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Author: Dialogue India

संसद के शीतकालीन अधिवेशन में तीन आवश्यक संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश संशोधन विधेयक पारित

संसद के शीतकालीन अधिवेशन में तीन आवश्यक संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश संशोधन विधेयक पारित

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महत्‍वपूर्ण बिंदु : संसद द्वारा पारित किए गए  : उत्तर प्रदेश के संबंध में, संविधान (अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियां) आदेश (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022 तमिलनाडु के संबंध में, संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (दूसरा संशोधन) बिल, 2022 कर्नाटक के संबंध में, संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (चौथा संशोधन) बिल, 2022 संसद के शीतकालीन अधिवेशन में तीन आवश्यक संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश संशोधन विधेयक पारित किए गए। तमिलनाडु राज्य के संबंध में, संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022, राज्यसभा में 22.12.2022 को सर्वसम्मति से पारित किया गया। संसद में पारित होने के बाद यह विधेयक तमिलनाडु में अनुसूचित जनजातियों की सूची में नारिकोरवन और कुरीविकरण समुदायों को शामिल करेगा। यह विधेयक पहले 15.12.2022 को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था। ...
गर्भस्थ शिशु और माता की चिकित्सीय देखभाल के लिए नया ऐप

गर्भस्थ शिशु और माता की चिकित्सीय देखभाल के लिए नया ऐप

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भारतीय शोधकर्ताओं ने गर्भस्थ शिशु और गर्भवती महिलाओं की चिकित्सीय देखभाल के लिए ‘स्वस्थगर्भ’ नामक नया मोबाइल ऐप विकसित किया है। यह ऐप दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जिनके लिए डॉक्टर तक पहुँचना कठिन होता है। यह गर्भावस्था के लिए विशेष रूप से विकसित किया गया ऐप है, जो चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित होने के साथ-साथ विश्वसनीय भी है। इसकी मदद से डॉक्टरों तक तुरंत ऑनलाइन पहुँचा जा सकता है, और चिकित्सीय सलाह प्राप्त की जा सकती है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के शोधकर्ताओं ने मिलकर यह मोबाइल ऐप विकसित किया है। मरीज और डॉक्टर दोनों ‘स्वस्थगर्भ’ मोबाइल ऐप का निशुल्क लाभ उठा सकते हैं। यह ऐप गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। ‘स्वस्थगर्भ’ चिकित्सीय जटिलताओं को कम करने और गर्भावस्था के दौरान के त...
नेपालः कुर्सी ही ब्रह्म है

नेपालः कुर्सी ही ब्रह्म है

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*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* लगभग हजार साल पहले राजा भर्तृहरि ने राजनीति के बारे में जो श्लोक लिखा था, नेपाल की राजनीति ने उसकी सच्चाई उजागर कर दी है। उस श्लोक में कहा गया था- ‘वारांगनेव नृपनीति्रनेकरूपा:’ अर्थात राजनीति वेश्याओं की तरह अनेकरूपा होती है याने वह मौके-मौके पर अपना रूप बदल लेती है। नेपाल में कल तक पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ और शेरबहादुर देउबा मिलकर सरकार बना रहे थे लेकिन अब प्रचंड और के.पी.ओली आपस में अचानक मिल गए हैं और वे अब अपनी सरकार बना रहे हैं। ये तीनों बड़े नेता तीन पार्टियों के संचालक हैं। पहली नेपाली कांग्रेस है और शेष दो कम्युनिस्ट पार्टियाॅं हैं। ये तीन पार्टियाँ एक-दूसरे की भयंकर विरोधी रही हैं। इनके कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे की हत्याएं भी की हैं और इन्होंने एक-दूसरे से मिलकर सरकारें भी बनाई हैं और अनबन होने पर बीच में ही वे सरकारें गिरती भी रही हैं। याने कुर्सी ही...
भारतभूमि

