Shadow

Author: Dialogue India

Came across this well written article. It needs to be given wide circulation.

Came across this well written article. It needs to be given wide circulation.

विश्लेषण
"Our Answers Have Changed – the root cause of liberal & international angst against India" By Kishore Asthana In 1942, Albert Einstein was teaching at Oxford and he gave his senior students an examination.Later, when his assistant asked him why he had given exactly the same examination as he had given last year, Einstein said,“The answers have changed.” The present anti Hindu rhetoric that we see in the world press and in some of our own ‘liberals’ brings to mind the above.During the Mogul rule when someone asked the Hindus, “Look, they have killed ten thousand Hindus, what are you going to do about it?”the answer was usually a despondent shrug.When someone asked them, “Will you convert to Islam”? Some said ‘yes’ and some others chose to die. During British rule, when some...
सनातन बोर्ड क्यों?

सनातन बोर्ड क्यों?

TOP STORIES, धर्म, राष्ट्रीय, संस्कृति और अध्यात्म
Why Sanatan Board? लंबे अरसे से हिंदू मठ मंदिरों के सरकारी अधिग्रहण पर सवाल उठते आ रहे हैं !पूछा जाता है कि सरकार केवल हिंदू मंदिरों पर ही नियंत्रण क्यों करती है , मस्जिदों और चर्च पर क्यों नहीं ? देश में हिंदू मठ मंदिरों की संख्या अनुमानतः 10 लाख है , जिनमें से 4 लाख 30 हजार मंदिरों का विभिन्न सरकारों ने अधिकरण किया हुआ है !दूसरी ओर इस्लामिक धर्मस्थलों पर नियंत्रण के लिए मुस्लिम वक्फ बोर्ड बना हुआ है , जिस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है !क्रिश्चियन इदारों पर भी बाहरी नियंत्रण की कोई आधिकारिक दखल नहीं है ! कल मध्य प्रदेश की महिला सांसद साध्वी प्रज्ञा ने मुस्लिम वक्फ बोर्ड की तर्ज पर हिंदू मठ मंदिरों के लिए सनातन बोर्ड की मांग की , जिसकी सारी व्यवस्था मठ मंदिर सनातन बोर्ड द्वारा की जाए , सरकार द्वारा नहीं । लाखों मंदिरों का दान में आया करोड़ों रुपया हर महीने सरकार ले जाती है , म...
मातृभाषा पर गर्व करें

मातृभाषा पर गर्व करें

TOP STORIES, राष्ट्रीय
21 फरवरी अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर विशेषडॉ. सौरभ मालवीयमातृभाषा का अर्थ है मातृ की भाषा अर्थात वह भाषा जो बालक अपनी माता से सीखता है। बाल्यकाल से ही मातृभाषा में बोलने और सुनने के कारण व्यक्ति अपनी भाषा में निपुण हो जाता है। मातृभाषा किसी भी व्यक्ति की पहचान होती है। मातृभाषा का जीवन में अत्यंत महत्व होता है। कोई भी व्यक्ति अपनी मातृभाषा में अपने विचारों को सरलता से व्यक्त करने में सक्षम होता है, क्योंकि व्यक्तिसदैव अपनी मातृभाषा में ही विचार करता है। इसलिए उसे अपनी मातृभाषा में कोई भी विषय समझने में सुगमता होती है, जबकि किसी अन्य भाषा में उसे कठिनाई का सामनाकरना पड़ता है। मातृभाषा व्यक्ति के सर्वांगीण विकास की आधारशिला है वह व्यक्ति को उसकी संस्कृति से जोड़नेमें सक्षम होती है। मातृभाषा द्वारा व्यक्ति को अपनी मूल संस्कृति एवं संस्कारों का ज्ञान होता है। मातृभाषा द्वारा व्यक्ति अपने ...
हुक्का बार की आड़ में अपराध

हुक्का बार की आड़ में अपराध

विश्लेषण
डॉ. शंकर सुवन सिंहहीनता दरिद्रता को जन्म देती है और दरिद्रता अपराध को। हीन भावनाओं से ग्रसित व्यक्ति कभी आनंदित नहीं हो सकता।आत्मीयता आनंद की जननी है। आत्मीय सुख ही असली आनंद देता है। अकेलापन ही आनंद देता है। भीड़ भ्रमित करती है।आनंद का सम्बन्ध भीड़ से नहीं है। अकेलापन व्यक्ति के आत्म साक्षात्कार का स्रोत है। आत्म साक्षात्कार ही हमको प्रकृति सेजोड़ती है। हवा पानी आकाश पृथ्वी और अग्नि हमको जीवन देती हैं जो कि प्रकृति का हिस्सा हैं। इन्ही पांच तत्वों से मिलकरशरीर भी बना है। यही जीवन दायनी तत्व हमको असली आंनद देते हैं। प्रकृति से प्रेम स्व की अनुभूति कराता है। स्व कीअनुभूति ही सुख प्रदान करती है। भौतिक वस्तुओं की अनुभूति दुःख प्रदान करती है। अपराध में व्यक्ति स्वत: को भूल जाता है।नशा सारे अपराध की जड़ है। नशा व्यक्ति को अनियंत्रित करता है। आनंद व्यक्ति को नियंत्रित करता है। हुक्का बार नशा कोबढ़ाव...
हृदयनारायण दीक्षित बाते गीता के ज्ञान की 

