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रेपो दर में वृद्धि मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करते हुए रुपए को मजबूती भी प्रदान करेगी

रेपो दर में वृद्धि मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करते हुए रुपए को मजबूती भी प्रदान करेगी

EXCLUSIVE NEWS, आर्थिक, समाचार
दिनांक 08 फरवरी 2023 को भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बार पुनः रेपो दर में 25 आधार बिंदुओं की वृद्धि करते हुए इसे 6.5 प्रतिशत के स्तर पर पहुंचा दिया है। मई 2022 के बाद से भारतीय रिजर्व बैंक ने छठी बार रेपो दर में यह वृद्धि की है एवं अब कुल मिलाकर 250 आधार बिंदुओं की वृद्धि रेपो दर में की जा चुकी है। हालांकि, भारत के कई अर्थशास्त्रियों द्वारा इसका अनुमान पूर्व से ही लगाया जा रहा था क्योंकि एक तो मुद्रा स्फीति को नियंत्रण में बनाए रखना बहुत आवश्यक है और दूसरे वैश्विक स्तर पर अभी भी, विशेष रूप से विकसित देशों में, मुद्रा स्फीति की दर लगातार उच्च स्तर पर बनी हुई है एवं ये देश इसे नियंत्रित करने के उद्देश्य से ब्याज दरों में लगातार वृद्धि करते जा रहे हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, फ़्रान्स, जर्मनी आदि देशों ने अभी हाल ही में ब्याज दरों में 25 आधार बिंदुओं से लेकर 50 आधार बिंदुओं तक की वृद्धि की घोषणा क...
दूध की बढ़ती कीमतें नहीं, हमारी चिंता शेयर बाजार है

दूध की बढ़ती कीमतें नहीं, हमारी चिंता शेयर बाजार है

आर्थिक
मनोज कुमारदूध की बढ़ती कीमतें अब हमें नहीं डराती हैं। इस बढ़ोत्तरी पर हम कोई विमर्श नहीं करते हैं। हमारा सारा विमर्श का केन्द्र शेयर बाजार है। कौन सा पूंजीपति डूब रहा है, इस पर हम चिंता में घुले जा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि शेयर मार्केट की चिंता नहीं करना चाहिए लेकिन पहले तय तो हो कि जीवन के लिए दूध जरूरी है कि शेयर? क्या हम मान लें कि एक साथ तीन रुपये दूध की कीमत में बढ़ोत्तरी कोई माथे पर सलवटें नहीं डालती हैं? क्या हम मान लें कि रोजमर्रा की महंगाई से दो-चार होने को हमने स्वीकार कर लिया है? क्या हम मान लें कि दूध से ज्यादा जरूरी है कि शेयर मार्केट उठ रहा है या गिर रहा है? शायद इस समय का सच यही है कि हमने दूध, सब्जी, किराना और इसी तरह की दिनचर्या की जरूरी चीजों की महंगाई को महंगाई नहीं मान रहे हैं। बढ़ती महंगाई के लिए सत्ता और शासन को हम दोषी बताकर किनारा कर लेते हैं लेकिन जिन्हें शायद कल स...
विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में बजा भारत का डंका

विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में बजा भारत का डंका

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स्विजरलैंड के दावोस नामक स्थान पर दिनांक 16 जनवरी से 20 जनवरी 2023 तक विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम) की 43वीं वार्षिक बैठक का आयोजन किया गया था। विश्व आर्थिक मंच एक गैरलाभकारी अंतरराष्ट्रीय स्वतंत्र संस्था है जो निजी एवं सरकारी संस्थानों के बीच सहयोग स्थापित करने के उद्देश्य से काम करती है। विश्व आर्थिक मंच की प्रतिवर्ष होने वाली बैठक में विश्व के तमाम बड़े राजनेता, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, संस्कृति और समाज के क्षेत्र में कार्य करने वाले विशिष्ट व्यक्ति भाग लेते हैं। इस बैठक में वैश्विक एवं क्षेत्रीय स्तर पर आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक, पर्यावरण, राजनैतिक, औद्योगिक, आदि क्षेत्रों से सम्बंधित विषयों पर विस्तार से चर्चा की जाती है एवं इन समस्याओं का हल निकालने का प्रयास किया जाता है। विश्व आर्थिक मंच को लगभग 1000 सदस्य कम्पनियों, विशेष रूप से ...
समग्र विकास को लक्षित बजट

