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नवाचार, पेटेंट, उत्पादन और समृद्धि हो युवा वैज्ञानिकों का मूलमंत्र

नवाचार, पेटेंट, उत्पादन और समृद्धि हो युवा वैज्ञानिकों का मूलमंत्र

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‘युवा वैज्ञानिकों का आदर्श वाक्य – नवाचार,पेटेंट, उत्पादन, और समृद्धि होना चाहिए।’ केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान औरप्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; राज्य मंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय,कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष, डॉ जितेंद्र सिंह ने यह बात कही है।बेंगलुरु में दूसरे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) युवा वैज्ञानिक कॉन्क्लेव को संबोधित करतेहुए डॉ जितेंद्र सिंह ने यह बात कही है। उन्होंने कहा कि ‘नवाचार, पेटेंट, उत्पादन, और समृद्धि’का चार सूत्रीय मूलमंत्र एससीओ देशों को तेजी से विकास की ओर ले जाने में सक्षम है।डॉ जितेंद्र सिंह ने एससीओ के युवा वैज्ञानिकों से विशेष अनुरोध किया है कि विश्व और मानवकल्याण के लिए, वे आगे आएं और आम सामाजिक चुनौतियों के समाधान के लिए साथमिलकर कार्य करें। उन्होंने कहा कि एससीओ के युवा वैज्ञानिकों के बीच चर...
विवादित बयान से संविधान का अपमान ?

विवादित बयान से संविधान का अपमान ?

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डॉ. अजय कुमार मिश्रादेश में चल रहें अलग-अलग बयानों से कई विवाद अब सामने है | समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का रामचरित मानस पर दिया गया बयान जहाँ जबरजस्त विवादों में है और उन पर F.I.R. भी दर्ज किया गया है, वही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत का जातिगत व्यवस्था के लिए ब्राम्हणों को जिम्मेदार बताना, अब विवादों के घेरे में आ गया है | एक तरफ जहाँ समर्थक सफाई दे रहे है, वही विपक्ष के साथ-साथ कई संगठन और लोग दिए गए बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दे रहें है | ऐसे में आम जन मानस के मन में इन बयानों को लेकर कई प्रश्नों का आना स्वाभाविक है |एक तरफ जहाँ आम आदमी के कई जमीनी मुद्दे है जो चीख-चीख कर इन राजनैतिक ज्ञानियों से आग्रह कर रहें है की उनपर बयान दे, वही दूसरी तरफ आम लोगों को आपस में बाटने वाले राजनीतिक बयान अब सुर्खियाँ बटोरने लगे है | जिन्हें हम समाज का नेतृत्वकर्ता मा...
रामचरित मानस पर विवाद, राजनीतिक फसाद  

रामचरित मानस पर विवाद, राजनीतिक फसाद  

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दरअसल आजकल लोग जातिवाद के चलते चौपाई और श्लोकों के गलत अर्थ निकालने लगे हैं। उसके संदर्भ को काटकर वे उसके भाव को नहीं पकड़ते हैं। प्राचीन काल के गुरुकुल में हर जाति और संप्रदाय का व्यक्ति पढ़कर उच्च बनता था। वेदों को लिखने वाले ब्राह्मण नहीं थे। वाल्मीकि रामायण किसी ब्राह्मण ने नहीं लिखी। महाभारत और पुराण लिखने वाले वेद व्यास जी निषाद कन्या सत्यवती के पुत्र थे। रामचरितमानस हिंदुओं के लिए सिर्फ धार्मिक ग्रंथ ही नहीं बल्कि जीवनदर्शन है और संस्कारों से जुड़ा हुआ है। मानस कोई पुस्तक नहीं बल्कि मनुष्य के चरित्र निर्माण का विश्वविद्यालय है और लोगों के कार्य , व्यवहार में इसे स्पष्ट देखा जा सकता है। -डॉ सत्यवान सौरभ जब रामायण में प्रभु श्री राम के बारे में पढ़ते हैं और जो वर्तमान समाज में राम को जातीय, राजनीति के आधार पर बांटते है तो दोनों में जमीन आसमान का फर्क है। राम जैसा कोई नहीं वह सब...
72 घंटे में विस्तृत रिपोर्ट दे सेबीः गौतम अडाणी के पूर्व वकील हरीश साल्वे

