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Author: Dialogue India

23 दिसम्बर 1926 सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी स्वामी श्रृद्धानंद का बलिदान 

23 दिसम्बर 1926 सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी स्वामी श्रृद्धानंद का बलिदान 

TOP STORIES
देश भर में घर वापसी अभियान चलाया था --रमेश शर्मा  आर्यसमाज के प्रखर वेदज्ञ वक्ता, उच्चकोटि के अधिवक्ता, ओजस्वी वक्ता, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और क्राँतिकारियों की एक पूरी पीढ़ी तैयार करने वाले स्वामी श्रृद्धानंद की हत्या केवल एक धर्मान्ध कट्टरपंथी द्वारा की गई हत्या भर नहीं थी बल्कि वह एक ऐसे षड्यंत्र का अंग था जो भारत में हिन्दु मुस्लिम एकता और धर्मान्तरण के लिये विवश किये गये हिन्दुओं की घर वापसी अभियान को रोकने का था ।  उनका पूरा जीवन भारत राष्ट्र के स्वत्व और स्वाभिमान की प्रतिष्ठापना के लिये समर्पित रहा ।  उनकी हिन्दू मुस्लिम एकता केवल नारों केलिए नहीं थी बल्कि उस सिद्धांत पर आधारित थी कि भारतवर्ष के समस्त मुसलमान धर्मान्तरित हैं और सबके पूर्वज एक हैं। उनके तर्क कितने अकाट्य और संपर्क कितने व्यापक थे इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने दिल...
सरपंचपति खत्म कर रहे महिलाओं की राजनीति

सरपंचपति खत्म कर रहे महिलाओं की राजनीति

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, समाचार
सरपंच पति प्रथा ने महिलाओ को पहले जहा थी वही लाकर खड़ा कर दी है। इसके लिये सरकार को सरपंच पति चलन को एक प्रभावी कानून के माध्यम से नियंत्रित करना चाहिये। शासन के मामले में क्षमता निर्माण पर आगे अतिरिक्त काम की आवश्यकता है। महिलाओ के अधिकार के बारे में समाज में जागरूकता बढाने और  पंचायत स्तर पर महिलाओ की भागीदारी के महत्व के बारे में नौकर शाही को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है।  महिलाओं को राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में पुरुषों के समान अधिकार होने चाहिए। भले ही संविधान महिलाओं को सभी क्षेत्रों में समान अधिकार की गारंटी देता है, सामाजिक-सांस्कृतिक कारकों को समानता के आधुनिक लोकाचार के अनुकूल बनाने की आवश्यकता है। शासन के संस्थानों जैसे अदालतों, पुलिस, प्रशासनिक निकायों आदि को लैंगिक समानता पर ध्यान देना चाहिए। -प्रियंका सौरभ भारत में, लोकसभा में महिलाओं का अनुपा...
अध्यापकों को भी मिले ग्रेच्युटी की रक़म

अध्यापकों को भी मिले ग्रेच्युटी की रक़म

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
रजनीश कपूरकिसी भी कंपनी या प्रतिष्ठान में लंबे समय तक काम करने वाले व्यक्ति को सेवानिवृत होने पर पेंशन, प्रोविडेंट फंड के अलावाग्रेच्युटी की रक़म भी मिलती है। ग्रेच्‍युटी किसी कर्मचारी को कंपनी की ओर से मिलने वाला इनाम होता है। अगर कर्मचारीनौकरी की कुछ शर्तों को पूरा करता है तो ग्रेच्‍युटी का भुगतान एक निर्धारित फॉर्मूले के तहत निश्चित तौर पर दिया जाताहै। अगस्त 2022 तक सभी निजी स्कूल के अध्यापकों को इस सुविधा का लाभ नहीं मिलता था। हाल ही में देश के सर्वोच्चन्यायालय ने कई सालों से लंबित पड़े इस मामले में निजी स्कूल के अध्यापकों के हित में एक अहम फ़ैसला दिया है। जोअध्यापकों के पक्ष में है।याचिकाकर्ता ने अदालत से स्पष्ट करने की अपील की थी कि ‘पेमेंट ऑफ़ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972’ की धारा 2 के तहत निजीस्कूल के अध्यापकों को कर्मचारी माना जाए या नहीं? 29 अगस्त 2022 को सर्वोच्च न्यायालय की एक खण्डपी...
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री की चिट्ठी के क्या हैं मायने? क्या देश में फिर लगने वाली हैं बड़ी पाबंदियां?

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री की चिट्ठी के क्या हैं मायने? क्या देश में फिर लगने वाली हैं बड़ी पाबंदियां?

