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Author: Dialogue India

राज्य सरकार के लोकायुक्त कानून न बनाने पर होगा आंदोलन !

राज्य सरकार के लोकायुक्त कानून न बनाने पर होगा आंदोलन !

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लोकपाल लोकायुक्त कानून संसद के दोनों सदनों ने 17 दिसंबर और 18 दिसंबर 2013 को पास किया है। 01 जनवरी 2014 को कानून बन गया। 16 जनवरी 2014 को गॅझेट निकाला है। लेकिन केंद्र सरकार लोकपाल कानून का अंमल नहीं कर रही है। लोकायुक्त कानून लोकपाल कानून बनने के बाद एक साल के अंदर हर राज्योंने करना है। ऐसा कानून कह रहा है। लेकिन लोकपाल कानून बनकर 2013 से आज 2018 तक पांच साल बीत गए है। फिर भी राज्य सरकार लोकायुक्त कानून नही बना रहीं है। इसलिए कार्यकर्ताओंने अपने अपने राज्यों में आंदोलन करना होगा। मै 30 जनवरी 2019 को महाराष्ट्र राज्य मे लोकायुक्त कानून बने इसलिए मेरे गांव रालेगणसिद्धी में आंदोलन कर रहा हूं।   देश में बढते भ्रष्टाचार को रोकथाम लगे इसलिए 16 अगस्त 2011 में दिल्ली के रामलीला मैदान पर लोकपाल लोकायुक्त कानून की मांग को लेकर आंदोलन हुआ था। उस आंदोलन में देश की जनता रास्ते पर उतर गई थी। तत्क...
आर्थिक आरक्षण की सुबह का होना

आर्थिक आरक्षण की सुबह का होना

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नरेन्द्र मोदी सरकार ने आर्थिक निर्बलता के आधार पर दस प्रतिशत आरक्षण देने का जो फैसला किया है वह निश्चित रूप से साहिसक कदम है, एक बड़ी राजनीतिक पहल है। इस फैसले से आर्थिक असमानता के साथ ही जातीय वैमनस्य को दूर करने की दिशा में नयी फिजाएं उद्घाटित होंगी। निश्चित ही मोदी सरकार ने आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों के लिए यह आरक्षण की व्यवस्था करके केवल एक सामाजिक जरूरत को पूरा करने का ही काम नहीं किया है, बल्कि आरक्षण की राजनीति को भी एक नया मोड़ दिया है। इस फैसले से आजादी के बाद से आरक्षण को लेकर हो रहे हिंसक एवं अराजक माहौल पर भी विराम लगेगा। देशभर की सवर्ण जातियां आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग करती आ रही हैं। भारतीय संविधान में आरक्षण का आधार आर्थिक निर्बलता न होकर सामाजिक भेदभाव व शैक्षणिक पिछड़ापन है। आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को नौकरियों में आरक्षण देने का फैसला एक सकारात्मक परिवेश का द्योतक है,...
कुंभ में भीड़ पर रखना होगा काबू

कुंभ में भीड़ पर रखना होगा काबू

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अब फिर से कुंभ मेला का शंखनाद हो गया है। प्रयागराज में एक बार फिर आस्था का ऐसा जमघट लगने जा रहा है जिसमें संगम की त्रिवेणी में डुबकी लगाने जहाँ करोड़ों भक्त देशभर के कोने-कोने से इकट्ठे होंगें वहीं महाकुम्भ के अद्भुत और विहंगम नज़ारे को कैमरे में कैद करने और नजारे को नजदीकी से देखने के लिए सारे संसार से करोड़ों पर्यटक भी आएंगे। ये सब प्रयाग के संगम में आस्था की डुबकी भी लगाएंगे। इस दौरान घंटा-घड़ियालों के साथ गूंजते वैदिक मंत्र और धूप-दीप की सुगंध से सारा शहर ही नहीं पूरा प्रयाग मंडल महकेगा। हिंदू धर्म में मान्यता है कि किसी भी कुंभ मेले में गंगा-यमुना और भूगर्भ सरस्वती के संगम पर पवित्र मन से तीन डुबकी लगाने से मनुष्य को जन्म-पुनर्जन्म के बंधन से मुक्ति होती है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। पर इसके साथ यह  भी उतना ही सच है कि इतने विशाल स्तर पर  कुंभ मेले के आयोजन की व्यवस्थाएं करना किसी सर...
समय की पुकार : हो नई पौध तैयार

