
श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग
श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंगश्रीरामचरितमानस में शिव-पार्वती विवाह प्रसंग
सिव पद कमल जिन्हहि रति नाहीं। रामहि ते सपनेहुँ न सोहाहीं।।बिनु छल बिस्वनाथ पद नेहू। राम भगत कर लच्छन एहू।।श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड १०४-३दो.- संकरप्रिय मम द्रोही सिव द्रोही मम दास।ते नर करहिं कलप भरि घोर नरक महुँ बास।।श्रीरामचरितमानस लंकाकाण्ड दोहाश्रीराम एवं शिवजी का आपस में एक-दूसरे के प्रति घनिष्ठ प्रेम-भक्ति-श्रद्धा जगत् प्रसिद्ध है। शिवजी श्रीरामकथा श्रवण करने हेतु महर्षि अगस्त्य के आश्रम गए तथा सतीजी सहित श्रीरामकथा का श्रवण किया। सतीजी शिवजी के समझाने के उपरान्त श्रीराम के चरित्र एवं उनकी लीलाओं को पहिचान नहीं सकी। अंत में उनकी परीक्षा लेने चली गई। श्रीरामजी की लीला-परीक्षा लेकर लौट आईं। सतीजी ने शिवजी से परीक्षा की बात बताई नहीं। शिवजी ने ध्यान लगने पर सब जान लिया। सतीजी द्वारा सीताजी का रूप धारण क...