भारतभूमि

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दिल्ली में रहते हुए और लगभग तीन दशकों तक कभी कभार ही इधर उधर की यात्रा करते हुए मैं‌ इस भूमि से लगभग कटा रहा। किन्तु भारत के बड़े शहर इस भूमि को समझने का माध्यम-स्थल हो सकते हैं। दृष्टि होनी चाहिए। यहां के महानगर न्यूयॉर्क जैसे महानगर नहीं हैं। न्यूयॉर्क में अमीरी गरीबी की खाई है किन्तु सांस्कृतिक फांक नहीं है। यहां एक बड़ी सांस्कृतिक फांक है। सहजता से दृश्य भी। यहां सभ्यता और संस्कृति ग्राम्य जीवन के साथ प्रवहमान है। वह बड़े महानगरों में भी ग्राम्य चरित्र के साथ भासित होती है। मैंने इस महानगर में अतिसाधारण मनुष्यों के बीच होते हुए यह अनुभव किया है कि आधुनिकता ने हमें लीला नहीं है।‌ बल्कि भारतीयता यहां भाषा में अनुस्वार और अन्य वर्णों की तरह अनिवार्यत: उपस्थित है। किसी बुझते हुए घूरे को देखकर हम मान लेते हैं कि यह ठंडा पड़ चुका है।‌किन्तु जरा सा कुरेदने पर राख के नीचे से लहकती काष्...
विश्व शांति के लिए जरूरी है हिन्दुत्व : सुनील आंबेकर

विश्व शांति के लिए जरूरी है हिन्दुत्व : सुनील आंबेकर

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डॉ. इन्दु‍शेखर तत्पुरुष की पुस्तक 'हिन्दुत्व: एक विमर्श' का विमोचन प्रख्यात कवि, आलोचक एवं संपादक डॉ. इन्दु‍शेखर तत्पुरुष की पुस्तक 'हिन्दुत्व: एक विमर्श' का विमोचन करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री सुनील आंबेकर ने कहा कि विश्व शांति के लिए हिन्दुत्व बेहद जरूरी है। आधुनिक समय में हिन्दुत्व के नियमों को भूलने का परिणाम हम जीवन के हर क्षेत्र में महसूस करते हैं। इस अवसर पर भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी एवं पांचजन्य के संपादक श्री हितेश शंकर विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद डॉ. महेश चंद्र शर्मा ने की। संचालन दिल्ली विश्वविद्यालय में वरिष्ठ आचार्या प्रो. कुमुद शर्मा ने किया। श्री आंबेकर ने कहा कि हिन्दुत्व का मूल तत्व एकत्व की...
जी20 में भारत की अध्यक्षता के साथ शुरू होगा साइंस-20

जी20 में भारत की अध्यक्षता के साथ शुरू होगा साइंस-20

TOP STORIES, राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 26 दिसंबर (इंडिया साइंस वायर): बीस देशों के अंतर-सरकारी और अंतरराष्ट्रीयमंच जी20 में 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं। औद्योगिक और विकासशील दोनों देशों केइस संघ का मुख्य फोकस वैश्विक अर्थव्यवस्था के गवर्नेंस पर रहा है। हालाँकि, पिछले कई वर्षोंसे जी20 देशों का समूह जलवायु परिवर्तन के शमन और सतत् विकास जैसी अन्य वैश्विकचुनौतियों के समाधान की दिशा में काम कर रहा है। इस कड़ी में, जी20 के कई कार्यकारीसमूहों की स्थापना की गई है, जिनमें साइंस-20 (एस20) शामिल है।  जी20, एस20 और इसके जैसे अन्य कार्यसमूहों की अध्यक्षता वर्ष 2023 में भारत के पासरहेगी। वर्ष 2023 के लिए एस20 का विषय "अभिनव और सतत् विकास के लिए विघटनकारीविज्ञान" होगा। इस व्यापक विषय पर भारत के विभिन्न हिस्सों (अगरतला, लक्षद्वीप औरभोपाल) में साल भर विमर्श आयोजित किये जाएंगे। भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलूरुएस20 के लिए स...
शहादत के दांव और पूंछ पर बंधा कफन 

