Shadow

Author: Dialogue India

Researchers find novel way to target Triple-Negative Breast Cancer

Researchers find novel way to target Triple-Negative Breast Cancer

BREAKING NEWS, EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES
If we think of cancer cells as a house, the receptors are the locks of the house’s front door. Triple-Negative Breast Cancer (TNBC) is more challenging to handle as it does not express commonly found breast cancer receptors, e.g., Estrogen (ER) and Progesterone (PR). This leaves doctors with less options to destroy the cancer cells. A team of researchers led by Dr Dipak Dutta, Principal Scientist at the Cancer Biology division of CSIR-Central Drug Research Institute (CDRI), Lucknow, has come up with a new and striking mechanism for EZH2-histone trimethylation-mediated gene upregulation instead of its classical suppressive function. Apart from Dr Dutta, the CDRI researchers team comprised Ayushi Verma, Akhilesh Singh, Manish Pratap Singh, Mushtaq Ahmad Nengroo, Krishan Kumar Saini, ...
क्या न्याय पंचायतें कम कर सकती हैं राष्ट्रपति महोदया की वेदना ?

क्या न्याय पंचायतें कम कर सकती हैं राष्ट्रपति महोदया की वेदना ?

BREAKING NEWS, EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
अरुण तिवारी हज़ारों भारतीय ग़रीब सिर्फ इसलिए जेलों में जीवन गुजारने को विवश हैं, क्योंकि वे न संविधान की मूल भावना से परिचित हैं और न ही अपने संवैधानिक अधिकार व कर्तव्यों से। वे इतने ग़रीब हैं कि जमानत कराने में उनके परिजनों के घर के बर्तन बिक जायेंगे। जुर्म मामूली..किसी से तू तू-मैं मैं या किसी से हाथापाई; किन्तु मात्र ग़रीबी और अज्ञानता के कारण जाने कितने बिना जमानत जेल में ज़िदगी गंवा रहे हैं। कोई पांच साल, कोई दस तो कोई 20 साल से जेलों में पडे़ हैं। बीते संविधान दिवस पर हमारी महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की यह वेदना प्रकट की। उन्होने सभा में उपस्थित न्यायधीशों और क़ानून मंत्री से यह अपेक्षा की कि वे ऐसे दरिद्रनारायणों को समय से और सस्ते में न्याय दिलाने के लिए कुछ करेंगे।  राष्ट्रपति जी के संविधान दिवस सम्बोधन का लिंक - https://youtu.be/wemmEEpsb1s ) क्...
यहां तो स्त्री कंधा से कंधा मिला कर चलती मिलती है

यहां तो स्त्री कंधा से कंधा मिला कर चलती मिलती है

सामाजिक, साहित्य संवाद
दयानंद पांडेय  एक बार गोरखपुर यूनिवर्सिटी में वायवा लेने आए आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी। वाइबा में एक लड़की से उन्हों ने करुण रस के बारे में पूछ लिया। लड़की छूटते ही जवाब देने के बजाय रो पड़ी। बाद में जब वायवा की मार्कशीट बनी तब आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने उस रो पड़ने वाली लड़की को सर्वाधिक नंबर दिया। लोगों ने पूछा कि, ' यह क्या? इस लड़की ने तो कुछ बताया भी नहीं था। तब भी आप उसे सब से अधिक नंबर दे रहे हैं? ' हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कहा, 'अरे सब कुछ तो उस ने बता दिया था।  करुण रस के बारे में मैं ने पूछा था और उस ने सहज ही करुणा उपस्थित कर दिया। और अब क्या चाहिए था? ' लोग चुप हो गए थे। सच यही है कि करुणा न हो तो साहित्य न हो । आह से उपजा होगा गान !  सुमित्रा नंदन पंत ने ठीक ही लिखा है । करुणा और स्त्री की संवेदनात्मक बुनावट अदभुत  है । बाल्मीकि कवि बने ही थे करुणा...
अवैध मतांतरण

