चुनावी बांड: जेब तुम्हारी, हाथ हमारा
डॉ. वेदप्रताप वैदिक
अब सरकार और चुनाव आयोग में मुठभेड़ की तैयारी है। 2017 के बजट में वित्तमंत्री ने चुनावी बांड जारी करने की बात कही थी। उसे अब वे अमली जामा पहनानेवाले हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने सरकार को लिखा है कि इन बांडों से चुनावी चंदे की पारदर्शिता खत्म हो जाएगी। इन बांडों के जारी होने पर यह पता ही नहीं लग सकेगा कि किस पार्टी को किसने कितना चंदा दिया है। अभी तो कोई व्यक्ति दो हजार तक और कोई संस्था 20 हजार तक चंदा दे तो उसे अपना नाम बताने की जरुरत नहीं है लेकिन अब लोग करोड़ों रु. के बांड बनवाएंगे और वे चाहे जिस पार्टी को दे सकेंगे। देनेवाले और लेनेवाले के नाम बिल्कुल गोपनीय रखे जाएंगे। चंदादाता को अपनी आडिट रिपोर्ट में भी उसे दिखाने की जरुरत नहीं होगी। चंदा बैंको के जरिए ही दिया जा सकेगा। याने बांड बनाते वक्त बैंक भी डटकर कमीशन कमाएंगे। जो बांड बनवाएगा, उसका नाम बैंक को तो प...