72 घंटे में विस्तृत रिपोर्ट दे सेबीः गौतम अडाणी के पूर्व वकील हरीश साल्वे

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एक्सक्लूसिव | 72 घंटे में विस्तृत रिपोर्ट दे सेबीः गौतम अडाणी के पूर्व वकील हरीश साल्वेइंडिया टुडे से बात करते हुए, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि कोई भी इस बात से खुश नहीं है कि भारतीय व्यवसायी दुनिया में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं.हरीश साल्वेहरीश साल्वे ने कहा कि गौतम अडानी के खिलाफ लगाया गया आरोप भारत और भारतीयों पर एक बड़ा हमला है. (फाइल फोटो: पीटीआई)नलिनी शर्मा द्वारा: जैसा कि गौतम अडाणी का पोर्ट्स-टू-एनर्जी समूह सार्वजनिक रूप से एक छोटे विक्रेता द्वारा स्टॉक हेरफेर और लेखांकन धोखाधड़ी के आरोपों से लड़ता है, व्यवसायी के पूर्व वकील और भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने चल रहे विवाद पर कुछ प्रकाश डाला और कहा कि कोई भी नहीं मुझे इस बात की खुशी है कि भारत छाया से बाहर आ गया है और दुनिया में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। इंडिया टुडे से बात करते हुए हरीश साल्वे ने कह...
कनाडा- ऑस्ट्रेलिया में कब कुचले जाएंगे खालिस्तानी

कनाडा- ऑस्ट्रेलिया में कब कुचले जाएंगे खालिस्तानी

राष्ट्रीय
आर.के. सिन्हा अब तक जो मोटा-मोटी कनाडा में हो रहा था, वह अब ऑस्ट्रेलिया में भी होने लगा है। इन दोनों ही देशों में खालिस्तानियों की भारत विरोधी हरकतें लगातार बढ़ रही हैं। ये लफंगे खालिस्तानी कनाडा और आस्ट्रेलिया में भारतीय नागरिकों के साथ मारपीट कर रहे हैं और हिन्दू मंदिरों पर पथराव करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। चूंकि ये दोनों देश भारत के मित्र माने जाते हैं, इसलिए वहां पर हो रही घटनाएं हरेक भारतीयों के लिए चिंतित होना जरुरी है । कुछ भटके हुए नौजवान, जो अपने को खालिस्तानी कहते हैं, खुलकर भारत के खिलाफ मैदान में आ गए हैं। इन्होंने तिरंगा लेकर चल रहे भारतीयों पर आस्ट्रेलिया में हमला किया। वायरल वीडियो में कुछ लोग खालिस्तानी झंडा लहराते हुए नजर आ रहे हैं। कुछ भारतीय नागरिक अपने हाथों में तिरंगा लेकर आगे बढ़ रहे हैं, तभी खालिस्तानी उन पर हमला बोल देते हैं। उपद्रवियों के हाथ में लोहे की रॉड...
टूलकिट है बीबीसी

टूलकिट है बीबीसी

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लेखक -चंद्र प्रकाश कहावत है—रस्सी जल गई, लेकिन ऐंठन नहीं गई। विश्व की सबसे बड़ी औपनिवेशिक शक्ति ब्रिटेन के साथ इन दिनों कुछ यही हो रहा है। बिजली और गैस के बिल लगभग दोगुना बढ़ चुके हैं। अर्थव्यवस्था की हालत खराब है। देश को संभालने के लिए भारतीय मूल के एक हिंदू को प्रधानमंत्री पद पर स्वीकार करना पड़ा। स्पष्ट रूप से इसकी ही खीझ है कि ब्रिटेन के सरकारी चैनल बीबीसी ने दो भागों में एक डॉक्यूमेंट्री का प्रसारण किया। इसका उद्देश्य गुजरात दंगों को लेकर उस दुष्प्रचार को दोबारा हवा देना था, जिसकी पोल बहुत पहले खुल चुकी है। लेकिन बीबीसी ऐसा क्यों कर रहा है? उसके पीछे कौन-सी शक्तियां हैं? इस बात को समझने के लिए बीबीसी के इतिहास को समझना होगा, लेकिन पहले बात वर्तमान विवाद की। **डॉक्यूमेंट्री में क्या है?**‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ नाम की इस डॉक्यूमेंट्री में वर्ष 2002 में हुए गोधरा हत्याकांड और उ...
6 फरवरी 1915 : कवि प्रदीप का जन्म

6 फरवरी 1915 : कवि प्रदीप का जन्म

EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय
गीतों की शब्द शक्ति से राष्ट्रभक्ति और स्वाभिमान जागरण की यात्रा --रमेश शर्मा भारतीय स्वाधीनता संग्राम में करोड़ो प्राणों के बलिदान हुये । ये बलिदान साधारण नहीं थे । पर इन बलिदानों केलिये आव्हान करने वाले शब्द साधकों की भी एक धारा रही है जिन्होंने अपने शब्दों की शैली और गीतों के माध्यम से राष्ट्र जागरण का अभियान छेड़ा। ऐसे कालजयी रचनाकार हैं कवि प्रदीप। जिन्होंने अपने ओजस्वी गीतों से पूरे राष्ट्र में स्वत्व और स्वाभिमान की अलख जगाई। स्वतन्त्रता के पूर्व यदि उनके गीतों में संघर्ष केलिये आव्हान था तो स्वाधीनता के बाद राष्ट्र निर्माण की उत्प्रेरणा ।स्वाधीनता के पूर्व --"दूर हटो ये दुनियाँ वालो ये हिन्दुस्तान हमारा है ।" और स्वतंत्रता के बाद- "ऐ मेरे वतन के लोगो जरा आँख में भर लो पानी" जैसे अमर गीत के रचयिता कवि प्रदीप दुनियाँ के उन विरले गीतकारों में से हैं जिनका हर गीत लोकप्रि...
विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में बजा भारत का डंका

विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में बजा भारत का डंका

BREAKING NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, राष्ट्रीय
स्विजरलैंड के दावोस नामक स्थान पर दिनांक 16 जनवरी से 20 जनवरी 2023 तक विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम) की 43वीं वार्षिक बैठक का आयोजन किया गया था। विश्व आर्थिक मंच एक गैरलाभकारी अंतरराष्ट्रीय स्वतंत्र संस्था है जो निजी एवं सरकारी संस्थानों के बीच सहयोग स्थापित करने के उद्देश्य से काम करती है। विश्व आर्थिक मंच की प्रतिवर्ष होने वाली बैठक में विश्व के तमाम बड़े राजनेता, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, संस्कृति और समाज के क्षेत्र में कार्य करने वाले विशिष्ट व्यक्ति भाग लेते हैं। इस बैठक में वैश्विक एवं क्षेत्रीय स्तर पर आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक, पर्यावरण, राजनैतिक, औद्योगिक, आदि क्षेत्रों से सम्बंधित विषयों पर विस्तार से चर्चा की जाती है एवं इन समस्याओं का हल निकालने का प्रयास किया जाता है। विश्व आर्थिक मंच को लगभग 1000 सदस्य कम्पनियों, विशेष रूप से ...
पर्वतों के विकास पर हो पुनः विचार

पर्वतों के विकास पर हो पुनः विचार

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भारत देश के पर्वत अन्य देशों के पर्वतों की भांति साधारण नहीं है, वरन् इन पर्वतों पर विभिन्न देवी-देवताओं का वास है। उनमें भगवान शिव, भगवान विष्णु एवं माँ दुर्गा आदि अन्य देवी-देवता अनेकों रूपों में विराजमान हैं। अतीतकाल में अंग्रेजों ने इन्हीं पर्वत श्रृंखला के सौन्दर्य से परिपूर्ण शहरों यथा - शिमला, मसूरी, नैनीताल, दार्जीलिंग, रानीखेत आदि को अपनी मौज-मस्ती हेतु विकसित किया। उनकों विकसित करने में उनका यह प्रमुख उद्देशय था कि वे अपनी मित्र मंडली के साथ भारतीय महिलाओं पर अत्याचार व दुराचार कर सकें। अंग्रेजो ने भारत छोड़ने से पूर्व अपने समस्त बंगलें अपने चापलूसों और दासों को कम धनराशि में बेच दिए थे। वे देशद्रोही बंगले के मालिक इन भारतीय धरोहरों का संरक्षण करने में असमर्थ थे, अतः उन्होंने उनका विक्रय करना प्रारम्भ कर दिया और कुछ समय पश्चात ही वे बंगले होटलों में परिवर्तित होने लगे और वहा...
आरक्षण से 75 साल में नहीं बल्कि 7500 साल में भी सबको समान अवसर नहीं मिलेगा

आरक्षण से 75 साल में नहीं बल्कि 7500 साल में भी सबको समान अवसर नहीं मिलेगा

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*सबको समान अवसर उपलब्ध कराना है तो 12वीं तक समान शिक्षा (एक देश एक शिक्षा बोर्ड और एक देश एक पाठ्यक्रम) लागू करिए* *बंगाल का युवा बंगाली में पढ़े और गुजरात का युवा गुजराती में लेकिन सिलेबस समान होना चाहिए* *स्कूल माफियाओं के दबाव में 12वीं तक एक देश एक शिक्षा बोर्ड लागू नहीं हुआ* *कोचिंग माफियाओं के दबाव में 12वीं तक एक देश एक पाठ्यक्रम लागू नहीं हुआ* *किताब माफियाओं के दबाव में हिंदी अंग्रेजी संस्कृत गणित भौतिक विज्ञान रसायन रसायन जीव विज्ञान वनस्पति विज्ञान की एक किताब लागू नहीं हुई* *समान शिक्षा बिना समता-समरसता मूलक समाज की स्थापना नामुमकिन है* *वर्तमान समय में स्कूलों की पांच कैटेगरी है और किताब भी पांच प्रकार की है। आर्थिक रूप से कमजोर और गरीबी रेखा से नीचे के बच्चों की किताब और सिलेबस अलग है, निम्न आय वर्ग के बच्चों की किताब और सिलेबस अलग है, मध्यम आय वर्ग के ...