Shadow

Author: Dialogue India

न्यू इंडिया’ को ‘स्वस्थ भारत’ में बदलेंगे आयुर्वेद और योग।

न्यू इंडिया’ को ‘स्वस्थ भारत’ में बदलेंगे आयुर्वेद और योग।

EXCLUSIVE NEWS
आयुर्वेद और योग ने प्राचीन भारतीय विज्ञान के रूप में 5000 साल पहले अपनी यात्रा शुरू की थी। जबकि सिद्ध दक्षिण भारत में लोकप्रिय दवाओं की प्राचीन प्रणालियों में से एक है, यूनानी, चिकित्सा की पारंपरिक प्रणाली की उत्पत्ति प्राचीन ग्रीस में हुई है। आयुष अपने नागरिकों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल और चिकित्सा देखभाल प्रदान करके 'न्यू इंडिया' के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 'न्यू इंडिया' को 'स्वस्थ भारत' भी होना चाहिए, जहां उसकी अपनी पारंपरिक प्रणालियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।  ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन जामनगर, गुजरात  दुनिया भर में पारंपरिक चिकित्सा के लिए पहला और एकमात्र वैश्विक चौकी केंद्र होगा। -प्रियंका सौरभ  आयुष उन चिकित्सा प्रणालियों का संक्षिप्त रूप है जिनका भारत में अभ्यास किया जा रहा है जैसे आयुर्वेद, योग और प्रा...
*भारत की भूमिका के विस्तार का समय*

*भारत की भूमिका के विस्तार का समय*

BREAKING NEWS, राष्ट्रीय
                           -बलबीर पुंज वर्ष 2022 कैसा था, उसे हम भुगत चुके है। परंतु नया साल भारत और शेष विश्व के लिए कैसा होगा? कुछ माह पहले तक विश्व कोविड-19 के प्रकोप से लगभग मुक्ति पा चुका था, किंतु इस महामारी के उद्गमस्थल चीन में पुन: कोरोना विस्फोट ने नववर्ष में दुनिया को फिर चौकस कर दिया है। संतोषप्रद बात यह है कि हम इस संक्रमण के बहरूपिये चरित्र से पहले से अधिक परिचित, जागरूक और उससे संघर्ष करने हेतु तत्पर है। किंतु इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं कि कोरोना समाप्त हो गया है और हम इससे निश्चिंत हो जाए। सच तो यह है कि हमारी लापरवाही से कोरोना संक्रमण पुन: मानवता पर हावी हो सकता है।  विश्व यदि बीते वर्ष कोविड-19 से लगभग मुक्त रहा, तो फरवरी के अंतिम सप्ताह शुरू यूक्रेन-रूस युद्ध ने दुनिया में ईंधन-खाद्य आपू...
भारत इस दकियानूसी हवा से महफूज रहे

भारत इस दकियानूसी हवा से महफूज रहे

राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
अफगानिस्तान से चली दकियानूसी हवा का झोंका भारत भी आ सकता है, दुआ कीजिये भारत इससे महफूज रहे |खुद को अफगानिस्तान का हमदर्द बताने वाला पाकिस्तान भी तालिबान के इस कदम से परेशान है।अफगानिस्तान में महिलाओं के लिये विश्वविद्यालय के दरवाजे बंद करने की  वैसे तो अंतर्राष्ट्रीय जगत में निंदा हो रही है। लेकिन इसके बावजूद तालिबानी शिक्षा मंत्री अपने फैसले के पक्ष में कुतर्क दे रहे हैं कि ये शिक्षा इस्लामिक सिद्धांतों का उल्लंघन करती है। इस फैसले से छात्राओं में घोर निराशा है,उन्हें लगता है कि उनके भविष्य का पुल तालिबान ने बारूद से उड़ा दिया है। बीते मंगलवार को तालिबान  द्वारा की गई घोषणा पर अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। बीते वर्ष अगस्त में जब तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा किया था तो दलील दी गई थी कि पिछले तालिबानी दौर के प्रतिबंधों की पुनरावृत्ति नहीं...
मुफ्त अनाजः बहुत अच्छा लेकिन….?*

