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Author: Dialogue India

Central government should act against AMU authorities for its issuing show-cause notices to organizers of Tiranga-Yatra

Central government should act against AMU authorities for its issuing show-cause notices to organizers of Tiranga-Yatra

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It refers to shocking news about authorities of Aligarh Muslim University AMU issuing show-cause notices to organizers of Tiranga-Yatra in the university-campus. Organizers went ahead with their plan when University-authorities did not respond to their request seeking permission to have such Tiranga-Yatra and the request was never rejected. Holding Tiranga-Yatra is a patriotic act, and should have been permitted by the University-authorities without unnecessary deferring the issue. Union Ministry for Human Resource Development should swiftly act to make University-authorities withdraw any action against organizers of Tiranga-Yatra. If University-authorities did not want to give permission, they should have informed accordingly about rejection of the request much before the day about whi...
BJP government honouring Congress leaders with Bharat Ratna now to Pranab Mukerjee

BJP government honouring Congress leaders with Bharat Ratna now to Pranab Mukerjee

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Congress having ruled the nation for so long ignored in giving due honours to its top leaders which were considered as challenger to dynastic rule of Nehru-Gandhi family, may it be Sardar Patel or Subhash Chandra Bose. Even body of former Prime Minister PV Narsimharao was not allowed entry in Congress office in New Delhi after his death, what to talk about his state-cremation in privileged area near Rajghat and Vijay Ghat in New Delhi. BJP government at the centre gave due honour to Sardar Patel through various modes including Bharat Ratna. Now former President Pranab Mukerjee who was better known as trouble-shooter for Congress party has been honoured with Bharat Ratna. TMC rightly observed that Congress party never made him either party-President or Prime Minister, the posts he deserv...
देश हुकूमतंत्र की तरफ ना जाए इसलिए अन्ना हजारे जी का महामहिम राष्ट्रपति जी को प्रार्थना पत्र

देश हुकूमतंत्र की तरफ ना जाए इसलिए अन्ना हजारे जी का महामहिम राष्ट्रपति जी को प्रार्थना पत्र

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दिनांक- 23/01/2019 जा.क्र.भ्रविज 52/2018-19 प्रति, मा. महामहिम राष्ट्रपति जी, भारत, राष्ट्रपती भवन, नई दिल्ली विषय- भारत सरकार संवैधानिक संस्थाओंने बनाए कानून को ना मानने से यह देश लोगतंत्र की तरफ से हुकूमतंत्र की तरफ जाने की संभावना है। देश हुकूमतंत्र की तरफ ना जाए इसलिए प्रार्थना पत्र दे रहा हूं। नरेंद्र मोदी सरकार लोकपाल लोकायुक्त कानून का पालन नहीं कर रही है इसलिए मैं 30 जनवरी 2019 को अनशन शुरू कर रहा हूँ। महोदय, मैंने मेरा जीवन समाज और देश की सेवा के लिए उम्र के 25 साल में समर्पित किया है। जीवन के 81 साल की उम्र में सिर्फ समाज और देश के लिए निष्काम भाव से कार्य करते आया हूँ। मेरा देश मुझे प्राण से भी प्रिय होने के कारण और नरेंद्र मोदी सरकार लोगतंत्र को बाधित विचारों को लेकर चल रही है। इसलिए आपको पत्र लिख रहा हूँ। देश में बढते भ्रष्टाचार को रोकथाम लगे इसलिए लोकप...
तू डाल डाल, मैं पात पात

तू डाल डाल, मैं पात पात

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देश एक दिलचस्प मगर चुनौतीपूर्ण मोड़ पर है। पूर्व में एकतरफा दिख रही, हाल ही के पांच राज्यों के चुनावों के परिणाम के बाद लोकसभा चुनावों की जंग बड़े कांटे की हो गयी है। स्थितयां लगभग सन 2009 जैसी हैं जब सत्तारूढ़ दल के विरुद्ध कोई बड़ी लहर या हवा नहीं थी तो यह भी पता नहीं था कि पक्ष में कौन है, वैसी ही कुछ मोदी सरकार की वर्तमान स्थिति है। मोदी सरकार को अस्थिर व बदनाम करने के लिए जो झूठ व अतिरंजित आरोपों व बयानों का सहारा विपक्षी पार्टियों विशेषकर कांग्रेस पार्टी ने लिया वह देश मे स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अत्यंत निराशाजनक है। राफेल डील पर जिस प्रकार राहुल गांधी मोदी सरकार को घेर रहे थे व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगा रहे थे उससे जनता में यह विश्वास बनने लगा था कि हो सकता है कोई घोटाला हुआ हो किंतु जब संसद में इस विषय पर हुई बहस के जवाब में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस डील के सभी त...
ग्राम विकास व राष्ट्र-धर्म के अग्रदूत भारत रत्न नानाजी देशमुख

