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ऑस्कर की उपलब्धि को हम सीढ़िया बनाये

ऑस्कर की उपलब्धि को हम सीढ़िया बनाये

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-ललित गर्ग-भारतीय सिनेमा ने एक स्वर्णिम इतिहास रचते हुए पहली बार दो ऑस्कर जीत कर जश्न का अभूतपूर्व अवसर प्रदत्त किया है। आजादी के अमृत महोत्सव की अमृत बेला में 95वें ऑस्कर पुरस्कारों ने भारत सिनेमा में विशेष रूप से अमृतकाल को जन्म दिया है। अंतरराष्ट्रीय सिनेमा के सबसे चमकदार भव्य मंच पर एक साथ दो अलग अलग भारतीय फिल्मों ने बाजी मार कर हर भारतीय को गौरवान्वित किया है। तेलुगु फिल्म “आरआरआर“ और डॉक्यूमेंट्री ‘द एलिफेंट विस्पर्स’ ने दो अलग अलग श्रेणियों में ऑस्कर पुरस्कार जीत लिए हैं। हालांकि 91 साल के ऑस्कर इतिहास में अब तक किसी भी भारतीय फिल्म को ऑस्कर नहीं मिल सका है। कुछ ऐसे भारतीय कलाकार भानु अथैया, सत्यजीत रे, ऐ. आर. रहमान एवं  गुलजार जरूर रहे हैं, जिन्होंने अपने बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर अकादमी पुरस्कार प्राप्त कर देश को गौरवान्वित करने का मौका दिया है। फिल्म ’स्लमडॉग मिलियनेयर’ के लिए ...
बाज़ारवाद के इस दौर में क्या ग्राहक वाकई राजा है?

बाज़ारवाद के इस दौर में क्या ग्राहक वाकई राजा है?

आर्थिक, जीवन शैली / फिल्में / टीवी
बाज़ारवाद के इस दौर में क्या ग्राहक वाकई राजा है?आज हम जिस दौर में जी रहे हैं वो है बाज़ारवाद और उपभोक्तावाद का दौर। अब पहला प्रश्न यह कि इसका क्या मतलब हुआ? परिभाषा के हिसाब से यदि इसका अर्थ किया जाए तो वो ये होगा कि आज उपभोक्ता (यानी किसी भी वस्तु का उपयोग करने वाला) ही राजा है। खास बात यह है कि बाज़ारवाद के इस दौर में उपभोगता की जरूरत से आगे बढ़कर उसके आराम को केंद्र में रखकर ही वस्तुओं का निर्माण किया जा रहा है।मोबाइल है तो यूजर फ्रेंडली। कोई ऐप है तो उसका इस्तेमाल करने वाले की उम्र यानी बच्चे, युवा, अथवा वयस्क के मानसिक विकास,उसकी जरूरतों और क्षमताओं को ध्यान में रखकर उसे कस्टमर फ्रेंड्ली बनाया जा रहा है। अगर रोबोट है तो ह्यूमन फ्रेंड्ली। और पूंजीवाद के इस युग में तो मनुष्य के उपभोग के लिए समान बनाने वाली विभिन्न कंपनियां उसे अपनी ओर आकर्षित करने के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा कर र...
गांधी और गोड़से विचार युद्ध फिल्म देखने का शुभ अवसर

गांधी और गोड़से विचार युद्ध फिल्म देखने का शुभ अवसर

TOP STORIES, जीवन शैली / फिल्में / टीवी
गांधी और गोड़से विचार युद्ध फिल्म देखने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ। इस फिल्म को राजकुमार संतोषी ने निर्देशन किया है तथा असगर वजाहत के नाटक पर यह फिल्म आधारित है। इसका संवाद भी असगर वजाहत एवं राजकुमार संतोषी ने लिखा है। विचार की दृष्टि से यह फिल्म विचारोत्तेजक है। इसमें गोडसे और गांधी के विचार संतुलित ढंग से प्रस्तुत किए गए हैं। फिल्म बनाते समय यह ध्यान रखा गया है कि दोनों के विचार प्रमुखता से आएं। गोडसे के अपने तर्क थे और उन तर्कों के माध्यम से वह देश के हिंदुओं की दशा और दुर्दशा को देखकर व्यथित नजर आते हैं और उन्हें लगता है कि कहीं न कहीं गांधीजी हिंदुओं की समस्याओं, तकलीफों, वेदनाओं एवं कष्टों को समझने की चेष्टा नहीं करते। हर जगह उन्हें अपनी छवि की चिंता रहती है। वही गांधी के अपने तर्क हैं वह हर समस्याओं का निदान अहिंसा के माध्यम से देखना चाहते हैं। गांधी अपने विचारों से गोडसे को प्रभावित...
दर्शक साफ-सुथरी फिल्म देखना चाहते हैं लेकिन उनके पास बहुत ऑप्शन नहीं रहा है: मधुप कुमार

दर्शक साफ-सुथरी फिल्म देखना चाहते हैं लेकिन उनके पास बहुत ऑप्शन नहीं रहा है: मधुप कुमार

