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भारतीय बन रहे हैं अमेरिकी अर्थव्यवस्था के शिल्पकार

भारतीय बन रहे हैं अमेरिकी अर्थव्यवस्था के शिल्पकार

TOP STORIES, आर्थिक, राष्ट्रीय
भारतीय बन रहे हैं अमेरिकी अर्थव्यवस्था के शिल्पकार भारतीय मूल के नागरिकों का अमेरिका में आगमन विभिन स्तरों पर हुआ है। वर्ष 1890 तक भारतीय मूल के कुछ नागरिकों का कृषि श्रमिकों के रूप में अमेरिका में आगमन हुआ था। लगभग इसी खंडकाल में विशेष रूप से पंजाब से कुछ सिक्ख लोगों के जत्थे भी कनाडा एवं अमेरिका की ओर रवाना हुए थे। उस समय पर भारतीय मूल के नागरिकों ने अमेरिका में बहुत कठिनाईयों का सामना किया था क्योंकि अमेरिकी मूल के नागरिक भारतीय एवं अन्य एशियाई देशों जैसे चीन, जापान, फिलिपीन आदि के नागरिकों के लिए विभिन्न प्रकार की समस्याएं खड़ी कर रहे थे। एशियन मूल के नागरिक बहुत ही कम वेतन पर अधिक से अधिक मेहनत करते हुए कृषि क्षेत्र में भी काम करने को तैयार रहते थे, इससे अमेरिकी मूल के नागरिकों को आभास हुआ कि ये एशियन मूल के नागरिक उनके रोजगारों पर कब्जा कर लेंगे। इन कारणों के चलते उस समय पर इन ...
आनुवंशिक फसलों की व्यावसायिक खेती ?

आनुवंशिक फसलों की व्यावसायिक खेती ?

EXCLUSIVE NEWS, आर्थिक
आनुवंशिक फसलों की व्यावसायिक खेती ?* कृषि प्रधान देश कहा  जाने वाला  भारत आज भी दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेल का आयातक है। देश में आनुवंशिक फसलों की व्यावसायिक खेती की अनुमति को लेकर पिछले दो दशक से विभिन्न मंचों पर बहस जारी है। एक –दो मुकदमे भी देश के सर्वोच्च न्यायालय में लम्बित हैं |देश के अधिकांश पर्यावरणविद और कृषि विशेषज्ञ आनुवंशिक परिवर्तित खेती में फायदा कम, नुकसान अधिक मानते आए हैं। फिर भी  सरकार ने इसके उत्पादन की मौन स्वीकृति दे दी । इसे विकसित करने वाले संस्थान ने प्रयोग के लिए बीज भी उपलब्ध करा दिया । विवाद होने के बाद भी यह खयाल नहीं रखा गया कि उत्पादन संबंधी प्रयोग खुले में करने के बजाय ग्रीन हाउस में किया जाए। देश में पिछले बीस वर्षों से जीएम सरसों के पर्यावरण पर पड़ने वाले कुप्रभाव को लेकर विरोध हो रहा है। सन 2002 में भारत में इसके बीज की  भारतीय...
राष्ट्र के विकास की धुरी है किसान

राष्ट्र के विकास की धुरी है किसान

BREAKING NEWS, आर्थिक
या सृष्टि के सौंदर्यीकरण का सूत्रधार है किसान डॉ. शंकर सुवन सिंहभारत एक कृषि प्रधान देश है। भारत की आधी से ज्यादा आबादी खेती पर निर्भर रहती है।किसान अनाज उगाकर अपना जीवन यापन करता है और लोग इसी अनाज को खाकरजीवित रहते हैं। जब किसान अनाज उगाता है तब वह लोगों के थाली में आता है। खेतीसम्बन्धी कार्य को करने वाला व्यक्ति किसान कहलाता है। किसान को कृषक या खेतिहर केनामों से भी पुकारा जाता है। खाद्यान्न के उत्पादन से लेकर विपणन तक की व्यवस्थाकिसानों के जिम्मे होती है। किसान खेत का मालिक हो सकता है। कृषि भूमि के मालिकद्वारा काम पर रखा गया मजदूर भी किसान हो सकता है। श्रम के बिना किसान या श्रमिकहोना असंभव है। अतएव किसान और श्रमिक एक दूसरे के पूरक हैं। कृषक शब्द श्रम से बनाहै। श्रम का मतलब मेहनत होता है। मेहनत दो प्रकार की होती है शारीरिक मेहनत औरमानसिक मेहनत। शारीरिक मेहनत करके आजीविका चलान...
बढ़ता तापमान,घटती कृषि – परिणाम ?

बढ़ता तापमान,घटती कृषि – परिणाम ?

