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Author: Dialogue India

बर्बादी की हद तक फिसलता,गिरता व डूबता यूरोप

बर्बादी की हद तक फिसलता,गिरता व डूबता यूरोप

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
अनुज अग्रवाल बढ़ते जनाक्रोश व विरोध प्रदर्शनों के बीच फ़्रांस , जर्मनी, ब्रिटेन, स्पेन , इटली सहित यूरोप के अधिकांश देशों ने जनवरी 2023 की शुरूआत के साथ ही सभी वस्तुओं व सेवाओं के दामो में औसतन 20%की वृद्धि कर दी। पिछले एक साल में लगभग दुगने हो चुके दामों के बीच जनता पर यह नई मार थी। अब फ़रवरी और मार्च के बीच फिर से विभिन्न वस्तुओं व सेवाओं के दाम 10 से 40% तक बढ़ाने की घोषणा कर दी गई है। पिछले तीन सालों में यूरोप के देशों में कामकाजी वर्ग के कोई वेतन नहीं बढ़े बल्कि अनेक भत्ते कम कर दिए गये। सरकारे सब्सिडी घटाती जा रही हैं, पेंशन कम कर रही हैं और बेरोज़गारी भत्ते समाप्त और महंगाई दो गुना से ज्यादा पहले ही हो चुकी थी। “क्रेडिट कार्ड व पर्सनल लोन कल्चर” के आदि हो चुके यूरोपवासियो के पास ईएमआई चुकाने लायक़ आमदनी ही नहीं हो रही। ऐसे में यूरोप की कम से कम दो तिहाई जनता के सामने अपन...
धीरेन्द्र शास्त्री के बहाने चमत्कारों पर सम्यक विचार

धीरेन्द्र शास्त्री के बहाने चमत्कारों पर सम्यक विचार

EXCLUSIVE NEWS, राज्य
================================यदि आप पढ़े लिखे व्यक्ति हैं, इस युग में विज्ञान की समझ पाते है तो जानते होंगे की चमत्कार और पश्चिमी विज्ञान की नूराकुश्ती आज से नहीं है। चमत्कार के नाम पर जब पानी में आग लगता था तो विज्ञान ने उस दिन तक उसका विरोध किया जब तक सोडियम का गुण धर्म उसे ज्ञात नहीं था। सोडियम पानी में आग तब से लगाता रहा है जब विज्ञान ने इस घटना को नहीं खोजा होगा। हिन्दू ज्योतिष द्वारा सूर्य-चंद्र ग्रहण की भविष्यवाणी तब तक चमत्कार थी जबतक पश्चिमी विज्ञान को लगता था की पृथ्वी का चक्कर सूर्य लगाता है। जिसदिन यह सोडियम और धरती चंद्रमाँ के सापेक्षिक भ्रमण का रहस्य खुला यही चमत्कार, विज्ञान की दीर्घा में खड़े होकर शेष चमत्कारों पर अट्ठहास करने लगा। यह क्रम हज़ारों वर्षों से जारी है परन्तु यही चमत्कार विज्ञान के खोज की प्रेरणा है इसे समझते हुए विज्ञान की तमाम प्रेरणाए चमत्कार से ही प्रेर...
बढ़ती जनसंख्या सब मिलकर कुछ कीजिए* 

बढ़ती जनसंख्या सब मिलकर कुछ कीजिए* 

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, सामाजिक
आँकड़े चेतावनी दे रहे हैं कि भारत में जनसंख्या वृद्धि बेलगाम है। भारत इस साल चीन को पीछे छोड़ते हुए विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। चीन की 1.426 अरब की तुलना में भारत की जनसंख्या का 2022 में सामने आया आँकड़ा 1.412 अरब है।जल्दी ही स्थिति यहाँ तक आ सकती है कि ना तो प्राकृतिक रूप से शुद्ध वायु उपलब्ध होगी और ना ही जल और भोजन इत्यादि। भारत के राजनीतिक दल वोट बैंक की राजनीति के नुकसान-फायदे के लिए आबादी की सुनामी के खतरों को अनदेखा कर रहे हैं। विश्व में अब तक चीन जनसंख्या वृद्धि के मामले में सर्वोपरि था। चीन ने कठोर नीति से जनसंख्या को नियंत्रित करते हुए वृद्धि दर में लगाम लगा ली । चीन ने 1980 में वन चाइल्ड पॉलिसी को लॉन्च किया था। चीन में पिछले साल 2022 के अंत में 1.41 अरब लोग थे, जो 2021 के अंत की तुलना में 850,000 कम थे। अनुमान है कि 2050 में भारत की जनसंख्या 1.668...
प्रधानमंत्री ने कर्तव्य पथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस कार्यक्रम की झलकियां साझा कीं

