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Author: Dialogue India

यह गांधीवाद नहीं, गोड़सेवाद है

यह गांधीवाद नहीं, गोड़सेवाद है

TOP STORIES, विश्लेषण
डॉ. वेदप्रताप वैदिक मध्यप्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष राज पटेरिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘हत्या’ करने की बात कह दी और अब वे सफाई देते फिर रहे हैं कि उनका हत्या से मतलब था- मोदी को हराना। वे अपने बचाव में कह रहे हैं कि वे गांधीभक्त और लोहियाभक्त हैं। उनके इस निरंकुश बयान ने उन्हें गिरफ्तार तो करवा ही दिया है, नरेंद्र मोदी के प्रति लोगों के सदभाव को भी मजबूत बना दिया है। यदि आज गांधी और लोहिया जिंदा होते तो वे अपना माथा कूट लेते। न सिर्फ भाजपा के नेता पटेरिया की भर्त्सना कर रहे हैं, बल्कि कई कांग्रेसी नेता भी उनकी इस गिरावट की भर्त्सना कर चुके हैं। वे म.प्र. के वरिष्ठ नेता हैं, विधायक और मंत्री भी रह चुके हैं। उनके इस बयान से मोदी के लिए शुभकामनाओं की बयार बहने लगी है और कांग्रेस को गहरा नुकसान हो रहा है। क्या पटेरिया को याद नहीं है कि सोनिया गांधी के जन्मदिन पर मोदी ने उन्हें दी...
सोशल मीडिया पर खबरों के दौर में अखबारों पर भरोसा

सोशल मीडिया पर खबरों के दौर में अखबारों पर भरोसा

BREAKING NEWS, TOP STORIES, समाचार
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* जहां तक राष्ट्रीय मीडिया की लोकप्रियता का सवाल है, यह कहना कठिन है कि उसके प्रति आम लोगों का प्रेम या आदर बढ़ा है लेकिन उसके दर्शकों और पाठकों की संख्या तो काफी बढ़ी ही है। जब आज से लगभग 45 साल पहले मैं नवभारत टाइम्स में काम करता था तो देश के इस सबसे बड़े अखबार की 4—5 लाख प्रतियां छपती थीं लेकिन अब तो हिंदी और अन्य भाषाओं के कई अखबारों की प्रसार—संख्या कई—कई लाखों में हैं और उनके पाठकों की संख्या करोड़ों में है। पहले किसी अखबार के दो—तीन संस्करण निकलते थे तो उन्हें बड़ा अखबार माना जाता था लेकिन अब कुछ अखबार ऐसे हैं, जिनके दर्जनों संस्करण छपते हैं।  यही स्थिति टीवी चैनलों की है। शुरू-शुरू में चार-पांच न्यूज़ चैनल ही दिखाई पड़ते थे, लेकिन आज विभिन्न भाषाओं में देश में सैकड़ों चैनल कार्यरत हैं। अब उनके दर्शकों की संख्या भी लाखों नहीं, करोड़ों में है। कई सर्वे...
तवांग पर खाली-पीली शोर

तवांग पर खाली-पीली शोर

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* समझ में नहीं आता कि तवांग क्षेत्र में हुई भारतीय और चीनी फौजियों की मुठभेड़ पर विपक्ष ने संसद में इतना हंगामा क्यों खड़ा कर दिया। यदि चीनी सैनिक हमारी सीमा में घुस जाते और हमारी जमीन पर कब्जा कर लेते तो यह हमारी चिंता का विषय जरुर होता लेकिन यदि इसमें भी सरकार की लापरवाही या कमजोरी होती तो विपक्ष का हंगामा जायज होता। 9 दिसंबर को घटी इस घटना की खबर ने एक सप्ताह बाद तूल पकड़ा है, यह तथ्य ही यह बताता है कि इसे लेकर संसद की कार्रवाई का बहिष्कार करना ज़रा ज्यादा चतुराई दिखाना है। इन दिनों सरकार को लताड़ने के लिए कांग्रेस और विपक्ष के पास कोई खास मुद्दे नहीं हैं। इसीलिए तवांग के मामले को तूल दिया जा रहा है। विपक्ष का काम सरकार को निरंतर पिन चुभाते रहना है, इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन उसे यह भी सोचना चाहिए कि चीन से पिटने की मनमानी व्याख्या का प्रचार करने से हमारे सैनि...
भ्रष्टाचारियों से कैसे निपटें?

भ्रष्टाचारियों से कैसे निपटें?