समग्र विकास को लक्षित बजट

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अवधेश कुमार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत बजट में आयकर सीमा की वृद्धि तथा स्लैब में परिवर्तन सबसे ज्यादा सुर्खियां पाया है। किंतु बजट को संपूर्णता में समझने के लिए उनके बजट भाषण के आरंभिक अंश का उल्लेख आवश्यक है। बजट भाषण का आरंभ करते हुए उन्होंने कहा कि अमृत काल का यह पहला बजट आजादी के 100 साल बाद भारत की परिकल्पना का बजट है। इसके बाद उन्होंने इस बजट के सात आधार बताएं और इसे सप्तर्षी नाम दिया। यह साफ आधार है 1. समावेशी विकास, 2. वंचितों को वरीयता, 3. बुनियादी ढांचे और निवेश, 4. क्षमता विस्तार 5. हरित विकास, 6. युवा शक्ति, एवं 7. वित्तीय क्षेत्र। सप्तर्षी के विवरण के साथ उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि बजट यानी सरकार का आर्थिक एजेंडा नागरिकों के लिए अवसरों को सुविधाजनक बनाने, विकास और रोज़गार सृजन को तेज़ गति प्रदान करने और व्यापक आर्थिक स्थिरता को मजबूत करने पर केंद्रित ह...
रेल बजट- सफर सुहावना करने का वादा

रेल बजट- सफर सुहावना करने का वादा

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आर.के. सिन्हा केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 45 लाख करोड़ का 2023-24 का बजट तो यही संकेत दे रहा है कि अब आपका रेलवे का सफर और सुहावना होने जा रहा है। यानी आपको रेल में यात्रा करने में आनंद आएगा। यह इसलिए संभव होगा क्योंकि सरकार रेलवे का कायाकल्प करने के प्रति दृढ़ संकल्प दिखा रही है। रेलवे का चौतरफा विकास करने का सिलसिला तो लगातार चल ही रहा है। इसे और गति देने के इरादे से ही केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2023-24 के बजट में रेलवे के लिए 2 लाख 40 ह्जार करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा है। इसके अतिरिक्त 75 हजार करोड़ रुपया नई परियोजनाओं को लागू करने पर खर्च किए जाने का प्रस्ताव अलग से है। पिछले साल 2022-23 में रेलवे के विकास के लिए 1.4 लाख करोड़ का बजट आवंटित किया गया था। यानि अब ...
भारत के अमृत काल का प्रथम बजट विकसित राष्ट्र की आधारशिला रखने वाला बजट

भारत के अमृत काल का प्रथम बजट विकसित राष्ट्र की आधारशिला रखने वाला बजट

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भारत का अमृत काल प्रारम्भ हो चुका है और वर्ष 2047 में भारत अपनी स्वाधीनता के 100 वर्ष पूरे कर रहा होगा। उस समय तक भारत को विश्व के मानचित्र पर एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की प्रेरणा देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भारतीय नागरिकों को दी है। अतः देश के पास अब केवल लगभग 24 वर्ष का समय ही शेष है, ऐसे में केंद्रीय वित्त मंत्री माननीय श्रीमती निर्मला सीतारमन द्वारा संसद में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए प्रस्तुत किया गया केंद्र सरकार का बजट भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की राह दिखा रहा है। यह बजट दरअसल अमृत काल का प्रथम बजट होने के कारण इसे भारत में अमृत काल की मजबूत आधारशिला रखने वाला बजट भी कहा जा सकता है। भारत में आध्यात्मिक दृष्टि से ऋषियों, मुनियों एवं गुरुओं द्वारा बताए गए मार्ग पर चलकर सफलता हासिल करने के कई उदाहरण सुनाई देते रहे हैं। इसी प्रकार वित्...
देश में अमृतकाल, बजट से मालामाल या बुरे होंगे हाल

देश में अमृतकाल, बजट से मालामाल या बुरे होंगे हाल

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अगले वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले यह मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट है.  केंद्रीय बजट से आम आदमी से लेकर उद्योग जगत को भी कई उम्मीदें हैं, कोरोना महामारी के बाद भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था की हालत दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले बेहतर है, फिलहाल भारतीय अर्थव्यवस्था जी 20  देशों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी है, हालांकि,देश की इकोनॉमी की रिकवरी तेज करने, कर्ज के बोझ में कमी लाने, मध्यम वर्ग को राहत देने और राजकोषीय घाटा कम करने जैसी बड़ी चुनौतियां हैं. साल 2023 उस समय को दिखाता है जब भारत अमृत काल में प्रवेश कर रहा है. आने वाले 25 सालों में 2047 का साल आएगा, जो हमारी स्वतंत्रता का 100वां साल होगा. -प्रियंका सौरभ मोदी सरकार 2024 के लिए एजेंडा सेट कर रही है और विपक्ष भी अपनी पिच तैयार कर रहा है। आज बजट के जरिए सरकार ने अपनी अर्थनीति देश के सामने रख दी।...
सप्तर्षि से उपमित दूरगामी अमृत बजट

