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Author: dindiaadmin

संकट में भारत का पहला नदी द्वीप ज़िला – माजुली

संकट में भारत का पहला नदी द्वीप ज़िला – माजुली

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ब्रह्यपुत्र - एक नद्य है, बु्रहीदिहिंग - एक नदी। एक नर और एक नारी; दोनो ने मीलों समानान्तर यात्रा की। अतंतः लखू में आकर सहमति बनी। लखू में आकर दोनो एकाकार हो गये। एकाकार होने से पूर्व एक नदी द्वीप बनाया। असमिया लोगों को मिलन और मिलन से पूर्व की रचा यह नदी द्वीप इतना पसंद आया कि उन्होने इसे अपना आशियाना ही बना लिया। असमिया भाषा भी क्योंकर पीछे रहती। वह भी कुहूक उठी - 'माजुली'। बस, यही नाम मशहूर हो गया। 1661 से 1669 के बीच माजुली में कई भूकम्प आये। लगातार आये इन भूकम्पों के बाद 15 दिन लंबी बाढ़ आई। वर्ष था - 1750। इस लंबी बाढ़ के बाद ब्रह्मपुत्र नदी दो उपशाखाओं में बंट गई - लुइत खूटी और ब्रुही खूटी। ब्रह्यपुत्र की ओर की उपशाखा को लुइत खूटी, तो ब्रुहीदिहिंग की ओर की ओर उपशाखा को ब्रुही खूटी कहा गया। द्वीप और छोटा हो गया। कालांतर में ब्रुही खूटी का प्रवाह घटा, तो लोगों ने इसका नाम भी बदल दिया। ब...
“वैदिक काल” का अध्ययन

“वैदिक काल” का अध्ययन

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
वैदिक सभ्यता को भारतीय संस्कृति का आधार स्तंभ माना जाता हैं। वैदिक काल 1500 ई.पू से 600 ई.पू  तक माना जाता हैं। वैदिक काल को भी दो भागों में विभाजित किया गया है पहला 1500 ई. पू. से 1000 ई. पू. तक के काल को ऋग्वेदिक काल जाता है, इस काल में ही विश्व के सबसे प्राचीन माने जाने वाला ग्रंथ ऋग्वेद की रचना हुई थी तथा बाकी के तीन वेद यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद की रचना उत्तरवैदिक काल में हुई थी जिसका काल 1000 ई.पू. से 600 ई.पू. माना जाता हैं ऋग्वेदिक काल( 1500 ई. पू. से 1000 ई. पू.) इस काल की जानकारी ऋग्वेद से प्राप्त होती हैं   मैक्स मूलर के अनुसार आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया था। आर्य प्रारंभ में ईरान गए वहाँ से भारत आए।आर्यों द्वारा निर्मित सभ्यता ग्रामीण थी तथा उनकी भाषा संस्कृत थी।इस काल की सबसे पवित्र नदी सरस्वती नदी थी जिसे नदियों की माता कहा जाता था। ऋग्वेदिक काल में प्रशासनिक...
अनचाही बेटियाँ

अनचाही बेटियाँ

BREAKING NEWS, TOP STORIES, सामाजिक
हम एक लिंगभेदी मानसिकता वाले समाज हैं जहाँ लड़कों और लड़कियों में फर्क किया जाता है. यहाँ लड़की होकर पैदा होना आसान नहीं है और पैदा होने के बाद एक औरत के रूप में जिंदा रखन भी उतना हीचुनौतीपूर्ण है. यहाँ बेटी पैदा होने पर अच्छे खासे पढ़े लिखे लोगों की ख़ुशी काफूर हो जाती है. नयी तकनीक ने इस समस्या को और जटिल बना दिया है अब गर्भ में बेटी हैया बेटा यह पता करने के लिए कि किसी ज्योतिष या बाबा के पास नहीं जाना पड़ता है इसके लिए अस्पताल और डाक्टर हैं जिनके पास आधुनिक मशीनें है जिनसे भ्रूण का लिंग बताने में कभी चूक नहीं होती है. आज तकनीक ने अजन्मे बच्चे की लिंग जांच करवा कर मादा भ्रूण को गर्भ में ही मार देने को बहुत आसान बना दिया है. भारतीय समाज इस आसानी का भरपूर फायदा उठा रहा है, समाज में लिंग अनुपात संतुलन लगातार बिगड़ रहा है. वर्ष 1961 से लेकर 2011 तक की जनगणना पर नजर डालें तो यह बात साफ तौर पर उभ...
जीवन एक प्रतीक्षा है क्या