EXCLUSIVE NEWS, घोटाला
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* सर्वोच्च न्यायालय ने रिश्वतखोर सरकारी नौकरों के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है। अब उनका अपराध सिद्ध करने के लिए ऐसे प्रमाणों की जरूरत नहीं होगी कि रिश्वत देनेवाला और लेनेवाला खुद स्वीकार करे कि मैंने रिश्वत दी है और मैंने रिश्वत ली है। यदि वे खुद स्वीकार न करें या अपने कथन से पलट जाएं या उनमें से कोई मर जाए तो भी अदालत को न्याय जरूर करना होगा। अदालतों को चाहिए कि वे दूसरे प्रमाणों की खोज भी करें। जैसे गवाहों से पूछें, बैंक के खाते तलाशें, रिश्वतखोरों की चल अचल-संपत्तियों का ब्यौरा इकट्ठा करवाएं, उनके परिवारों के रहन-सहन और खर्चों का कच्चा चिट्ठा तैयार करवाएं, सरकारी कागजातों को खंगलवाएं आदि कई प्रमाणों के आधार पर रिश्वत के लेन-देन को पकड़ा जा सकता है। अब तक रिश्वत के कई मामले रास्ते में ही बिखर जाते रहे हैं, लेकिन रिश्वत विरोधी कानून की इस नई व्याख्या के कारण अब ज्या...
शादी में जात व धर्म का बंधन क्यों?

शादी में जात व धर्म का बंधन क्यों?

सामाजिक
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* महाराष्ट्र सरकार ने एक 13 सदस्यीय आयोग बना दिया है, जिसका काम यह देखना है कि देश में जितनी भी अंतरजातीय और अन्तर्धामिक शादियां होती हैं, उन पर कड़ी निगरानी रखी जाए। यदि उनके रिश्तेदारों या पति-पत्नी के बीच हिंसा या अनबन की शिकायतें आएं तो उन पर ध्यान दिया जाए। इस आयोग की अध्यक्षता भाजपा के महिला और बालविकास मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा करेंगे। इस आयोग का उद्देश्य यह बताया जा रहा है कि इस तरह की शादियों पर कड़ी निगरानी रखकर यह आयोग उनके विवादों को सुलझाने की कोशिश करेगा और औरतों के अधिकारों की रक्षा करेगा। यह आयोग उक्त प्रकार की शादियों की सारी जानकारियां और आंकड़े भी इकट्ठे करेगा। इस अपने ढंग के आयोग की स्थापना देश में पहली बार महाराष्ट्र सरकार ने की है, जो भाजपा और शिवसेना (नई) के गठबंधन से बनी है। इन दोनों पार्टियों ने लव-जिहाद के खिलाफ जिहाद छेड़ रखा है। वास्तव में ...
अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की क्षमता कैसे हो साकार

अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की क्षमता कैसे हो साकार

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
भारत में अंतरिक्ष के लिये निजी क्षेत्र की भूमिका को सीमित रखा गया है। सिर्फ कम महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिये ही निजी क्षेत्र की सेवाएँ ली जाती रहीं हैं। उपकरणों को बनाना और जोड़ना तथा परीक्षण  जैसे महत्त्वपूर्ण कार्य अभी भी इसरो ही करता है।   यह ध्यान देने योग्य है कि विश्व का सबसे बड़ा अंतरिक्ष क्षेत्र का संस्थान नासा भी निजी क्षेत्र की सहायता लेता रहा है। मौजूदा समय में भारत में नवीन अंतरिक्ष से संबंधित 20 से अधिक स्टार्ट-अप मौज़ूद हैं। इन उद्यमों का दृष्टिकोण पारंपरिक विक्रेता/आपूर्तिकर्त्ता मॉडल से भिन्न है। ये स्टार्ट-अप सीधे व्यापार से जुड़कर या सीधे उपभोक्ता से जुड़कर व्यापार की संभावनाएँ तलाश रहे हैं। -डॉ सत्यवान सौरभ सभ्यता की शुरुआत से ही मानव अंतरिक्ष की रोमांचक कल्पनाएँ करता रहा है। इन रोमांचक कल्पनाओं में अंतरिक्ष कभी अध्यात्म का विषय बना तो कभी कविताओं और दंत-कथाओं का। ...
शिवलिंग’ क्या हैं..?

शिवलिंग’ क्या हैं..?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, धर्म
प्रशांत पोळ  इस वर्ष मई में जब काशी के ज्ञानव्यापी मस्जिद मे सर्वे हुआ तो वहा शिवलिंग पाया गया. इस समाचार पर देश में जहां अधिकांश स्थानों पर आनंदोत्सव हुआ, तो कुछ ऐसे भी थे जिन्होने शिवलिंग को लेकर भद्दे कॉमेंट किए. मजाक उडाया. भगवान के लिंग को पूजने वाले हिंदूओंको जंगली और दकियानुसी कहा. असदुद्दिन ओवेसी की पार्टी AIMIM  के प्रवक्ता दानिश कुरैशी ने अत्यंत आपत्ती जनक और बिभत्स पोस्ट लिखी जिसके कारण उन्हे गिरफ्तार भी होना पडा. इन सब विवादों के बीच में मैं सोच रहा था, ‘प्रगत हिंदु समाज किसी देवता के लिंग की पूजा कैसे कर सकता है? हमारा धर्म तो प्राचीन काल से वैज्ञानिक मान्यताओं पर कसा गया है. यहां पर तो प्रत्येक कृति के पीछे कार्य कारण भाव है. विज्ञान है. तर्क है. फिर लिंग की पूजा क्यों?’  यह भी कहा जाता है कि शिवलिंग जिस पर रखा जाता है वह देवी पार्वती की योनी है. शिवलिंग ...
आखिर सीमा पर चीन के नवीनतम दुराचार का कारण क्या