मुफ्त अनाजः बहुत अच्छा लेकिन….?*

राज्य, साहित्य संवाद
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* देश के 81 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन और लगभग 25 लाख पूर्व सैनिकों को पेंशन में फायदे की घोषणा, जो सरकार ने अभी-अभी की है, उसका कौन स्वागत नहीं करेगा? ऐसी घोषणा अब से पहले किसी सरकार ने की हो, मुझे याद नहीं पड़ता। पिछली सरकारों ने संकट-कालों में तरह-तरह की रियायतों की घोषणाएं जरूर की हैं लेकिन 80 करोड़ लोगों को साल भर तक 35 किलो अनाज मुफ्त मिलेगा, यह बहुत बड़ी सौगात है। कोराना-काल के दो वर्षों में भी सरकार ने असमर्थ लोगों को एकदम कम दाम पर अनाज देकर काफी मदद पहुंचाई थी लेकिन अब उन्हें भी वह अनाज मुफ्त मिला करेगा। आप यह पूछ सकते हैं कि इतना अनाज सरकार मुफ्त में बांट देगी लेकिन वह इसे करेगी कैसे? इस समय सरकारी भंडार में लगभग 4 करोड़ टन अनाज भरा पड़ा है। उसे अपने लोगों का पेट भरने के लिए विदेशों के आगे झोली फैलाने की जरूरत नहीं है। इंदिरा गांधी राज के वे दिन अब नही...
भारतीय बन रहे हैं अमेरिकी अर्थव्यवस्था के शिल्पकार

भारतीय बन रहे हैं अमेरिकी अर्थव्यवस्था के शिल्पकार

TOP STORIES, आर्थिक, राष्ट्रीय
भारतीय बन रहे हैं अमेरिकी अर्थव्यवस्था के शिल्पकार भारतीय मूल के नागरिकों का अमेरिका में आगमन विभिन स्तरों पर हुआ है। वर्ष 1890 तक भारतीय मूल के कुछ नागरिकों का कृषि श्रमिकों के रूप में अमेरिका में आगमन हुआ था। लगभग इसी खंडकाल में विशेष रूप से पंजाब से कुछ सिक्ख लोगों के जत्थे भी कनाडा एवं अमेरिका की ओर रवाना हुए थे। उस समय पर भारतीय मूल के नागरिकों ने अमेरिका में बहुत कठिनाईयों का सामना किया था क्योंकि अमेरिकी मूल के नागरिक भारतीय एवं अन्य एशियाई देशों जैसे चीन, जापान, फिलिपीन आदि के नागरिकों के लिए विभिन्न प्रकार की समस्याएं खड़ी कर रहे थे। एशियन मूल के नागरिक बहुत ही कम वेतन पर अधिक से अधिक मेहनत करते हुए कृषि क्षेत्र में भी काम करने को तैयार रहते थे, इससे अमेरिकी मूल के नागरिकों को आभास हुआ कि ये एशियन मूल के नागरिक उनके रोजगारों पर कब्जा कर लेंगे। इन कारणों के चलते उस समय पर इन ...
क्यों मोहम्मद इकबाल को बनाया जाता है महान

क्यों मोहम्मद इकबाल को बनाया जाता है महान

TOP STORIES, विश्लेषण
आर.के. सिन्हा उर्दू के शायर मोहम्मद इकबाल एक बार फिर से खबरों में हैं। दरअसल वे इस बार खबरों में इसलिए हैं, क्योंकि; उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के फरीदपुर स्थित एक सरकारी स्कूल में 'मदरसे वाली प्रार्थना' कराये जाने का आरोप लगाते हुए एक स्कूल के प्रधानाचार्य और शिक्षा मित्र के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है। इन पर आरोप है कि ये  सरकारी स्कूल में 'मेरे अल्लाह, मेरे अल्लाह' बोल वाली एक प्रार्थना कराकर दूसरे धर्मों की धार्मिक भावनाएं आहत कर रहे थे। इन पर जो भी कार्रवाई होनी होगी वह तो हो ही जाएगी। वैसे जिस रचना पर बवाल मचा है वह कहते हैं कि मोहम्मद इकबाल ने ही लिखी थी। अब कुछ सेक्युलरवादी यह कह रहे हैं कि मोहम्मद इकबाल तो बहुत महान शायर थे। उनकी लिखी रचना को स्कूल में पढ़े जाने पर बवाल करना गलत है। इकबाल को महान बताने वालों को पता नहीं है कि ये...
भारत में शिक्षा का सुधार अत्यन्त आवश्यक*

भारत में शिक्षा का सुधार अत्यन्त आवश्यक*

TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
शिक्षा देश की रीढ़ की हड्डी होती है। किसी भी देश की प्रगति तथा वहाँ के नागरिकों का भविष्य वहाँ की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ही निर्भर करता है। भारत सरकार इस तथ्य से भली-भांति परिचित है इसीलिए शिक्षा नीति के अन्तर्गत समय-समय पर परिवर्तन किए जाते रहें हैं। नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत शिक्षा को 5 + 3 + 3 + 4 के चरणों में बांटा गया है। पूर्व प्राथमिक स्तर 3 वर्ष एवं कक्षा 1 व 2 को आधारभूत शिक्षा के अन्तर्गत रखा गया है जिसमें 3 से 5 वर्ष तक के बच्चों को बिना किसी बस्ते के बोझ के खेल-कूद के माध्यम से शिक्षा के प्रति रूचि बढ़ाने का प्रयास किया गया है। 6 से 8 वर्ष की अवस्था में बच्चे की औपचारिक शिक्षा को आरम्भ करने का प्रावधान रखा गया है उस अवस्था में बच्चा परिपक्व हो जाता है और उसको स्वयं का ज्ञान होना प्रारम्भ हो जाता है। अक्सर यह देखा गया है कि 8 से 11 वर्ष की आयु के बच्चे कम्प्यूटर, मोबाइल अथवा ...
गंगा जल

