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आधुनिक और विकसित देशों के नागरिक स्वदेश लौटने को तैयार नहीं

आधुनिक और विकसित देशों के नागरिक स्वदेश लौटने को तैयार नहीं

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कोरोना वायरस के असर से अब संसार का कोई भी देश बचा नहीं है। कोरोना वायरस ने सच में सारी दुनिया को घुटनों पर लाकर खड़ा कर दिया है। हर जगह कोरोना से रोज हजारों मौतें हो रही हैं। दुनिया इस वायरस के असर के कारण डरी-सहमी है। पर इसका एक दूसरा पहलू यह भी है कि अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और चीन, जहां से इस वायरस की उत्पति हुई और अन्य कई विकसित देशों के पेशेवर मैनेजर मल्टीनेशनल कंपनियों के भारत में रहने वाले हजारों नागरिक अपने को यहां पर अपने खुद के देश की बजाय ज्यादा सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। फिलहाल ये अपने देशों में वापस जाने के लिए भी तैयार नहीं हैं। विमान की और मुफ्त सफ़र की व्यवस्था के बावजूद आनाकानी कर रहे हैं । अगर बात अमेरिका से शुरू करें तो वहां पर रोज बड़ी संख्या में लोग कोरोना के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। अपने को सर्वशक्तिमान समझने वाले अमेरिका की दर्दनाक स्थिति अब तो इतनी खराब हो ग...
तब्लीगी मरकज” को सील किया जाए 

तब्लीगी मरकज” को सील किया जाए 

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हज़ारों-लाखों लोगों के जीवन पर जीवाणुओं का जान लेवा आक्रमण होने की बढ़ती सम्भावना के उत्तरदायी तब्लीगी मरकज को सील न किया जाना क्या विश्व की कोई न्यायायिक व्यवस्था उचित ठहराएगी? इसके आयोजकों और इसमें सम्मलित होने वाले कट्टरपंथियों पर कठोर दंडात्मक कार्यवाही भारतीय न्यायायिक प्रणाली के अनुसार अवश्यम्भावी होनी चाहिये।तब्लीगी मरकज, निज़ामुद्दीन, दिल्ली में पिछले माह मॉर्च में आये हज़ारों जमातियों ने कोरोना वायरस की आपदा में अपने तुच्छ जिहादी सोच के कारण देश के सामने एक बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। शासन व प्रशासन द्वारा बार-बार चेतावनी देने के उपरांत भी हज़ारों की संख्या में एक ही भवन में एकत्रित होकर कानूनों का खुला उल्लंघन करने वालों ने इसप्रकार अपनी जिंदगी के साथ-साथ देश के करोड़ों लोगों की जिंदगी को भी संकट में डाल दिया है।आज सम्पूर्ण समाज व राष्ट्र इन पापियों के कर्मों को भुगतने के खौफ से आक्रोशित...
भारत बनेगा कोरोना मुक्ति की प्रयोगभूमि

भारत बनेगा कोरोना मुक्ति की प्रयोगभूमि

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कोरोना वायरस अब तक के मानव इतिहास का सबसे बड़ा संकट है, क्योंकि जब भी कोई प्राकृतिक संकट आया, विश्वयुद्ध की स्थितियां बनी या किसी महामारी ने घेरा तो कुछ देशों अथवा राज्यों तक ही वह सीमित रहा लेकिन इस बार का संकट ऐसा है, जिसने समूचे विश्व एवं पूरी मानव जाति को संकट में डाल दिया है। इस महासंकट के निजात पाने में दुनिया की बड़ी-बड़ी शक्तियां धराशायी हो गई या स्वयं को निरुपाय महसूस कर रही है, ऐसे समय में दुनिया की नजरे भारत की ओर लगी है। क्योंकि भारत की जनता एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी सुनियोजित तैयारियों, संकल्प एवं संयम के जरिये कोरोना को दूसरे चरण में बांध रखा है। दुनिया भारत की ओर आशाभरी निगाहों से देख रही है। भारत में इस महामारी से लड़ने की तैयारी एवं जिजीविषा की दुनिया ने प्रशंसा की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी स्वीकार किया है कि जनसंख्या के लिहाज से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश भ...
लाॅकडाउन में एकांकी वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल

लाॅकडाउन में एकांकी वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल

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कोरोना महामारी की गति अनियंत्रित तरीके से लगातार उफान पर है। सारे संसार में कोरोना पीड़ितों की संख्या 10 लाख के आंकड़े तक पहुँचने जा रही है। मृतकों की संख्या भी 50 हजार के निकट पहुँच रही है। सारा विश्व जानता है कि अमेरिका और इटली इस महामारी का सबसे अधिक शिकार हुए हैं। इटली में 23 प्रतिशत जनसंख्या वरिष्ठ नागरिकांे की है और अमेरिका में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या केवल 13 प्रतिशत है। जबकि भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार वरिष्ठ नागरिकों की जनसंख्या 8.6 0प्रतिशत है। शहरों में वरिष्ठ नागरिकों को अक्सर अनेकों प्रकार के रोगों का सामना करना पड़ता है। कोरोना से उत्पन्न परिस्थितियों ने अनेकों देशों को लाॅकडाउन के लिए मजबूर कर दिया। कोरोना रोग की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए यह कदम आवश्यक भी हो गया। इस लाॅकडाउन व्यवस्था के परिणामस्वरूप आज देश का हर नागरिक केवल अपने घर में पारिवारिक सदस्यों के बीच बंधकर रह ग...
संतुलन बनाते-बनाते सच का मुंह तो नहीं नोचने लगे हैं हम?

संतुलन बनाते-बनाते सच का मुंह तो नहीं नोचने लगे हैं हम?

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कोरोना चीन से फैला, चीन ने फैलाया, लेकिन इसे चीनी वायरस कहने से यह रेसियल कमेंट हो जाता है। तबलीगी जमात में दुनिया भर के मजहबी धर्म प्रचारक कोरोना संक्रमण लेकर शामिल हुए और फिर सरकार व प्रशासन से छिपाते हुए घूम-घूम कर पूरे देश में इसे फैला दिया, लेकिन इसके लिए जमात की निंदा करने से यह कम्युनल कमेंट हो जाता है। कथित प्रोग्रेसिव व सेक्युलर लोग कोरोना की तुलना आए दिन होने वाली सड़क दुर्घटनाओं और अन्य बीमारियों से होने वाली मौतों से कर कर के थक गए, तो अब तबलीगी जमात की बैठक की तुलना तिरुपति बाला जी या वैष्णो देवी के श्रद्धालुओं की भीड़ से की जा रही है, बिना इस बात का जवाब दिये कि उन श्रद्धालुओं में कितने विदेशी थे, कितने कोरोना संक्रमित होने के कारण मर गए, लॉकडाउन के बाद कितनों ने मंदिर में पूजा करने की ज़िद की, कितने मंदिरों में छिपकर बैठे थे, कितनों ने संक्रमण की बात छिपाई और कितनों ...
तबलीगी जमात का निजामुद्दीन मुख्यालय कैसे बना मानव बम की फैक्ट्री

तबलीगी जमात का निजामुद्दीन मुख्यालय कैसे बना मानव बम की फैक्ट्री

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◆ दिल्ली के निजामुद्दीन वेस्ट के बंगलेवाली मरकज में 17 से 19 मार्च 2020 को हुए आलमी मसाबरात में विश्व भर के हजारों जमातियों ने भाग लिया था। ◆ निजामुद्दीन मरकज तबलीगी जमात का दिल्ली मुख्यालय है। ◆ इसमें से 24 जमाती आज दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने अभी तक  कोरोना पॉजिटिव कन्फर्म किये है, सैंकड़ों की जांच जारी है। ◆ इस मरकज में मलेशिया इंडोनेशिया चीन सहित दर्जनों देशों तथा भारत के 20 से अधिक राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया  था। ◆ इनमें से बहुत से जमाती साउथ ईस्ट एशिया की ग्लोबल मसाबरात 'इज्तिमा एशिया' से लौटे थे। ◆ ये इज्तिमा एशिया मलेशिया के सेलअंगोर नामक स्थान पर शेरीपेल्टिंग मस्जिद में हुआ था। ◆ 13 मार्च से दिल्ली में 50 से अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। ◆ जनता कर्फ्यू के बाद 23 मार्च को दिल्ली सरकार ने लॉक डाउन की घोषणा की। ◆ उसी दिन कानून तोड़ते हुए इ...
वैदिक जीवन पद्धति की ओर ढकेलेगा ‘करोना’

वैदिक जीवन पद्धति की ओर ढकेलेगा ‘करोना’

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-विनीत नारायण जब प्रधानमंत्री ने 22 मार्च को थाली या ताली बजाने का आवाह्न किया, तो मैंने सोशल मीडिया पर अपील जारी की कि ‘‘जिन घरों, मंदिरों, आश्रमों और संस्थाओं के पास शंख है वे 22 मार्च की शाम 5 बजे से, 5 मिनट तक, घर के बाहर आकर लगातार जोर से शंख ध्वनि करें। ऐसा वैज्ञानिक प्रयोगों से सिद्ध हो चुका है कि शंख ध्वनि करने से वातावरण में उपस्थित नकरात्मक ऊर्जा और बैक्टीरिया का नाश होता है। इसीलिए वैदिक संस्कृति में हर घर में सुबह शाम, पवित्रता के साथ, शंख ध्वनि करने की व्यवस्था हजारों वर्षों से चली आ रही है। जिसका हम, अपने घर में, आज भी पालन करते हैं। अगर देश की कुछ मेडिकल रीसर्च यूनिट्स चाहें तो तय्यारी कर लें। इस प्रस्तावित शंख ध्वनि के पहले और बाद में ये संस्थान अपने क्षेत्र में ‘करोना’ वाइरस पर इस ध्वनि के प्रभाव का अध्ययन भी कर सकते हैं। जिस तरह विश्व समुदाय ने मोदी जी की अपील पर योग द...
चलो पुरातन की ओर

