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टूटता नाटो

शीर्ष फ्रांसीसी नेतृत्व जर्मनी द्वारा अपने घरेलू ऊर्जा उद्योगों को यूरोपियन यूनियन से अनुमति लिए बिना ही अरबों यूरो का एकतरफा बेलआउट पैकेज देने के निर्णय से भन्नाया हुआ है और इसे ब्लॉक के हितों के विरुद्ध मानता है।

दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश जर्मनी आज खुद रूस से गैस सप्लाई ठप होने के बाद तंगहाली में दिन काट रहा है, और उसके लिए कोढ़ में खाज पैदा कर रहे हैं हिटलर द्वारा पीड़ित नाटो देश – जिनका कहना है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उनके देशों पर नाजियों के कब्जे के बदले जर्मनी को उन्हें सैकड़ों अरब यूरो का मुआवजा देना होगा। पहले ग्रीस ने इस आशय का दावा ठोंका, और आज पोलैंड भी ठीक वही कह रहा है।

इधर बाइडेन प्रशासन द्वारा लाये गए ‘इन्फ्लेशन रिडक्शन एक्ट’ के खिलाफ जर्मनी और फ्रांस की सरकारों में गुस्सा है क्योंकि वे इसे अमेरिका के घरेलू उद्योगों के प्रति संरक्षणवादी और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करने वाला मानते हैं। मैक्रॉन और स्कोल्ज की बैठक में तय हुआ है कि EU को इसका जवाब देना होगा. . . . . हम भी अमेरिका जैसे ही कानून ला कर पूरे यूरोपीय संघ में स्थानीय उद्योगों को संरक्षण देंगे।

हंगरी पहले ही नाटो और EU को ठेंगे पर टांग के रूस से नित नए व्यापार समझौते कर रहा है, और उसने पहले दिन से स्पष्ट कर रखा है कि उसे रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों से घंटा कोई लेना-देना नहीं है – वह रूस के साथ पेट्रोलियम, गैस, तथा अन्य सभी तरह के व्यापार पूर्ववत जारी रखेगा।

ऐसी बहुत सी घटनाएं स्वतंत्र रूप से देश दुनिया के अलग अलग आयामों में आजकल रोज ही घट रही हैं, और प्रथमदृष्टया लगता नहीं कि नाटो या यूरोपियन यूनियन के भीतर सब कुछ ठीक चल रहा है। पुतिन ने कल अपने भाषण में जो “Unpredictable Decade Ahead” वाली बात कही थी – लगता है आने वाले दिनों में वैसा ही कुछ होने जा रहा है। दशकों से चले आ रहे कई अप्रासंगिक रूढ़िवादी वैश्विक गठजोड़ टूट सकते हैं और उनकी जगह परस्पर आवश्यकताओं और जमीनी समीकरणों पर आधारित नए गठजोड़ उभर सकते हैं। यूक्रेन युद्ध तो केवल शुरुआत है – बहाना है, यदि नाटो ने रूस को उसका इमीडिएट लक्ष्य हासिल करने यानि कि “यूक्रेन का अच्छा खासा इलाका हथिया कर एक वेल-रिकग्नाइज्ड बफर जोन बनाने, और यूक्रेन को नाटो में जाने से रोकने” में अड़ंगा लगाया और यह संघर्ष यूँ ही जारी रखा – या इसे और बढ़ाया तो मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा यदि आने वाले कुछ वर्षों में नाटो और EU अपने कुछ सबसे महत्वपूर्ण Key Allies को खुद से छिटक कर अलग हुआ पाएं।

PS:- ब्रिटेन एक अपवाद है। ब्रिटिश सत्तातंत्र आज से 100 साल पहले भी अमेरिका के तलवे चाटता था, आज भी चाट रहा है, और आने वाले 10000 वर्षों तक चाटता ही रहेगा। चाटने का इनका मर्ज लाइलाज है। 

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