जीवन शैली / फिल्में / टीवी
दर्शक साफ-सुथरी फिल्म देखना चाहते हैं लेकिन उनके पास बहुत ऑप्शन नहीं रहा है: मधुप कुमार• यूपी के गोंडा जिला के सच्ची घटना पर आधारित है फिल्म• 10 फरवरी को सिनेमाघरों में होगी रिलीज ब्रांडेक्स एंटरनमेंट प्रस्तुत और चित्रगुप्त आर्ट्स व युनि प्लेयर्स फिल्म्स प्रोडक्शन के बैनर तले बनी हिंदी फिल्म पलक का ट्रेलर लॉन्च होने के साथ ही आम लोगों के मन में एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर एक अंधी लड़की पलक अपना नेत्रदान कैसे करती है? पलक फिल्म का ट्रेलर अपने लॉच होने के 24 घंटे में ही 12 लाख से ज्यादा व्यू प्राप्त कर चुका है। ब्रांडेक्स म्यूजिक के यूट्यूब चैनल पर रिलीज हुए इस फिल्म के ट्रेलर के बाद फिल्म क्रिटिक इस फिल्म को लेकर बहुत अच्छी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। आम दर्शकों से भी अच्छा रिसपॉस मिल रहा है। इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली आए इस फिल्म के निर्माता मधुप कुमार से वरिष्ठ स्व...
“देश और लोगों को सशक्त बनाता है वैज्ञानिक चेतना से लैस

“देश और लोगों को सशक्त बनाता है वैज्ञानिक चेतना से लैस

BREAKING NEWS, TOP STORIES, जीवन शैली / फिल्में / टीवी, समाचार
सिनेमा”उमाशंकर मिश्रभारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (INSA) मेंविज्ञान संचार सलाहकार डॉ चंद्र मोहन नौटियाल ने कहा कि विज्ञान से भरपूर सिनेमा समाजकी तकनीकी ताकत है और यह देश और इसके लोगों को सशक्त बनाने का एक प्रभावी उपकरणहै। वह शनिवार को रजत जयंती सभागार, पं. खुशी लाल शर्मा आयुर्वेद संस्थान, भोपाल, मध्यप्रदेश में शुरू हुए तीन दिवसीय भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव(आईएसएफएफआई) में मुख्य वक्ता के तौर पर बोल रहे थे। प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. चंद्र मोहननौटियाल जी-20 के कार्यकारी समूहों में से एक विज्ञान-20 (एस-20) के विशेष संदर्भ में"फिल्म्स टू रिफ्लेक्ट इंडियाज इमर्जेंस एज साइंस एंड टेक्नोलॉजी लीडर" विषय पर सभा कोसंबोधित कर रहे थे।वर्ष 2023 में जी-20 की अध्यक्षता भारत कर रहा है। 2023 के लिए S-20 की थीम'नवोन्मेषी और सतत् विकास के लिए विघटनकारी विज्ञान' है। पिछले कई वर्षों से, G-20 देशो...
सेहत के लिए वरदान है बाजरा

सेहत के लिए वरदान है बाजरा

जीवन शैली / फिल्में / टीवी
बाजरा खनिज, विटामिन और आहार फाइबर सामग्री के मामले में चावल और गेहूं से बेहतर है। वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाया जाएगा। उत्पाद विकास और वाणिज्यिक अनुपात पर अपर्याप्त निवेश, छोटे बाजरे के भोजन की निम्न सामाजिक स्थिति, आहार संबंधी आदतों के प्रति प्रतिरोध और दैनिक आहार में छोटे बाजरा के उपयोग पर ज्ञान की कमी इसकी खपत को बाधित कर रही है। बाजरे में प्रोटीन, सोडियम, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर समेत कई पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. जाड़े के समय इसका इस्तेमाल आप दलिया, खिचड़ी या इसके आटे की रोटी के तौर पर कर सकते हैं. इसे खाने से पेट का पाचन तंत्र दूरूस्त रहता है और गैस, पेट दर्द, अपच समेत कई दिक्कतों को दूर रखता है. बाजरे में आयरन की अच्छी खासी मात्रा पाई जाती है जो शरीर में ब्लड बढ़ाने में मदद करती है. इसके सेवन से हार्ट ब्लॉकेज का खतरा कम होता है और हार्ट भी...
पठान फ़िल्म और वैचारिक युद्ध