BREAKING NEWS, राष्ट्रीय
आशीष तिवारी Corona Update: कोविड कंट्रोल करने वाली कमेटी से जुड़े एक वरिष्ठ सदस्य कहते हैं कि ऐसी किसी भी चिट्ठी को आज के हालात के मद्देनजर राजनीति से नहीं देखना चाहिए। उनका कहना है कि चूंकि यह चिट्ठी कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के लिए लिखी गई है, तो उसका राजनीतिकरण होना स्वाभाविक है। (Corona Update) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया (Mansukh Mandaviya) ने राहुल गांधी को लिखी चिट्ठी में भारत जोड़ो यात्रा को स्थगित करने की अपील की है। इस यात्रा को स्थगित करने के पीछे की सबसे बड़ी वजह मनसुख मंडाविया ने कोविड के हालातों में पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की बात कही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की इस चिट्ठी के बाद चर्चा इस बात की हो रही है कि क्या केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के पास इस बात के इनपुट पहुंच चुके हैं कि आने वाले दिनों में एक बार फिर से कोविड के हालात भयावह हो सकते हैं। हाला...
भारतीय नौसेना को पांचवीं स्कॉर्पीन पनडुब्बी ‘वागीर’ की डिलीवरी

भारतीय नौसेना को पांचवीं स्कॉर्पीन पनडुब्बी ‘वागीर’ की डिलीवरी

BREAKING NEWS, TOP STORIES, समाचार
प्रोजेक्ट -75 कलवरी क्लास सबमरीन की पांचवीं पनडुब्बी यार्ड 11879 आज दिनांक 20 दिसंबर 2022 को भारतीय नौसेना को सौंपी गई । प्रोजेक्ट- 75 में स्कॉर्पीन डिजाइन की छह पनडुब्बियों का स्वदेशी निर्माण शामिल है । इन पनडुब्बियों का निर्माण मैसर्स नेवल ग्रुप, फ्रांस के सहयोग से मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) मुंबई में किया जा रहा है । दिनांक 12 नवंबर 2020 को लॉन्च की गई, वागीर ने दिनांक 01 फरवरी 2022 से समुद्री परीक्षण शुरू किया और यह बहुत गर्व की बात है कि इस पनडुब्बी ने पहले की पनडुब्बियों की तुलना में कम से कम समय में हथियार और सेंसर परीक्षणों सहित सभी प्रमुख परीक्षणों को पूरा किया है । पनडुब्बी निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है क्योंकि कठिनाई तब बढ़ जाती है...
इन राष्ट्रवादी ईसाइयों पर है भारत को नाज

इन राष्ट्रवादी ईसाइयों पर है भारत को नाज

TOP STORIES, सामाजिक
आर.के. सिन्हा क्रिसमस को आने में अब गिनती के दिन शेष हैं। गिरिजाघरों से लेकर सभी ईसाई परिवारों के घर सजने लगे हैं। इस तरह से यह कहा जा सकता है कि मान्यता है कि भारत में ईसाई धर्म की शुरुआत सबसे पहले केरल से हुई थी। माना जाता है कि ईसा मसीह के 12 प्रमुख शिष्यों में से एक सेंट थॉमस केरल में आए थे। भारत आने के बाद सेंट थॉमस ने 7 चर्च बनावाए। बहरहाल, यह क्रिसमस एक इस तरह का अनुपम अवसर है, जब हम जीवन के अलग-अलग भागों में भारत में उत्कृष्ट कार्य करने वाले राष्ट्रवादी ईसाइयों की बात करें। इस लिहाज से पहला नाम डॉ. टेसी थॉमस का जेहन में आता है। उन्हें भारत में मिसाइल वुमन के नाम से जाता है। वह अग्नि मिसाइल प्रोग्राम की अहम जिम्मेदारी संभालने वालीं देश की पहली महिला साइंटिस्ट हैं। अभी वह रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ( डीआरडीओ) में महानिदेशक एयरोनॉटिकल प्रणाली हैं। टेसी मिसाइल के क्षे...
कब कोई बनता है मेसी या एम्बाप्पे

कब कोई बनता है मेसी या एम्बाप्पे

TOP STORIES
आर.के. सिन्हा खेल का मैदान किस तरह से देश की सीमाओं से लेकर वर्गभेद मिटा देता है, यह सारी दुनिया ने बीते रविवार को देखा है । फीफा कप के फाइनल को देखने का भारत से लेकर दुनिया के कोने-कोने में रहने वाले खेल प्रेमी इंतजार कर रहे थे। जाहिर है कि जो फाइनल मैच को देख रहे थे, उनमें से अधिकतर का संबंध न तो फ्रांस से था और न ही अर्जेंटीना से। पर इन दोनों देशों के खिलाड़ियों ने अपने श्रेष्ठ खेल और खेल भावना से सबका दिल जीता। ये सबके हो गए और सब इनके हो गए। यही तो खेल की सच्ची भावना है। फ्रांस और अर्जेंटीना के खिलाड़ियों को देखकर लगा ही नहीं कि ये हमारे नहीं हैं। इसमें हम भी अपने खेल के नायकों जैसे सचिन तेंदुलकर, नीरज चोपड़ा या लिएंडर पेस को ही देख रहे थे। खेल देशों-दुनिया को जोड़ता है, एक सूत्र में पिरोता है। हमने कब मोहम्मद अली, पेले, माराडोना, लारा, रो...
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा, बन गई भारत तोड़ो यात्रा