सप्तर्षि से उपमित दूरगामी अमृत बजट

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-ः ललित गर्ग:-अमृत काल का पहला बजट अनेक दृष्टियों एवं दिशाओं से महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक है, क्योंकि इसमें वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सात फोकस क्षेत्रों की बात की, जिन्हें उन्होंने सरकार का मार्गदर्शन करने के लिए ‘सप्तऋषि’ कहा। कश्यप, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और भारद्वाज, इन सात ऋषियों को सप्तर्षि कहा जाता है, जो सृष्टि का संतुलन बनाने में अपनी योगदान देते हैं। भारत आर्थिक विकास एवं संतुलन में इन ऋषियों को आधार बनाने की बात एक मौलिक सोच एवं दिशा है। दुनिया ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक चमकते सितारे के रूप में स्थापित करने एवं सुदृढ़ आर्थिक विकास के लिये इस सप्तर्षि रूपी बजट में सात फोकस क्षेत्रों में समावेशी विकास, वंचितों को वरीयता, बुनियादी ढांचे और निवेश, क्षमता विस्तार हरित विकास, युवा शक्ति, वित्तीय क्षेत्रों पर बल दिया गया हैै, इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, डि...
केंद्रीय बजट 2023 की मुख्य बातें 

केंद्रीय बजट 2023 की मुख्य बातें 

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केंद्रीय बजट 2023 में नई कर व्यवस्था के तहत व्यक्तिगत कर छूट की सीमा बढ़ाकर ₹7 लाख की गई है और वेतनभोगी व्यक्तियों को ₹50,000 की मानक कटौती देने की घोषणा की गई है। नई व्यवस्था के तहत सर्वाधिक सरचार्ज रेट को 37% से घटाकर 25% किया गया है और पूंजीगत निवेश को बढ़ाकर ₹10 लाख करोड़ किया गया है। भारत की आजादी के 75वें वर्ष में पूरी दुनिया ने यह भली भांति स्‍वीकार कर लिया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक चमकता सितारा है क्योंकि कोविड-19 और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्‍तर पर व्यापक सुस्‍ती दर्ज किए जाने के बावजूद भारत की आर्थिक विकास दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो कि सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सर्वाधिक है। यह बात  केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज 01 फरवरी, 2023 को संसद में केन्‍द्रीय बजट 2023-24 पेश करते हुए कही। वित्त मंत्री ने विशेष जोर देते ह...
बढ़ती आर्थिक असमानता पर मंथन हो

बढ़ती आर्थिक असमानता पर मंथन हो

आर्थिक, विश्लेषण
- ललित गर्ग - वैश्विक संस्था ऑक्सफैम ने अपनी आर्थिक असमानता रिपोर्ट में समृद्धि के नाम पर पनप रहे नये नजरिया, विसंगतिपूर्ण आर्थिक संरचना एवं अमीरी गरीबी के बीच बढ़ते फासले की तथ्यपरक प्रभावी प्रस्तुति देते हुए इसे घातक बताया है। संभवतः यह एक बड़ी क्रांति एवं विद्रोह का कारण भी बन रहा है। आज देश एवं दुनिया की समृद्धि कुछ लोगों तक केन्द्रित हो गयी है, भारत में भी ऐसी तस्वीर दुनिया की तुलना में अधिक तीव्रता से देखने को मिल रही है। ऑक्सफैम ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि भारत में सबसे अमीर एक प्रतिशत के पास अब देश की कुल संपत्ति का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है। जबकि नीचे की आधी आबादी के पास कुल संपत्ति का केवल 3 प्रतिशत हिस्सा है। भारत के दस सबसे अमीरों पर 5 प्रतिशत टैक्स लगाने से बच्चों को स्कूल वापस लाने के लिए पूरा पैसा मिल सकता है। केवल एक अरबपति गौतम अडानी पर साल 2017 से 2021 के बीच ...