
स्वामी जी की पावन स्मृतियाँ और चंद सवाल
12 जनवरी, स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर.......
यह कहना अनुचित नहीं होगा कि जहाँ आदि शंकराचार्य ने संपूर्ण भारतवर्ष को सांस्कृतिक एकता के मज़बूत सूत्र में पिरोया, वहीं स्वामी विवेकानंद ने आधुनिक भारत को उसके स्वत्व एवं गौरव का बोध कराया। बल्कि यह कहना चाहिए कि उन्होंने भारत का भारत से साक्षात्कार करा उसे आत्मविस्मृति के गर्त्त से बाहर निकाला। लंबी गुलामी से उपजी औपनिवेशिक मानसिकता एवं औद्योगिक क्रांति के बाद पश्चिम से आई भौतिकता की आँधी का व्यापक प्रभाव भारतीय जन-मन पर भी पड़ा। पराभव और परतंत्रता ने हममें हीनता-ग्रंथि विकसित कर दी। हमारी सामाजिक-सांस्कृतिक-राजनीतिक चेतना मृतप्राय अवस्था को प्राप्त हो चुकी थी। नस्लभेदी मानसिकता के कारण पश्चिमी देशों ने न केवल हमारी घनघोर उपेक्षा की, अपितु हमारे संदर्भ में तर्कों-तथ्यों से परे नितांत अनैतिहासिक-पूर्वाग्रहग्रस्त-मनगढ़ंत स्थापनाएँ भी दीं।...