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आर्थिक

आर्थिक क्षेत्र में भी राष्ट्रीयता का भाव होना आवश्यक

आर्थिक क्षेत्र में भी राष्ट्रीयता का भाव होना आवश्यक

आर्थिक, सामाजिक
युगदृष्टा एवं राष्ट्रऋषि श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी के जन्म दिवस (10 नवम्बर) पर लेख आर्थिक क्षेत्र में भी राष्ट्रीयता का भाव होना आवश्यक श्री दत्तोपंत जी ठेंगड़ी का जन्म 10 नवम्बर, 1920 को, दीपावली के दिन, महाराष्ट्र के वर्धा जिले के आर्वी नामक ग्राम में हुआ था। श्री दत्तोपंत जी के पित्ताजी श्री बापूराव दाजीबा ठेंगड़ी, सुप्रसिद्ध अधिवक्ता थे, तथा माताजी, श्रीमती जानकी देवी, गंभीर आध्यात्मिक अभिरूची से सम्पन्न थी। उन्होंने बचपन में ही अपनी नेतृत्व क्षमता का आभास करा दिया था क्योंकि मात्र 15 वर्ष की अल्पायु में ही, आप आर्वी तालुका की ‘वानर सेना’ के अध्यक्ष बने तथा अगले वर्ष, म्यूनिसिपल हाई स्कूल आर्वी के छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गये थे। आपने बाल्यकाल से ही अपने आप को संघ के साथ जोड़ लिया था और आपने अपने एक सहपाठी और मुख्य शिक्षक श्री मोरोपंत जी पिंगले के सानिध्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक सं...
जेजे ईरानी के बिना भारत का स्टील सेक्टर

जेजे ईरानी के बिना भारत का स्टील सेक्टर

TOP STORIES, आर्थिक, राष्ट्रीय
जेजे ईरानी के बिना भारत का स्टील सेक्टर अथवा जेजे ईरानी में दिखाई देता था जेआरडी टाटा का अक्स आर.के. सिन्हा जेजे ईरानी एक अरसा पहले टाटा स्टील के मैनेजिंग डायरेक्टर पद से मुक्त होने के बाद खबरों की दुनिया से कमोबेश गायब से थे। पर उनके हाल ही में हुये निधन के बाद उन्हें जिस तरह से याद किया जा रहा है, उससे साफ है कि वे असाधारण कोरपोरेट हस्ती थे। 'स्टीलमैन ऑफ इंडिया' के नाम से मशहूर जेजे ईरानी को झारखंड, बिहार और स्टील की दुनिया से जुड़े हर शख्स का खास सम्मान मिलता रहा। पुणे में जन्मे जेजे ईरानी ने अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा जमशेदपुर में गुजारा। एक इंटरव्यू में अपनी इच्छा जाहिर करते हुए उन्होंने कहा था कि जिस शहर में पूरी जिंदगी काम किया, आखिरी सांस भी उसी शहर में लेना चाहते हैं। ईश्वर ने उनकी यह इच्छा पूरी की। जेजे ईरानी में नेतृत्व के भरपूर ग...
कई देशों की मुद्राओं की तुलना में मजबूत हो रहा भारतीय रुपया

कई देशों की मुद्राओं की तुलना में मजबूत हो रहा भारतीय रुपया

BREAKING NEWS, EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक
कई देशों की मुद्राओं की तुलना में मजबूत हो रहा भारतीय रुपया विश्व के कई देशों में मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने के उद्देश्य से वहां के केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में लगातार वृद्धि की जा रही है। विशेष रूप से अमेरिका में ब्याज दरों में की जा रही वृद्धि का असर अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर भी पड़ रहा है क्योंकि अमेरिकी डॉलर वैश्विक स्तर पर किए जाने वाले आर्थिक व्यवहारों के निपटान का एक सशक्त माध्यम है। इस कारण के चलते सामान्यतः कई देशों में विदेशी निवेश भी अमेरिकी डॉलर में ही किए जाते हैं। अभी हाल ही में अमेरिकी केंद्रीय बैंक (यूएस फेड) ने अमेरिका में ब्याज दरों में लगातार तेज वृद्धि की है क्योंकि अमेरिका में मुद्रा स्फीति की दर पिछले 40 वर्षों के एतिहासिक स्तर पर पहुंच गई है। ब्याज दरों में की गई तेज वृद्धि के कारण अन्य देशों में विशेष रूप से वहां के पूंजी बाजार (शेयर मार्केट)...