जीवन एक प्रतीक्षा है क्या

सामाजिक
हे मानव! कुछ तो सोच जरा .... बच्चा सोचे कब बड़ा होऊं, बड़ों की तरह रहूंगा व्यवहार करुंगा आदि-आदि। बच्चे को बड़ा होने की प्रतीक्षा। पढ़ाई पूरी कर कमाने की प्रतीक्षा। कमाना शुरु करते ही सही साथी की या शादी की प्रतीक्षा। फिर प्रतीक्षा की लम्बी कड़ी प्रतीक्षा ही प्रतीक्षा कब बच्चे हों, बड़े हों, फिर उनका जीवन संवार कर उनको व्यवस्थित करने की प्रतीक्षा। फिर कब बूढ़े मां-बाप से छुटकारा हो और जायदाद हाथ में आ जाए इसकी प्रतीक्षा। सदा प्रतीक्षा ही प्रतीक्षा। प्रतीक्षा करना जैसे एकमात्र आवश्यक नितकर्म हो गया हो। यह हो जाए तो वह करेंगे वह हो जाए तो यह करेंगे। प्रतीक्षा और बहाने एक दूसरे के पर्याय हो गए हैं। इस प्रतीक्षा में कब स्वयं बूढ़े हो जाते हैं पता ही नहीं लग पाता। यह कैसी किसकी और क्यों अन्तहीन प्रतीक्षा है। इस प्रतीक्षा ही प्रतीक्षा में कब जीवन चूक और चुक जाता है पता ही नहीं चलता। कब ...
स्त्रियों को मनचाहा लिखने की स्वतंत्रता नहीं मिल सकी है – गीताश्री

स्त्रियों को मनचाहा लिखने की स्वतंत्रता नहीं मिल सकी है – गीताश्री

Today News, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
हिंदी कहानी और पत्रकारिता में गीताश्री का नाम किसी के लिए भी नया नहीं हैं। गीताश्री की कहानियां आज हिंदी कहानी क्षेत्र के आकाश पर छाई हुई हैं। उनकी कहानियों में स्त्री विमर्श अपने हर रूप में है। कभी वह 'गोरिल्ला प्यार’ के रूप में है तो हालिया प्रकाशित 'डाउनलोड होते हैं सपने’ में सपनों की नई परिभाषा के रूप में। गीताश्री के पास पत्रकारिता के अनुभवों के साथ स्त्री अनुभवों का भी अथाह संसार है। गीताश्री के विचार कभी आराम नहीं करते, वे विराम नहीं लेते हैं। गीताश्री चलते रहने में भरोसा करती हैं। गीताश्री की कविता 'जितना हक’, 'औरत की बोली’, 'स्त्री आकांक्षा के मानचित्र’, 'नागपाश में स्त्री’, 'सपनों की मंडी’ (आदिवासी लड़कियों की तस्करी पर आधारित), '23 लेखिकाएं और राजेन्द्र यादव’ (सम्पादन), 'प्रार्थना के बाहर और अन्य कहानियां’, 'स्वप्न साजि़श और स्त्री’ तथा 'डाउनलोड होते हैं सपने’ पुस्तकें बाज़ार मे...
एक देश एक बजट : एक सराहनीय कदम

एक देश एक बजट : एक सराहनीय कदम

विश्लेषण
    भारत में रेल यात्रा लंबी दूरी तय करने का सबसे सुगम और सहज माध्यम है। आम जनता के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं। ऑनलाइन बुकिंग और सोशल मीडिया नेटवर्किंग ने आम जनता की मुश्किलों को काफी हद तक कम करने में मदद की है। अब तक रेल बचट आम बजट से अलग पेश किया जाता था मगर अब सरकार ने इसका विलय केन्द्रीय बजट के साथ करने का फैसला लिया है। अगले वित्त वर्ष (2017-18) से केंद्रीय बजट और रेल बजट को अलग अलग पेश करने की औपनिवेशिक परंपरा अब खत्म हो जाएगी। सरकार द्वारा उठाया गया यह एक सराहनीय कदम है। रेल बजट को अलग से पेश करने की यह प्रक्रिया स्वतंत्रता से पूर्व 1924 में ब्रिटिश सरकार ने की थी। साल 1921 में ईस्ट इंडिया रेलवे कमेटी के चेयरमैन सर विलियम एक्वर्थ ने यह देखा कि पूरे रेलवे सिस्टम को एक बेहतर मैनेजमेंट की जरूरत है। दस सदस्यों वाली एक्वर्थ समिति ने अपनी रिपोर्ट में रेल बजट को सामान...
व्यापम घोटाला : धांधलियों पर सख्त न्यायालय

व्यापम घोटाला : धांधलियों पर सख्त न्यायालय

घोटाला
जब किसी अयोग्य व्यक्ति को किसी योग्य व्यक्ति के स्थान पर कहीं तरजीह मिलती है तब यह सिर्फ योग्य व्यक्ति का ही अपमान नहीं होता है। यह एक राष्ट्र निर्माण की परिकल्पना का भी अपमान होता है। अयोग्य व्यक्ति के द्वारा किसी पद पर पहुंचने से उसके द्वारा किए जाने वाले फैसले भी गुणात्मक दृष्टि से कमजोर होते हैं। जब तक हम सरकारी सेवाओं को सेवा का माध्यम न मानकर नौकरी पाने का माध्यम मानते रहेंगे, न तो व्यवस्था में बदलाव आयेगा न ही जनता का सरकारी सेवाओं में विश्वास पैदा होगा। व्यापम में पिस रहे मेधावी छात्रों की मनोस्थिति भी कुछ ऐसी ही है। कुछ योग्य छात्रों के ऊपर अयोग्य एवं अपात्रों को मेडिकल में दाखिला मिल गया। एक ऐसे क्षेत्र में दाखिला जिसके बाद इन अयोग्यों को भारत की बीमार जनता का इलाज़ करना था। इस तरह से पैसों के लालच में कुछ लोगों ने भारत की जनता के हितों से ही खिलवाड़ कर दिया। साल भर तन्मयता से...
राजस्थान सरकार ने दबाव में ही सही, बिजली की बढ़ी दरें वापस ली

