Shadow

Author: Dialogue India

कोचर और धूत ही गिरफ़्तार क्यों?

कोचर और धूत ही गिरफ़्तार क्यों?

EXCLUSIVE NEWS, घोटाला, राष्ट्रीय
*रजनीश कपूरपिछले दिनों सीबीआई द्वारा आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एमडी व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर कीगिरफ्तारी की खबर सुर्ख़ियों में थी। उसके बाद हाल ही में वीडियोकॉन के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत को भी सीबीआई ने बैंकफ्रॉड मामले में गिरफ़्तार किया। तमाम सबूतों के बावजूद सीबीआई ने 2019 में एफ़आईआर दर्ज की और जाँच करने लगी।आश्चर्य है कि आरोपियों की गिरफ़्तारी तीन बरस बाद दिसंबर 2022 में ही की गई। सीबीआई के इस ढुलमुल रवैये से सवालउठता है कि देश में ऐसे कितने और मामले हैं जिन पर सीबीआई और अन्य जाँच एजेंसियां इसी तरह ढुलमुल रवैया अपनारही हैं?कोचर दंपत्ति की ज़मानत के लिए बहस करते हुए उनके वकीलों ने कोर्ट में कहा कि, “जनवरी 2019 से अब तक कोचरदंपत्ति उपलब्ध थी, तो फिर इतने सालों में उन्हें जांच के लिए क्यों नहीं बुलाया गया?” वकील के अनुसार, जुलाई 2022तक सीबीआई को जांच के लिए उनकी जरूरत तक नहीं...
राहुल गांधी की तुलना राम से?

राहुल गांधी की तुलना राम से?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, समाचार
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* कांग्रेस के नेता सलमान खुर्शीद के बयान पर आजकल काफी लत्तम-धत्तम चल रही है। उन्होंने कह दिया कि जहाँ राम नहीं पहुँच सकते, वहाँ उनकी खड़ाऊ पहुंच जाएगी याने राहुल गांधी जहाँ-जहाँ नहीं पहुंच पाएंगे, वहाँ-वहाँ उनकी खड़ाऊ पहुंचाने की कोशिश की जाएगी। यह तो सबको पता है कि उन्होंने राहुल को राम नहीं कहा है। मैंने उनके वाक्यों को पढ़कर नहीं, सुनकर यह लिखा है लेकिन कुछ भाजपा नेताओं ने खुर्शीद को यह कहकर निंदा की है कि उन्होंने राहुल को राम बना दिया है। उन्होंने राहुल को राम नहीं बताया है बल्कि सिर्फ खड़ाऊ पर जोर दिया है। राहुल के जो फोटो अखबारों में छप रहे हैं और टीवी पर दिखाई पड़ रहे हैं, उनमें वे जूते पहने दिखाई पड़ रहे हैं तो फिर खुर्शीद के बयान का अर्थ क्या निकला? यही कि उन्होंने उपमा का इस्तेमाल किया है। क्या सलमान खुर्शीद जैसे पढ़े-लिखे नेता इतनी बड़ी गलती कर सकते ...
भारत में मुस्लिम क्यों और कब से ‘असुरक्षित’?*

भारत में मुस्लिम क्यों और कब से ‘असुरक्षित’?*

TOP STORIES, राष्ट्रीय, विश्लेषण
बलबीर पुंज गत दिनों राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने भारत को मुस्लिमों के लिए असुरक्षित बताते हुए कहा, "...हमने अपने अपने बेटा-बेटी को कहा कि उधर (विदेश) ही नौकरी कर लो, अगर नागरिकता भी मिले तो ले लेना.. अब भारत में माहौल नहीं रह गया है...।" विवाद बढ़ने पर सिद्दीकी ने खेद प्रकट तो किया, किंतु अपने वक्तव्य के मर्म पर अड़े रहे। भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, शेष विश्व में प्रवासी भारतीयों की संख्या तीन करोड़ से अधिक है, जिनमें से अधिकांश उज्जवल भविष्य, व्यक्तिगत विकास और अधिक धन अर्जित करने हेतु वर्षों से स्वदेश से बाहर है। इनमें से कई अपनी नागरिकता तक बदल चुके है। क्या इनके लिए यह कहना उचित होगा कि वे सभी भारत में 'असुरक्षा' या 'माहौल बिगड़ने' के कारण देश छोड़ने को विवश हुए?  साधारणत: किसी एक व्यक्ति के नकारात्मक विचारों की अनदेख...
महंगा दूध : कारण का निवारण  नहीं

