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Author: Dialogue India

आपदा जोखिम की जड़ें कहीं और अंकुर कहीं।

आपदा जोखिम की जड़ें कहीं और अंकुर कहीं।

TOP STORIES, विश्लेषण
अनियंत्रित शहरीकरण, भूकंपीय क्षेत्रों में निर्माण, तेजी से कटाव की गतिविधि ने इस क्षेत्र में गंभीर बाढ़ ला दी है। सरकार को इस प्रक्रिया को समाप्त करने के लिए कार्यप्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है। नदियों को आपस में जोड़ने जैसी पहलों का स्वागत किया जाता है और इन्हें पूरी गति से आगे बढ़ाने की जरूरत है। ड्रेनेज सिस्टम को उचित और शहरी आवास योजनाओं के अनुरूप होना चाहिए। तैयारियों के संदर्भ में, मौसम पूर्वानुमान को मजबूत और टिकाऊ बनाए जाने की जरूरत है, विकास की पहल को और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। आपदाओं की अनिश्चितता और तत्परता को ध्यान में रखते हुए, लचीलेपन को मजबूत करने के लिए तंत्र बनाने की तत्काल आवश्यकता है। बेशक सरकार इस दिशा में काम कर रही है लेकिन सामुदायिक भागीदारी की भी आवश्यकता है। -प्रियंका सौरभ प्राकृतिक आपदाएँ एक प्रमुख कारण हैं जो किसी राष्ट्र के जीवन और संपत्ति पर...
वृद्धावस्था में सदैव सकारात्मक कैसे रहें

वृद्धावस्था में सदैव सकारात्मक कैसे रहें

BREAKING NEWS, TOP STORIES, सामाजिक
गर्भावस्था के पश्चात जन्म लेने के बाद मानव विभिन्न अवस्थाएँ धारण करता है- यथा- शैशवावस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था, युवावस्था, प्रौढ़ावस्था तथा अन्त में वृद्धावस्था। इन सभी अवस्थाओं में जीव विभिन्न रूपों से होता हुआ अनेक क्रियाकलापों में संलग्र रहता है और अन्त में वृद्धावस्था को प्राप्त होता है। अपने पूर्व जन्मांतरों में किए गए शुभ-अशुभ कर्मों के अनुसार फलों को भोगकर अन्त में परमधाम की यात्रा पर चला जाता है।इन सभी अवस्थाओं में वृद्धावस्था जीवन का अन्तिम पड़ाव है। इस अवस्था में मानव परिपक्व हो जाता है। उसके पास अनुभवों का विशाल खजाना होता है। इस अवस्था में शारीरिक रूप से व्यक्ति कमजोर हो जाता है। बेटे-बहू, पोते-पोती, नाती-नातिन के मध्य वह अपने आपको सुरक्षित अनुभव करता है। भारतीय संस्कृति की यही विशेषता रही है। हर भारतीय इस सत्य से परिचित ही है।पाश्चात्य संस्कृति ने जिन घरों में प्रवेश कर ...
गंगाविलास पूज्य है या अपूज्य ?

गंगाविलास पूज्य है या अपूज्य ?

BREAKING NEWS, TOP STORIES
या'अपूज्यां यत्र पूज्यन्ते' के आइने मेंपहाड़ विध्वंसक और गंगाविलास अरुण तिवारी 16 जून, 2013 को केदारनाथ जल प्रलय आई। उससे पहले शिलारूपिणी परम्पूज्या धारी देवी को विस्थापित किया गया। ऐसा श्रीनगर गढ़वाल की एक विद्युत परियोजना को चलाते रहने की जिद्द के कारण किया गया था। भाजपा की तत्कालीन शीर्ष नेत्री स्वर्गीया श्रीमती सुषमा देवी जी इसे धारी देवी का तिरस्कार माना था। इस तिरस्कार को केदारनाथ प्रलय का कारण बताते हुए श्रीमती स्वराज ने अपने संसदीय उद्बोधन में एक श्लोक का उल्लेख किया था: अपूज्यां यत्र पूज्यन्ते, पूज्यानाम् तु व्यत्क्रिम्।त्रिण तत्र भविष्यन्ति, दुर्भिक्षम् मरणम् भयम्।। मतलब यह कि जहां न पूजने योग्य की पूजा होती है अथवा जिसकी पूजा की जानी चाहिए, उसका तिरस्कार होता है, वहां तीन परिणाम होते हैं: अकाल, मृत्यु और भय। https://www.youtube.com/watch?v=aS2n-YPxOPY आइए, इ...
पाकिस्तान को एक मोदी चाहिए’

पाकिस्तान को एक मोदी चाहिए’

