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Author: Dialogue India

अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरें अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी प्रभावित कर सकती है

अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरें अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी प्रभावित कर सकती है

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दिनांक 3 मई 2023 को अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने यूएस फेड दर में 25 आधार बिंदुओं की वृद्धि करते हुए इसे 5.25 प्रतिशत तक पहुंचा दिया है। मार्च 2022 के बाद से यूएस फेड दर में यह लगातार 10वीं बार वृद्धि की गई है एवं वर्ष 2007 के बाद से यूएस फेड दर अपने उच्चत्तम स्तर पर पहुंच गई है। हालांकि, अमेरिका में मुद्रा स्फीति को नियंत्रण में लाने के उद्देश्य से अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा यूएस फेड दर में वृद्धि की जा रही है परंतु अब उच्च ब्याज दरों का विपरीत प्रभाव अमेरिकी अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। हाल ही में दो अमेरिकी बैंकें, सिलिकोन वैली बैंक एवं सिग्नेचर बैंक असफल हो चुकी हैं एवं तीसरी बैंक फर्स्ट रिपब्लिक भी असफल होने की स्थिति में पहुंच गई थी, परंतु उसे समय रहते जेपी मोर्गन कम्पनी को बेच दिया गया। पेसिफिक वेस्टर्न बैक एवं वेस्टर्न अलाइन्स बैंक में भी तरलता की सम...
सामान्य जीवन का अंतिम दशक -अनुज अग्रवाल

सामान्य जीवन का अंतिम दशक -अनुज अग्रवाल

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बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि अपना काम करके जा चुकी है और किसान व फल- सब्ज़ी उत्पादक बस चुपचाप बर्बादी की दास्ताँ देख रहा है। हर तीन महीने में बदलने वाले मौसम ने पिछले तीन वर्षों में इतनी करवटे ली हैं जिसका कोई पैटर्न ही नहीं नज़र आ रहा। मौसम के बदलाव अब हर सप्ताह हो जाते हैं। लोग जाड़ा, गर्मी और बरसात सब एक साथ झेल रहे हैं। जीवाश्म ईंधनों के बढ़ते अतिशय प्रयोग व पेट्रोलियम व रासायनिक पदार्थों से बने उत्पाद (प्लास्टिक, कपड़े, रासायनिक खाद, कीटनाशक आदि) से निकली मीथेन व कार्बन डाईऑक्साइड आदि गैसों ने धरती के हजारो साल से बने बनाए संतुलन को बिगड़ दिया है और पृथ्वी का तापमान 1.5 डिग्री बढ़ने के क़रीब है। तीस हज़ार बर्षों से मानव एक स्थिर वायुमंडल में जी रहा था जिसको पिछले तीन दशकों के विकास ने पूरी तरह बिखेर दिया है। शायद यह आख़िरी दशक हो जिसको हम जैसे तैसे ठीक से जी भी पाएँ। हालाँकि इसक...
खिलाड़ी ही हों खेल महासंघों के अध्यक्ष

खिलाड़ी ही हों खेल महासंघों के अध्यक्ष

TOP STORIES, विश्लेषण
विनीत नारायणजब भी कभी किसी खेल महासंघ में कोई विवाद उठता है तो उसके पीछे ज़्यादातर मामलों में दोषी ग़ैर खिलाड़ीवर्ग से आए हुए व्यक्ति ही होते हैं। खेल और खिलाड़ियों के प्रति असंवेदनशील व्यक्ति अक्सर ऐसी गलती कर बैठतेहैं जिसका ख़ामियाज़ा उस खेल और उस खेल से जुड़े खिलाड़ियों को उठाना पड़ता है। यदि ऐसे खेल महासंघों केमहत्वपूर्ण पदों पर राजनेताओं या ग़ैर खिलाड़ी वर्ग के व्यक्तियों को बिठाया जाएगा तो उनकी संवेदनाएँ खेल औरखिलाड़ियों के प्रति नहीं बल्कि उस पद से होने वाली कमाई व शोहरत के प्रति ही होगी। ऐसा दोहरा चरित्र निभानेवाले व्यक्ति जब बेनक़ाब होते हैं तो न सिर्फ़ खेल की बदनामी होती है बल्कि देश का नाम भी ख़राब होता है।पिछले कई दिनों से देश का नाम रोशन करने वाली देश कि बेटियाँ दिल्ली के जंतर-मन्तर पर धरना दे रही हैं। इन्हेंआंशिक सफलता तब मिली जब देश की सर्वोच्च अदालत ने दिल्ली पुलिस को ...
1 मई, मजदूर दिवस विशेष