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा, बन गई भारत तोड़ो यात्रा

राज्य, विश्लेषण
कांग्रेस कर रही है हिंदी, हिंदू व सनातन संस्कृति का अपमान मृत्युंजय दीक्षित कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पुनर्स्थापना की महत्वाकांक्षी योजना, “भारत जोड़ो यात्रा” ने अब सौ दिन से अधिक दिन पूरे कर लिए हैं लेकिन यात्रा के दौरान हुयी गतिविधियों और राहुल गांधी के बयानों ने इसे “भारत तोड़ो यात्रा बना दिया है। राहुल गांधी कह रहे हैं कि नफरत के इस बाजार में वह मोहब्बत का पैगाम लेकर चल रहे हैं जबकि वास्तविकता कुछ और ही है। यात्रा का अब तक का पूरा समय या तो ऐसे लोगों से मिलने में बीता है जो भारत और हिन्दू विरोधी रहे हैं या फिर भारत के प्रधानमंत्री को अपशब्द कहते किन्तु विगत कुछ दिनों में तो राहुल गांधी व उनके पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने  सभी मर्यादाओें को ताक पर रख कर विषवमन प्रारंभ  कर दिया है। चीनियों ने अरुणाचल के तवांग में शरारत करने की हिमाकत की जिनको हमारे व...
राहुल गांधी की अंग्रेजी-भक्ति ?

राहुल गांधी की अंग्रेजी-भक्ति ?

TOP STORIES, राष्ट्रीय
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* राजस्थान में राहुल गांधी ने अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई की जमकर वकालत कर दी। राहुल ने कहा कि भाजपा अंग्रेजी की पढ़ाई का इसलिए विरोध करती है कि वह देश के गरीबों, किसानों, मजदूरों और ग्रामीणों के बच्चों का भला नहीं चाहती है। भाजपा के नेता अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में क्यों पढ़ाते हैं? राहुल ने जो आरोप भाजपा के नेताओं पर लगाया, वह ज्यादातर सही ही है लेकिन राहुल जरा खुद बताए कि वह खुद और उसकी बहन क्या हिंदी माध्यम की पाठशाला में पढ़े हैं? देश के सारे नेता या भद्रलोक के लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में इसीलिए भेजते हैं कि भारत दिमागी तौर पर अभी भी गुलाम है। उसकी सभी ऊँची नौकरियां अंग्रेजी माध्यम से मिलती हैं। उसके कानून अंग्रेजी में बनते हैं। उसकी सरकारें और अदालतें अंग्रेजी में चलती हैं। भाजपा ने अपनी नई शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्...
अनुपम साहित्य को खंगालने का वक्त  

अनुपम साहित्य को खंगालने का वक्त  

साहित्य संवाद
लेखक: अरुण तिवारी जब देह थी, तब अनुपम नहीं; अब देह नहीं, पर अनुपम हैं। आप इसे मेरा निकटदृष्टि दोष कहें या दूरदृष्टि दोष; जब तक अनुपम जी की देह थी, तब तक मैं उनमें अन्य कुछ अनुपम न देख सका, सिवाय नये मुहावरे गढ़ने वाली उनकी शब्दावली, गूढ से गूढ़ विषय को कहानी की तरह पेश करने की उनकी महारत और चीजों को सहेजकर सुरुचिपूर्ण ढंग से रखने की उनकी कला के। डाक के लिफाफों से निकाली बेकार गांधी टिकटों को एक साथ चिपकाकर कलाकृति का आकार देने की उनकी कला ने उनके जीते-जी ही मुझसे आकर्षित किया। दूसरों को असहज बना दे, ऐसे अति विनम्र अनुपम व्यवहार को भी मैने उनकी देह में ही देखा। कुर्सियां खाली हों तो भी गांधी शांति प्रतिष्ठान के अपने कार्यक्रमों में हाथ बांधे एक कोने खडे़ रहना; कुर्सी पर बैठे हों, तो आगन्तुक को देखते ही कुर्सी खाली कर देना। किसी के साथ खडे़-खड़े ही लंबी बात कर लेना और फुर्सत में हों त...