प्रधानमंत्री ने कर्तव्य पथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस कार्यक्रम की झलकियां साझा कीं

BREAKING NEWS, Today News, TOP STORIES, राष्ट्रीय, समाचार
प्रधानमंत्री ने कर्तव्य पथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस कार्यक्रम की झलकियां साझा कीं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली में कर्तव्य पथ पर आज के गणतंत्र दिवस कार्यक्रम की झलकियां साझा करते हुए ट्वीट की एक श्रृंखला साझा की।
ये बाबा न तो धार्मिक हैं,न प्रजातांत्रिक*

ये बाबा न तो धार्मिक हैं,न प्रजातांत्रिक*

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, सामाजिक
भारत की वर्तमान दशा को देखकर कार्ल मार्क्स और हेगेल अपनी कब्र में यह देखते हुए करवट ले रहे होंगे कि किस तरह से उनके विचारों ने भारत में आकार लिया है। धर्म के नाम पा यहाँ कुछ भी चल रहा है। प्रबुद्ध,और संतजन तक अपनी राय प्रतिक्षण बदल रहे हैं। सरकार तो कोई स्पष्ट बात करने से बच रही है। सत्तारूढ़ दल और प्रतिपक्ष आगामी लोकसभा और उससे पहले होने जा रहे विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र अपनी -अपनी चाल चल रहे हैं । मार्क्स मानते थे कि धर्म, भ्रमजाल खड़ा कर जनता के दुखों को तत्काल कम करने का राज्य का हथकंडा है। भारत में यह सब हुआ पिछले चुनावों में राम और राम मंदिर मुद्दे थे अब अपने को सबसे बड़ा दल कहने वालों का निशाना ‘पसमांदा’ मुसलमान समूह है। वोटरों के बड़े हिस्से को ‘बाबाओं’ ने भरमाना शुरू ही कर दिया है। भारत में धर्म अब एक खतरनाक विचार प्रक्रिया में तब्दील हो रहा है जिसका परिणाम एक प्रजातांत्रिक...
भारत का गगनयान मिशन 2024 में: इसरो प्रमुख

भारत का गगनयान मिशन 2024 में: इसरो प्रमुख

BREAKING NEWS, TOP STORIES, समाचार
भारत अंतरिक्ष में अपना पहला मानव मिशन गगनयान-3 अगले साल 2024 में लॉन्च कर सकता है। इसे लेकर हरस्तर पर बारीकी से परीक्षण किए जा रहे हैं। एस्ट्रोनॉट्स की सुरक्षा की दृष्टि से इसरो पहले मानव रहित तरीके सेगगनयान की लॉन्चिंग करेगा। यह बात भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) के चेयरमैन डॉ एस. सोमनाथने विशेष साक्षात्कार में कही है। वे मंगलवार को 8वें भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ)-2022 केसमापन सत्र में शामिल होने के लिए भोपाल पहुँचे थे। इसरो प्रमुख डॉ एस. सोमनाथ से हितेश कुशवाहा / राहुलचौकसे की विशेष बातचीत के प्रमुख अंश यहाँ प्रस्तुत किये जा रहे हैं।प्रश्न: भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव में छात्रों एवं प्रतिभागियों का उत्साह देखकर कैसा लग रहा है?उत्तर: सब मुझे उत्साह से लबरेज नज़र आए। युवाओं की जबरदस्त सहभागिता दिखी है। इस आयोजन में अभूतपूर्वप्रतिसाद देखने को मिला।प्रश्न:...
A short Badaga Story ‘Golden Share’

A short Badaga Story ‘Golden Share’

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, सामाजिक
Long ago a man lived in a village called Aaruuru. He was the headman of that village. Practically, he never did any work for his family. That is, in his family affairs he was an irresponsible person. But, nonetheless he wore the maNDare (Badaga headgear) in such a way to look nice and wrapped himself with siile (white mantle with blue and red lines), to suit his headmanship and went out daily. He used to brag about his costume and himself. His talkative skill was such that he could talk about anything without any least hesitation. He was being very boastful and he was never willing to admit that he was wrong. But his wife was a wonderful noble woman. She was an excellent housewife and a good host. Many appreciated her hospitality. Her tolerance was phenomenal and praise worthy. Otherwise,...
भारतबोध कराता है भारतीय पर्यटन