ग्राम विकास व राष्ट्र-धर्म के अग्रदूत भारत रत्न नानाजी देशमुख

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यूं तो हमारा देश पुरातन काल से ही ॠषियों, मुनियों, मनीषियों, समाज सुधारकों व महापुरुषों का जनक रहा है जिन्होंने न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व का मार्गदर्शन कर जगत कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। किंतु आधुनिक युग की बदलती हुई परिस्थितियों में ऐसे महापुरुष बिरले ही हैं। ग्यारह अक्टूबर, 1916 को महाराष्ट्र के परभणी जिले के एक छोटे से ग्राम कडोली में जन्मे चंडिका दास अमृतराव देशमुख ने अपने बाल्यावस्था में शायद ही ऐसी कल्पना की होगी कि वह अपने जीवन काल में किये गये सेवा, संस्कार व शिक्षा के प्रसार के माध्यम से 50,000से अधिक विद्यालयों की स्थापना, 500 से अधिक ग्रामों का विकास, भारतीय जनसंघ, जनता पार्टी, दीनदयाल शोध संस्थान, राष्ट्र, धर्म, पांचजन्य व‘दैनिक स्वदेश’ का संपादन/प्रबंधन के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम पूरे विश्व में फैलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा पायेगा। भारत सरकार उ...
29 वर्षों में हिन्दुआें का कश्मीर में पुनर्वास न होना भारतीय लोकतंत्र की पराजय ! – सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगलेजी

29 वर्षों में हिन्दुआें का कश्मीर में पुनर्वास न होना भारतीय लोकतंत्र की पराजय ! – सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगलेजी

प्रेस विज्ञप्ति
19 जनवरी 1990 में आतंकवाद के कारण कश्मीरी हिन्दुआें को कश्मीर घाटी छोडनी पडी थी । इस घटना को इस वर्ष 29 वर्ष पूरे हो रहे हैं ।  भारत में सरकार, सर्वोच्च न्यायालय, सेनादल एवं संसद होकर भी विगत 29 वर्षों में हिन्दुआें का कश्मीर में पुनर्वास न होना भारतीय लोकतंत्र की पराजय है । मोदी शासन ने चुनावी घोषणापत्र में वचन दिया था कि कश्मीर में हिन्दुआें की घरवापसी करेगें । सत्ता के साढेचार वर्षो के उपरांत हमारा प्रश्‍न है कि मोदी सरकार हिन्दुआें का कश्मीर में पुनर्वास करने का साहस कब दिखाएगी ?, ऐसा वक्तव्य हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगलेजी ने संवाददाता सम्मेलन में किया है ।      वे आगे बोले, इस निमित्त हिन्दू जनजागृति समिति ने कुम्भमेले में पहली बार कश्मीरी और बांग्लादेशी हिन्दुआें पर जिहादी कट्टरपंथियों एवं आतंकवादियों के भीषण अत्याचार से संबंधित भव्य चि...
भा.ज.पा. की जीत से गूंजेगी “भारत माता की जय”…

भा.ज.पा. की जीत से गूंजेगी “भारत माता की जय”…

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अभी भी समय है भारत माता की जय बोलने वालों कुछ ठोस करो अन्यथा घोटालेबाज, चालबाज व विभिन्न विचारधाराओं के नेताओं का गठबंधन राष्ट्रीय राजनीति के भविष्य को अंधकारमय कर देगा। राष्ट्रवादियों काजल की कोठरी से बाहर निकलो अन्यथा कालिख में ही रंगे रह जाओगे...और...नारे गूंजते रहेंगे...                                                       याद करो__9 फरवरी 2016 __जे.एन.यू. के राष्ट्रद्रोही नारे_ ●भारत तेरे टुकड़े होंगें_इंशा अल्लाह~इंशा अल्लाह_ तेरे सौ-सौ टुकड़े होंगे_इंशा अल्लाह~इंशा अल्लाह_ ●लडकर लेंगे_आजादी_बंदूक के दम पर_आज़ादी_ अफजल बोला आज़ादी_मक़बूल बोला आज़ादी_ भारत की बर्बादी तक_जंग करेंगे-जंग करेंगे_ ●अफजल गुरु हम शर्मिंदा है_तेरे कातिल जिंदा है__ कितने अफजल मारोगे_घर-घर से अफजल निकलेगा_ कितने मक़बूल मारोगे_घर-घर से मक़बूल निकलेगा_ वर्तमान विषम परिस्थितियों में केवल एक ही मार्ग है कि भ...
सात समंदर पार बसे भारतीय जुड़े भारत से