हृदयनारायण दीक्षित बाते गीता के ज्ञान की 

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, धर्म, संस्कृति और अध्यात्म
गीता विश्वप्रतिष्ठ दर्शन ग्रंथ है। भारतीय दर्शन बुद्धि विलास नहीं है। यह कर्तव्यपालन का दर्शन है। युद्ध भी कर्तव्य है लेकिन विषादग्रस्त अर्जुन युद्ध नहीं करना चाहता। श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं पण्डितजन जीवित या मृतक के लिए शोक नहीं करते।‘‘ (अध्याय 2.11) पण्डित की परिभाषा ध्यान देने योग्य है - जो शोक नहीं करते वे पण्डित हैं। श्रीकृष्ण कहते हैं, ‘‘हम तुम और सभी लोग पहले भी थे, भविष्य में भी होंगे। शरीरधारी आत्मा शिशु तरुण और वृद्ध होती है। यह मृत्यु के बाद दूसरा शरीर पाती है। इससे धीर पुरुष मोह में नहीं फंसते।‘‘ पुनर्जन्म हिन्दू मान्यता है। गीता के कई प्रसंगों में पुनर्जन्म का उल्लेख है। सुख दुख आते जाते हैं। दुख व्यथा देता है और सुख प्रसन्नता। श्रीकृष्ण कहते हैं, ‘‘सुख दुख क्षणिक हैं। इन्हें सहन करने का प्रयास करना चाहिए। सुख दुख से विचलित न होने वाला ही मुक्ति के योग्य है।‘‘ (वही 14-15) ...
संघ विचार-परिवार के वैचारिक अधिष्ठान की नींव – श्री गुरूजी

संघ विचार-परिवार के वैचारिक अधिष्ठान की नींव – श्री गुरूजी

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, समाचार, साहित्य संवाद
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के धुर-से-धुर विरोधी एवं आलोचक भी कदाचित इस बात को स्वीकार करेंगें कि संघ विचार-परिवार जिस सुदृढ़ वैचारिक अधिष्ठान पर खड़ा है उसके मूल में माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर उपाख्य श्री गुरूजी के विचार ही बीज रूप में विद्यमान हैं। संघ का स्थूल-शरीरिक ढाँचा यदि डॉक्टर हेडगेवार की देन है तो उसकी आत्मा उसके द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरूजी के द्वारा रची-गढ़ी गई है। उनका वास्तविक आकलन-मूल्यांकन होना अभी शेष है, क्योंकि संघ-विचार परिवार के विस्तार और व्याप्ति का क्रम आज भी लगातार जारी है। किसी भी नेतृत्व का मूल्यांकन तात्कालिकता से अधिक उसकी दूरदर्शिता पर केंद्रित होता है। यह उदार मन से आकलित करने का विषय है कि एक ही स्थापना-वर्ष के बावजूद क्या कारण हैं कि तीन-तीन प्रतिबंधों को झेलकर भी संघ विचार-परिवार विशाल वटवृक्ष की भाँति संपूर्ण भारतवर्ष में फैलता गया, उसकी जड़ें और मज़बूत एव...
आखिर क्यों देश में दहेज हत्या के मामले आसमान छू रहे हैं?

आखिर क्यों देश में दहेज हत्या के मामले आसमान छू रहे हैं?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, सामाजिक
भले ही लोग जानते हैं कि दहेज एक अपराध है, फिर भी समाज में यह बुराई अभी भी मौजूद है। हाल ही में एक युवती ने दहेज प्रताड़ना की शिकायत के बाद आत्महत्या कर ली। उसके मामले में, 102 गवाह थे और उसके वॉयस नोट सहित 53 सबूत उसके पति को भेजे गए थे जहाँ उसने अपने ससुराल वालों से हुई यातना की शिकायत की थी। यह सिर्फ उसकी ही नहीं बल्कि कई अन्य महिलाएं हैं जो दहेज की धमकियों का सामना करती हैं और मर जाती हैं क्योंकि उनके परिवार दहेज की मांगों को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं। अंतर यह है कि ऐसी घटनाएं प्रकाश में नहीं आती क्योंकि पीड़ित इसके बारे में चुप रहने का फैसला करते हैं। शोध के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में, सजा दर बहुत कम है और दुख की बात यह है कि इन मामलों में शायद ही कोई दोषी साबित होता है। - डॉ सत्यवान सौरभ दहेज, एक सांस्कृतिक प्रथा जो कई भारतीय समुदायों में गहराई से निहित है, दुल्हन के साथ द...
भारत के कारोबार में बड़े घरानों का दबदबा

