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Author: Dialogue India

आरबीआई बोर्ड बैठक में निकला बीच का रास्ता

आरबीआई बोर्ड बैठक में निकला बीच का रास्ता

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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्ण बोर्ड की बहुप्रतीक्षित बैठक में जिस तरह के हंगामे के आसार थे, वैसा कुछ सामने नहीं आया। बैठक में वैसे तो सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच विवाद के किसी भी मुद्दे पर दो टूक फैसला नहीं हुआ, लेकिन हर मुद्दे पर बीच की राह निकालने की कोशिश होती दिखी। सरकार की मांग थी कि आरबीआई के रिजर्व फंड में उसे ज्यादा हिस्सा मिले, तो इस पर फैसला करने के लिए एक विशेष समिति गठित कर दी गई। सरकार की दूसरी मांग थी प्रॉ प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) के अंकुश से सरकारी क्षेत्र के 11 बैंकों को बाहर निकालने या उसमें ढील देने की, तो इस मामले को आरबीआई की ही एक आंतरिक समिति को सौंप दिया गया। फंसे कर्ज (एनपीए) से जुड़े नए नियमों के बोझ में दबे छोटे व मझोले उद्योगों को राहत देने के मुद्दे पर आरबीआई जरूर झुकता दिख रहा है। बैठक की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह करीब ...
संदेह के घेरे में सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा

संदेह के घेरे में सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा

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रजनीश कपूर गत एक सप्ताह मेंं कई विचारवान लोगों तथा राजनीतिक दलों द्वारा केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के प्रमुख आलोक वर्मा को पाक साफ सिद्ध करने के लिए काफी कुछ कहा गया। दावा किया जा रहा है कि वर्मा ईमानदार अधिकारी हैं। किन्तु तथ्य इस दावे को झुठलाते हैं। 'कालचक्र’ के संपादक श्री विनीत नारायण ने कई टेलीविजन चैनलों पर आग्रहपूर्वक कहा है कि जेट एयरवेज घोटाले में हमारी शिकायत सीबीआई के पास अभी भी धूल फाक रही है, जबकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने उसका संज्ञान ले लिया है। यही नहीं, आरोप है कि एक बैंक घोटाले से जुड़े मामले में सीबीआई से जुड़े अपने एक सहयोगी को बचाने के लिए श्री वर्मा उस घपले की जांच को आगे नहीं बढऩे दे रहे हैं। 12 फरवरी, 2018 को भारतीय स्टेट बैंक वाराणसी के क्षेत्रीय प्रबंधक ने लखनउ स्थित सीबीआई के एसपी के समक्ष एक लिखित शिकायत (जिसकी प्रति कालचक्र के पास मौजूद है) दर्ज करायी, ज...
पंजाब : क्या यह दबी चिंगारी को हवा देने की कोशिश है?

पंजाब : क्या यह दबी चिंगारी को हवा देने की कोशिश है?

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  अभी ज्यादा दिन नहीं हुए थे जब सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने एक कार्यक्रम के दौरान पंजाब में खालिस्तान लहर के दोबारा उभरने के संकेत दिए थे। उनका यह बयान बेवजह नहीं था क्योंकि अगर हम पंजाब में अभी कुछ ही महीनों में घटित होने वाली घटनाओं पर नजर डालेंगे तो समझ में आने लगेगा कि पंजाब में सब कुछ ठीक नहीं है। बरसों पहले जिस आग को बुझा दिया गया था उसकी राख में फिर से शायद किसी चिंगारी को हवा देने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। जी हां, पंजाब की खुशहाली और भारत की अखंडता आज एक बार फिर कुछ लोगों की आंखों में खटकने लगी है। 1931 में पहली बार अंग्रेजों ने सिक्खों को अपनी हिंदुओं से अलग पहचान बनाने के लिए उकसाया था। 1940 में पहली बार वीर सिंह भट्टी ने 'खालिस्तान’ शब्द को गढ़ा था। इस सब के बावजूद 1947 में भी ये लोग अपने अलगाववादी इरादों में कामयाब नहीं हो पाए थे। लेकिन 80 के दशक में पंजाब अलगाववाद...
फिर चौराहे पर कश्मीर