सात समंदर पार बसे भारतीय जुड़े भारत से

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15 वां प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन 21 जनवरी से वाराणसी में उस समय  शुरू हुआ है, जब अमेरिका में बसी दो भारतीय मूल की महिलाओं की चर्चा विशेष रूप से विश्व भर में हो रही है। पहली गीता गोपीनाथ हैं। उन्होंने अंतर राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अध्यक्ष का पद भार संभाल लिया है। दूसरी हैं चैन्नई में पैदा हुई इंदिरा नूई। कभी कोका कोला जैसी प्रख्यात शीतलपेय बनाने वाली कंपनी की प्रमुख रही इंदिरा नूर्इ को विश्व बैंक का प्रमुख बनाए जाने की चर्चाएं जोरों पर हैं। दरअसल ये दोनों उदाहरण मात्र हैं, यह सिद्ध करने के लिए कि सारी दुनिया में भारतीय अपने ज्ञान, मेहनत,लगन के बल पर आगे बढ़ते ही चले जा रहे हैं।हालांकि, ये दोनों प्रवासी सम्मेलन में अपरिहार्य कारणों से नहीं उपस्थित हो पा रही हैं, पर इनकी चर्चाएं होती ही रहेगी। दरअसल कुंभ मेला और गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने के लिए आ रहे  सात समंदर पार बसे भारती...
गणतंत्र के 69 वर्ष में क्या खोया, क्या पाया?

गणतंत्र के 69 वर्ष में क्या खोया, क्या पाया?

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आज हमारा देश अपना 69वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। यह अवसर है जब हमें चाहिए कि एक बार शांत मन से आत्मविश्लेषण कर लें कि भारत ने गणतंत्र होने के बाद क्या खोया-क्या पाया? मतलब देश को संविधान से क्या मिला और क्या रह गया? किन मोर्चो पर संविधान असफल रहा? वैसे तो सभी सवाल वाजिब ही हैं। लेकिन इन सारे सवालों के जवाब तो हमें तलाशने ही होंगे। यही गणतंत्र का तकाजा भी है। स्वस्थ लोकतंत्र के परीपक्व होने की यही प्रक्रिया हैl निर्विवाद रूप से भारत ने संविधान के दिखाए रास्ते पर चलते हुए हमने भुखमरी, गरीबी, निरक्षरता वगैरह जैसे गंभीर मसलों को काफी हद तक सुलझाया है। यह तो कोई नहीं दावा कर रहा है कि हमने उपर्युक्त मसलों पर पूरी तरह विजय पा ली है। जरा सोचिए तो कि देश में आजादी के वक्त और फिर संविधान के लागू होने के समय हम कहां खड़े थे? आप जब 26 जनवरी,1950 के भारत और आज के भारत की तुलना करेंगे तब आप पाएंगे ...
परिवारवाद की राजनीती में हुआ नये चेहरे का पदार्पण

परिवारवाद की राजनीती में हुआ नये चेहरे का पदार्पण

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भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों में से एक कांग्रेस ने बुधवार दोपहर जब प्रियंका गाँधी वाड्रा को महासचिव बनाने के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया तो कांग्रेस समर्थको में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी, इसी के साथ इस कथन पर भी मुहर लग गयी कि “भारत की राजनीती में परिवारवाद” हमेशा की तरह हावी रहेगा, फिर चाहे वो किसी भी राजनीतिक दल में ही क्यों न हो. वंशवाद अथवा परिवारवाद सत्ता के शासन की वह प्रणाली है जिसमे एक ही परिवार, वंश से एक के बाद एक कई शासक बनते जाते है. भाईभतीजावाद का जनक इसका ही एक रूप है. ऐसा माना जाता है कि लोकतंत्र में परिवारवाद के लिए कोई स्थान नही है, परन्तु यह फिर भी हावी है. भारत में हर चुनाव से पहले लगभग हर राजनीतिक दल का एक दूसरे पर भाषणों के द्वारा किये जाने वाले हमलों का प्रमुख मुद्दा परिवारवाद एवं वंशवाद ही होता है, फिर चाहे वो भारतीय जनता पार्टी हो या समाजवादी पार्ट...