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जैन तीर्थ के अस्तित्व एवं अस्मिता से खिलवाड़ क्यों?

जैन तीर्थ के अस्तित्व एवं अस्मिता से खिलवाड़ क्यों?

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- ललित गर्ग- जैन समाज के सर्वोच्च तीर्थ सम्मेद शिखर को लेकर देशभर में गुस्सा और आक्रोश का उबरना झारखंड सरकार की दूषित नीति को दर्शा रहा है। गिरिडीह जिले में स्थित पारसनाथ पहाड़ी को पर्यटन केन्द्र घोषित किया जाना, जैन समाज की आस्था एवं भक्ति से खिलवाड़ है, उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करना है। इसके खिलाफ देशभर में जैन समाज के लोग इसलिये प्रदर्शन कर रहे हैं कि पारसनाथ पहाड़ी दुनिया भर के जैन धर्मावलंबियों में सर्वाेच्च तीर्थ सम्मेद शिखर के तौर पर प्रसिद्ध है। इसे पर्यटन केन्द्र घोषित करने से इसकी पवित्रता खण्डित होगी, मांस-मदिरा का सेवन करने वाले लोग आने लगेगे। यह मौज-मस्ती का अड्डा एवं अनेक अधार्मिक गतिविधियों का यह केन्द्र बन जायेंगा। किसी व्यक्ति के बारे में सबसे बड़ी बात जो कही जा सकती है, वह यह है कि ”उसने अपने चरित्र पर कालिख नहीं लगने दी।“  जब व्यक्ति अपने पर कालिख नहीं लगने द...
29 दिसम्बर 1666 : गुरु गोविन्द सिंह का जन्म 

29 दिसम्बर 1666 : गुरु गोविन्द सिंह का जन्म 

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राष्ट्र और संस्कृति के रक्षा के लिये   समर्पित जीवन और बलिदान  -- रमेश शर्मा  दसवें सिख गुरु गोविन्द सिंह जी की गणना यदि हम अवतार की श्रेणी में करें तो अनुचित न होगा।  उनका पूरा जीवन भारत राष्ट्र, सत्य, धर्म और संस्कृति की रक्षा केलिये समर्पित रहा । मानों वे इस राष्ट्र के लिये ही संसार में आये थे । उन्होंने मुगल सल्तनत द्वारा भारत के इस्लामिक रूपान्तरण अभियान रोकने में एक महत्वपूर्ण भूमिका रही।  गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म पौष शुक्ल पक्ष सप्तमी को बिहार के पटना नगर में हुआ था । यह 1666 ईस्वी का वर्ष था । इस वर्ष यह तिथि 29 दिसम्बर को पड़ रही है । पर उस वर्ष यह पौष शुक्ल पक्ष की सप्तमी 22 दिसम्बर को थी । उनके पिता गुरू तेग बहादुर नौंवे सिख गुरु थे । उन्होने भी धर्म रक्षा केलिये बलिदान दिया था । उनकी माता का नाम गुजरी देवी थी। जिनका भी क्रूर यातनाओं के ...
शिवलिंग’ क्या हैं..?

शिवलिंग’ क्या हैं..?

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प्रशांत पोळ  इस वर्ष मई में जब काशी के ज्ञानव्यापी मस्जिद मे सर्वे हुआ तो वहा शिवलिंग पाया गया. इस समाचार पर देश में जहां अधिकांश स्थानों पर आनंदोत्सव हुआ, तो कुछ ऐसे भी थे जिन्होने शिवलिंग को लेकर भद्दे कॉमेंट किए. मजाक उडाया. भगवान के लिंग को पूजने वाले हिंदूओंको जंगली और दकियानुसी कहा. असदुद्दिन ओवेसी की पार्टी AIMIM  के प्रवक्ता दानिश कुरैशी ने अत्यंत आपत्ती जनक और बिभत्स पोस्ट लिखी जिसके कारण उन्हे गिरफ्तार भी होना पडा. इन सब विवादों के बीच में मैं सोच रहा था, ‘प्रगत हिंदु समाज किसी देवता के लिंग की पूजा कैसे कर सकता है? हमारा धर्म तो प्राचीन काल से वैज्ञानिक मान्यताओं पर कसा गया है. यहां पर तो प्रत्येक कृति के पीछे कार्य कारण भाव है. विज्ञान है. तर्क है. फिर लिंग की पूजा क्यों?’  यह भी कहा जाता है कि शिवलिंग जिस पर रखा जाता है वह देवी पार्वती की योनी है. शिवलिंग ...
बंगला कृत्तिवास रामायण में हनुमानजी द्वारा रावण का गुप्त मृत्युबाण हरण

