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Author: Dialogue India

मातृभाषा सांस्कृतिक और भावात्मक एकता का माध्यम

मातृभाषा सांस्कृतिक और भावात्मक एकता का माध्यम

EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय, सामाजिक
अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस- 21 फरवरी, 2023 पर विशेष-ः ललित गर्ग :-दुनिया भर में भाषा की सांस्कृतिक परंपराओं के बारे में पूरी जागरूकता विकसित करने, उसकी समझ और संवाद के आधार पर एकजुटता को प्रेरित करते हुए मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिये यूनेस्को द्वारा हर वर्ष 21 फरवरी को विश्व मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि विश्व में भाषाई एवं सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता को बढ़ावा देना। यूनेस्को द्वारा अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की घोषणा से बांग्लादेश के भाषा आन्दोलन दिवस को अन्तरराष्ट्रीय स्वीकृति मिली, जो बांग्लादेश में सन् 1952 से मनाया जाता रहा है। बांग्लादेश में इस दिन एक राष्ट्रीय अवकाश होता है। 2008 को अन्तरराष्ट्रीय भाषा वर्ष घोषित करते हुए, संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के महत्व को फिर दोहराया है। 2023 के अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा द...
कर्मचारी लगते टेंशन, नेताओं को कई पेंशन।

कर्मचारी लगते टेंशन, नेताओं को कई पेंशन।

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
देश के अर्थशास्त्री और राजनेता पुरानी पेंशन योजना को लेकर जो बयान दे रहे हैं, वह तर्कसंगत नहीं है। क्योंकि राज्य के विधायक और सांसद खुद कई-कई पेंशन ले रहे हैं। जबकि एक कर्मचारी जो साठ साल देश की सेवा करता है उसकी पेंशन बंद कर दी गयी है, क्यों ?  नई और पुरानी पेंशन योजना का कर्मचारियों की पेंशन पर बड़ा अंतर है। इसे ऐसे समझें कि अगर अभी 80 हजार रुपये सैलरी पाने वाला कोई शिक्षक रिटायर होता है तो पुरानी पेंशन योजना के हिसाब से उसे करीब 30 से 40 हजार रुपये की पेंशन मिलेगी। वहीं अगर नई पेंशन योजना के हिसाब से देखें तो उस शिक्षक को बमुश्किल 800 से एक हजार रुपये की ही पेंशन मिलेगी। वहीं नई योजना में रिटायरमेंट के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं होती। पुरानी स्कीम में रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन की राशि मिलती है। -प्रियंका सौरभ पुरानी पेंशन योजना पर विवाद ...
भ्रष्टाचार के राक्षसों पर केन्द्रीय एजेंसियों का शिकंजा

भ्रष्टाचार के राक्षसों पर केन्द्रीय एजेंसियों का शिकंजा

EXCLUSIVE NEWS, घोटाला, समाचार
ललित गर्ग केंद्रीय एजेंसियां ईडी, सीबीआइ अथवा आयकर विभाग इनदिनों राजनीतिक दलों एवं नेताओं के पर कार्रवाई करती हुई नजर आ रही है, आजादी के बाद से भ्रष्टाचार एवं घोटालों पर नियंत्रण के लिये आवाज उठती रही है, इसके लिये आन्दोलन एवं अनशन भी होते रहे हैं, लेकिन सबसे प्रभावी तरीका केन्द्रीय एजेंसियों की कार्रवाई एवं न्यायालयों की सख्ती ही है, जो भ्रष्टाचारियों पर सीधा हमला करती है। देश में सर्वाधिक भ्रष्टाचार राजनीतिक दलों में ही व्याप्त रहा है, इसलिये अब तक केन्द्रीय एजेंसियां की कार्रवाईयां उन पर प्रभावी नहीं हो पा रही थी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता हासिल करते ही भ्रष्टाचार के खिलाफ कमर सकी है, जिसका असर देखने को मिल रहा है। भले ही इनदिनों हो रही केन्द्रीय एजेंसियों की कार्रवाई को राजनीतिक प्रेरित बताया जाये, लेकिन इससे भ्रष्टाचार को समाप्त करने की दिशा में एक कारगर एवं प्रभाव...
भारत के आर्थिक विकास में भारतीय नागरिकों का है भरपूर योगदान

