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Author: Dialogue India

Income Tax search on private locker-vaults in Khari Baoli of Old Delhi

Income Tax search on private locker-vaults in Khari Baoli of Old Delhi

आर्थिक
 Private locker-vaults are necessary evil but should be regulated It refers to Income Tax officers continuing to wait for those having taken on rent lockers operated by a private firm in Khari Baoli area of Old Delhi which is the prominent business hub for wholesale trade of many commodities. Only one-third out of total about 150 lockers are till date opened because lack of regulatory norms for taking these privately-operated lockers on hire with rent running into some lakhs of rupees annually. Already about rupees 35 crores of currency has been detected from the opened lockers. Earlier also similar search in South Extension area of New Delhi resulted in seizure of heavy unaccounted cash. Such privately operated lockers working till late evening are necessary evil because India does ...
Inoperative and matured accounts in post-offices

Inoperative and matured accounts in post-offices

आर्थिक
There is huge unclaimed money lying deposited in post-offices with even many account-holders and depositors died without having informed their legal heirs. There are always chances of frauds (like in banks) that some mischievous persons in connivance with certain postal-employees may try to grab such unknown deposits. Department of Posts should send letters by registered post in name of such account-holders and depositors not having operated their accounts and claimed for maturity-amounts of deposits in last say three years giving them a reasonable period of say three months to either renew their accounts or deposits. Otherwise all such unclaimed money may be freezed in some fixed account, which may be allowed to be withdrawn only after careful verification. Details of all such accounts th...
जनसँख्या विस्फोट पर कब लगेगी लगाम?

जनसँख्या विस्फोट पर कब लगेगी लगाम?

BREAKING NEWS, राष्ट्रीय
माननीय प्रधानमंत्री जी, सादर प्रणाम ! आम जनता को आपसे बहुत आशाएं हैं और खुशी की बात यह है कि आपके नेतृत्व में 2014 से अब तक जिस प्रकार से भ्रष्टाचार-मुक्त चहुमुखी विकास हुआ है उससे आम जनता विशेषकर युवाओं का विश्वास और अधिक बढ़ा है! जैसा कि आप जानते हैं कि वर्तमान समय में लगभग 122 करोड़ भारतीयों के पास आधार है, लगभग 20% अर्थात 25 करोड़ नागरिक (विशेष रूप से बच्चे) बिना आधार के हैं तथा लगभग चार करोड़ बंगलादेशी और एक करोड़ रोहिंग्या घुसपैठिये अवैध रूप से भारत में रहते हैं! इससे स्पस्ट है कि हमारे देश की कुल जनसँख्या 125 या 130 करोड़ नहीं बल्कि लगभग 152 करोड़ है और हम चीन से बहुत आगे निकल चुके हैं ! हमारे पास कृषि योग्य भूमि दुनिया की मात्र 2% है, पीने योग्य पानी मात्र 4% है और जनसँख्या दुनिया की 20% है! यदि चीन से तुलना करें तो हमारा क्षेत्रफल चीन का लगभग एक तिहाई है और जनसँख्या वृद्धि की दर ची...
NOTA be converted in Right-To-Reject

NOTA be converted in Right-To-Reject

addtop, BREAKING NEWS, समाचार
NOTA be converted in Right-To-Reject and Chief Ministers be elected in state-assemblies through secret and compulsory vote of all MLAs Winning of many party-rebels in recently held elections to five state-assemblies, ever-increasing vote-share of NOTA, strong factionalism in winning party in Hindi-heartland and necessity of costly by-elections because of candidates winning from dual constituencies call for urgent poll-reforms to be implemented before 2019-elections to Lok Sabha. A candidate must not be allowed to contest for more than one seat. Rather a sitting MP or MLA must first resign from earlier seat before filing nomination for the other. NOTA should be converted into Right-To-Reject where all candidates getting votes less than NOTA may be barred for life-time from contesting...
कब होगा एड्स उन्मूलन?

कब होगा एड्स उन्मूलन?