राजस्थान सरकार ने दबाव में ही सही, बिजली की बढ़ी दरें वापस ली

राज्य
राजस्थान सरकार ने कृषि विद्युत कनैक्शन और अनमीटर्ड विद्युत कनैक्शनों पर बढ़ायी दरों को तत्काल वापस लेने की घोषणा की है। राजस्थान के ऊर्जा मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह ने कहा कि जनप्रतिनिधियों और पार्टी कार्यकर्ताओं से मिले फीड बैक के आधार पर सरकार ने यह निर्णय लिया है। वहीं विपक्ष का कहना है कि किसानों के उग्र होते जन आन्दोलन के आगे सरकार झुकी है। ऊर्जा मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह के अनुसार इन दरों को वापस लेने से डिस्काम पर प्रतिवर्ष 500 करोड़ रूपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा जिसका भुगतान राज्य सरकार द्वारा वहन किया जायेगा। नियामक आयोग की सिफारिशों पर राज्य सरकार ने सितम्बर 2016 से कृषि कनैक्शनों पर 25 पैसे प्रति युनिट बढ़ाकर एक रूपया पन्द्रह पैसा कर दिया था। इसी तरह अनमीटर्ड विद्युत कनैक्शनों का चार्ज 85 रूपये से बढ़ाकर 120 रूपये कर दिया गया था। इन दोनों वृद्धि को तत्काल वापस ले लिया गया है। जिन क...
क्या बदले तो बदले भारत :  व्यक्ति, व्यवस्था, पार्टी या लगाम ?

क्या बदले तो बदले भारत :  व्यक्ति, व्यवस्था, पार्टी या लगाम ?

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लोगों के लिए, लोगों के द्वारा, लोगों की सरकार’- यह लोकतंत्र की सर्वमान्य परिभाषा है। न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया - लोकतंत्र के चार स्तंभ हैं। लोकनियोजन, लोकनीति, लोकस्वामित्व, लोकअभिव्यक्ति और लोक उम्मीदवारी - ये लोकतंत्र के प्रमुख प्रभावी पांच लक्षण है। लोक के साथ तंत्र का सतत् संवाद, सहमति, सहयोग, सहभाग, सहकार और सदाचार लोकतांत्रिक व्यवस्था संचालन के छह सूत्र हैं। यदि लोकतंत्र के उक्त तीन जोड़, चार स्तंभ, पांच लक्ष्ण और छह सूत्र सक्रिय व सुविचारित रूप से मौजूद हों, तो समझना चाहिए कि व्यवस्था सुचारु और लोकतांत्रिक है। यदि ऐसा न हो तो लोक घाोषणापत्र, लोक निगरानी और लोक-अंकेक्षण, लोक को नियंत्रित करने के तीन औजार हो सकते हैं और लोकउम्मीदवारी तंत्र में लोक के कब्जे का एक सर्वोदयी विचार। सोचिए! क्या हमारी पंचायत और ग्रामसभा के बीच, निगम और मोहल्ला समितियों के बीच सतत् औ...
नोटबंदी, काला धन और आयकर विभाग

नोटबंदी, काला धन और आयकर विभाग

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नोटबंदी के बाद देश के विभिन्न बैंकों के खातों में जमा अघोषित धनराशि से काला धन के हिस्से निकालने के लिए वित्त मंत्रालय ने एक नायाब तरीका अपनाया है। इसके तहत कर अधिकारी को किसी के दरवाजे पर जाने की जरूरत नहीं है और अघोषित आय रखने वाला खुद ब खुद टैक्स डिपार्टमेंट के ऑनलाइन फॉर्म को भरते हुए स्वेच्छा से अघोषित आय को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में जमा कर देगा। इस प्रक्रिया के तहत जिस किसी ने भी नोटबंदी के बाद बैंकों में चलन से हटाए गए नोटों में बेहिसाब पैसा जमा कराया है, वैसे लोगों की छंटनी कर आयकर अधिकारी उन्हें एक ऑनलाइन फॉर्म भरने को कहेंगे। यह फॉर्म एक तरह का नोटिस है जो है तो बेहद छोटा लेकिन इसमें बहुत ही कुशलता से प्रश्न पूछे गए हैं। इन प्रश्नों के पूरे जवाब देने की प्रक्रिया में एक करवंचक स्वयं अपने काले धन का खुलासा करने को मजबूर हो जाएगा। आयकर अधिकारी अभी तक करीब 18 लाख ऐसे ...