फिर चौराहे पर कश्मीर

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विराग गुप्ता जम्मू कश्मीर मामले में राज्यपाल के फैसले को अदालत में चुनौती देने के लिए पीडीपी, नेशनल कांफ्रेन्स और कांग्रेस के विधायकों को एकजुट होकर आना पड़ेगा। इन दलों के अंतर्विरोध को देखते हुए ऐसा होना मुश्किल लगता है। पीडीपी की महबूबा मु ती की तरफ से सोशल मीडिया के जरिए सरकार बनाने के दावों को दरकिनार करते हुए राज्यपाल एस.पी. मलिक ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया। मामला अदालत में जाए तो भी विधानसभा का बहाल होना मुश्किल है। संविधान के अनुसार भारत के सभी राज्यों में विधानसभा का कार्यकाल 5 साल है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्ष होता है। विधानसभा भंग होने के बाद क्या लोकसभा के साथ ही जम्मू-कश्मीर में चुनाव होंगे? नए चुनावों में अगर किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो खण्डित जनादेश की वजह से क्या विधानसभा फिर भंग होगी? देश के कई राज्यों में इसके पहले ...
सबकी निगाहें संसद  के अंतिम सत्र पर

सबकी निगाहें संसद के अंतिम सत्र पर

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  सर्जना शर्मा ग्यारह दिसंबर से आरंभ हो रहा संसद का शीतकालीन सत्र इस बार कई मायनों में महत्वपूर्ण और निर्णायक होगा। हालांकि पहले दिन कोई काम नहीं होगा। भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार को श्रृद्धांजलि देने के साथ ही दिन भर की कार्यवाही स्थगित हो जाएगी। लेकिन ग्यारह दिसंबर का दिन शीतकालीन सत्र की दशा दिशा तय करेगा। पांच राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम, तेलंगाना में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे आ जायेंगे। परिणाम किसके पक्ष में जाएगा इसी पर सत्ता और विपक्ष दोनों का रूख निर्भर करेगा। ये चुनाव बीजेपी बनाम सभी विपक्षी दल और मोदी बनाम समूचा विपक्ष है। यदि बीजेपी की विधानसभा चुनावों में यथास्थिति रहती है तो विपक्ष उतना हावी नहीं हो पाएगा। मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकारें हैं। यदि बीजेपी यहां अपना आधार खो देती ह...
बढ़ती बीमारियों के लिए तंबाकू से अधिक जिम्मेदार है वायु प्रदूषण

बढ़ती बीमारियों के लिए तंबाकू से अधिक जिम्मेदार है वायु प्रदूषण

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भारतीय शोधकर्ताओं के एक ताजा अध्ययन में बीमारियों को बढ़ावा देने और असमय मौतों के लिए वायु प्रदूषण को तंबाकू उपभोग से भी अधिक जिम्मेदार पाया गया है। विश्व की 18 प्रतिशत आबादी भारत में रहती है, जिसमें से 26 प्रतिशत लोग वायु प्रदूषण के कारण विभिन्न बीमारियों और मौत का असमय शिकार बन रहे हैं। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज नामक वैश्विक पहल के अंतर्गत किए गए इस अध्ययन में देश के विभिन्न राज्यों में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों, बीमारियों के बढ़ते बोझ और कम होती जीवन प्रत्याशा का आकलन किया गया है। शोधकर्ताओं ने उपग्रह चित्रों और एयर मॉनिटरिंग स्टेशनों से वायु गुणवत्ता संबंधी आंकड़े प्राप्त किए हैं। इस अध्ययन के नतीजे शोध पत्रिका लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित किए गए हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, वायु प्रदूषण स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले न्यूनतम स्तर से कम हो तो भारत में औसत जीवन प्...
बिभा चौधरी – भारतीय भौतिक विज्ञान का एक गुमनाम सितारा