1 मई, मजदूर दिवस विशेष

TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
दिहाड़ीदार मजदूरों की दुर्दशा के लिए जिम्मेवार कौन ?* (सामाजिक सुरक्षा कोष में तेजी लाने की आवश्यकता है ताकि देश के सबसे गरीब और कमजोर तबके को यह वित्तीय सुरक्षा की भावना प्रदान कर सके। एक मजदूर देश के निर्माण में बहुमूल्य भूमिका निभाता है। किसी भी समाज, देश संस्था और उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों की अहमियत किसी से भी कम नहीं आंकी जा सकती। इनके श्रम के बिना औद्योगिक ढांचे के खड़े होने की कल्पना भी नहीं की जा सकती।) --- डॉo प्रियंका सौरभ, बदलते दौर में विभिन्न आपदाओ के कारण सबसे बड़ा संकट दिहाड़ीदार मजदूरों के लिए हुआ है। जिनके बारे देश के अंदर बहुत ही कम चर्चा हुई और इनकी आर्थिक सहायता के लिए देश की सरकार ने कुछ नहीं सोचा। कोई संदेह नहीं कि देश का मजदूर वर्ग सबसे ज्यादा शोषण का शिकार है। दिहाड़ीदार मजदूर के लिए भरण-पोषण का संकट खड़ा हो गया है। शहरों में रोजी-रोटी की तलाश...
‘Mann ki Baat’ connects Indians to Bharat

‘Mann ki Baat’ connects Indians to Bharat

प्रेस विज्ञप्ति
• *76% media persons opine in a special study conducted by IIMC, New Delhi* • *63% people love to listen ‘Mann Ki Baat’ on YouTube* • *For 40% people, 'Education' is the most influential theme of the programme* • *The radio programme by PM introduces ‘unsung builders of modern Bharat’ to the whole nation* *New Delhi, April 29:* A special study conducted by the *Indian Institute of Mass Communication (IIMC)* found that *76%* of the Indian media persons believe that *Prime Minister Narendra Modi’s popular radio programme ‘Mann Ki Baat’* has played a significant role in introducing the real Bharat to the countrymen. The progarmme has initiated a trend where people are now more aware of the things in other parts of the country and they have started appreciating them.75% of the...
और हमारा ये “प्लास्टिक मोह”

और हमारा ये “प्लास्टिक मोह”

EXCLUSIVE NEWS, समाचार, सामाजिक
पता नहीं क्यों भारत के नागरिक क़ानून बनाए जाने के बाद भी ये बात मानने को तैयार नहीं है कि प्लास्टिक उनकी सेहत के लिए नुक़सानदेह है? तभी तो एक बार इस्तेमाल होने वाले (सिंगल यूज) प्लास्टिक उत्पादों पर प्रतिबंध लगाए जाने के तकरीबन 10 महीने बाद भी देश के अधिकांश हिस्सों में उसका इस्तेमाल आम है। हालांकि इनका थोक इस्तेमाल करने वाले कुछ कारोबारियों ने जैविक रूप से अपघटन योग्य विकल्प अपना लिए हैं, लेकिन अधिकांश अन्य उत्पादक, विक्रेता और उपभोक्ता अभी भी पहले की तरह बदस्तूर ऐसे प्लास्टिक का प्रयोग कर रहे हैं। ज्यादा चिंता की बात यह है कि त्यागे गए प्लास्टिक उत्पादों के संग्रह और सुरक्षित निपटारे के क्षेत्र में भी कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला है। सार्वजनिक प्रदूषण की समस्या और बढ़ी है। सिंगल यूज प्लास्टिक न केवल सड़कों पर बिखरे रहते हैं बल्कि कचरा फेंकने की जगहों पर भी इन्हें बड़ी तादाद में द...
जहरीले भाषणों की दिन-प्रतिदिन गंभीर होती समस्या

जहरीले भाषणों की दिन-प्रतिदिन गंभीर होती समस्या

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
  ललित गर्ग  कर्नाटक में चुनावों को लेकर नफरती सोच एवं हेट स्पीच का बाजार बहुत गर्म है। राजनीति की सोच ही दूषित एवं घृणित हो गयी है। नियंत्रण और अनुशासन के बिना राजनीतिक शुचिता एवं आदर्श राजनीतिक मूल्यों की कल्पना नहीं की जा सकती। नीतिगत नियंत्रण या अनुशासन लाने के लिए आवश्यक है सर्वोपरि राजनीतिक स्तर पर आदर्श स्थिति हो, तो नियंत्रण सभी स्तर पर स्वयं रहेगा और इसी से देश एक आदर्श लोकतंत्र को स्थापित करने में सक्षम हो सकेगा। अक्सर चुनावों के दौर में राजनीति में बिगड़े बोल एवं नफरत की राजनीति कोई नई बात नहीं है। चर्चा में बने रहने के लिए ही सही, राजनेताओं के विवादित बयान गाहे-बगाहे सामने आ ही जाते हैं, लेकिन ऐसे बयान एक ऐसा परिवेश निर्मित करते हैं जिससे राजनेताओं एवं राजनीति के लिये घृणा पनपती है। यह सही है कि शब्द आवाज नहीं करते, पर इनके घाव बहुत गहरे होते हैं और इनका असर भी दूर तक पहु...
नक्सल समस्या : निगरानी में चूक