अवैध मतांतरण

राष्ट्रीय, समाचार, सामाजिक
ह्रदय नारायण दीक्षित अवैध मतांतरण राष्ट्रीय चुनौती है। ईसाई इस्लामी समूह काफी लम्बे समय से अवैध मतांतरण में संलग्न हैं। वे सारी दुनिया को अपने पंथ मजहब में मतांतरित करने के लिए तमाम अवैध साधनों का इस्तमाल कर रहे हैं। अपनी आस्था विवेक और अनुभूति में जीना प्रत्येक मनुष्य का अधिकार है। लेकिन यहाँ अवैध मतांतरण के लिए छल बल भय और प्रलोभन सहित अनेक नाजायज तरीके अपनाए जा रहे हैं। यह मानवता के विरुद्ध असाधारण अपराध है। और राष्ट्रीय अस्मिता के विरुद्ध युद्ध भी है। मतांतरण से व्यक्ति अपना मूल धर्म ही नहीं छोड़ता, उसकी देव आस्थाएं बदल जाती हैं। पूर्वज बदल जाते हैं। वह अपनी संस्कृति के प्रति स्वाभिमानी नहीं रह जाता। वह नए पंथ मजहब के प्रभाव में अपने पूर्वजों पर भी गर्व नहीं करता। उसकी भूसांस्कृतिक निष्ठा बदल जाती है। भूसांस्कृतिक निष्ठा ही भारतीय राष्ट्र का मूल तत्व है। इसलिए मतांतरण राष्ट्रांतरण ...
जीव-जंतुओं की आहे एवं क्रंदन को सुनना होगा

जीव-जंतुओं की आहे एवं क्रंदन को सुनना होगा

विश्लेषण, सामाजिक
- ललित गर्ग -उत्तर प्रदेश के बदायूं में चूहे को मारने के आरोप में एक युवक के खिलाफ मामला दर्ज होने की घटना मानव-समाज में साधारण होकर भी चौका रही है, चौका इसलिये रही है कि यह मनुष्य की संवेदनहीनता, बर्बरता एवं क्रूरता की मानसिकता को दर्शाती है। बेजुबानों के साथ निर्दयता का सिलसिला खत्म नहीं होना चिन्ताजनक है। ऐसी घटनाएं बार-बार होती है, कभी एक गाय को खाने के समान में विस्फोटक पदार्थ एवं एक हथिनी को कुछ लोगों ने मनोरंजन के चलते बारुद से भरे अनानास खिलाना हो, एक चीते को पीट-पीट कर मार देना। हाल ही में दिल्ली में एक गर्भवती कुतिया को एक कालेज के कुछ कर्मचारियों और छात्रों ने मिल कर बेहद बर्बरता से पीट-पीट कर मार डाला-ये घटनाएं क्रूरता की पराकाष्ठा है, जो मनुष्यता को शर्मसार करती है। बदायूं का यह ताजा मामला चूंकि अब कानून के कठघरे में है, इसलिए अब इसका फैसला कानूनी प्रक्रिया के तहत किया जाएगा।...
भारतीय अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण को गति देने में भारतीय नागरिकों के कर्तव्य

भारतीय अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण को गति देने में भारतीय नागरिकों के कर्तव्य

आर्थिक
अभी हाल ही में अमेरिका के निवेश के सम्बंध में सलाह देने वाले एक प्रतिष्ठित संस्थान मोर्गन स्टैनली ने अपने एक अनुसंधान प्रतिवेदन में यह बताया है कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास की दृष्टि से अगला दशक भारत का होने जा रहा है। इस सम्बंध में उक्त प्रतिवेदन में कई कारण गिनाए गए हैं। जैसे, भारत में वर्तमान में 50 लाख परिवारों की आय 35000 अमेरिकी डॉलर से अधिक है। आगे आने वाले 10 वर्षों में यह संख्या 5 गुना बढ़कर 250 लाख परिवार होने जा रही है। इससे भारत में विभिन्न वस्तुओं का उपभोग द्रुत गति से बढ़ने जा रहा है। वर्तमान में भारत में प्रति व्यक्ति आय 2278 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष है जो 10 वर्षों के दौरान दुगनी से भी अधिक होकर 5242 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष हो जाएगी।    वर्तमान के सेवा क्षेत्र के निर्यात में वैश्विक स्तर पर भारत की हिस्सेदारी 3.7 प्रतिशत से बढ़कर 4.2 प्रतिशत पर पहुंच गई ...
दुुनिया के प्रसन्न समाजों में हम क्यों पिछड़ रहे हैं?

दुुनिया के प्रसन्न समाजों में हम क्यों पिछड़ रहे हैं?

सामाजिक
-ललित गर्ग- संयुक्त राष्ट्र की ने वर्ष 2022 की पहली तिमाही में सालाना वर्ल्ड हैपीनेस रिपोर्ट जारी की है। 149 देशों की सूची में भारत का स्थान खुशी और प्रसन्नता के मामले में 136वां है, जो  हैरानी का बड़ा कारण है। इस सूची में फिनलैंड लगातार पांचवीं बार अव्वल रहा है। डेनमार्क, आइसलैंड, स्विटजरलैंड और नीदरलैंड ने शीर्ष पंाच में अपना स्थान बनाया है। हम प्रसन्न समाजों की सूची में क्यों नहीं अव्वल आ पा रहे हैं। गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश के चुनाव की सरगर्मियों एवं शोरशराबे के बीच इस रिपोर्ट का आना जहां सत्ता के शीर्ष नेतृत्व को आत्ममंथन करने का अवसर दे रहा है, वहीं नीति-निर्माताओं को भी सोचना होगा कि कहां समाज निर्माण में त्रुटि हो रही है कि हम लगातार खुशहाल देशों की सूची में नीचे खिसक रहे हैं। क्या खुशियों को स्थापित करना सरकार की प्राथमिकता नहीं होनी चाहिए? हमारी खुशी कैसी है, इसको मापना ...
पोषण का पावरहाउस” बाजरा 

