हमें इसलिए चाहिए अविरल गंगा
गंगा की अविरलता की मांग को पूरा कराने के लिए स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद ने अपने प्राण तक दांव पर लगा दिए। इसी मांग की पूर्ति के लिए युवा साधु गोपालदास आगे आये और अब इस लेख को लिखे जाने के वक्त तक मातृ सदन, हरिद्वार के सन्यासी आत्मबोधानन्द और पुण्यानंद उपवास पर डटे हैं। आखिर क्यों? गंगा के संबंध में आखिर ऐसा क्या लक्ष्य है कि जो अविरलता के बगैर हासिल नहीं किया जा सकता? किसी भी नदी की अविरलता के मायने क्या है? नदी के अविरल होने का लाभ क्या हैं, ख़ासकर गंगा के संदर्भ में?
अविरलता का मायने
अथर्ववेद के तृतीय काण्ड के सूक्त-13 के प्रथम मंत्रानुसार, सदैव भली प्रकार से गतिशील रहने तथा बादलों के ताडि़त होने व बरसने के बाद प्रवाह द्वारा उत्पन्न कल-कल ध्वनि नाद के कारण ही सरिताओं को नदी कहा जाता है- 'एदद: संप्रयती रहावनदता हते। तस्मादा नद्यो3नाम स्थ ता वो नामानि सिन्धव:।।’’
स्पष्ट है कि यदि प्...