नक्सल समस्या : निगरानी में चूक

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राज्य, विश्लेषण, सामाजिक
कभी मध्यप्रदेश का हिस्सा रहे छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में पिछले दिनो एक बार फिर हुए नक्सली हमले के निष्कर्ष साफ हैं कि सरकारों के दावों के बावजूद नक्सलियों की ताकत पूरी तरह कम नहीं हुई है, इस लिहाज़ से मध्यप्रदेश में मुस्तैदी की ज़रूरत है । बार-बार बड़ी संख्या में जवानों को खोने के बावजूद अतीत की घटनाओं से कोई सबक नहीं सीखे गए हैं। दुर्भगाय, संचार क्रांति के दौर में मुकाबले के लिये उपलब्ध संसाधनों व हथियारों के बावजूद सरकार यदि उनके हमलों का आकलन नहीं कर पा रही हैं तो यह राज्यों के खुफिया तंत्र की विफलता का ही परिचायक है। सफल ऑपरेशन करके लौट रहे रिजर्व बल के जवानों का बारूदी सुरंग की चपेट में आना बताता है कि यह नक्सलियों की हताशा से उपजा हमला तो था ही, आगे की चुनौती और बड़ी है । इसमें कोई संदेह नहीं है कि हाल के दिनों में देश के कई इलाकों में सुरक्षाबलों के साझे अभियानों में नक्सलियों...
बदलाव का संवाहक बना -मन की बात

बदलाव का संवाहक बना -मन की बात

BREAKING NEWS, Today News, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
बदलाव का संवाहक बना -मन की बातसनातन हिंदू संस्कृति का भी हो रहा विकासमृत्युंजय दीक्षितप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम, “मन की बात” ने अपने सौ एपिसोड सफलतापूर्वक पूर्ण किए, यह आकाशवाणी के इतिहास का एक ऐसा कर्यक्रम बना जिसमें देश के प्रधानमंत्री ने मासिक रूप से आम जनता से सीधा संवाद किया और इसे राजनीति से पृथक अलग रखा। यह एक सुखद अनुभव है कि प्रधानमंत्री का मन की बात अर्यक्रम बदलाव का संवाहक बन बनकर क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहा है। इस कार्यक्रम ने वृहद् भारतीय समाज को निराशा व अंधकार से निकलने में सहायता दी है और विकास व प्रगति के नये पंख लगाए हैं । ”मन की बात“ कार्यक्रम से नया जोश, उत्साह व उमंग पैदा होती रही है तथा भविष्य में भी होती रहेगी। मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से ही भारत की संस्कृतिक व विरासत एक बार फिर पुनजीर्वित हो रही है।हमारा भारतीय समाज जिन परम्पराओं को भूल चुक...
सम्राट चार्ल्स का राज्याभिषेक

सम्राट चार्ल्स का राज्याभिषेक

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आर.के. सिन्हा भारत के मित्र और ब्रिटेन के नए बनने जा रहे  सम्राट चार्ल्स-तृतीय के आगामी 6 मई को होने वाले राज्याभिषेक में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी उपस्थित रहेंगे। सम्राट चार्ल्स का राज्याभिषेक उस वक्त हो रहा है जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री भारत मूल के श्रषि सुनक हैं। सुनक की पत्नी भारत के प्रख्यात उद्योगपति एन. नारायणमूर्ति की सुपुत्री अक्षता हैं। यह भी मानना होगा कि दोनों देशों के आपसी संबंधों को मज़बूत रखने में ब्रिटेन में बसे हुए 15-16 लाख प्रवासी भारतीयों की अहम भूमिका तो रही ही है। इनमें अफ्रीकी और कैरिबियाई  देशों से आकर बसे भारतीय मूल के लोग भी हैं। ये सब ब्रिटेन और भारत के बीच एक पुल का काम कर रहे हैं। प्रवासी भारतीय ब्रिटेन में हर क्षेत्र में मौजूद हैं। अब चाहे वो व्यापार, राजनीति, खेल का क्षेत्र हो या कोई और, इन्होंने सबम...