बंगला कृत्तिवास रामायण में हनुमानजी द्वारा रावण का गुप्त मृत्युबाण हरण

धर्म, संस्कृति और अध्यात्म
श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंगबंगला कृत्तिवास रामायण में हनुमानजी द्वारा रावण का गुप्त मृत्युबाण हरण श्रीराम, लक्ष्मण, सुग्रीव और धार्मिक गुणों से सम्पन्न विभीषण, चारों बैठ कर परामर्श करने लगे कि रावण कहाँ है? रावण का कोई पता नहीं चला पा रहे हैं। इधर रावण सोचने लगा कि राम युद्ध नहीं कर पा रहे हैं। सम्भवत: सीता को छोड़कर पलायन भी कर जाएं। ऐसा सोचकर रावण अपने को समझा रहा था। अब भी सीता मिल जाएं तो दु:ख के बाद सुख प्राप्त होगा। इन्द्रजीत (मेघनाद) और महीरावण दोनों की मृत्यु हो गई है फिर भी यदि सीता मिल जाए तो सारे दु:खों का अन्त हो जाएगा।विभीषण ने श्रीराम से कहा- हे प्रभु एक पुरानी बात याद आ गई। जब हम तीनों भाईयों ने मिलकर तपस्या की और जब पद्मयोनि (ब्रह्माजी) हम लोगों को वर देने के लिए आए तो राजा दशानन ने अमर होने का वर माँगा। ब्रह्माजी ने कहा कि हे निशाचर सुनो, अमरता का वर मत माँगो...
श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंगक्षत्रिय विश्वामित्र राजर्षि से ब्रह्मर्षि कैसे बने का वृत्तांत

श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंगक्षत्रिय विश्वामित्र राजर्षि से ब्रह्मर्षि कैसे बने का वृत्तांत

धर्म, संस्कृति और अध्यात्म, साहित्य संवाद
श्रीरामकथा में विश्वामित्रजी के जीवनचक्र को जानना अत्यन्त आवश्यक है। वाल्मीकि रामायण ही नहीं प्राय: सभी श्रीरामकथाओं में उनका अपना एक विशेष स्थान है। श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण के बालकाण्ड में उनके चरित्र का वर्णन शतानन्दजी के द्वारा श्रीराम-लक्ष्मण को जनकपुर पहुँचने पर सुनाया गया। यह वृत्तांत लगभग पन्द्रह सर्गों में वर्णित हैं। विश्वामित्रजी का जीवन वृत्तांत शतानंदजी ने बहुत विस्तारपूर्वक श्रीराम से कहा है। अधिकांश पाठक इस रामायण की भाषा संस्कृत होने से कठिन समझकर इसका अध्ययन करने से वंचित हो जाते हैं। अत: ऐसे सुधी पाठकों एवं युवा पीढ़ी महर्षि विश्वामित्र ही नहीं उनके साथ-साथ ब्रह्मर्षि वसिष्ठजी के बारे में जान सकेंगे यह विचार कर प्रस्तुत प्रसंग का रोचकतापूर्ण वर्णन किया जा रहा है।महर्षि विश्वामित्र उनके सिद्धाश्रम से राक्षसों के वध उपरान्त तथा अहल्या उद्धार श्रीराम से करवाकर महाराज जनक...
इमामों को वेतन देने के 1993 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट स्वतः वापस ले

इमामों को वेतन देने के 1993 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट स्वतः वापस ले

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इमामों को वेतन देने के 1993 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट स्वतः वापस ले या  CIC के खिलाफ Contempt of court का केस चलाये !* करोड़ों रुपया गैरकानूनी खर्च होने की भरपाई कौन करेगा ? इसलिए सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का Forensic Audit होना चाहिए ! केंद्रीय सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने अपने 26 नवंबर, 2022 के आदेश में बहुत निर्भीक होकर और बड़ी हिम्मत का परिचय देते हुए मस्जिदों के इमामों को पारिश्रमिक देने के सुप्रीम कोर्ट के 1993 के आदेश को संविधान का उल्लंघन कह दिया - CIC ने यह भी कहा कि -  “अदालत के आदेश से संविधान के अनुच्छेद 27 का भी उल्लंघन हुआ जिसमें कहा है कि करदाताओं के पैसे का उपयोग किसी किसी विशेष धर्म के पक्ष में नहीं किया जायेगा - इससे देश में गलत मिसाल, अनावश्यक विवाद और सामाजिक कटुता बढ़ी - CIC ने अपने आदेश की कॉपी कानून मंत्री को भेजने के लिए भी कहा जिससे वेतन मामले मे...
चेतना द्वारा रामायण महोत्सव 2.0 का आयोजन

चेतना द्वारा रामायण महोत्सव 2.0 का आयोजन

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हम अपने अन्तर्मन में भगवान राम को बैठा लेंगे तो वही अयोध्या बन जाएगी, और किसी भी दैत्य द्वारा कोई अपहरण या अनाचार नहीं हो पाएगा । उपरोक्त कथन विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष श्री आलोक कुमार ने कहे । उन्होंने बताया कि दिसंबर 2023 में राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा और हम मकर संक्रांति पर परिवार सहित प्रभु श्रीराम के दर्शन करें । वे आज नई दिल्ली के रोहिणी स्थित क्राउन प्लाजा होटल में चेतना संस्था द्वारा रामायण महोत्सव 2.0 को मनाते हुए चेतना के मंच से कहे । कार्यक्रम का शुभारंभ दीपांजली से श्री गौरव गुप्ता, श्री प्रकाश चंद जैन, श्री ऋषि राज, श्री आमोद अग्रवाल, श्री राजीव तुली, श्री मनोज गर्ग, कंसल परिवार एवं अन्य गणमान्य महानुभावों द्वारा किया गया। सर्वप्रथम गुरुकुल कथक केंद्र के कलाकारों द्वारा “नृत्य में राम” विषय पर श्री राम स्तुति पर कथक नृत्य करने के साथ सीता हरण के दृश्य ...
एकात्म दर्शन पर आधारित सर्वसमावेशी हिंदू सनातन संस्कृति ही भारत का मूल तत्व है