अधिकांश खराब नीतियां केवल अच्छी नीतियां होती हैं जिन्हें बहुत दूर ले जाया जाता है। – डॉ थॉमस सोवेल

आर्थिक
अर्थशास्त्र का एक बड़ा ही बेसिक सा नियम है : क्रमागत उपयोगिता ह्रास नियम (law of diminishing marginal utility). सरल शब्दों में इसे समझाया गया कि जब आप दुकान पर एक समोसा खाते हैं तो बहुत संतुष्टि मिलती है, पर जब आप और एक के बाद दूसरा, तीसरा, चौथा समोसा खाने लगते हैं तो चौथे समोसे से उतनी संतुष्टि नहीं मिलती. और अगर आपने बारह या बीस समोसे खाने की शर्त लगा रखी हो तो आपको उसके बाद समोसे से चिढ़ हो जायेगी. यह सिर्फ अर्थशास्त्र का नियम नहीं है, यह जीवन का सामान्य नियम है. आप अच्छी से अच्छी चीज को उस सीमा पर ले जाकर छोड़ सकते हैं जहां वह एक बुरी चीज बन जाए. और वामपंथी इस नियम का भरपूर प्रयोग करते हैं. उन्होंने जितने भी हथकंडे अपनाए हैं, वे सभी अपने आप में बुरी चीजें नहीं हैं. कोई नहीं कह सकता कि स्त्रियों को समान अधिकार नहीं मिलने चाहिए, उनकी स्थिति में सुधार की गुंजाइश नहीं है... कोई नही...
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में पीएम किसान सम्मान

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में पीएम किसान सम्मान

Today News, आर्थिक
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में पीएम किसान सम्मान सम्मेलन 2022 का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत 600 प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों (पीएमकेएसके) का भी शुभारंभ किया। इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना- एक राष्ट्र एक उर्वरक का भी शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत 16,000 करोड़ रुपये की 12वीं किस्त भी जारी की। प्रधानमंत्री ने कृषि स्टार्टअप कॉन्क्लेव और प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने उर्वरक पर एक ई-पत्रिका 'इंडियन एज' का भी विमोचन किया। श्री मोदी ने स्टार्टअप प्रदर्शनी की थीम पवेलिय...
उत्सर्जन वृद्धि पर अंकुश लगाने हेतु भारत के सराहनीय प्रयास   

उत्सर्जन वृद्धि पर अंकुश लगाने हेतु भारत के सराहनीय प्रयास   

आर्थिक
उत्सर्जन वृद्धि पर अंकुश लगाने हेतु भारत के सराहनीय प्रयास    कई अनुसंधान प्रतिवेदनों के माध्यम से अब यह सिद्ध किया जा चुका है कि वर्तमान में  अनियमित हो रहे मानसून के पीछे जलवायु परिवर्तन का योगदान हो सकता है। कुछ ही  घंटों में पूरे महीने की सीमा से भी अधिक बारिश का होना, शहरों में बाढ़ की स्थिति निर्मित होना, शहरों में भूकम्प के झटके एवं साथ में सुनामी का आना, आदि प्राकृतिक  आपदाओं जैसी घटनाओं के बार-बार घटित होने के पीछे भी जलवायु परिवर्तन एक मुख्य कारण हो सकता है। एक अनुसंधान प्रतिवेदन के अनुसार, यदि वातावरण में 4 डिग्री सेल्सियस से तापमान बढ़ जाय तो भारत के तटीय किनारों के आसपास रह रहे लगभग 5.5 करोड़ लोगों के घर समुद्र में समा जाएंगे। साथ ही, चीन के शांघाई, शांटोयु, भारत के कोलकाता, मुंबई, वियतनाम के हनोई एवं बांग्लादेश के खुलना शहरों की इतन...
भारत की आर्थिक उपलब्धियों को कमतर क्यों आंका जा रहा है

भारत की आर्थिक उपलब्धियों को कमतर क्यों आंका जा रहा है

आर्थिक
भारत की आर्थिक उपलब्धियों को कमतर क्यों आंका जा रहा है   ऐसा कहा जाता है कि अर्थशास्त्र एक जटिल विषय है। जिस प्रकार शरीर की विभिन्न नसें, एक दूसरे से जुड़ी होकर पूरे शरीर में फैली होती हैं और एक दूसरे को प्रभावित करती रहती हैं, उसी प्रकार अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलू (रुपए की कीमत, ब्याज दरें, मुद्रा स्फीति, बेरोजगारी, आर्थिक असमानता, वित्त की व्यवस्था, विदेशी ऋण, विदेशी निवेश, वित्तीय घाटा, व्यापार घाटा, सकल घरेलू उत्पाद, विदेशी व्यापार, आदि) भी आपस में जुड़े होते हैं और पूरी अर्थव्यवस्था एवं एक दूसरे को प्रभावित करते रहते हैं। विषय की इस जटिलता के चलते अक्सर कई व्यक्ति अर्थव्यवस्था सम्बंधी अपनी राय प्रकट करने में गलती कर जाते हैं। जैसे, केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले आम बजट पर विपक्षी नेताओं द्वारा अक्सर यह टिप्पणी की जाती है कि इस बजट में तो आं...
आर्थिक असमानता एवं संघ की चिन्ता के मायने