BREAKING NEWS, आर्थिक
भारत की सरकार ने संसद में माना है कि  देश में वर्ष 2001 से 2011 के बीच भूमिहर किसानों की संख्या कम होने के बाद भी कृषि श्रमिकों की संख्या बढ़ी है। आंकड़ा साफ कहता है भारत में किसानों की संख्या घट रही है और कृषि श्रमिकों की नहीं, उनका जेंडर बदल रहा है | सही मायने में  विश्व भर में खेतिहर श्रमिकों के लिए तापमान वृद्धि घातक होती जा  रही है । सब जानते हैं कि लगातार बढ़ते तापमान में कृषि श्रमिकों को लगातार धूप में काम करना होता है, और इस कारण उनका स्वास्थ्य प्रभावित होता है। तापमान वृद्धि पर पिछले 20 वर्षों से किये जा रहे अध्ययन के अनुसार पृथ्वी का तापमान वर्ष 1990 के बाद  से हरेक दशक में औसतन 0.26 डिग्री सेल्सियस बढ़ रहा है। लांसेट प्लेनेटरी हेल्थ नामक जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में भारत समेत विश्व के 43 देशों में 750 स्थानों से प्राप्त जलवायु के आंकड़ों का और मृत्यु दर का विश्लेषण किया गया...
औद्योगिक नीति की नये सिरे से समीक्षा जरूरी

औद्योगिक नीति की नये सिरे से समीक्षा जरूरी

EXCLUSIVE NEWS, आर्थिक
सरकार भले ही खुश हो ले, सत्तारूढ़ दल जश्न मनाकर कुछ भी कहने-सुनने लगे, उनके पास कारण है | कारण जुलाई-सितंबर की दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी दर 6.3 प्रतिशत रहना है | आत्ममुग्ध लोगों को ज्यादा नहीं थोड़े पीछे यानि पिछले वर्ष के आंकड़े देख लेना चाहिए | पिछले वर्ष यह वृद्धि ८.४ प्रतिशत थी |इसके बावजूद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है।  हालांकि, यह विकास दर मौद्रिक नीति समिति के अनुमानों से मेल खाती है, लेकिन यह पिछले वर्ष इसी अवधि में सामने आई 8.4 की वृद्धि से कम है, यह पत्थर पर  लिखी इबारत है । कह सकते हैं कि पिछले वर्ष में वृद्धि उस समय दर्ज की गई जब अर्थव्यवस्था कोरोना दुष्काल के संकट से तेजी से उबर रही थी। अब यह गति अपने मूल स्वरूप में लौट रही है। यद्यपि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानी एनएसओ की हालिया घोषित विकास दर चालू वित्त वर्ष की पहली ...
भारतीय अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण को गति देने में भारतीय नागरिकों के कर्तव्य

भारतीय अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण को गति देने में भारतीय नागरिकों के कर्तव्य

आर्थिक
अभी हाल ही में अमेरिका के निवेश के सम्बंध में सलाह देने वाले एक प्रतिष्ठित संस्थान मोर्गन स्टैनली ने अपने एक अनुसंधान प्रतिवेदन में यह बताया है कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास की दृष्टि से अगला दशक भारत का होने जा रहा है। इस सम्बंध में उक्त प्रतिवेदन में कई कारण गिनाए गए हैं। जैसे, भारत में वर्तमान में 50 लाख परिवारों की आय 35000 अमेरिकी डॉलर से अधिक है। आगे आने वाले 10 वर्षों में यह संख्या 5 गुना बढ़कर 250 लाख परिवार होने जा रही है। इससे भारत में विभिन्न वस्तुओं का उपभोग द्रुत गति से बढ़ने जा रहा है। वर्तमान में भारत में प्रति व्यक्ति आय 2278 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष है जो 10 वर्षों के दौरान दुगनी से भी अधिक होकर 5242 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष हो जाएगी।    वर्तमान के सेवा क्षेत्र के निर्यात में वैश्विक स्तर पर भारत की हिस्सेदारी 3.7 प्रतिशत से बढ़कर 4.2 प्रतिशत पर पहुंच गई ...
निवेश में अब यूपी दे रहा महाराष्ट्र को चुनौती

निवेश में अब यूपी दे रहा महाराष्ट्र को चुनौती

आर्थिक, राज्य
यूपी निवेश में कैसे महाराष्ट्र के साथ करता कदमताल आर.के. सिन्हा लखनऊ और मुंबई के बीच फासला भले ही साढ़े तेरह सौ किलोमीटर से कुछ अधिक ही हो, पर अब महाराष्ट्र के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी निवेशक झोली भरकर निवेश लाने में लगे हैं। महाराष्ट्र तो परंपरागत रूप से भारत का सबसे खास औद्योगिक राज्यों में से एक रहा है। उत्तर प्रदेश अब महाराष्ट्र का तेजी से निजी क्षेत्र के निवेश में मुकाबला कर रहा है। हालांकि आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य की छवि कभी महाराष्ट्र जैसी नहीं रही थी। केन्द्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय की एक ताजा रिपोर्ट को देखें तो महाराष्ट्र में सर्वाधिक निजी क्षेत्र का निवेश आ रहा है। उसके बाद दिल्ली का स्थान है और फिर उत्तर प्रदेश का। उत्तर प्रदेश की यह उपलब्धि अप्रत्याशित ही मानी जाएगी। बेशक, उत्तर प्रदेश अपने को अब तेजी से बदल रहा है। राज्य सरकार को समझ आ...
वर्तमान चुनौतियों से निपटने के लिए मजबूत औद्योगिक नीति की जरूरत।