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जैसे कि चेन की सबसे कमज़ोर कड़ी ही उसकी ताकत का मापक होती है, वैसे ही, जन स्वास्थ्य का मापक भी उसके सबसे कमज़ोर अंश होते हैं. स्वास्थ्य सुरक्षा का सपना तभी पूरा होगा जब सबसे पिछड़े और समाज के हाशिये पर रह रहे लोग स्वस्थ रहेंगे. यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) दिवस पर यह सत्य दोहराना ज़रूरी है क्योंकि हर इंसान के लिए यूएचसी की सुरक्षा देने का वादा पूरा करने के लिए अब सिर्फ 12 साल शेष हैं. भारत सरकार समेत 193 देशों की सरकारों ने 2030 तक सतत विकास लक्ष्य पूरे करने का वादा किया है जिनमें यूएचसी शामिल है. यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) दिवस पर एड्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया ने भारत सरकार से अपील की कि स्वास्थ्य कार्यक्रम में रोगों की जांच और इलाज पर ध्यान देना जितना ज़रूरी है उतना ही महत्वपूर्ण है रोग नियंत्रण. एड्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष डॉ ईश्वर गिलाडा, जो हाल ही में इंटरनेशनल एड्स सोसाइटी की संचाल...
स्वस्थ भारत के तीन आयामः जनऔषधि पोषण और आयुष्मान विषय पर हुआ राष्ट्रीय परिसंवाद

स्वस्थ भारत के तीन आयामः जनऔषधि पोषण और आयुष्मान विषय पर हुआ राष्ट्रीय परिसंवाद

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जिस समय दिल्ली के रामलीला मैदान में राम मंदिर की चर्चा जोर-शोर से चल रही थी, ठीक उसी समय दिल्ली के गांधी-शांति प्रतिष्ठान में स्वस्थ भारत की अगुवाई में स्वास्थ्य पत्रकारों की एक टोली स्वस्थ भारत की चर्चा में कर रही थी। स्वस्थ भारत एवं प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस परिसंवाद का मुख्य विषय था 'स्वस्थ भारत के तीन आयामः जनऔषधि पोषण और आयुष्मान'। स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं स्वस्थ भारत के चेयरमैन एवं सीनीयर स्वास्थ्य पत्रकार आशुतोष कुमार सिंह की पुस्तक 'जेनरिकोनॉमिक्स' का लोकार्पण किया जा रहा था तो दूसरी तरफ स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी लेखनी के माध्यम से आम लोगों को जागरूक कर रहे स्वास्थ्य पत्रकारों एवं मीडियाकर्मियों को सम्मानित जा रहा था। जनऔषधि परियोजना के सीइओ सचिन कुमार सिंह, नेशनल हेल्थ एजेंसी के इडी अरूण गुप्ता, वरिष्ठ पत्रकार उमेश चतुर्वेदी,प्रसिद्ध गांधीव...
ब्रजवासियों के साथ धोखा क्यों?

ब्रजवासियों के साथ धोखा क्यों?

TOP STORIES, संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक
जब से 'ब्रजतीर्थ विकास परिषद्’ का गठन हुआ है, ये एक भी काम ब्रज में नहीं कर पाई है। जिन दो अधिकारियों को योगी आदित्यनाथ जी ने इतने महत्वूपर्ण ब्रजमंडल को सजाने की जि मेदारी सौंपी हैं, उन्हें इस काम का कोई अनुभव नहीं है। इससे पहले उनमें से एक की भूमिका मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के नाते तमाम अवैध निर्माण करवाकर ब्रज का विनाश करने में रही है। दूसरा सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी है, जिसने आजतक ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण पर कोई काम नहीं किया। इन दोनों को ही इस महत्वपूर्ण, कलात्मक और ऐतिहासिक काम की कोई समझ नहीं है। इसलिए इन्होंने अपने इर्द-गिर्द फर्जी आर्किटैक्टों, भ्रष्ट जूनियर अधिकारियों और सड़कछाप ठेकेदारों का जमावाड़ा कर लिया है। सब मिलकर नाकारा, निरर्थक और धन बिगाड़ू योजनाऐं बना रहे हैं। जिससे न तो ब्रज का सौंदर्य सुधरेगा, न ब्रजवासियों को लाभ होगा और न ही संतों और तीर्थयात्र...
सक्रिय होकर सुनें