गंगा जल

संस्कृति और अध्यात्म, साहित्य संवाद
अमेरिका में एक लीटर गंगाजल 250 डालर में क्यों मिलता है ? सर्दी के मौसम में कई बार खांसी हो जाती है। जब डॉक्टर से खांसी ठीक नही हुई तो किसी ने बताया कि डाक्टर से खांसी ठीक नहीं होती तब गंगाजल पिलाना चाहिए। गंगाजल तो मरते हुए व्यक्ति के मुंह में डाला जाता है, हमने तो ऐसा सुना है ; तो डॉक्टर साहिब बोले- नहीं ! कई रोगों का इलाज भी है। दिन में तीन बार दो-दो चम्मच गंगाजल पिया और तीन दिन में खांसी ठीक हो गई। यह अनुभव है, हम इसे गंगाजल का चमत्कार नहीं मानते, उसके औषधीय गुणों का प्रमाण मानते हैं। कई इतिहासकार बताते हैं कि सम्राट अकबर स्वयं तो गंगा जल का सेवन करता ही था, मेहमानों को भी गंगा जल पिलाता था। इतिहासकार लिखते हैं कि अंग्रेज जब कलकत्ता से वापस इंग्लैंड जाते थे, तो पीने के लिए जहाज में गंगा का पानी ले जाते थे, क्योंकि वह सड़ता नहीं था। इसके विपरीत अंग्रेज जो पानी अपने देश से लाते थे ...
देखिये ! आत्महत्या करते देश के भविष्य को

देखिये ! आत्महत्या करते देश के भविष्य को

TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
निश्चित ही यह आंकड़े ह्रदय विदारक है | भारत में दुर्घटनावश एवं आत्महत्या में करने वाले लोगों की राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो रिपोर्ट-2021सामने है | यूँ तो यह रिपोर्ट इस साल अगस्त में जारी हुई है। जो यह दर्शाती है कि पिछले साल देश भर में 13000 से अधिक छात्रों ने जान दी है। वास्तव में, 2016-2021 के दौरान छात्र-आत्महत्या के मामलों में 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 1832 मौतों के साथ महाराष्ट्र सूची में सबसे ऊपर है, इसके बाद मध्य प्रदेश (1,308) तमिलनाडु (1246) आते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच सालों में छात्र आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।अफ़सोस सरकारें दुःख व्यक्त करने से अधिक कुछ भी नहीं कर रहीं हैं | हाल ही में राजस्थान के कोटा में दाखिला परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन किशोर छात्रों द्वारा की गई आत्महत्या ने पूरे देश को सकते में डाल दिया। उनमें दो, अंकुश और उज्ज्वल बिहार से थे और...
कोरोना की नई लहर से कितना डर?

कोरोना की नई लहर से कितना डर?

TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
*विनीत नारायणपिछले कुछ दिनों से चीन में कोरोना की नई लहर को लेकर काफ़ी भयावह दृश्य सामने आए हैं। कोरोना के नये वेरिअंट नेचीन में अपना आतंक दिखाना शुरू कर दिया है। चीन के अलावा कई और देशों में भी इस नये वेरिअंट के मरीज़ पाए गए हैं।दुनिया भर में डर का माहौल बना हुआ है। भारत समेत कई देशों ने कोरोना के इस नये जिन्न से निपटने के लिए सभीसावधानियाँ बरतनी शुरू कर दी हैं। भारत के सभी राज्यों के मुख्य मंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जनता से सावधान रहनेकी अपील कर रहे हैं। सबके मन में प्रश्न है कि हमें इस नए वेरिअंट से कितना डरना चाहिए?सोशल मीडिया पर चीन में आई कोरोना की नई लहर से ऐसे आँकड़े सुनने को मिल रहे हैं कि इस लहर में दस लाख सेअधिक लोगों की मौत हो सकती है। चीन की 60 प्रतिशत आबादी इसकी चपेट में आ जाएगी। ये भी कि दुनिया भर की 10प्रतिशत आबादी इस नई लहर का शिकार हो जाएगी। ये सब दावे कितने सच्...