शहादत के दांव और पूंछ पर बंधा कफन 

सामाजिक
                                              हेमंत मुक्तिबोध कुत्ते दहशत में हैं । देश के प्रति उनकी वफादारी पर सवाल उठाए जा रहे हैं । सड़क से संसद तक उन्हें शक की निगाह से देखा जा रहा है । कुत्ता समुदाय में भयंकर रोष है। आक्रोश व्याप्त है । वो आहत भी  है और उदास भी । उसे सत्ता की राजनीति में आखेट बनाया जा रहा है।  एक राजनीतिक दल के बड़े नेता ने दूसरे दल पर अपने कुत्तों को शहादत के पुण्यलाभ से वंचित  रखने का इल्जाम लगा दिया है । कुत्ते इस नस्लीय भेदभाव से भी आहत हैं कि वफादारी की गौरवशाली परंपरा के बावजूद न सिर्फ उन पर संदेह किया जा रहा है बल्कि शहादत की अपेक्षा भी सिर्फ कुत्तों से ही की जा रही है और पार्टियों  के घोड़ों, गधों और खच्चरों को बख्श दिया गया है ।  सभी दलों के कुत्तों की जान सांसत में है । पॉलिटिकल डैमेज कंट्रोल के चक्कर में न जाने किसे कब फरमान मि...
रोजगार : आंकड़ों और हकीकत में भारी अंतर

रोजगार : आंकड़ों और हकीकत में भारी अंतर

BREAKING NEWS, आर्थिक
राकेश  दुबे  अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन अर्थात आइएलओ ने दो रिपोर्टें जारी की हैं, जिनमें कोविड  दुष्काल के बाद वैश्विक रोजगार की स्थितियों के बारे में चर्चा की गई है। दरअसल, कोविड दुष्काल  के चलते बहुत सारे लोगों का रोजगार छिन गया और परिस्थितियां काफी खराब होती चली गर्इं। दुष्काल का प्रभाव कम होने के बाद कुछ लोग तो वापस रोजगार से जुड़ गए, मगर अब भी बहुत सारे लोगों को उनका खोया रोजगार नहीं मिल पाया है।भारत की बात करें, सरकारी पक्ष और आंकड़ों में बेहद अंतर है | भारत में न्यूनतम वेतन 2006 के 4,398 रुपए से बढ़ कर 2021 में 17,017 रुपए प्रतिमाह हो गया। यह सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय का आंकड़ा है। जब इसमें मुद्रास्फीति आंकी गई तो वास्तविक वेतन वृद्धि 2006 के 9.3 प्रतिशत से गिरकर 2021 में  – 0.2 प्रतिशत पर आ गई। इस तरह वेतन और महंगाई में बढ़ोतरी का औ...
ये दोनों थे, विलक्षण प्रधानमंत्री*

ये दोनों थे, विलक्षण प्रधानमंत्री*

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, समाचार
ये दोनों थे, विलक्षण प्रधानमंत्री* *डॉ. वेदप्रताप वैदिक* आज (25 दिसंबर) श्री अटलबिहारी वाजपेयी का जन्म-दिवस है और परसों (23 दिसंबर) नरसिंहरावजी और स्वामी श्रद्धानंदजी की पुण्य तिथि थी। इन तीनों महानुभावों से मेरी व्यक्तिगत और आध्यात्मिक घनिष्टता रही है। स्वामी श्रद्धानंद आर्यसमाज और कांग्रेस के बड़े नेता थे। उन्होंने ही देश में गुरुकुल व्यवस्था को पुनर्जीवित किया, जिसका गुणगान नरेंद्र मोदी ने कल ही किया है। उनकी गणना स्वातंत्र्य संग्राम के सर्वोच्च सैनानियों में होती है। उन्होंने भारत की शिक्षा-व्यवस्था और हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में अपूर्व प्रतिमान कायम किए हैं। 23 दिसंबर 1926 को एक मूर्ख मजहबी ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। वे विद्वान, तपस्वी तथा त्यागी संन्यासी थे। वैसे ही आर्यसमाजी परिवार में श्री अटलबिहारी वाजपेयी ने जन्म लिया था। अटलजी और नरसिंहरावजी मेरे अभिन्न मित्र ...
अपने दोस्तों को करीब और दुश्मनों को और भी ज़्यादा करीब रखें।”

अपने दोस्तों को करीब और दुश्मनों को और भी ज़्यादा करीब रखें।”

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