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Author: Dialogue India

संघीय ढांचे व लोकतांत्रिक मूल्यों के लिये जरूरी ये फ़ैसले

संघीय ढांचे व लोकतांत्रिक मूल्यों के लिये जरूरी ये फ़ैसले

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कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों ने देश की शीर्ष अदालत के उन फ़ैसलों से जनमत को जोड़ा है जो देश में कथित “डबल इंजिन” की सरकार जैसी कल्पनाओं को नकारता हैं। आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव के नतीजे शायद यही संदेश की ओर इशारा करते दिखे कि “जिन मुद्दों को लोकतांत्रिक मूल्यों व सर्वमान्य कायदों के आधार पर सुलझाया जा सकता है, उन्हें राजनीतिक जिद और अहंकार इतना जटिल बना देता है कि उन पर अदालतों को निर्णय देने पड़ते हैं।“ इस सबमें जन कल्याण और विकास पीछे छूट जाता है। देश के बड़े दलों के लिए जनता का कर्नाटक और सुप्रीम कोर्ट के ताजे फ़ैसले मर्गदर्शी सिद्धांत हो सकते हैं। चुनी हुई सरकार गिराने [महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार] के लिये चले राजनीतिक प्रपंच में राज्यपाल की भूमिका और गुट विशेष की राजनीतिक तिकड़मों पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाये, वहीं एक अन्य फैसले में दिल्ली सरकार को अधिकार देकर दायि...
द केरल स्टोरी’ और ‘रैंट’ का राजरोग…

द केरल स्टोरी’ और ‘रैंट’ का राजरोग…

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------------------------------------- कथित बुद्धिजीवियों, लिबिर-लिबिर गैंग और कौमियों का प्रिय शब्द है- 'रैंट'। इसका ढीला-ढाला अनुवाद तो बकवास या फिर प्रलाप होगा, लेकिन 'लेली' (लेफ्ट-लिबिर)गैंग के मुताबिक उनके अलावा दुनिया में जिस किसी ने दूसरे तरह की कोई भी बात कही तो वह रैंट है, उसे डिस्क्रेडिट करने का जरिया है। जैसे, अब्राहमिक मजहब बताते हैं कि उनके पैगंबर और उनकी किताबों में दुनिया का सारा सत्य समाहित है, उसके अलावा कुछ भी कहना 'कुफ्र' है, कहना क्या सोचना भी और दुनिया को एकरंगा कर देना उनकी पवित्र ड्यूटी है।--------------'द केरल स्टोरी' रैंट है, 'द कश्मीर फाइल्स' रैंट है, सीताराम गोयल के सवाल रैंट हैं, राम जन्मभूमि मामले में के के मोहम्मद की गवाही रैंट है, लेकिन डी एन झा की 'हिंदू भी गोमांस खाते थे' वाली बात आप्तवचन हैं, अल्लाह का हुक्म है और जीजस की मंशा है। यही बात रोमिला थापर के...
यूपी में भगवा लहर का जलवा कायम

यूपी में भगवा लहर का जलवा कायम

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राष्ट्रीय फलक पर योगी जी का बढ़ेगा कदमृत्युंजय दीक्षितमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश भगवा राजनीति का गढ़ बनने की दिशा में अग्रसर प्रतीत हो रहा है। 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में भारतीय जनता पार्टी ने अपने सहयोगी दलों के साथ पहली बार 73 सीटों पर विजय प्राप्त की थी, 2017 में भी पार्टी को प्रचंड विजय मिली और अब गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में प्रदेश में जितने भी चुनाव हो रहे हैं हर चुनाव में भाजपा की लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ रहा है, 2017 में नगर निगम चुनाव, 2019 के लोकसभा चुनाव, 2022 के विधानसभा चुनाव और अब 2023 के नगर निकाय चुनावों ने तो एक नया अध्याय लिखा है।निकाय चुनाव 2023 में मुख्यमंत्री योगी जी के नेतृत्व में भाजपा ने सभी 17 नगर निगमों औरउसके बाद नगर पंचायत और पालिका चुनावों में भी सीट व वोट प्रतिशत के हिसाब से अब तक की सबसे बड़ी जीत अर्जित कर ...
समुद्र में पकड़ी गई ड्रग्स की कीमत 25 हजार करोड़

