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Author: Dialogue India

कलह-क्लेश करोगे तो नहीं बन सकोगे बिल गेट्स-जुकरबर्ग

कलह-क्लेश करोगे तो नहीं बन सकोगे बिल गेट्स-जुकरबर्ग

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रैनबैक्सी फार्मा का कुछ साल पहले तक देश के दवा निर्माताओं के सेक्टर में दबदबा था। यह देश की चोटी की फार्मा कंपनियों में से एक थी। लेकिन, यह देखते-देखते ही खत्म हो गई। रैनबैक्सी को स्थापित करने वाले डा.भाई मोहन सिंह का कुनबा आपसीकलह-क्लेश में फंसता ही चला गया। पहले डा. मोहन सिंह के पुत्र परविदर सिंह ने अपने पिता को कंपनी के मैनेजमेंट से बाहर किया। आगे चलकर परविंदर सिंह के दोनों पुत्रों क्रमश मलविंदर सिंह और शिवइंदर सिंह ने अपने परिवार की फ्लैगशिप कंपनी को गलत तथ्यों के आधार पर जापान की दाइची नाम की कंपनी को बेचा।जब इन बंधुओं ने रैनबैक्सी से अपनी सारी हिस्सेदारी को बेचा था, तब भारतीय उद्योग जगत में इनकी खिंचाई भी हुई थी ।जिस समूह को इनके दादा भाई मोहन सिह ने बनाया-संवारा, उसे इस तरह बेचा नहीं जाना चाहिए था। मलविंदर सिंह और शिवइंदर सिंह नेरैनबेक्सी को बेचने के बाद फोर्टिस अस्पतालों की भारी भ...
अशोक गहलोत की ताजपोशी का अर्थ

अशोक गहलोत की ताजपोशी का अर्थ

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अशोक गहलोत ने तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने हैं। गहलोत ने मुख्यमंत्री एवं उनके सहयोगी सचिन पायलट ने उप-मुख्यमंत्री के रूप में जयपुर के अल्बर्ट हॉल में शपथ ली। गहलोत 1998 में पहली बार मुख्यमंत्री बने और 2008 में दूसरी बार मुख्यमंत्री का पदभार संभाला। उन्होंने इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी तथा पी.वी.नरसिम्हा राव के मंत्रिमण्डल में केन्द्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया। वे तीन बार केन्द्रीय मंत्री बने। भाजपा के कांग्रेस मुक्त भारत के नारे बीच कांग्रेस की दिनोंदिन जनमत पर ढ़ीली होती पकड़ एवं पार्टी के भीतर भी निराशा के कोहरे को हटाने के लिये गहलोत के जादूई व्यक्तित्व ने अहम भूमिका निभाई है और उसी का परिणाम राजस्थान में कांग्रेस की जीत है। देश में राजनीतिक सोच में बड़े परिवर्तनों की आवश्यकता है। एक सशक्त लोकतंत्र के लिये भी यह जरूरी है। परिवर्तन के बारे मंे एक आश्चर्यजन...
फिरकापरस्तों से बचें हिंदुस्तानी

फिरकापरस्तों से बचें हिंदुस्तानी

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तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सोशल मीडिया पर दो बड़े खतरनाक संदेश आये। एक में हरा झंडा लेकर कुछ नौजवान जुलूस निकाल रहे थे कि ‘बाबरी मस्ज़िद’ वहीं बनाऐंगे। दूसरे संदेश में केसरिया झंडा लेकर एक जुलूस निकल रहा था, जिसमें नारे लग रहे थे, ‘एक धक्का और दो, ज़ामा मस्ज़िद तोड़ दो’’। ये बहुत खतरनाक बात है। इससे हिंदू और मुसलमान दोनों बर्बाद हो जाऐंगे और मौज मारेंगे वो सियासतदान जो इस तरह का माहौल बना रहे हैं। 1980 के पहले मुरादाबाद का पीतल उद्योग निर्यात के मामले में आसमान छू रहा था। यूरोप और अमरीका से खूब विदेशी मुद्रा आ रही थी।लोगों की तेजी से आर्थिक उन्नति हो रही थी। तभी किसी सियासतदान ने ईदगाह में सूअर छुड़वाकर ईद की नमाज में विघ्न डाल दिया। उसके बाद जो हिंदू-मुसलमानों के दंगे हुए, तो उसमें सैंकड़ों जाने गईं। महीनों तक कर्फ्यू लगा और पीतल उद्योग से जुड़े हजारों परिवार तबाह हो गऐ। कितने...
राफ़ेल विमान सौदा: चोर, बदनियत और राष्ट्रविरोधी कौन?