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
डॉ. वेदप्रताप वैदिक पाकिस्तान के आजकल जैसे हालात हैं, मेरी याददाश्त में भारत या हमारे पड़ौसी देशों में ऐसे हाल न मैंने कभी देखे और न ही सुने। हमारे अखबार पता नहीं क्यों, उनके बारे में न तो खबरें विस्तार से छाप रहे हैं और न ही उनमें उनके फोटो देखे जा रहे हैं लेकिन हमारे टीवी चैनलों ने कमाल कर रखा है। वे जैसे-तैसे पाकिस्तानी चैनलों के दृश्य अपने चैनलों पर आजकल दिखा रहे हैं। उन्हें देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं, क्योंकि पाकिस्तानी लोग हमारी भाषा बोलते हैं और हमारे जैसे ही कपड़े पहनते हैं। वे जो कुछ बोलते हैं, वह न तो अंग्रेजी है, न रूसी है, न यूक्रेनी। वह तो हिंदुस्तानी ही है। उनकी हर बात समझ में आती है। उनकी बातें, उनकी तकलीफें, उनकी चीख-चिल्लाहटें, उनकी भगदड़ और उनकी मारपीट दिल दहला देनेवाली होती है। गेहूं का आटा वहां 250-300 रु. किलो बिक रहा है। वह भी आसानी से नहीं मिल रहा है। बूढ़े, म...
आवारा गाय ने ले ली पापा की जान:तो गोबर से प्रोडक्ट बनाना शुरू किया; आज 200 तरह के आइटम्स बनाता हूं

आवारा गाय ने ले ली पापा की जान:तो गोबर से प्रोडक्ट बनाना शुरू किया; आज 200 तरह के आइटम्स बनाता हूं

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक
आवारा गाय ने ले ली पापा की जान:तो गोबर से प्रोडक्ट बनाना शुरू किया; आज 200 तरह के आइटम्स बनाता हूं* - *नीरज झा* गाय के गोबर से आपने अभी तक कंडा यानी उपला ही बनते देखा होगा, लेकिन कभी सोचा है कि इसी गोबर से हमारे-आपके डेली के इस्तेमाल में आने वाले दर्जनों प्रोडक्ट्स बनाए जा सकते हैं। ये सारे प्रोडक्ट्स दिखने में भी एकदम मॉडर्न टाइप, जिसे देखकर कोई कहेगा ही नहीं कि ये गोबर से बने हुए हैं। मोबाइल स्टैंड, घड़ी, डेकोरेशन आइटम्स जैसी अनगिनत चीजें… इसी प्रोसेस और इसके बिजनेस मॉडल को जानने के लिए मैं मध्य प्रदेश के ग्वालियर पहुंचा। यहां मेरी मुलाकात होती है गोपाल झा और उनके बेटे यश से, जो कंडा को ऐसे काट-छांट कर रहे हैं, मानो कोई फर्नीचर बनाने वाला लकड़ी की कटाई-छंटाई कर रहा हो। पूछने पर गोपाल बताते हैं, गिफ्ट आइटम्स के लिए यूनिवर्सिटी से मोमेंटो बनाने के ऑर्डर हैं। एक हजार पीस तैय...
भाषा किसी देश की सांस्कृतिक समृद्धि की सूचक होती है

भाषा किसी देश की सांस्कृतिक समृद्धि की सूचक होती है

साहित्य संवाद
लेखिका - डॉ कामिनी वर्मालखनऊ ( उत्तर प्रदेश ) वैचारिक संप्रेषण के लिए भाषा की आवश्यकता होती है। धरती पर जब से मनुष्य का अस्तित्व है तभी से वह भाषा का प्रयोग कर रहा है। ध्वनि एवं संकेत दोनों रूपों में वैचारिक आदान - प्रदान होता रहा है । भारत भाषा और बोलियों की दृष्टि से समृद्ध देश है । भारत के लिए कहा जाता है कि *कोस कोस पर बदले पानी, चार कोस पर वाणी* यहाँ अनगिनत भाषाएं व बोलियां बोली जाती हैं। वर्तमान में लगभग 780 भाषाएं व 2000 बोलियां प्रचलित है । भाषा और बोली देश की सांस्कृतिक समृद्धि की सूचक होती है । परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है , जैसे जैसे जीवन परिवर्तित होता है वैसे वैसे सांस्कृतिक मूल्य भी परिवर्तित होते हैं। मनुष्य का जीवन स्तर, आचार - विचार, रहन -सहन में बदलाव का प्रभाव भाषा व बोली पर भी पड़ता है। पिछले 50 वर्षों में भारत में  220 भाषाएं प्रचलन से बाहर हो गईं ...
कृषि : भारत में गन्ने की फजीहत