भारत के आर्थिक विकास में भारतीय नागरिकों का है भरपूर योगदान

BREAKING NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, समाचार
प्रत्येक वर्ष भारतीय संसद में बजट प्रस्तुत किए जाने के एक दिन पूर्व देश का आर्थिक सर्वेक्षण माननीय वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। देश की आर्थिक स्थिति के सम्बंध में गहराई से अध्ययन करने के उपरांत यह आर्थिक सर्वेक्षण संसद में पेश किया जाता है। दिनांक 31 जनवरी 2023 को भारत की वित्त मंत्री माननीया श्रीमती निर्मला सीतारमन द्वारा वर्ष 2022-23 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया। इस वर्ष के आर्थिक सर्वेक्षण में भारत की आर्थिक स्थिति के सम्बंध में कई ऐसी जानकारीयां उभरकर सामने आई हैं, जिनसे भारतीय नागरिकों को संतोष प्राप्त होगा। कोरोना महामारी एवं रूस यूक्रेन युद्ध के चलते वैश्विक स्तर पर लगभग सभी देशों ने गम्भीर आर्थिक समस्याओं का सामना किया है। परंतु, यह सुखद तथ्य उभरकर सामने आया है कि भारतीय नागरिकों के सहयोग से भारत ने इन आर्थिक समस्याओं का सामना बहुत सहज तरीके से किया है जिससे इ...
तीनों लोकों  में है जिनकी महिमा

तीनों लोकों  में है जिनकी महिमा

धर्म
डॉ कामिनी वर्माज्ञानपुर ( उत्तर प्रदेश )तन को विभिन्न प्रकार के रंगों से सराबोर करके, मन मे नवजीवन सा उल्लास जगाता , समाज मे समरसता और भाईचारे की भावना का विकास करके बुराई पर अच्छाई की और अधर्म पर धर्म की जीत का संदेश देकर होली पर्व के जाते ही कानो में माता के जयकारे गूंजने की आहट सुनाई देने लगती है । नवरात्र के 9 दिनों में घण्टों  और घड़ियालों के नाद से देश का कोना कोना घनघना उठता है । ऐसे श्रद्धामय परिवेश में मन में अकुलाहट हो रही है माँ के दिव्य दर्शन और विराट स्वरूप से भिज्ञ होने की । देश भर में जिनकेे आयतन , आस्था और श्रद्धा का केन्द्र हुआ करते है ।मन की इस अकुलाहट को दूर करने के लिए पुरातात्विक और आभिलेखिक साक्ष्यों पर दृष्टि डालने पर ज्ञात हुआ कि हिन्दू धर्म मे देवी की उपासना प्रागेतिहासिक युग से ही हो रही है। सैन्धवकाल में शक्ति सम्पन्न मातृदेवी की आराधना के स्पष्ट प्रमाण प्र...
भारत : इंसाफ़ से पीड़ित बचपन

भारत : इंसाफ़ से पीड़ित बचपन

BREAKING NEWS, TOP STORIES, सामाजिक
भारत सरकार ने संसद में यह जानकारी देते हुए हाथ खड़े कर दिए हैं कि देश भर में बच्चों के खिलाफ अपराध की धाराओं के तहत दर्ज पचास हजार से ज्यादा मामलों में बच्चों को न्याय का इंतजार है। किसी भी देश और समाज में अपराधों पर काबू पाने की कड़ी व्यवस्था के बावजूद अगर आपराधिक घटनाओं पर लगाम नहीं लग पाती, तो यह सरकार और तंत्र की नाकामी का ही सबूत कहा जाएगा है। जिस देश में बच्चों के खिलाफ न सिर्फ अपराध की घटनाएं लगातार जारी हों, और उनमें न्याय मिलने की दर भी काफी धीमी हो तो यह एक बेहद अफसोसनाक स्थिति है। इसे देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ ही कहा जा सकता है। सबको पता है कि हमारे देश में बच्चों के बहुस्तरीय उत्पीड़न और उनके यौन शोषण जैसे अपराधों की रोकथाम में जब पहले के बनाए गए कानूनी प्रावधान नाकाफी साबित हुए, तब पाक्सो यानी यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम जैसी विशेष व्यवस्था की गई। इसके विपर...
कांग्रेस क्या करे तो बचे ?

कांग्रेस क्या करे तो बचे ?

BREAKING NEWS, Today News, राष्ट्रीय
डॉ. वेदप्रताप वैदिक कांग्रेस पार्टी का वृहद अधिवेशन रायपुर में होने जा रहा है। इसमें कांग्रेस कमेटी के 1800 सदस्य और लगभग 15 हजार प्रतिनिधि भाग लेंगे। इस अधिवेशन में 2024 के आम चुनाव की रणनीति तय होगी। इस रणनीति का पहला बिंदु यही है कि कांग्रेस और बाकी सभी विरोधी दल एक होकर भाजपा का विरोध करें, जैसा कि 1967 के आम चुनाव में डाॅ. राममनोहर लोहिया की पहल पर हुआ था। उस समय सभी कांग्रेस-विरोधी दल एक हो गए थे। न तो नेताओं की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं आड़े आईं और न ही विचारधारा की बाधाएँ खड़ी हुईं। इस एकता को कुछ राज्यों में सफलता जरूर मिल गई लेकिन वे सरकारें कितने दिन टिकीं। यह अनुभव 1977 में भी हुआ, जब आपात्काल के बाद मोरारजी देसाई और चरणसिंह की सरकारें बनीं। इससे भी कटु हादसा हुआ, विश्वनाथ प्रतापसिंह और चंद्रशेखर की सरकारों के दिनों में। विरोधी दलों की इस अस्वाभाविक एकता के दुष्परिणाम इतने ...
राजनीति के मूल प्रवाह से अनभिज्ञ छुटभैयों की टिप्पणियाँ

