन्द की। 'ऑपरेशन बालाकोट' को अंजाम देकर भारतीय वायुसेना ने इस मांग की पूर्ति भी कर दी। माननीय प्रधानमंत्री ने रातजगा कर राष्ट्र को यह संदेश भी दे दिया कि वह मां के सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने वालों को क्षमा करने के पक्ष मे कतई नहीं हैं। प्रधानमंत्री जी का यह रुख सराहनीय है। किंतु क्या मां गंगा के साथ भी हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और हम भारतीयों की संवेदना और संकल्प का स्तर सराहनीय है ?   गंगा मैया की...
जन सुनवाई में जनता से खतरा क्यों?

जन सुनवाई में जनता से खतरा क्यों?

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उत्तराखंड शासन प्रशासन ने दिखा दिया कि बांध कंपनियां लोगों के अधिकारों और पर्यावरण से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। यमुना घाटी में टॉन्स नदी की सहायक नदी सुपिन पर प्रस्तावित जखोल साकरी बांध परियोजना की पर्यावरणीय जनसुनवाई  प्रभावित क्षेत्र से 40 किलोमीटर दूर मोरी ब्लॉक में कथित रूप से पूरी कर दी गई। 1 मार्च को जन सुनवाई का समय 11:00 बजे से शुरू हुआ किंतु उसमें खास जखोल गांव के लोगों को रोका गया। जखोल गांव इस बांध के लिए प्रस्तावित 9 किलोमीटर लंबी सुरंग के ऊपर आता है और जहां सुरंग के दुष्परिणाम संभावित हैं। प्रशासन ने चुनकर जखोल गांव के अलावा अन्य प्रभावित गांवों पांव तल्ला, मल्ला, सुनकुंडी और धारा के सैकड़ो लोगों को भी जनसुनवाई में जाने से मोरी जखोल मोटर मार्ग पर बैरिकेड लगा कर रोक दिया। जखोलगाँव के प्रधान सूरज रावत के नेतृत्व में लोगो ने ब्लॉक के दरवाजे पर धरना किया और लगातार तीखे नारे देकर बै...
विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए संचारकों को राष्ट्रीय पुरस्कार

विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए संचारकों को राष्ट्रीय पुरस्कार

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विज्ञान दिवस के अवसर पर देशभर के दस विज्ञान संचारकों को वर्ष 2018 के राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इस मौके पर मौजूद भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजयराघवन  ने कहा कि “वैज्ञानिक अभिरुचि के प्रसार के लिए वैज्ञानिकों और आम लोगों के बीच की दूरियों को कम करना होगा। अगर विशेषज्ञ समाज के आम लोगों के मुकाबले खुद को श्रेष्ठ मानकर चलेंगे तो इस खाई को पाटना आसान नहीं होगा। इसके लिए हमें लोगों के करीब जाना होगा और धरातल पर उतरकर उनके साथ संवाद करना होगा।” प्रोफेसर विजयराघवन ने ये बातें इस बार राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम 'लोगों के लिए विज्ञान और विज्ञान के लिए लोग' के संदर्भ में कही हैं। इस थीम का चयन करने का उद्देश्य वैज्ञानिक खोजों को अधिकतम लोगों से जोड़ने के प्रयासों को बढ़ावा देना है। पिछले वर्ष विज्ञान दिवस की थीम ‘टिकाऊ...