समय की पुकार : हो नई पौध तैयार

TOP STORIES, सामाजिक
प्रकृति का नियम है पका फल पेड़ पर अधिक देर तक लगा रह ही नहीं सकता वह टपकेगा ही कभी न कभी। पेड़ की फल देने की भी एक क्षमता होती है उसके बाद नए पेड़ आते हैं। यही क्रिया मानव जीवन की भी है। नई पीढ़ी को तैयार करना ही मानव धर्म है। पुरानों को जो कि अपना कर्म कर चुके होते हैं, उन्हें जाना ही होता है। उनका कर्म कैसा रहा, उनका योगदान क्या रहा या उन्हें क्या करना चाहिए था। इन सब बातों की आलोचना और विवेचना में अब और ऊर्जा व समय नहीं गंवाना है। पुरानी त्रुटियों से यह सीखना है कि हमें यह नहीं करना होगा। धार्मिक, राजनैतिक, सामाजिक व आर्थिक क्षेत्रों में जो भी विकृतियां आ गई हैं उन्हें अपने प्रेम, सत्य व कर्म से दूर करने का पुरुषार्थ ही अब नए प्रभात की ओर जाने का मार्ग है। हमारी सारी समस्याओं की जड़ यह है कि हम समस्याओं के हल अपनी-अपनी बुद्धि के अनुसार निकालकर उसी से जूझते रहते हैं। हल को लागू करने म...
सफलता का महत्वपूण मंत्र है ‘फॉलोअप’

सफलता का महत्वपूण मंत्र है ‘फॉलोअप’

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हालही में मैंने एक अत्यधिक प्रतिष्ठित संगठन के लिए रणथंभौर में ऑफसाइट/आउटबाउंड कार्यक्रम आयोजित किया था। मेरी एक गतिविधि मेरे द्वारा डिजाइन की गई एक विस्तृत प्रश्नावली के माध्यम से आत्म-विश्लेषण की थी। इसके दो भाग हैं- 'अपने आप को एक व्यक्ति के रूप में जानें’ और दूसरा भाग है 'अपने आप को एक प्रोफेशनल के रूप में जानें’। एक प्रश्न में मैंने पूछा कि अपनी पांच कमजोरियों को लिखें, तो एक व्यक्ति ने अपनी एक कमजोरी के रूप में लिखा था 'फॉलो अप में कमजोर’। जिस क्षण मैंने यह देखा, इसने मेरे कान खड़े कर दिए। मैं स्वयं इस कमजोरी का शिकार रहा हूं और जो लोग मुझे जानते हैं वे इससे सहमत भी होंगे। और तथ्य यह है कि, मैंने लंबे समय तक इसकी उपेक्षा की है। मैंने इस पर हाल ही में आधे-अधूरे मन से काम करना शुरू किया है। मेरे मन में हमेशा यह डर था कि अगर मैं बार-बार फॉलो अप करता हूं, तो दूसरा व्यक्ति परेशान हो सक...
ऑस्ट्रेलिया डायरी : विकास के मापदंडों पर विकसित देश व भारत

ऑस्ट्रेलिया डायरी : विकास के मापदंडों पर विकसित देश व भारत

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विभिन्न देशों में वेतनमान और पेट्रोल की कीमतें -     ऑस्ट्रेलिया में न्यूनतम वेतन लगभग 1,55,000 रुपए (एक लाख पचपन हजार रुपए) महीना है। पेट्रोल की कीमत औसतन 78 रुपए प्रति लीटर है। -     फ्रांस में न्यूनतम वेतन लगभग 1,20,000 रुपए (एक लाख बीस हजार रुपए) महीना है। पेट्रोल की कीमत औसतन 112 रुपए प्रति लीटर है। -     इंग्लैंड में न्यूनतम वेतन लगभग 1,20,000 रुपए (एक लाख बीस हजार रुपए) महीना है। पेट्रोल की कीमत औसतन 105 रुपए प्रति लीटर है। -     जर्मनी में न्यूनतम वेतन लगभग 1,20,000 रुपए (एक लाख बीस हजार रुपए) महीना है। पेट्रोल की कीमत औसतन 120 रुपए प्रति लीटर है। -     अमेरिका में न्यूनतम वेतन लगभग 85,000 रुपए (पिच्चासी हजार रुपए) महीना है। पेट्रोल की कीमत औसतन 65 रुपए प्रति लीटर है। -     चीन मेंं सरकारी घोषित न्यूनतम वेतन (एक्चुल वेतन बहुत कम है) लगभग 20,000 रुपए (बीस हजार रुपए...
स्वयंसेवी संस्थाओं की  धूमिल होती छवि

स्वयंसेवी संस्थाओं की धूमिल होती छवि

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  भारत को स्वयं सेवी संस्थाओं का देश कहा जा सकता है। उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के अनुपालन में भारत सरकार ने संपूर्ण देश में पंजीकृत स्वयंसेवी संस्थाओं की गणना कराई थी। इसके अनुसार देश भर के राज्यों में 38 लाख से कुछ अधिक एवं संघीय प्रदेशों में 72000 स्वयं सेवी संस्थाएं पंजीकृत थी। तीन राज्यों ने अपने आंकड़े नहीं भेजे थे। इस प्रकार ऐसी संस्थाओं की संख्या 35 लाख अनुमानित की जा सकती हैै। भारत में कुल 35 लाख सरकारी स्कूल काम कर रहे हैं एवं सरकारी अस्पतालों की संख्या केवल 36000 के लगभग है। पूरे देश में 89 लाख 30 हजार पुलिस कर्मी कार्यरत हैं जबकि इनकी स्वीकृत संख्या 39 लाख है। ऐसा अनुमान लगाया गया है पूरे विश्व में स्वयं सेवी संस्थाओं की संख्या एक करोड़ के लगभग है एवं दुनिया की कुल आबादी लगभग 8 अरब से कुछ ज्यादा है। इस प्रकार हमारे देश में विश्व की जनसंख्या का लगभग 16-17 प्रतिशत निवास क...
मेघालय हाई कोर्ट के एक सही फैसले पर सियासत?