चलो पुरातन की ओर

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एक सूक्ष्म से परजीवी ने आपको घुटनो पर ला दिया ? न एटम बम काम आ रहे न पेट्रो रिफाइनारी ? आपका सारा विकास एक छोटे से जीवाणु से सामना नहीं कर पा रहा ?? क्या हुआ , निकल गयी हेकड़ी ?? बस इतना ही कमाया था इतने वर्षों में ? की एक छोटे से जीव ने घरो में कैद कर दिया ??? मध्य युग में पुरे यूरोप पे राज करने वाला रोम ( इटली ) नष्ट होने के कगार पे आ गया , मध्य पूर्व को अपने कदमो से रोदने वाला ओस्मानिया साम्राज्य ( ईरान , टर्की ) अब घुटनो पर हैं , जिनके साम्राज्य का सूर्य कभी अस्त नहीं होता था , उस ब्रिटिश साम्राज्य के वारिश बर्मिंघम पैलेस में कैद हैं , जो स्वयं को आधुनिक युग की सबसे बड़ी शक्ति समझते थे , उस रूस के बॉर्डर सील हैं , जिनके एक इशारे पर दुनिया क नक़्शे बदल जाते हैं , जो पूरी दुनिया के अघोषित चौधरी हैं , उस अमेरिका में लॉक डाउन हैं और जो आने वाले समय में सबको निगल जाना चाहते थे , वो चीन ,...
हिन्दू संस्कृति अपनाए “कोरोना” को भगाए

हिन्दू संस्कृति अपनाए “कोरोना” को भगाए

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‘कोरोना’ का संक्रमण रोकने हेतु विश्‍वभर में हिन्दू संस्कृति के अनुसार आचरण आरंभ होना ही हिन्दू धर्म की महानता ! ‘नमस्कार’, ‘आयुर्वेद’, ‘शाकाहार’ आदि को अपनाकर स्वस्थ और आनंदित रहें ! विश्‍वभर में उत्पात मचानेवाले कोरोना विषाणु के संक्रमण के कारण अनेक देश बाधित हैं । कोरोना संक्रमित रोगियों की संख्या प्रतिदिन बढ रही है । इस संक्रमण को रोकने हेतु एक-दूसरे से मिलने पर ‘शेक-हैन्ड’ अर्थात हाथ मिलाना, ‘हग’ अर्थात गले लगना, चुंबन लेना आदि पाश्‍चात्य पद्धति भी कारणभूत सिद्ध हो रहे हैं, यह ध्यान में आने पर अनेक पाश्‍चात्य देशों में अब ‘नमस्ते’ बोलने की पद्धति प्रचलित हुई है । जिन अंग्रेजों ने हम पर 150 से भी अधिक वर्षों तक राज्य कर हिन्दू संस्कृति नष्ट करने का प्रयास किया, उसी इंग्लैंड के प्रिंस चार्ल्स एवं पोर्तुगाल के प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा सहित अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्...
कोरोना से जंग- क्यों भारत पर भरोसा करते सार्क मुल्क

कोरोना से जंग- क्यों भारत पर भरोसा करते सार्क मुल्क

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कहते ही हैं कि कष्ट और संकट में पड़ोसियों को एक-दूसरे के साथ खड़ा हो ही जाना चाहिए। संकट की स्थिति में पुराने गिले-शिकवे भुला ही देने चाहिए। दुनिया में आतंक और भय का पर्याय बन चुके “कोरोना वायरस” ने सार्क देशों को भी एक बार फिर साथ खड़ा कर दिया है। चलो, कम से कम इसी कोरोना के बहाने साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (सार्क)के सदस्य देश भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्री लंका, नेपाल, भूटान और मालदीव साथ-साथ तो आ गए हैं। कोरोना की चुनौती का मुकाबला करने के लिए अब सभी सार्क देश मिल- जुलकर एक एक्शन प्लान बनाने जा रहे हैं। अच्छी बात यह है कि यह पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ही की है। इसका सार्क के सभी देशों ने स्वागत भी किया। वे भारत के साथ इसलिए खड़ा होना चाहते हैं क्योंकि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए भारत सरकार ने अभूतपूर्व कदम उठाकर पूरे विश्व के समक्ष यह सिद्ध कर दिया है कि ...