महंगा दूध : कारण का निवारण  नहीं

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, सामाजिक
 -राकेश  दुबे कितना अजीब है, जिस देश में वर्ष 1970 के दशक में हुई श्वेत क्रांति के बाद से ही देश में डेरी क्षेत्र में मजबूत और ऊंची वृद्धि देखने को मिलती रही है, अब दूध के भाव अंधाधुध तरीके से बढ़ रहे हैं | देश में दूध का उत्पादन अब मुश्किल दौर से गुजरता नजर आ रहा है। इस मुश्किल की  तह में पशु आहार तथा चारे की कम आपूर्ति एवं ऊंची लागत की वजह से पैदा हुई हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और प्रदेशों  में कई बड़ी दुग्ध सहकारी समितियों तथा निजी डेरी कंपनियों द्वारा इस वर्ष दूध की कीमतों में कई बार  की गई मूल्य वृद्धि इस संकटके और बढने  स्पष्ट संकेत दे रहा  है। इससे बड़ी और बुरी बात यह है कि यह बढ़ोतरी मॉनसून सीजन के बाद हो रही है जब दूध की आपूर्ति बहुत अधिक होती है और डेरी कंपनियां दूध पाउडर, मक्खन तथा अन्य दुग्ध उत्पादों का भंडार तैयार करती ह...
29 दिसम्बर 1666 : गुरु गोविन्द सिंह का जन्म 

29 दिसम्बर 1666 : गुरु गोविन्द सिंह का जन्म 

BREAKING NEWS, TOP STORIES, धर्म
राष्ट्र और संस्कृति के रक्षा के लिये   समर्पित जीवन और बलिदान  -- रमेश शर्मा  दसवें सिख गुरु गोविन्द सिंह जी की गणना यदि हम अवतार की श्रेणी में करें तो अनुचित न होगा।  उनका पूरा जीवन भारत राष्ट्र, सत्य, धर्म और संस्कृति की रक्षा केलिये समर्पित रहा । मानों वे इस राष्ट्र के लिये ही संसार में आये थे । उन्होंने मुगल सल्तनत द्वारा भारत के इस्लामिक रूपान्तरण अभियान रोकने में एक महत्वपूर्ण भूमिका रही।  गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म पौष शुक्ल पक्ष सप्तमी को बिहार के पटना नगर में हुआ था । यह 1666 ईस्वी का वर्ष था । इस वर्ष यह तिथि 29 दिसम्बर को पड़ रही है । पर उस वर्ष यह पौष शुक्ल पक्ष की सप्तमी 22 दिसम्बर को थी । उनके पिता गुरू तेग बहादुर नौंवे सिख गुरु थे । उन्होने भी धर्म रक्षा केलिये बलिदान दिया था । उनकी माता का नाम गुजरी देवी थी। जिनका भी क्रूर यातनाओं के ...
सभ्य समाज में जीवन से हार मानते लोगों का बढ़ना

सभ्य समाज में जीवन से हार मानते लोगों का बढ़ना

विश्लेषण, सामाजिक
 -ललित गर्ग- महज 20 वर्ष की उम्र में मशहूर टीवी एक्ट्रेस तनीषा शर्मा ने अपने सीरियल की शूटिंग के सेट पर फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली। इसी तरह पिछले कुछ सालों में बालीवुड या टेलीविजन में अभिनय की दुनिया में अपनी अच्छी पहचान बनाने वाले सुशांत सिंह राजपूत, वैशाली ठक्कर, आसिफ बसरा और कुशल पंजाबी से लेकर परीक्षा मेहता जैसे अनेक कलाकारों ने आत्महत्या की। प्रश्न है कि इन स्थापित कलाकारों ने आत्महत्या क्यों की? आखिर मनोरंजन की दुनिया में अचानक आत्महत्या कर लेने की घटनाएं क्यों बढ़ रही है? निश्चित रूप से खुदकुशी सबसे तकलीफदेह हालात के सामने हार जाने का नतीजा होती है और ऐसा फैसला करने वालों के भीतर वंचना का अहसास, उससे उपजे तनाव, दबाव और दुख का अंदाजा लगा पाना दूसरों के लिए मुमकिन नहीं है। आत्महत्या शब्द जीवन से पलायन का डरावना सत्य है जो दिल को दहलाता है, डराता है, खौफ पैदा करता है, दर्द देता ...
लोकतांत्रिक अधिकार है गरीबों को मुफ्त अनाज

लोकतांत्रिक अधिकार है गरीबों को मुफ्त अनाज

TOP STORIES
 -ललित गर्ग- आजादी के अमृत महोत्सव मना चुके मुल्क में, एक शोषणविहीन समाज में, एक समतावादी दृष्टिकोण में और एक कल्याणकारी समाजवादी व्यवस्था में आबादी के एक बड़े हिस्से का भूखे रहना या भूखें ही सो जाना शर्म का विषय होना चाहिए।  इस तरह की स्थितियों का होना राष्ट्र के कर्णधारों के लिये शर्म का विषय होना चाहिए। जो रोटी नहीं दे सके वह सरकार कैसी? जो गरीबी पर वोट की राजनीति करें, वह शासन-व्यवस्था कैसी? शर्म का विषय तो बेरोजगार को रोजगार न देना भी होना चाहिए। लेकिन हमारी पूर्व सरकारों ने गरीबी, भूख एवं बेरोजगारी को केवल सत्ता हासिल करने का हथियार बना रखा था। दुनिया की तमाम शासन व्यवस्थाएं हर नागरिक को कोई न कोई ऐसा काम देने, जिससे वह खुद अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके, नाकाम रही है। सबको रोटी एवं रोजगार देने की आदर्श स्थिति शायद किसी भी देश में नहीं है। इसलिए जो लोग खुद अपने ...
नये वर्ष में संकल्प के पौधे उगाएं