मेघालय हाई कोर्ट के एक सही फैसले पर सियासत?

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भारत का विभाजन 1947 में धर्म के आधार पर हुआ था। अलग हो कर पाकिस्तान ने स्वयं को इस्लामिक राष्ट्र घोषित कर दिया जबकि भारत ने धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र रहना पसंद किया। भारत को भी उस समय स्वयं को हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था। जो हिंदू उस समय भारत नहीं आ पाए वो और उनकी पीढ़ी तीन पड़ोसी देशों में तरह तरह के अत्याचार सह रही हैं। पड़ोसी देशों अथवा दुनिया के किसी भी कोने से कोई हिंदु, सिख, जैन, बौद्ध,  गारो, खासी जयंती, पारसी, ईसाई जब भी भारत आए भारत सरकार को उन्हें तुरंत नागरिकता देनी चाहिए और बहुत ज्यादा कागज़ात प्रमाण के तौर पर नहीं मांगने चाहिए।’’ मेघालय होई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुदीप रंजन सेन ने डोमिसाइल सर्टिफिकेट के एक मामले में साहसिक फैसला सुनाते हुए भारत के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन की वर्तमान प्रक्रिया को सुधारने और समान कानून लाने का अनुरोध किया है। उ...
हे राम! जनेऊ पहनकर मंदिर-मंदिर जाकर झूठ बोलते हैं राहुल गांधी!

हे राम! जनेऊ पहनकर मंदिर-मंदिर जाकर झूठ बोलते हैं राहुल गांधी!

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मोबाइल से नकल करके शोक संदेश लिखने वाले मेरे प्रिय नेता श्री राहुल गांधी जी की एक और नकल साबित हो गई है। जिस तरह से अरविंद केजरीवाल ने बिना किसी सबूत के ही दर्जनों नेेताओं को बेईमान कह-कहकर दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी हथिया ली थी, उसी तरह से उन्होंने भी सोचा कि बिना कोई सबूत पेश किए सिफऱ् गले के ज़ोर से ही वे देश के प्रधानमंत्री को चोर कह-कहकर अगले प्रधानमंत्री बन जाएंगे। मेरे पिताजी ने जेपी आंदोलन के दौरान अपने संघर्ष के दिनों की एक रोचक कहानी मुझे सुनाई थी। एक बार किसी बस में एक पॉकेटमार ने उनका पॉकेट मार लिया, लेकिन पिताजी ने ऐसा करते हुए उसे देख लिया और देखते ही कसकर उसका हाथ धर लिया। फिर क्या था, पॉकेटमार चिल्लाने लगा- 'पॉकेटमार... पॉकेटमार... पॉकेटमार...।’ उसके इस पैंतरे से पिताजी एक पल के लिए सकपका गए, लेकिन वस्तुस्थिति भिन्न थी। पिताजी के आई-कार्ड समेत उनके पॉकेट का सारा...
राफ़ेल विमान सौदा चोर, बदनियत और राष्ट्रविरोधी कौन?

राफ़ेल विमान सौदा चोर, बदनियत और राष्ट्रविरोधी कौन?

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  आज भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल विमान सौदे को लेकर तमाम प्रश्न उठाती याचिकाओं के निर्णय का दिन था। आज राहुल गांधी के 'चौकीदार चोर है’ के नारे की परिणीति का दिन था। आज छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश व राजस्थान के उन मतदाताओं का दिन था, जिन्होंने नोटा या भाजपा के विरोधियों को इसलिये अपना मत दिया था क्योंकि उनको अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीयत पर अविश्वास था। इसी के साथ आज राहुल गांधी की कांग्रेस और उनके साथियों की उस उम्मीद का भी दिन था, जिसमें आज, सर्वोच्च न्यायालय राफ़ेल विमान सौदे पर शंका प्रकट कर, एसआईटी गठित करती और 2019 के चुनाव में राफ़ेल विमान पर सवार राहुल गांधी जीत कर भारत के प्रधानमंत्री बन जाते। लेकिन इसी के साथ आज सर्वोच्च न्यायालय की विश्वनीयता और तटस्था की परीक्षा का भी दिन था, जो वह भारत की जनता के सामने खोती जा रही है। आज इन सब पर पटाक्षेप हो गया है। राफ़ेल ...