एकात्म दर्शन पर आधारित सर्वसमावेशी हिंदू सनातन संस्कृति ही भारत का मूल तत्व है

धर्म
भारत ने अन्य देशों में हिंदू धर्म को स्थापित करने अथवा उनकी जमीन हड़पने के उद्देश्यसे कभी भी किसी देश पर आक्रमण नहीं किया है। परंतु, वर्ष 1947 में, लगभग 1000 वर्षके लम्बे संघर्ष में बाद, भारत द्वारा परतंत्रता की बेढ़ियों को काटने में सफलता प्राप्त करनेके पूर्व भारत की हिंदू सनातन संस्कृति पर बहुत आघात किए गए और अरब आक्रांताओं एवंअंग्रेजों द्वारा इसे समाप्त करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी गई थी। परंतु, भारतीयजनमानस की हिंदू सनातन संस्कृति के प्रति अगाध श्रद्धा एवं महान भारतीय संस्कृति केसंस्कारों ने मिलकर ऐसा कुछ होने नहीं दिया। भारत में अनेक राज्य थे एवं अनेक राजा थेपरंतु राष्ट्र फिर भी एक था। भारतीयों का हिंदू सनातन संस्कृति एवं एकात्मता में विश्वासही इनकी विशेषता रही है। आध्यात्म ने हर भारतीय को एक किया हुआ है चाहे वह देश केकिसी भी कोने में निवास करता हो और किसी भी राज्य में रहता हो। आध...
धर्म के नाम पर जारी है अधर्म

धर्म के नाम पर जारी है अधर्म

धर्म
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* भारत में कोई स्वेच्छा से अपना धर्म बदलना चाहे तो यह उसका मौलिक अधिकार है लेकिन मैं पूछता हूं कि ऐसे कितने लोगों को आपने कोई नया धर्म अपनाते हुए देखा है, जिन्होंने उस धर्म के मर्म को समझा है और उसे शुद्ध भाव से स्वीकार किया है? ऐसे लोगों की आप गणना करना चाहें तो उनमें महावीर, बुद्ध, ईसा, मुहम्मद, शंकराचार्य, गुरु नानक, महर्षि दयानंद जैसे महापुरूषों के नाम सर्वाधिक अग्रगण्य होंगे लेकिन दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत लोग तो इसीलिए किसी पंथ या धर्म के अनुयायी बन जाते हैं, क्योंकि उनके माता-पिता उसे मानते थे। सारी दुनिया में ऐसे 5-7 प्रतिशत लोग ढूंढना भी मुश्किल हैं, जो वेद, जिंदावस्ता, आगम ग्रंथ, त्रिपिटक, बाइबिल, कुरान या गुरूग्रंथ पढ़कर हिंदू या पारसी या जैन या बौद्ध या ईसाई या मुसलमान या सिख बने हों। जो थोक में धर्म-परिवर्तन होता है, उसके लिए या तो विशेष परिस्थितियां उत...

ईसाई मिशन्स और भारत

धर्म
ईसाई धर्मवेत्ताओं, विद्वानों, मिशनरीयों और लेखकों के यीशु ख्रिस्त (Jesus Christ) विषयक सदीयों से बडे-बडे दावों के बावजूद, योरोप और अमरिका के बुद्धिजीवी वर्ग ने ईसाई विश्वास के यीशु ख्रिस्त का स्वीकार करने से मना कर दिया है। आज-कल वहाँ उपन्यासों के कल्पित यीशु (Jesus of Fiction) का ही बोल-बाला है। भारतविद्याविद् डॉ. कोनराड एल्स्ट का कहना है कि पश्चिम में, विशेषकर योरोप में, ईसाईयत की लोकप्रियता और वहाँ के चर्चों में ईसाई विश्वासीयों की उपस्थिति निरन्तर कम होती जा रही है। वहाँ के समाज में पादरी के व्यवसाय के प्रति दिलचस्पी का अभाव भी चिंता का विषय बन गया है। योरोप में केथोलिक पादरीयों की एवरेज वय 55 साल है; नेदरलैंड में यह 62 है, और बढती ही जा रही है। वास्तविकता यह है कि योरोप और अमरिका के आधुनिक लोगों की ईसाईयत में अब कोई रूचि नहीं रही है।आर्थर जे. पाईस का कहना है कि बदले हुए परिवेश में पा...