राफ़ेल विमान सौदा: चोर, बदनियत और राष्ट्रविरोधी कौन?

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आज भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल विमान सौदे को लेकर तमाम प्रश्न उठाती याचिकाओं के निर्णय का दिन था। आज राहुल गांधी के चौकीदार चोर है के नारे की परिणीति का दिन था। आज छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश व राजस्थान के उन मतदाताओं का दिन था, जिन्होंने नोटा या भाजपा के विरोधियों को इसलिये अपना मत दिया था क्योंकि उनको अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीयत पर अविश्वास था। इसी के साथ आज राहुल गांधी की कांग्रेस और उनके साथियों की उस उम्मीद का भी दिन था, जिसमे आज, सर्वोच्चन्यायलय राफ़ेल विमान सौदे पर शंका प्रगट कर, एसआईटी गठित करती और 2019 का चुनाव में, राफ़ेल विमान पर सवार राहुल गांधी, जीत कर भारत के प्रधानमंत्री बन जाते। लेकिन इसी के साथ आज सर्वोच्चन्यायलय की विश्वनीयता और तटस्था की परीक्षा का भी दिन था, जो वह भारत की जनता के सामने खोती जारही है। आज इन सब पर पटाक्षेप हो गया है। राफ़ेल विमान सौदे पर कांग्र...
राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला – उल्टा चोर कोतवाल को डांटे

राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला – उल्टा चोर कोतवाल को डांटे

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कुत्ते की दुम टेढ़ी की टेढ़ी – यह एक बहुत ही प्रचलित लोकोक्ति है. बताया जाता है कि कुत्ते की दुम को बारह साल तक पाइप में रखने पर भी सीधी नहीं होती है. पाइप से निकालते ही वो टेढ़ी हो जाती है. इस लोकोक्ति का इस्तेमाल उस व्यक्ति के लिए किया जाता है जो लाख कोशिशों के बावजूद सुधरने का नाम नहीं लेता. ऐसे व्यक्ति को 'कुत्ते की दुम' कहा जाता है. राफेल विवाद के मामले में राहुल गांधी और मोदी से घृणा करने वाले लॉबी की हालत कुत्ते की दुम की तरह हो गई है. ये हर बार बिना सबूत.. बिना तथ्य.. बिना किसी वजह के मोदी पर आरोप तो लगाते हैं लेकिन कुछ साबित नहीं कर पाते हैं. कोर्ट से लताड़ पड़ती है तो फिर कोई दूसरा मुद्दा उठा लेते हैं. राहुल गांधी को तो केजरीवाल की बीमारी लग गई है – बिना सबूत के आरोप लगाना फिर माफी मांगना. केजरीवाल तो एक शहर का नेता है लेकिन कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी का अध्यक्ष जब सड़कछाप रा...
कौन भेजता भारत में अरबों डॉलर

कौन भेजता भारत में अरबों डॉलर

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भारत वर्ष के विभिन्न कोनों में चालू  वर्ष के दौरान विदेशों में बसे प्रवासी भारतीयों ने दिल खोलकर रकम भेजी। इन्होंने 80 बिलियन ड़ॉलर यानी करीब 80 अरब रुपये अपने देश में भेजा। वर्ल्ड बैंक की एक ताजा रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। पिछले साल यह रकम 69 बिलियन डॉलर ही थी। मतलब दुनिया के कोने-कोने में बसे प्रवासी भारतीय अपनी मातृभूमि पर दोनों हाथों से धन की वर्षा कर रहे हैं। आप कह सकते हैं कि देश से बाहर अपनी जिंदगी को संवारने गए ये लाखों भारतीय अब देश की किस्मत को भी बदलने में लग गये हैं। सबसे गौर करने लायक तथ्य ये है कि इनसे ज्यादा रकम किसी भी अन्य देश के विदेशों में रहने वाले नागरिकों ने अपने देश में नहीं भेजी। हालांकि पड़ोसी चीन के विदेशों में बसे नागरिकों की संख्या हमारे प्रवासी नागरिकों से कहीं अधिक हैं, पर हमने बाहर से प्राप्त रकम के मामले में उसे पछाड़ दिया। चीन को 2017 में 64 बिलियन ड...
सिंधु घाटी में पश्चिम से आए थे रोड़ समुदाय के लोग