आर्थिक असमानता एवं संघ की चिन्ता के मायने

Current Affaires, TOP STORIES, आर्थिक
आर्थिक असमानता एवं संघ की चिन्ता के मायने- ललित गर्ग -राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश की समस्याओं पर निरन्तर नजर रखता रहा है। गरीबी, महंगाई, अभाव, शिक्षा, चिकित्सा, सेवा और बेरोजगारी आदि क्षेत्रों में उसकी दखल से देश में व्यापक सकारात्मक बदलाव होते हुए देखे गये हैं। संघ की दृष्टि में आजादी के 75 साल बाद भी गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी अगर देश के प्रमुख मुद्दे बन कर छाए रहें, तो यह चिंता की बात होनी ही चाहिए। इस चिन्ता को महसूस करते हुए स्वदेशी जागरण मंच के एक कार्यक्रम में संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने संघ का आर्थिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए भारतीय जनता पार्टी के सरकार के दौरान इन समस्याओं के बरकरार रहने पर चिन्ता जताई। दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि 23 करोड़ लोग आज भी गरीबी रेखा से नीचे हैं। देश के बड़े हिस्से को आज भी साफ पानी और दो समय के भोजन के लिए संघर्ष करना पड़ता है। निश्चित ही हो...
दुुनिया के नवाचार में भारत की छलांगं एक बड़ी उपलब्धि

दुुनिया के नवाचार में भारत की छलांगं एक बड़ी उपलब्धि

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दुुनिया के नवाचार में भारत की छलांगं एक बड़ी उपलब्धि- ललित गर्ग -भारत दुनिया में नवाचार की दृष्टि से उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कर रहा है। संभवतः आजादी के बाद यह पहला अवसर है कि भारत के विकास की दृष्टि से नवाचार (इनोवेशन) के जितने सफल एवं सार्थक प्रयोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हो रहे हैं, उतने पूर्व में नहीं हुए हैं। उससे दुनिया में भारत की छवि बदली है एवं प्रतिष्ठा बढ़ी है। दुनिया में तरक्की व प्रगति का बुनियादी आधार नवाचार ही होता है। इस क्षेत्र से भारत के लिए सुखद और गर्व करने योग्य खबर है कि हमनेे एक बड़ी छलांग लगाई है। एक साल पहले के 46वें स्थान के मुकाबले अब हम 40वें स्थान पर आ गए हैं। सात साल में भारत इनोवेशन का निर्धारण करने वाली ग्लोबल इंडेक्स में 81वें स्थान से उछलकर 40वें पायदान पर पहुंच गया है। शीर्ष स्तर पर एक साल में छह स्थान की एवं सात साल में 41 स्थान की छलांग...
भारत, दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादक तथा उपभोक्ता और दुनिया के दूसरे सबसे बड़े चीनी निर्यातक के रूप में उभर कर सामने आया

भारत, दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादक तथा उपभोक्ता और दुनिया के दूसरे सबसे बड़े चीनी निर्यातक के रूप में उभर कर सामने आया

BREAKING NEWS, आर्थिक
भारत, दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादक तथा उपभोक्ता और दुनिया के दूसरे सबसे बड़े चीनी निर्यातक के रूप में उभर कर सामने आया देश में चीनी सत्र (अक्टूबर-सितंबर) 2021-22 के दौरान 5000 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) से अधिक गन्ने का उत्पादन हुआ है, जिसमें से लगभग 3574 एलएमटी गन्ने को चीनी मिलों ने संवर्धित कर करीब 394 लाख मीट्रिक टन चीनी (सुक्रोज) का उत्पादन किया है। इसमें से एथनॉल तैयार करने के लिए 35 लाख मीट्रिक टन चीनी का इस्तेमाल किया गया और चीनी मिलों द्वारा 359 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन किया गया। साथ ही, भारत अब दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक तथा उपभोक्ता और दुनिया के दूसरे सबसे बड़े चीनी निर्यातक के रूप में उभर कर सामने आया है। यह सत्र भारतीय चीनी उद्योग के लिए कई मायनों में ऐतिहासिक साबित हुआ है। गन्ना उत्पादन, चीनी उत्पादन, चीनी निर्यात, गन्ना खरीद, गन्ना बकाया भुगतान और एथनॉल उत्...