पठान फ़िल्म और वैचारिक युद्ध

TOP STORIES, जीवन शैली / फिल्में / टीवी
बीते चौबीस घंटों में कुछ बातें पूरी तरह स्पष्ट हो गई है। कभी किसी विवादित विषय पर न बोलने वाले अभिनेता अमिताभ बच्चन ‘पठान’ के विवाद पर बोल पड़े हैं। ये भी स्पष्ट हुआ कि अट्ठाईसवाँ कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का मंच उन डरे हुए लोगों का मंच बन गया, जो इन दिनों अपने विचार अभिव्यक्त नहीं कर पा रहे थे। जिनको सदी का महानायक कहा जाता है, उनकी चुप्पी टूटी भी तो पठान के एक अधनंगे गीत पर। आम तौर पर देश में वैचारिक युद्ध की स्थिति बनी ही रहती है लेकिन इस प्रकरण से कई अदृश्य निशाने भी साधे जा रहे हैं। कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के मंच से शाहरुख़ खान और महेश भट्ट के बाद अमिताभ ने भी अपने विचार प्रकट किये। अमिताभ ने पहला प्रहार ही दक्षिण भारतीय सिनेमा पर कर दिया। उन्होंने कहा ‘ऐतिहासिक विषयों पर बनने वाली मौजूदा दौर की फिल्में काल्पनिक अंधराष्ट्रवाद में जकड़ी हुई हैं। उनका इशारा ‘आरआर...
 टीवी अभिनेत्री वाणी कपूर थी मेरी परिचित, साहित्य में थी उनकी रूचि 

 टीवी अभिनेत्री वाणी कपूर थी मेरी परिचित, साहित्य में थी उनकी रूचि 

जीवन शैली / फिल्में / टीवी, राष्ट्रीय
कलयुगी बेटे ने अमिनेत्री मां को मार डाला आचार्य श्री विष्णुगुप्त  अरे यह तो वही वाणी कपूर है, कितनी संवेदनशील और गंभीर मनुष्य थी, सीरियलों और थर्ड ग्रेड की फिल्मों के विशेषज्ञ। उसकी हत्या की खबर पढ कर और उसके फोटो देख कर मेरे मन की प्रतिक्रिया यही थी। पन्द्रह साल पुरानी मुलाकात की यादें ताजा हो गयी। बेटे द्वारा ही उसकी हत्या पर एक पल के लिए विश्वास नहीं होता है। पर सत्य तो सत्य होता है। सत्य को कैसे झूठलाया जा सकता है।              टीवी अभिनेत्री वाणी कपूर का इतना बर्बर और हिंसक अंत होगा, यह उम्मीद से परे हैं और लोभ-लालच की बर्बर व अमानवीय कहानी सामने आती है। मां-बेटे के रिश्ते को भी कंलकित कर दिया है। मानवता को शर्मसार करती है। वाणी कपूर को उनका फ्लैट ही हत्या का कारण बन गया। उनके फ्लैट की कीमत थी 12 करोड़। इस 12 करोड़ के फ्लैट के लिए ही उसके ब...
अन्य देशों के साथ संबंधों के निर्माण में भारतीय सिनेमा

अन्य देशों के साथ संबंधों के निर्माण में भारतीय सिनेमा

जीवन शैली / फिल्में / टीवी
खुशी की बात है कि हमारा क्षेत्रीय सिनेमा बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा है। इन क्षेत्रों से कई दमदार फिल्में आ रही हैं। भारतीय सिनेमा हमारे देश की विशाल विविधता को दर्शाता है जो विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों और भाषाओं का घर है। इस तरह की सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाएं भी दुनिया के कई हिस्सों में व्यापक रूप से प्रचलित हैं। इस संबंध में भारतीय सिनेमा अन्य देशों के साथ सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा दे सकता है। सिर्फ हिंदी फिल्में ही नहीं बल्कि भारतीय भाषाओं की फिल्मों को भी अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक दर्शक मिल रहे हैं। विश्व भर मैं फैले भारतीय मूल के लोगों में खूब लोकप्रिय सिनेमा के वैश्वीकरण से इस में मदद मिल सकती है। हमें भारत को ब्रांड बनाने के लिए सामग्री तैयार करने और देश को दुनिया का सामग्री उपमहाद्वीप बनाने के लिए हमें फिल्म बिरादरी और भारत की ताकत का इस्तेमाल करते हुए सार्वजनिक-...
टेलीविजन और सिनेमा के साथ जुड़े राष्ट्रीय हित

टेलीविजन और सिनेमा के साथ जुड़े राष्ट्रीय हित

जीवन शैली / फिल्में / टीवी
टेलीविजन और सिनेमा के साथ जुड़े राष्ट्रीय हित टेलीविजन और सिनेमा में कुछ विषय या कहानियां लोगों को एक साथ ला सकती हैं और उन्हें धर्म, जाति और समाज को विभाजित करने वाली ऐसी अन्य गलत रेखाओं से ऊपर उठकर एकजुट कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, फिल्म चक दे ​​​​इंडिया बहुत बड़ी हिट थी और इसने सभी भारतीयों के मन में देशभक्ति की भावना जगाई। मेगा स्टार्स के सिनेमा से युवा आसानी से प्रभावित हो जाते हैं, जिनके पास बहुत बड़ा फैन बेस होता है। अगर ऐसे फिल्मी सितारों को देश पर बनी फिल्म में शामिल किया जाए तो इससे सामाजिक बदलाव आ सकता है। जैसे, शेरशाह, उरी आदि फिल्में। -डॉ सत्यवान सौरभ केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'भारत में टेलीविजन चैनलों की अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग के लिए दिशानिर्देश, 2022' को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत राष्ट्रीय और सार्वजनिक हित में सामग्री प्रसारित करना चैनलों के लिए अनिवार्य हो गया है।...