सक्रिय होकर सुनें

TOP STORIES, सामाजिक
हम सभी जानते हैं कि संवाद केवल तभी होता है जब कोई वक्ता और श्रोता दोनो होते हैं। संवाद सदैव दो-तरफा प्रक्रिया मानी जाती है, जिसका अर्थ है कि असरदार संवाद केवल तभी माना जाता है जब श्रोता या रिसीवर यह स्वीकार करता है कि उसे संदेश प्राप्त हुआ है, चाहे वह केवल सिर हिलाकर ही क्यों न बताए। हम यह भी जानते हैं कि भगवान ने हमें सुनने के लिए दो कान दिए हैं और एक मुंह बोलने के लिए दिया है। इसका मतलब है कि हमें दिनभर की बातचीत में बोलना कम और सुनना अधिक चाहिए। जब हम सुनते हैं, तो हम सीखते हैं जबकि बोलते समय हम केवल वही कहते हैं जो कि हम जानते हैं और इसलिए हमारे ज्ञान में कोई मूल्यवर्धन नहीं होता। इसलिए सुनना हमेशा हमारे लिए फायदेमंद होता है जबकि बोलना एक ऊर्जा खर्च करने वाली एक प्रक्रिया है। सक्रिय हो कर सुनना एक बहुत महत्वपूर्ण कला है जिसे हमें हमेशा सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। हमारी नौकरी में...
बीमारियों के बोझ से उबरता भारत

बीमारियों के बोझ से उबरता भारत

TOP STORIES, राष्ट्रीय
  विविधताओं से भरे देश हिन्दुस्तान के लिए अपने नागरिकों को वैश्विक स्वास्थ्य मानकों के अनुरूप स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना एक बड़ी चुनौती है। आजादी से लेकर अभी तक भारत ने इन चुनौतियों को स्वीकार करते हुए अपने नागरिकों की सेहत को बेहतर रखने एवं करने की हर संभव कोशिश की है। पिछले 20 वर्षों की बात की जाए तो भारत सरकार ने 1999 में राष्ट्रीय एड्स कार्यक्रम, 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, 2008 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, 2010 में कैंसर, मधुमेह, कार्डियोवास्कुलर बीमारियां एवं स्ट्रोक को रोकने के लिए राष्ट्रीय पहल, 2011 में जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम, 2014 में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन, स्वच्छ भारत अभियान, 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति एवं 2018 में आयुष्मान भारत जैसे तमाम पहल किए हैं। इन प्रयासों का परिणाम यह रहा है कि भारत ने तमाम तरह के स्वास्थ्य संकेतकों में...
छोटे दलों की बढ़ती सक्रियता रोचक बनती राजनीति

छोटे दलों की बढ़ती सक्रियता रोचक बनती राजनीति

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण
  देश भर के राजनीतिक खानदानों में वर्चस्व की एक जंग मची हुयी है। लालू, मुलायम, करुणानिधि, चौटाला के परिवारों में सत्ता के वह ऐब अब सतह पर आ गए दिखते हैं जो क्षेत्रीय दलों के शासन काल में जनता भुगतती थी। सत्ता की आदत ही कुछ ऐसी होती है कि उसके बगैर रहना अहम को ठेस पहुंचा देता है। क्षेत्रीय दलों से अलग होकर ये लोग अब स्थानीय वोट कटवा दल बन कर रह गए हैं। कहीं यह दल कांग्रेस की बी टीम हैं तो कहीं भाजपा की। बड़े दलों द्वारा छोटे दलों को फंडिंग भी की जाती है। इस तरह से कांग्रेस मुक्त भारत के बाद क्षेत्रीय दलों से मुक्त राज्य की तरफ भारत की राजनीति बढऩे लगी है। अपने वर्चस्व को बचाने के लिए क्षेत्रीय दल अब राष्ट्रीय दलों के मुद्दों में भी सेंध लगाने लगे हैं। अयोध्या और राम मंदिर पर आकर सारा और सबका गणित टिकने लगा है।  अमित त्यागी राष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों की बढ़ती भूमिका क...