वर्तमान चुनौतियों से निपटने के लिए मजबूत औद्योगिक नीति की जरूरत।

BREAKING NEWS, TOP STORIES, आर्थिक
देश का सन्तुलित विकास करने कि लिए संसाधनों को उचित दिशा में प्रवाहित करने कि लिए, उत्पादन बढ़ाने के लिए, वितरण की व्यवस्था सुधारने के लिए, एकाधिकार, संयोजन और अधिकार युक्त हितों को समाप्त करने अथवा नियन्त्रित करने के लिए कुछ गिने हुए व्यक्तियों के हाथ में धन अथवा आर्थिक सत्ता के केन्द्रीकरण को रोकने के लिए, असमताएँ घटाने के लिए, बेरोजगारी की समस्या को हल करने के लिए, विदेशों पर निर्भरता समाप्त करने कि लिए तथा देश को सुरक्षा की दृष्टि से मजबूत बनाने के लिए एक उपयुक्त एवं स्पष्ट औद्योगिक नीति की आवश्यकता होती है। -प्रियंका सौरभ औद्योगिक नीति को आर्थिक परिवर्तन को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य द्वारा रणनीतिक प्रयास के रूप में परिभाषित किया गया है, अर्थात क्षेत्रों के बीच या भीतर निम्न से उच्च उत्पादकता गतिविधियों में बदलाव। भारत का लक्ष्य 2025-26 तक अपने विनिर्माण सकल मूल्य वर्धित (जीव...
पांच लाख करोड़ डालर की भारतीय अर्थव्यवस्था ग्रामीण विकास के सहारे ही बनेगी

पांच लाख करोड़ डालर की भारतीय अर्थव्यवस्था ग्रामीण विकास के सहारे ही बनेगी

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक
आज विश्व के लगभग सभी विकसित एवं विकासशील देश आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं। इन समस्त अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर एक चमकते सितारे के रूप में देखा जा रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार तेज गति से हो रहे सुधार के चलते आज भारत का नाम पूरे विश्व में बड़े ही आदर और विश्वास के साथ लिया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक फण्ड एवं विश्व बैंक जैसी वित्तीय संस्थाएं भी भारतीय अर्थव्यवस्था में अपनी अपार श्रद्धा जता चुकी हैं। इन वित्तीय संस्थानों का कहना है कि भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास बहुत ही मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए 6 विकास सूचक  उच्च मानक वाले माने जाते हैं। इन विकास सूचकों में शामिल हैं - ट्रैक्टर एवं दोपहिया वाहनों की बिक्री में वृद्धि, उर्वरकों की बिक्री में वृद्धि, कृषि क्षेत्र में बैकों द्वारा प्रदान...
आर्थिक विकास की दृष्टि से एक दशक ही नहीं बल्कि अगली पूरी सदी ही भारत की होगी

आर्थिक विकास की दृष्टि से एक दशक ही नहीं बल्कि अगली पूरी सदी ही भारत की होगी

Current Affaires, TOP STORIES, आर्थिक
अभी हाल ही में अमेरिका के निवेश के सम्बंध में सलाह देने वाले एक प्रतिष्ठित संस्थान मोर्गन स्टैनली ने अपने एक अनुसंधान प्रतिवेदन में यह बताया है कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास की दृष्टि से अगला दशक भारत का होने जा रहा है। इस सम्बंध में उक्त प्रतिवेदन में कई कारण गिनाए गए हैं। भारत में केंद्र सरकार ने विनिर्माण के क्षेत्र में बड़े आकार की कई नई इकाईयों को स्थापित करने के उद्देश्य से हाल ही के समय में कई निर्णय लिए हैं, जिनका उचित परिणाम अब दिखाई देने लगा है। इनमे शामिल हैं, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना, कम्पनियों द्वारा अदा की जाने वाली कर की राशि को 25 प्रतिशत तक कम करना और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना, ईज आफ डूइंग बिजिनेस के क्षेत्र में कई निर्णय लेना, आदि, शामिल हैं। इसके चलते चीन से विनिर्माण के क्षेत्र में कई इकाईयां भारत में अपना कार्य प्रारम्भ करने जा रही हैं। ...