बिभा चौधरी – भारतीय भौतिक विज्ञान का एक गुमनाम सितारा

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भारत में कण भौतिकी का इतिहास होमी जहांगीर भाभा, विक्रम साराभाई, एम.जी.के. मेनन जैसे वैज्ञानिकों और बंगलूरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान, मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) एवं अहमदाबाद स्थित भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) के कार्यों से जुड़े संदर्भों से भरा पड़ा है। लेकिन, भाभा और साराभाई के साथ काम कर चुकी बिभा चौधरी (1913-1991) के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। बिभा चौधरी ने नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिकशास्त्री पी.एम.एस. ब्लैकेट के साथ भी काम किया था। ब्लैकेट स्वतंत्र भारत में वैज्ञानिक अनुसंधान की शुरुआत करने से संबंधित मामलों पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के सलाहकार थे। एम.जी.के मेनन के नेतृत्व में कोलार गोल्ड फील्ड (केजीएफ) में प्रोटॉन क्षय परीक्षण में भी चौधरी शामिल थीं। भौतिकी के क्षेत्र में अपने कई दशक लंबे करियर के दौरान चौधरी ने प्रतिष्ठ...
लद्दाख की पूगा घाटी में भू-तापीय ऊर्जा की सबसे अधिक संभावना

लद्दाख की पूगा घाटी में भू-तापीय ऊर्जा की सबसे अधिक संभावना

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भारत के कई क्षेत्रों को उनकी भू-तापीय ऊर्जा उत्पादन की संभावित क्षमता के कारण जाना जाता है। इन क्षेत्रों से जुड़े एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि लद्दाख की पूगा घाटी में स्थित भू-तापीय क्षेत्र ऊर्जा उत्पादन का एक प्रमुख स्रोत हो सकता है। पिलानी स्थित बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं के एक ताजा अध्ययन में यह बात उभरकर आयी है। शोधकर्ताओं ने लद्दाख की पूगा घाटी, जम्मू-कश्मीर के छूमथांग, हिमाचल प्रदेश के मणिकरण, छत्तीसगढ़ के तातापानी, महाराष्ट्र के उन्हावारे और उत्तरांचल के तपोबन जैसे भू-तापीय ऊर्जा से जुड़े आंकड़ों का नौ मापदंडों के आधार पर विश्लेषण किया है। इसी आधार पर शोधकर्ताओं का कहना है कि पूगा घाटी के भू-तापीय क्षेत्र में ऊर्जा उत्पादन की सबसे अधिक क्षमता है। भारत में भू-तापीय ऊर्जा भंडारों के अध्ययन की शुरुआत वर्ष 1973 में हुई थी। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और रा...
Decision on transferring Delhi Milk Scheme to Amul or Mother dairy be taken soon

Decision on transferring Delhi Milk Scheme to Amul or Mother dairy be taken soon

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It refers to news item about co-operative giant Amul winning over Mother Dairy in a bid to take over Delhi Milk Scheme DMS running in heavy losses at an annual lease of rupees 42.30 crore against rupees 42.20 offered by Mother Dairy for 30 years with 7-percent annual increase in lease-amount in the bid opened on 27.11.2018. DMS started in the year 1959 having already piled up losses to tune of rupees 900 crores was decided to be given to some market-leader during UPA regime. Presently 566 DMS booths scattered throughout the capital city of India are being grossly misused as private shops by the licensees in corrupt partnership of DMS-personnel by authorisation to sell products other than from DMS. It is to be noted that Mother Dairy booths in Delhi-NCR sell only Mother Dairy products, a...
Complicated circular of Department of Revenue about TDS on GST

Complicated circular of Department of Revenue about TDS on GST

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It refers to circular-number 65-39-2018-DOR dated 14.09.2018 by Department of Revenue, Government of India which has created unnecessary complications for account-departments of central ministries and others concerned wherein it is directed that on any payment made towards bills with GST, there will be two rates of Tax-Deducted-At-Source TDS, one on basic payment without TDS generally at rate of 10-percent, and second at rate of 2-percent on amount of GST. Such dual rate of TDS on a single payment creates unnecessary confusion and complication for all concerned without any appreciable relief to the payee. Best is to have single rate of TDS on total payment inclusive of GST for simplicity in accounting. Income Tax provisions should be further simplified by abolishing separate number f...