कृषि : भारत में गन्ने की फजीहत

TOP STORIES, राष्ट्रीय
राकेश   दुबे देश में 23 प्रकार के अनाज, दलहन, तिलहन आदि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय होते हैं  उसी तरह से भारत सरकार गन्ने के लिए एक गारंटीकृत मूल्य की घोषणा करती रही है जिसे 2008-09 तक वैधानिक न्यूनतम मूल्य कहा जाता था। वर्ष 2009-10 से, इसे रंगराजन समिति की सिफारिश के अनुसार उचित और लाभकारी मूल्य कहा जाता है, जिसमें गन्ने की उत्पादन लागत के साथ-साथ चीनी मिलों द्वारा वसूल की गई चीनी की कीमत को भी ध्यान में रखा गया है। इसकी सिफारिश के अनुसार, पिछले वर्ष की कीमत का 70 प्रतिशत किसानों को भुगतान किया जाना चाहिए और 30 प्रतिशत मिल मालिकों द्वारा रखा जाना है। इसके बावजूद, कुछ राज्य सरकारें गन्ने के लिए राज्य-अनुशंसित कीमतों की घोषणा करती हैं जो एफआरपी से अधिक होते हैं। ये चीनी मिलों पर बाध्यकारी हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने मई 2004 में पहली बार राज्यों की घोषणा शक्ति को मान्य किय...
संपादक नामक संस्था के मजबूत न होने का परिणाम

संपादक नामक संस्था के मजबूत न होने का परिणाम

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES
राकेश दुबे पत्र सूचना कार्यालय ने ६ यू टूयूब पर पाबंदी लगा दी | इन चैनलों के लाखों दर्शक हैं | पाबंदी का कारण कोई एक नहीं  है, अनेक हैं |अच्छी स्थिति होती यदि किसी संस्था या पेशे की विश्वसनीयता और मानवीय मूल्यों को लेकर प्रतिबद्धता की पहल भीतर उसके से ही हो, जिससे  बाहर से किसी को नसीहत देने का अवसर न मिल सके। लेकिन जब-जब हम मर्यादा की लक्ष्मण रेखा लांघते हैं तो अपनी स्वायत्तता पर आंच आने देने के लिये स्वयं स्थितियां बनाते हैं। हाल ही में सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा सभी टीवी चैनलों को पुन: एक परामर्श जारी किया गया था । सरकार की दलील थी कि टीवी चैनल विचलित करने वाले वीडियो और तस्वीरों के प्रसारण से परहेज करें। सरकार का मानना है कि रक्तरंजित व्यक्ति, शवों व शारीरिक हमलों की तस्वीरों का दिखाया जाना कष्टप्रद है। कोशिश हो कि पीड़ित चेहरों की पहचान न होने पाये। सूचना प्रसारण मंत्रालय का...
भारत के गाँव : भगवान के भरोसे चिकित्सा

भारत के गाँव : भगवान के भरोसे चिकित्सा

राष्ट्रीय
 राकेश दुबे  भारत के गाँव : भगवान के भरोसे चिकित्सा हमारा देश भारत आज़ादी की शताब्दी की ओर अग्रसर  है, भारत गावों का देश है। देश की बड़ी आबादी गाँव में बसती है। गाँव में चिकित्सा ढाँचे के बुरे हाल है । आँकड़े कहते हैं, ग्रामीण चिकित्सा ढांचे में आवश्यकता की तुलना में 83.2 प्रतिशत सर्जनों, 74.2 प्रतिशत प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों, 79.1 प्रतिशत  चिकित्सकों और 81.6 प्रतिशत बाल रोग विशेषज्ञों की कमी है। मृतकाल से गुजर रहे देश के ग्रामीण अंचलों की स्वास्थ्य सेवाओं पर नजर डालने से साफ हो जाता है कि इन पिचहत्तर सालों में हमने बेहद जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं पर कितना ध्यान दिया गया? वह भी तब जब हम पिछले कुछ सालों में एक सदी बाद आई कोरोना की वैश्विक महामारी से बुरी तरह लड़खड़ाए हैं। यही वजह है कि आज देश के चोटी के चिकित्सा संस्थान ग्रामीण इलाकों से आने वाले मरीजों से पटे हुए हैं।...
रूस-यूक्रेन युद्ध का भविष्य

रूस-यूक्रेन युद्ध का भविष्य

EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय
भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिरमीर पुतिन को एक शुभचिन्तक के रूप में यह सलाह दी कि युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता है। निश्चितः मोदी जी द्वारा प्रदत्त यह नेक सलाह एक बहुत ही सोची-समझी तथा कूटनीतिपूर्ण सलाह थी, जिसको राष्ट्रपति पुतिन कितना आत्मसात् कर पाए यह तो स्वयं पुतिन द्वारा अथवा भविष्य में ही स्पष्ट होगा, परन्तु इतना अवश्य है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को चलते हुए 1 वर्ष पूर्ण होने वाला है, फिर भी महाशक्तिशाली रूस, यूक्रेन पर विजयश्री प्राप्त करने में समर्थ नहीं हो पाया है। अभी तक रूस, यूक्रेन देश के 10 प्रतिशत क्षेत्र को भी अधिकृत नहीं कर पाया है, परन्तु आशिंक सफलता प्राप्त करने में उसने स्वयं को कितनी हानि पहुँचाई है, यह सर्वविदित है। रूस की अर्थव्यवस्था पर भी इस युद्ध का नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। रूस, अमेरिका और चीन के द्वारा बनाए गए हथियारों की बिक्...