भारत के कारोबार में बड़े घरानों का दबदबा

BREAKING NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, राष्ट्रीय
देश का कारोबार चुनिंदा बड़े घरानों के हाथों में सिमटता जा रहा है। मुकेश अंबानी, कुमार मंगलम बिड़ला और टाटा समेत विभिन्न कारोबारी घरानों द्वारा एक ही राज्य (उत्तर प्रदेश) में 3.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। ऐसी घोषणाओं से यह लगता है कि आखिर भारत के बड़े कारोबारी घरानों का कितना दबदबा है? यह प्रश्न आम तौर पर पूछा जाने लगा है क्या देश की महत्त्वाकांक्षाएं इन कारोबारी समूहों की सफलताओं पर निर्भर हैं?इसी कड़ी में टाटा के स्वामित्व वाली एयर इंडिया की 470 यात्री विमानों की खरीद के ऑर्डर देने तथा 370 अन्य विमानों की खरीद का विकल्प रखने की घोषणा की है । यह 840 विमानों का संयुक्त आंकड़ा विमानन कंपनियों के 700 विमानों के मौजूदा बेड़े से भी अधिक है। एक आंकड़े के मुताबिक गौतम अदाणी की कंपनियां देश के कुछ सबसे बड़े बंदरगाहों का संचालन करती हैं, जो देश के 30 प्रतिशत अनाज का भंडार...
सोचिये चैटजीपीटी पर; कितने खतरे, कितने अवसर।

सोचिये चैटजीपीटी पर; कितने खतरे, कितने अवसर।

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
जब भी कोई नया अविष्कार या तकनीक आती है तो उसको लेकर तमाम संभावनाएं या आशंकाएं जताई जाती है। चैटजीपीटी को लेकर भी इन दिनों बहस छिड़ी हुई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मानव जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हाल के दिनों में, यूएस-आधारित नवीनतम एआई उपकरणों में से एक, चैटजीपीटी (जनरेटिव प्री-ट्रेन्ड ट्रांसफॉर्मर) ने लोकप्रियता हासिल की। क्योंकि इसने शिक्षा प्रणाली पर इसके प्रभाव और छात्रों के लिए वरदान या अभिशाप पर गहन बहस शुरू कर दी। शिक्षाविदों के अनुसार, इसे छात्रों के नियमित कार्यों को सुव्यवस्थित करने के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग करें, लेकिन निर्भर न हों या इसके गुलाम न बनें, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे सीखने की प्रक्रिया में बाधा आ सकती है। -प्रियंका सौरभ चैटजीपीटी, ओपन एआई का नया चैटबॉट, एक 'संवादात्मक' एआई है जो मानव की तरह ही प्रश्नों का उत्तर देता है। यह (जन...
विकसित देशों द्वारा मुद्रा स्फीति की समस्या को नहीं सुलझा पाने के हो रहे गम्भीर परिणाम

विकसित देशों द्वारा मुद्रा स्फीति की समस्या को नहीं सुलझा पाने के हो रहे गम्भीर परिणाम

BREAKING NEWS, TOP STORIES, आर्थिक
कोरोना काल के बाद से कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रा स्फीति की समस्या विकराल रूप धारण करते हुए यह पिछले 40 से 50 वर्षों के अधिकतम स्तर पर पहुंच गई है। मुद्रा स्फीति की समस्या को हल करने के लिए इन देशों की केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में लगातार वृद्धि की घोषणा करते जा रहे हैं। ब्याज दरों में वृद्धि इस उद्देश्य से की जा रही है ताकि इन देशों के नागरिक बैकों से ऋण लेने के लिए निरुत्साहित हो तथा वे अपनी बचतों को बैकों में जमा करने को प्रोत्साहित हो। इससे इन देशों के नागरिकों की खर्च करने की क्षमता कम होकर  बाजार में उत्पादों की मांग कम हो जाए। बाजार में उत्पादों की मांग में कमी के चलते, इन उत्पादों की उपलब्धता, मांग की तुलना में, बाजार में बढ़ जाएगी जिससे इन उत्पादों की कीमतों में कमी होकर अंततः मुद्रा स्फीति पर अंकुश लग जाएगा।   उक्त प्रकार के उपायों के माध्यम से मुद्रा स्फीति पर तेजी स...