नये वर्ष में संकल्प के पौधे उगाएं

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES
 -ललित गर्ग- नया भारत एवं सशक्त भारत को निर्मित करने के संकल्प के साथ नए वर्ष का स्वागत करें। हम इस सोच और संकल्प के साथ नये वर्ष में प्रवेश करें कि हमें कुछ नया करना है, नया बनना है, नये पदचिह्न स्थापित करने हैं। बीते वर्ष की कमियों पर नजर रखते हुए उन्हें दोहराने की भूल न करने का संकल्प लेना है। दूसरे के अस्तित्त्व को स्वीकारना, सबके साथ रहने की योग्यता एवं दूसरे के विचार सुनना- यही शांतिप्रिय एवं सभ्य समाज रचना का आधारसूत्र है और इसी आधारसूत्र को नयेवर्ष का संकल्पसूत्र बनाना होगा। आज सब अपनी समझ को अंतिम सत्य मानते हैं। और बस यहीं से मान्यताओं की लड़ाई शुरू हो जाती है। कोई वेद, बाईबल, कुरान, ग्रंथ या सूत्र ये पाठ नहीं पढ़ाते। तीन हजार वर्षों में पांच हजार लड़ाइयां लड़ी जा चुकी हैं। एकसूत्र वाक्य है कि ”मैदान से ज्यादा युद्ध तो दिमागों से लड़े जाते हैं।“नया वर्ष नया संदेश, नया संबोध, ...
आइये नव वर्ष में अपनी पसंद को क्षमताओं में बदले।

आइये नव वर्ष में अपनी पसंद को क्षमताओं में बदले।

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES
एक बार चुनाव किसी के दिमाग और दिल से उत्पन्न होता है और अंततः उसकी क्षमताओं में और  उसके निर्णय लेने में परिलक्षित होता है। किसी भी स्थिति के लिए प्रतिक्रिया एक विकल्प और उसके परिणाम के लिए एक आदर्श उदाहरण है। कोई भी इस दुनिया में अनुकरणीय क्षमताओं के साथ पैदा नहीं हुआ है। लेकिन किसी विशेष विषय को चुनना, पसंद से उस पर कड़ी मेहनत करना, इस विषय में दूसरों को टक्कर देना और हराना है और इसलिए यह सब उस एक सामान्य विषय या तत्व को चुनने और उसे अपनी क्षमता में स्थानांतरित करने की पसंद के बारे में है। क्षमता खुली है, अक्सर किसी कार्य को करने या पूरा करने के लिए सटीकता की गति और विधि के रूप में वर्णित किया जाता है जो अन्य की तुलना में बेहतर और तेज और अधिक सटीक होता है। एक व्यक्ति किसी भी क्षमता के साथ पैदा हो सकता है या नहीं लेकिन धीरे-धीरे किसी भी क्षमता को प्राप्त कर सकता है यदि वह उस क्ष...
वर्षांत समीक्षा -2022: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय

वर्षांत समीक्षा -2022: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक
बजट आवंटन में अभूतपूर्व वृद्धि कृषि और परिवार कल्याण मंत्रालय के लिए 2022-23 में बजट आवंटन बढ़ाकर 1,24,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। रिकॉर्ड खाद्यान्न और बागवानी उत्पादन खाद्यान्न उत्पादन जनवरी 2022 के 308.65 मिलियन टन से बढ़कर दिसम्‍बर 2022 में 315.72 मिलियन टन (चौथे अग्रिम अनुमानों के अनुसार) हो गया है जो अब तक का सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन है। तीसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार, बागवानी उत्पादन 2020-21 के दौरान 331.05 मिलियन एमटी था जिसे 2021-22 के दौरान बढ़ाकर 342.33 मिलियन एमटी तक पहुंचा दिया गया। यह भारतीय बागवानी के लिए अब तक का सर्वाधिक उत्पादन है। उत्पादन लागत का डेढ़ गुना एमएसपी तय करना सरकार ने 2018-19 से अखिल भारतीय भारतीय औसत उत्पादन लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत लाभ के साथ सभी अनिवार्य खरीफ, रबी और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए न्‍यूनतम समर्थन ...