समुद्र में पकड़ी गई ड्रग्स की कीमत 25 हजार करोड़

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समुद्र के रास्ते नशीले पदार्थों के भारत आने का सिलसिला जारी है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, एनसीबी और भारतीय नौसेना ने शनिवार को समुद्र में एक विशेष अभियान के तहत भारी मात्रा में ड्रग्स जब्त की। इसकी कीमत 25 हजार करोड़ रुपए आंकी गई है। एनसीबी के अधिकारियों के मुताबिक, एनसीबी और भारतीय नौसेना द्वारा जब्त की गई हाई क्वालिटी वाली मेथामफेटामाइन के वजन और कीमत की गणना की गई है। एनसीबी से मिली आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, कुल जब्ती 2,525 किलो होने की है और इसकी कीमत 25 हजार करोड़ रुपए आंकी गई है। एक बार ढाई टन से ज्यादा नशीले पदार्थ का पकड़ा जाना बड़ी बात है। पिछले कुछ समय से अरब सागर से लेकर हिंद महासागर तक में इस तरह की कई खेप पकड़ी गई है। अधिकारियों ने बताया है कि इसके आकलन में 23 घंटे से ज्यादा समय लगा। इसकी कीमत इसलिए अधिक आंकी गई है क्योंकि यह उच्च ग्रेड मेथामफेटामाइन है। अधिकारियों...
<strong>आख़िर क्यों बरकरार रहा यूपी निकाय चुनावों मेंयोगी का मैजिक</strong>

आख़िर क्यों बरकरार रहा यूपी निकाय चुनावों मेंयोगी का मैजिक

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आर.के. सिन्हा आगामी 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले हरेक विधनासभा और नगर निगम चुनावों पर सारे देश की निगाहें रहने वाली हैं। इस परिप्रेक्ष्य में कर्नाटक विधानसभा और यूपी नगर निकाय चुनावों के नतीजों को देखना होगा। कर्नाटक में बीजेपी को निराशा हाथ लगी लेकिन यूपी निकाय चुनाव परिणामों ने पार्टी को जश्न मनाने का पूरा मौका दिया है। अभी देश में सिर्फ़ और सिर्फ़ कर्नाटक चुनावों की ही चर्चा हो रही है । जबकि ,  यूपी नगर चुनाव में कर्नाटक में जितने मतदाताओं ने भाग लिया उससे कहीं ज़्यादा मतदाताओं ने यू ० पी० के चुनावों में अपने मताधिकार का उपयोग किया । अतः मैं तो आज यू ० पी० निकाय चुनावों की ही चर्चा करूँगा । भारतीय जनता पार्टी ने यू ० पी ० में अभूतपूर्व जीत हासिल करते हुए सभी 17 नगर निगमों में अपना परचम लहराया है।नगर निगमों के अतिरिक्त भी सभी अन्य निकायों में भाज...
सशक्त देश के निर्माण में परिवार अभूतपूर्व संस्था (15 मई विशेष

सशक्त देश के निर्माण में परिवार अभूतपूर्व संस्था (15 मई विशेष

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
प्रत्येक वर्ष 15 मई को इंटरनेशनल फैमिली डे यानी कि 'विश्व परिवार दिवस' के रूप में मनाया जाता है। देखा जाए तो यह संपूर्ण धरती ही एक परिवार है और दुनिया के हरेक देश में परिवार है। वास्तव में, परिवार के साथ हमें बड़ों ,अपने बुजुर्गों की छांव मिलती है, प्रेम , सहानुभूति परवरिश, देखभाल, परम्परा, संस्कृति से जुड़ाव के साथ-साथ अकेलेपन से दूर रखने में अहम भूमिका परिवार ही निभाता है।संस्कृत में 'वसुधैव कुटुम्बकम'( संपूर्ण धरती ही परिवार है) की कल्पना यूं ही नहीं की गई है। यहाँ हम यह बात कह सकते हैं कि परिवार का प्राथमिक कार्य बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करना है, जैसे-भोजन, आश्रय, शिक्षा, स्वास्थ्य और भावनात्मक समर्थन आदि लेकिन एक परिवार की भूमिका केवल इन कार्यों तक सीमित नहीं है, वास्तव में, यह नागरिकता का पहला स्कूल भी है। परिवार से ही समाज बनता है और समाज से ही देश। परिवार है तो सबकुछ है, परिवा...
जय मराठा

जय मराठा

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
जिन कुत्सित और घृणित इतिहासकारों द्वारा यह लिखा जाता है कि मराठों का दृष्टिकोण बहुत संकुचित था, उनमें अखिल भारतीय नेतृत्व और साम्राज्य निर्माण की क्षमता नहीं थी, साथ ही वे लुटेरे, डाकू तथा विश्वासघाती थे ! उनकी राजनयिक क्षमता, राजनीतिक कौशल तथा दूरदर्शिता मध्यम स्तर से भी कम थी.....आदि, आदि ! अब इन दो टकिया इतिहासकारों से प्रश्न पूछा जाए कि अगर मराठों का उदय नहीं हुआ होता और भारतवर्ष सीधे मुसलमानों की ओर से अंग्रेजों को हस्तान्तरित किया जाता तो काशी, नासिक, प्रयाग, गढ़मुक्तेश्वर, ऋषिकेश, अयोध्या, मथुरा, उज्जैन...इन सबकी महिमा और ऐश्वर्य बचा रहता क्या ? इसका उत्तर तो राजमाता अहिल्याबाई के जीवन दृष्टान्त को सम्मुख रखकर कोई पा सकता है और इन कुत्सित, विकृतचित्त इतिहासकारों के दुरंगेपन को तुरत फुरत समझ सकता है ! हिन्दू पद पादशाही के आगमन के साथ सिर्फ मुगल साम्राज्यवाद के ही पर नहीं...
कर्नाटक का झटका

