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दूसरा सबसे बड़ा हत्यारा है बैक्टीरियल इन्फेक्शन

लैंसेट में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि ह्रदय रोग के बाद बैक्टीरियल इन्फेक्शन दुनिया का सबसे बड़ा हत्यारा है। ह्रदय रोगों में दिल का दौरा भी शामिल है। पता चला है कि 2019 में इन्फेक्शन की वजह से दुनिया भर में 1.37 करोड़ लोगों की मौत हुई थी।

मतलब कि हर आठ में से एक मौत के लिए यह इन्फेक्शन ही जिम्मेवार था। इनमें से 77 लाख मौतों के लिए केवल 33 जीवाणु रोगजनक जिम्मेदार थे, जोकि रोगाणुरोधी प्रतिरोधी और अतिसंवेदनशील दोनों ही हैं। देखा जाए तो वैश्विक स्तर पर होने वाली कुल मौतों में से 13.6 फीसदी मौतों के लिए यह 33 बैक्टीरियल पैथोजन ही जिम्मेदार हैं। वहीं यदि इससे होने वाली मृत्यु दर की बात करें तो वो प्रति लाख की आबादी पर 99.6 दर्ज की गई है। 

यही वजह है कि जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित इस नई रिसर्च में 204 देशों में इन 33 जीवाणु रोगजनकों और 11 प्रकार के संक्रमणों से होने वाली मौतों का अध्ययन किया गया है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने 34.3 करोड़ मेडिकल रिकॉर्ड का विश्लेषण किया है। यह रिसर्च ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज फ्रेमवर्क के तहत की गई है।

रिपोर्ट से पता चला है कि सेप्सिस, जिसे रक्त विषाक्तता या सिस्टेमिक इन्फ्लेमेटरी रिस्पांस सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है उसके कारण होने वाली 56.2 फीसदी मौतों के पीछे की वजह भी यह 33 जीवाणु रोगजनक थे।

यही वजह है कि जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित इस नई रिसर्च में 204 देशों में इन 33 जीवाणु रोगजनकों और 11 प्रकार के संक्रमणों से होने वाली मौतों का अध्ययन किया गया है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने 34.3 करोड़ मेडिकल रिकॉर्ड का विश्लेषण किया है। यह रिसर्च ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज फ्रेमवर्क के तहत की गई है।

रिपोर्ट से पता चला है कि सेप्सिस, जिसे रक्त विषाक्तता या सिस्टेमिक इन्फ्लेमेटरी रिस्पांस सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है उसके कारण होने वाली 56.2 फीसदी मौतों के पीछे की वजह भी यह 33 जीवाणु रोगजनक थे।

इतना ही नहीं रिसर्च से पता चला है कि इन 33 बैक्टीरियल पैथोजन से होने वाली करीब 55 फीसदी मौतों के लिए केवल पांच बैक्टीरिया स्टैफिलोकोकस ऑरियस, एस्चेरिचिया कोलाई (ई-कोलाई), स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया, क्लेबसिएला निमोनिया और स्यूडोमोनास एरुगिनोसा जिम्मेवार थे। इनमें से अकेले बैक्टीरिया स्टैफिलोकोकस ऑरियस ही 2019 में होने वाली 10 लाख से ज्यादा मौतों की वजह था। 

गौरतलब है कि स्टैफिलोकोकस ऑरियस, एक ऐसा जीवाणु है जो आमतौर पर मानव त्वचा और नाक में पाया जाता है, लेकिन यह कई बीमारियों के लिए जिम्मेदार है। देखा जाए तो एक बार यदि यह बैक्टीरिया रक्त प्रवाह या फिर भीतरी ऊतकों में प्रवेश कर जाए तो यह निमोनिया, हृदय वाल्व और हड्डियों के गंभीर संक्रमण का कारण बन सकता है।

वहीं ई-कोलाई आमतौर पर खाद्य विषाक्तता का कारण बनता है। यह बैक्टीरिया आमतौर पर इंसानों और पशुओं के पेट में पाया जाता है। इस बैक्टीरिया के ज्यादातर रूप हानिरहित हैं, लेकिन इनमें से कुछ ऐसे हैं जो पेट में मरोड़ और दस्त जैसे लक्षण पैदा करते हैं, जिससे कई बार गुर्दे काम करना बंद कर सकते हैं और इससे संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।

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