आखिर सीमा पर चीन के नवीनतम दुराचार का कारण क्या

EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय
बलबीर पुंज सीमा पर कुटिल चीन के हालिया दुस्साहस का कारण क्या है? डोकलाम (2017) और गलवान (2020-21) प्रकरण के बाद अरुणाचल प्रदेश के तवांग स्थित 17,000 फीट ऊंची यांग्त्से चोटी पर 9 दिसंबर को चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) सैनिकों ने भारतीय चौकी को हटाने के लिए जबरन भीतर घुसने का प्रयास क्यों किया? 13 दिसंबर को संसद में दिए वक्तव्य में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बताया, "चीन ने यांगत्से क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति को 'एकतरफा' ढंग से बदलने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने 'दृढ़ता से' कार्रवाई कर उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।" 15-16 जून 2020 की हिंसक गलवान झड़प के बाद भारतीय सेना पहले से अधिक चौकस और प्रतिकार हेतु तत्पर है। तवांग घटनाक्रम इसका प्रमाण है, जिसमें बकौल मीडिया रिपोर्ट, भारतीय जवानों ने न केवल चीनी सैनिकों की घुसपैठ को विफल किया, अपितु अपने बाह...
आदिवासी का भाजपा से जुड़ना है नई राजनीतिक दिशा

आदिवासी का भाजपा से जुड़ना है नई राजनीतिक दिशा

BREAKING NEWS, EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES
ललित गर्ग इनदिनों गुजरात में विधानसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक जीत को लेकर चर्चा एवं समीक्षा का बाजार गर्माया हुआ है। इस ऐतिहासिक जीत में आदिवासी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आदिवासी समुदाय को कांग्रेस का मजबूत वोट बैंक माना जाता रहा था, उसमें भाजपा सेंध लगाने में सफल हुई है तो इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आदिवासी क्षेत्रों में हुई चुनावी-सभाएं एवं भाजपा की चुनावी रणनीति कारगर मानी जायेगी। भाजपा ने आदिवासी इलाके की 27 सीटों में से 23 सीटें कर कांग्रेस के इस गढ़ को ध्वस्त कर दिया हैं। जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आदिवासी इलाके की 17 सीटें जीती थी। इस बार वह उनमें ने 3 ही बरकरार रख पाई। यह आदिवासी समुदाय का भाजपा से जुड़ने का स्पष्ट संकेत भविष्य की राजनीति को नयी दिशा एवं दृष्टि देता रहेगा।गुजरात में आदिवासी मतदाता की भूमिका महत्वपूर्ण हो...
ऋषि राजपोपट और पाणिनि

ऋषि राजपोपट और पाणिनि

BREAKING NEWS, TOP STORIES, संस्कृति और अध्यात्म
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर चुके 27 वर्षीय ऋषि राजपोपट द्वारा पाणिनि कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर चुके 27 वर्षीय ऋषि राजपोपट द्वारा पाणिनि व्याकरण की सदियों से उलझी गुत्थी सुलझाने की खबर आपको भी मिली होगी। ऋषि ने बहुत सुन्दर बात कही है कि समाधान सदियों से विद्वानों की नजर के सामने था लेकिन उनके अक्ल से परे था। उनके द्वारा प्रस्तुत समाधान पढ़कर ऐसा ही लगा कि इतनी जरा सी बात विद्वान सदियों से नहीं समझ पा रहे थे!  भाषा के क्षेत्र में पूरी दुनिया में पाणिनि की प्रतिभा अतुलनीय हैं। भारतीयों के लिए राहत की बात इतनी ही है कि एक भारतीय ने ही यह गुत्थी सुलझायी है। गुत्थी यह थी कि पाणिनि व्याकरण के अनुसार जब संस्कृत में दो शब्दों को मिलाकर कोई नया शब्द बनाया जाता है तो दोनों शब्दों पर दो अलग-अलग नियम लागू हो सकते हैं और दोनों नियमों से दो अलग-अलग शब्द बनेंगे। समस्या यह थी कि जब...