कर्नाटक का झटका

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किसी भी चुनाव में हारना अथवा विजय प्राप्त करना मात्र एक सामान्य सी बात है, परन्तु कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार, भाजपा के लिए एक बहुत बड़ा झटका है। कर्नाटक प्रदेश, भारतीय जनता पार्टी के दक्षिण भारतीय अभियान का मुख्य द्वार था। इसी प्रदेश के द्वारा, भाजपा पार्टी का दक्षिण भारत का विजय अभियान होकर जाता था, परन्तु अब यदि कोई विशेष घटना घटित नहीं होती है तो, यह द्वार बंद होता प्रतीत हो रहा है। इस द्वार के बंद होने से आगामी वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में, पार्टी के लिए नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिली हार का निष्पक्ष मंथन करना भाजपा पार्टी के लिए अत्यंत आवश्यक है। भाजपा, भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत, संस्कारवान, ईमानदार, लोकप्रिय और जनता के हित को सर्वोपरी रखने वाली एक राजनीतिक पार्टी है, जिसको राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने सीचा एवं पल्लवित किया है।कर्...
कर्नाटक पराजय: एक समीक्षा

कर्नाटक पराजय: एक समीक्षा

TOP STORIES, विश्लेषण
आपको याद होगा कि भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेता प्रवीण नेतारू की हत्या पर कर्नाटक में कितनी जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई थी। आशंका रही है कि हत्या के षड़यंत्र में प्रतिबंधित पीएफआई संगठन का हाथ था। कर्नाटक सरकार के सेकुलरी रवैये से भाजपा से त्यागपत्रों की झड़ी लग गयी थी। संभवतः एक किसी बजरंग दल के कार्यकर्ता की भी हत्या हुई थी। यदि ऐसी ही घटना यूपी में हुई होती तो योगी जी की पुलिस हत्यारे संगठन को मिट्टी में मिला चुकी होती। लेकिन राज्य कर्नाटक था जहां टीपू सुल्तान के भक्तों का राज रहा था। वहां हिंदुत्व अभी जमीन पकड़ रहा था और भाजपा की राज्य सरकार कभी हिंदुत्व व कभी सेकुलरवाद के झूले में झूल रही थी। नेतारू की हत्या ने यह असलियत उजागर कर दी। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर सरकार की लीपापोती ने कर्नाटक में हिंदुत्व की उठ रही संभावनाओं पर पानी डाल दिया। कर्नाटक में सांस्कृतिक शक्तियों के अभियान ...
ईश्वर जो करता है, अच्छा ही करता है -कर्नाटक के आज चुनाव के परिणाम

ईश्वर जो करता है, अच्छा ही करता है -कर्नाटक के आज चुनाव के परिणाम

TOP STORIES, राज्य
ईश्वर जो करता है, अच्छा ही करता है -कर्नाटक के आज चुनाव के परिणामभविष्य में कुछ और ख़ुशी दे सकते हैं - यह सत्य है कर्नाटक चुनाव में भाजपा हार गई और कांग्रेस को अच्छी जीत मिली है - लेकिन हार जीत जीवन का हिस्सा है, अलबत्ता यह निश्चित है कि कांग्रेस ने जो रूप दिखाया था चुनाव से पहले, उससे जनता को भयंकर परिणाम भुगतना पड़ेगा - आज EVM को विपक्ष ने चरित्र प्रमाणपत्र दे दिया अन्यथा तो आज एक बार फिर उसका “बलात्कार” हो जाता - सीट भले ही भाजपा की 64 रह गई परंतु पिछले चुनाव में मिले वोट प्रतिशत 36.2% से केवल 0.4% कम होकर 35.8% हुआ है लेकिन JDS का वोट 5% गिरा जो कांग्रेस को मिला और उसका वोट 5% बढ़ कर 43.1% हुआ और इसी 5% ने सारा खेल बदल दिया - पिछले विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव में 52% वोट मिले थे यानी विधानसभा से 16% ज्यादा और कांग्रेस के वोट 38% से घटकर 32% रह गए थे जि...