पोषण का पावरहाउस” बाजरा 

TOP STORIES
 बाजरा गरीबी के खिलाफ लड़ाई में अपार क्षमता रखता है और भोजन, पोषण, चारा और आजीविका सुरक्षा प्रदान करता है। वर्षा आधारित कृषि क्षेत्रों में, बाजरे की खेती 50% आदिवासी और ग्रामीण आबादी को आजीविका प्रदान करती है। भारत 41% बाजार हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़ा वैश्विक उत्पादक है। यह अनुमान लगाया गया है कि बाजरा बाजार 2025 तक 9 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक के अपने वर्तमान बाजार मूल्य से बढ़कर 12 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक होने के लिए तैयार है। -प्रियंका सौरभ  बाजरा का उपयोग छोटे दाने वाले अनाज जैसे कि ज्वार (ज्वार), बाजरा (बाजरा), छोटी बाजरा (कुटकी), फिंगर बाजरा (रागी/मंडुआ), आदि के लिए किया जाता है। बाजरा भारत में मुख्य रूप से खरीफ की फसल है। उनका उच्च पोषण मूल्य है। कृषि मंत्रालय ने भी बाजरा को "पोषक अनाज" घोषित किया है। वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाया ज...
घुटने टेकता ईरान

घुटने टेकता ईरान

TOP STORIES, समाचार
घुटने टेकता ईरान* *डॉ. वेदप्रताप वैदिक* ईरान में हिजाब के विरुद्ध इतना जबर्दस्त जन-आंदोलन चल पड़ा है कि मुल्ला-मौलवियों और आयतुल्लाहों की सरकार को घुटने टेकने पड़ गए हैं। उसने घोषणा की है कि वह ‘गश्त—ए-इरशाद’ नामक अपनी मजहबी पुलिस को भंग कर रही है। इस पुलिस की स्थापना 2006 में राष्ट्रपति महमूद अहमदनिजाद ने इसलिए की थी कि ईरानी लोगों से वह इस्लामी कानूनों और परंपराओं का पालन करवाए। देखिए, ईरान की कथा भी कितनी विचित्र है। सउदी अरब और यूएई जैसे सुन्नी और अरब राष्ट्रों से ईरान की हमेशा ठनी रहती है लेकिन फिर भी वह हिजाब-जैसे सुन्नी और अरबी रीति-रिवाजों को उनसे भी ज्यादा सख्ती से लागू करने पर आमादा रहता है। ईरान तो आर्य राष्ट्र है। उसके शहंशाह को ‘आर्यमेहर’ कहा जाता था। लेकिन ईरान अपने भव्य भूतकाल को भूलकर अब अरबों की नकल करता है और दूसरी तरफ वह अपने शिया होने पर इतना गर्व करता है कि सुन्...
क्या  फूड फोर्टिफिकेशन, पोषण की कमी का नया रामबाण इलाज है ? 

क्या  फूड फोर्टिफिकेशन, पोषण की कमी का नया रामबाण इलाज है ? 

TOP STORIES
इसका उद्देश्य आपूर्ति किए जाने वाले खाद्यान्न की पोषण गुणवत्ता में सुधार करना तथा न्यूनतम जोखिम के साथ उपभोक्ताओं को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करना है। यह आहार में सुधार और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का निवारण करने हेतु एक सिद्ध, सुरक्षित और लागत प्रभावी रणनीति है। क्या  फूड फोर्टिफिकेशन, पोषण की कमी का नया रामबाण इलाज है ? यह पोषण सुरक्षा के लिए कोई चमत्कारिक उपाय नहीं हैं। लेकिन कुछ लोग अनुभव के आधार पर एनीमिया और पोषण संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए फोर्टिफिकेशन को एक चमत्कार के रूप में पेश करते रहे हैं। दरअसल यह एक क्लिनिकल दृष्टिकोण है। इसे बड़े पैमाने पर लागू नहीं किया जा सकता और न ही किया जाना चाहिए। -डॉ सत्यवान सौरभ फूड फोर्टिफिकेशन से तात्पर्य खाद्य पदार्थों में एक या अधिक सूक्ष्म पोषक तत्वों की जानबूझकर की जाने वाली वृद्धि से है जिससे इन पोषक तत्वों की न्यूनता में सुधार या निव...