राजनीति के मूल प्रवाह से अनभिज्ञ छुटभैयों की टिप्पणियाँ

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
-प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकजसोवियत संघ से लेनिन और स्तालिन की बकवास की दयनीय नकल कर स्वयं को बौद्धिक मान बैठे छुटभैये राजनीति को विचारधाराओं की लड़ाई माने रहते हैं। ऐसे बहुत से रोचक जीव हैं जो कम्युनिस्ट या सोशलिस्ट रहने के दौरान अथवा संघ के स्वयंसेवक रहने के दौरान वैचारिक मतवादों की दुनिया मंे जीते रहे हैं। उनके लिये वैचारिक शुद्धता का आग्रह उतना ही महत्वपूर्ण है जितना अध्यात्मिक शुद्धता का आग्रह साधना के मार्ग में महत्वपूर्ण होता है। ऐसे लोग पहले तो भाजपा को हिन्दुत्व की पार्टी मान बैठे, जबकि भाजपा ने कभी भी ऐसी कोई घोषणा नहीं की। परन्तु घोषणा न करने को उसकी बहुत बड़ी रणनीति मानते रहे और अब हिन्दुत्व से विचलित भाजपा शासन को देखकर इतने बौखलाये रहते हैं कि उनके क्षोभ का लाभ कांग्रेस उठा ले तो उठा ले या राष्ट्र की विरोधी शक्तियाँ लाभ उठा लें तो उठा लें। उनकी अपनी एक दुनिया है। परन्तु राजनीति...
मौसम का बदलता मिज़ाज -ख़तरे की घंटी

मौसम का बदलता मिज़ाज -ख़तरे की घंटी

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
बीते कल भुज का तापमान 39 डिग्री था, मौसम विज्ञान की भाषा में अरब सागर में बने प्रति चक्रवात के कारण ऐसा हुआ।समझने की जरूरत है कि ग्लोबल वार्मिंग की तपिश हमारे घर में भी दस्तक देने लगी है। फरवरी मध्य में यदि मार्च-अप्रैल जैसी गर्मी महसूस की जा रही है तो यह आसन्न खतरे का संकेत है। ऐसी स्थितियां पिछले साल भी पैदा हुई थीं,जब भरपूर फसल के बावजूद बालियों में गेहूं का दाना कम निकला था। घटी हुई उत्पादकता के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार भी किसान के माथे पर चिंता की लकीरें है। कहां तो किसान बंपर गेहूं की पैदावार की उम्मीद में आत्ममुग्ध था, वहीं ताप वृद्धि से अब उसकी फिक्र बढ़ गई है। साफ़ दिख रहा है विश्वव्यापी ग्लोबल वार्मिंग अपने घातक प्रभावों के साथ पूरे दुनिया में खाद्य सुरक्षा को संकट में डाल रही है। कई देशों में लगातार सूखे की स्थिति है तो कुछ जगह बाढ़ का प्रकोप है।...
क्यों झेल रही निराशा, स्वास्थ्य कार्यकर्ता आशा?

क्यों झेल रही निराशा, स्वास्थ्य कार्यकर्ता आशा?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, सामाजिक
आशा कार्यकर्ता अपने निर्दिष्ट क्षेत्रों में घर-घर जाकर बुनियादी पोषण, स्वच्छता प्रथाओं और उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में जागरूकता पैदा करते हैं। वे मुख्य रूप से यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं कि महिलाएं प्रसव पूर्व जांच कराती हैं, गर्भावस्था के दौरान पोषण बनाए रखती हैं, स्वास्थ्य सुविधा में प्रसव कराती हैं, और बच्चों के स्तनपान और पूरक पोषण पर जन्म के बाद का प्रशिक्षण प्रदान करती हैं। फिर भी आशा को श्रमिकों के रूप में मान्यता नहीं दी जाती है और इस प्रकार उन्हें प्रति माह 18,000 रुपये से कम मिलता है। वे भारत में सबसे सस्ते स्वास्थ्य सेवा प्रदाता हैं। प्रोत्साहन राशि की प्रतिपूर्ति में देरी से आशा कार्यकर्ताओं के आत्म-सम्मान को ठेस पहुंची है और इसका असर उनके सेवा वितरण पर पड़ा है। केवल सामुदायिक स्वास्थ्य देखभाल और संबंधित कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, उन पर सर्...