
‘‘शिवपुराण’’ में श्रीराम से निषादराज के भेंट का शिवजी द्वारा शिवरात्री को दिये गये आशीर्वाद का कथा प्रसंग
शिवपुराण में कोटिरूद्र संहिता के अध्याय 40(गीताप्रेस,गोरखपुर) में गुरूद्रुह नामक भील की कथा वर्णित है। इस कथा में उसे भगवान शिव ने श्रृंगवेरपुर की राजधानी में वंश वृद्धि तथा श्रीराम के एक दिन घर पधारने और मित्रता का आशीर्वाद भी दिया है।
सूतजी ने ऋषियों को एक निषाद का प्राचीन इतिहास सुनाया। उनके अनुसार किसी एक वन में एक भील रहता था। उसका नाम गुरूद्रुह था। वह अपने कुटुम्ब का पेट मृगों को मारकर तथा नानाप्रकार की चोरियाँ कर भरता था। एक दिन शिवरात्रि आयी तथा उसे उस व्रत का कोई ज्ञान न था। उस दिन उसके माता-पिता एवं पत्नी ने भूख से पीड़ित होकर उससे खाने का माँगा। वह धनुष लेकर वन में शिकार करने चल पड़ा। दिनभर में उसे उस दिन कुछ भी हाथ न लगा। अतः वह सूर्यास्त के समय एक जलाशय के निकट पहुँच गया। क्योंकि उसे ज्ञात था कि रात्रि में यहाँ जल पीने कोई न कोई जीव अवश्य आयेगा। ऐसा मन में निश्चय कर वह बेल (ब...