भारतबोध कराता है भारतीय पर्यटन

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
डॉ. सौरभ मालवीयपर्यटन देश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाता है। इससे सरकार को राजस्व तथा विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। इसके कारण विकास कार्यों को भी बढ़ावा मिलता है। भारत एक विशाल देश है। यहां के विभिन्न राज्यों की भिन्न-भिन्न संस्कृतियां हैं। सबकी अपनी परम्पराएं हैं। इसके साथ ही यहां प्राकृतिक सौंदर्य से ओतप्रोत पर्यटन स्थल हैं। यहां पर ऐतिहासिक स्थल हैं। यहां पर असंख्य धार्मिक स्थल भी हैं।राष्ट्रीय पर्यटन दिवस का प्रारम्भदेश के विभिन्न पर्यटन स्थलों के प्रचार एवं प्रसार के लिए केंद्र सरकार ने 25 जनवरी 1948 को प्रथम बार राष्ट्रीय पर्यटन दिवस मनाया था। तब से प्रतिवर्ष 25 जनवरी को राष्ट्रीय पर्यटन दिवस मनाया जाता है। इसके पश्चात एक पर्यटन यातायात समिति भी गठित की गई। इस समिति के गठन के तीन वर्ष पश्चात 1951 में कोलकाता और चेन्नई में पर्यटन दिवस के क्षेत्रीय कार्यालयों में वृद्धि होती गई। दि...
बादशाह अकबर का असीरगढ़ पर धोखे से कब्जा

बादशाह अकबर का असीरगढ़ पर धोखे से कब्जा

TOP STORIES, सामाजिक
खून-खराबा, लूट सप्ताह भर चला रमेश शर्मा बचपन की पाठ्यपुस्तकों में मुगल बादशाह अकबर को महान पढ़ा था । उन पुस्तकों में कुछ उदाहरण भी थे । इस कारण अकबर को और समझने की जिज्ञासा सदैव बनी रही । आगे चलकर उनकी महानता की अनेक कहानियाँ भी पढ़ी । हो सकता है वे सारी घटनाएं सही हों । पर अकबर के अधिकाँश सैन्य अभियान धोखे और चालाकियों से भरे हैं । भारत में अकबर के जितने सैन्य विजय हुईं । वे अकबर के शौर्य और सैन्य बल से कम अपितु कूटनीति, फूट डालकर, परिवार जनों को तोड़कर या किसी भेदिये को किले में भेजकर दरबाजा खुलवाने की युक्ति से भरीं हैं । उनमें एक है मध्यप्रदेश में सतपुड़ा के शिखर पर बने असीरगढ के किले पर अकबर महान के कब्जे का विवरण, जो उन्होंने धोखे से किया था । कब्जे के बाद किले में लूट और हत्याकांड का सिलसिला एक सप्ताह तक चला ।अकबर महान ने यह धोखा असीरगढ के सूबेदार बहादुर शाह फारुकी के साथ किय...
भारत में उपभोग की असमानता पिछले 40 वर्ष के सबसे निचले स्तर पर

भारत में उपभोग की असमानता पिछले 40 वर्ष के सबसे निचले स्तर पर

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, समाचार, सामाजिक
किसी भी देश की आर्थिक नीतियां सफल हो रही हैं, इसका एक पैमाना यह भी हो सकता है कि क्या समाज में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक इन आर्थिक नीतियों का लाभ पहुंच रहा है? भारत में हाल ही के समय में इस संदर्भ में कुछ विशेष प्रयास किए गए हैं और यह प्रयास एक तरह से प्राचीन भारत में लागू की गई आर्थिक नीतियों की झलक दिखलाते नजर आ रहे हैं। भारत में अर्थ से सम्बंधित प्राचीन ग्रंथों, आध्यात्मिक ग्रंथों सहित, में यह कहा गया है कि यह राजा का कर्तव्य है कि वह अपनी प्रजा की अर्थ से सम्बंधित समस्याओं का हल खोजने का प्रयास करे। पंडित श्री दीनदयाल उपाध्याय जी ने भी एक बार कहा था कि किसी भी राजनैतिक दल के लिए केवल राजनैतिक सत्ता हासिल करना अंतिम लक्ष्य नहीं होना चाहिए बल्कि यह एक माध्यम बनना चाहिए इस बात के लिए कि देश के गरीब से गरीब व्यक्ति तक आर्थिक विकास का लाभ पहुंचाया जा सके। सामान्यतः विभिन्न देशों ...