सिंधु घाटी में पश्चिम से आए थे रोड़ समुदाय के लोग

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सिंधु घाटी सभ्यता वर्षों से इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के शोध का विषय रही है। कुछ वर्षों से आनुवांशिक शोधकर्ता भी इस पर काम कर रहे हैं। एक नये शोध से पता चला है कि सिंधु घाटी की आनुवांशिक विविधता में रोड़ समुदाय की मुख्य भूमिका रही है।   रोड़ समुदाय राजस्थान और हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों में फैला हुआ है और ऐसा माना जाता है कि वैदिक काल से यह समुदाय इसी क्षेत्र में रह रहा है। इसीलिए वैज्ञानिकों का मानना है कि रोड़ समुदाय की आनुवांशिक बनावट में एक निरंतरता है। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध से पता चला है कि रोड़ समुदाय सिंधु घाटी में कांस्य युग के दौरान यूरोपीय क्षेत्रों से आया था। इनके आने से सिंधु घाटी में पहले से रह रहे गुज्जर, जाट, काम्बोज और खत्री समुदाय की आनुवांशिक विविधता में बदलाव आया। यही कारण है कि सिंधु घाटी में रहने वाले विभिन्न समुदायों के आनुवांशिक फलक ...
Mukesh Ambani deserves full compliments for being true Indian by performing marriage of her daughter in India

Mukesh Ambani deserves full compliments for being true Indian by performing marriage of her daughter in India

समाचार
Mukesh Ambani deserves full compliments for being true Indian by performing marriage of her daughter in India despite being wealthiest person of India At a time when affording elite-rich celebrities and personalities in India are exhibiting their richness by going for marriage-celebrations outside in India like Virat Kohli with Anushka Sharma and Priyanka Chopra with Nick Jonas both couples performing marriage in Italy, wealthiest Indian Mukesh Ambani chose to perform marriage of her daughter in India. Earlier several other rich Indian industrialists also performed marriages of their children in foreign countries even by taking along full fleet of cooks there to prepare Indian food. Being rich is not bad, but exhibition of richness by draining out Indian money for celebrations outsid...
Logic of hefty commission on Jeevan Akshay pension-plan of LIC of India

Logic of hefty commission on Jeevan Akshay pension-plan of LIC of India

समाचार
Presently public-sector Life Insurance Corporation of India – LIC is paying a hefty commission of two-percent to its agents on its popular pension-plan Jeevan Akshay where one-time heavy premium is payable to get life-time pension on a fixed rate which does not vary with regularly fluctuating rates of bank-interest. There are lucrative incentives of various types over and above two-percent commission. Knowledgeable takers of this plan easily bargain for pay-back of upto 2.5 percent from the agents. Persons without knowledge about such hefty pay-back are deprived of such extra benefit when they directly approach LIC-branches where usually every staff-member has some indirect agency to grab hefty commission. LIC-agents deliberately avoid giving knowledge about wonderful pension-plan Pradh...
Merge public-sector General-Insurance companies for drastic cut in overheads

Merge public-sector General-Insurance companies for drastic cut in overheads

आर्थिक
Central government should merge all public-sector companies for General Insurance into one unified company to reduce unnecessary overheads. If one single public-sector Life Insurance Corporation of India (LIC) provides life-insurance cover under so many plans effectively, then one General Insurance Corporation of India can also be formed by merging all public-sector Insurance-companies engaged in General Insurance. Such unified company will be able to compete more effectively with private-sector companies engaged in General Insurance in the manner that no private Insurance-company is presently able to compete with public-sector Life Insurance Corporation of India.   MADHU AGRAWAL