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सांस्कृतिक गौरवबोध का अह्सास  कराता अयोध्या दीपोत्सव  

धर्म, राज्य
सांस्कृतिक गौरवबोध का अह्सास  कराता अयोध्या दीपोत्सव   योगी की प्राथमिकता में अयोध्या- बृजनन्दन राजू जन-जन के परमाराध्य मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम की पावन नगरी अयोध्या का दीपोत्सव हिन्दू समाज में सांस्कृतिक गौरव बोध कराने में सफल साबित हुआ है। अभूतपूर्व उत्साह, उमंग व हर्षोल्लास के बीच अयोध्या में राम की पैड़ी पर एक साथ जगमग  हो उठे 15 लाख से अधिक दीपो ने त्रेतायुग की यादें ताजा करा दी थी। लंका  विजय करने के बाद श्रीरामचन्द्र जी के अयोध्या आगमन की खुशी में देशभर में दीपावली मनाई जाती है। त्रेतायुग में जब पुष्पक विमान से श्रीराम जी उतरे तो अयोध्या का रोम-रोम पुलकित हो उठा था।  ठीक वैसा ही उत्साह इस बार अयोध्या के दीपोत्सव पर देखने को मिला जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु वशिष्ट की भूमिका में पुष्पक विमान  (हेलीकॉप्टर) से उतरने के बाद भगवान श्री राम का...
Even Christian-Muslims too celebrate Diwali

Even Christian-Muslims too celebrate Diwali

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The Secular side of Diwali -Even Christian-Muslims too celebrate Diwali  Vivek Shukla As Diwali is here and now, one must acknowledge the fact that the festival of lights has become very secular in nature over the years. Even non-Hindus too celebrate it in their own way.  For instance, the members of the   Brotherhood of the Ascended Christ society, which is also known as Delhi Brotherhood Society (DBS) would also illuminate their Brothers House in national capital. It was started in 1877 based upon the vision of Bishop Westcott, initially under the title of the Cambridge Mission. Westcott's vision was for an Anglican community of celibate brothers from Cambridge University to set down roots  in India. The venerable St. Stephen's College th...
जीसस के समय में रोमन धर्म

जीसस के समय में रोमन धर्म

धर्म, विश्लेषण
---------------------------------------------------लेखक : राजेश आर्य, गुजरात रोमन धर्म - एक रूपरेखा : पढनें में यह थोडा विचित्र लगेगा, पर हम हमारे धर्म विषयक वर्तमान सभी विचारों को एक तरफ रख कर ही रोमन संसार में धर्म का स्वरूप और कार्य ठीक तरह से समझ सकते है। आज हमारी धर्म (मजहब या रिलीजन) की क्या अवधारणा है? प्रायः हम हमारे धर्म को पवित्र शास्त्र (वेद, बाईबल, कुरआन, आदि), संगठन या पदानुक्रम (जैसे कि विभिन्न ईसाई सम्प्रदाय, पोप, बिशप, पादरी, आदि), कर्म और उनके फल, परलोक में विश्वास, विभिन्न पूजा या उपासना पद्धति, नैतिक प्रतिबद्धता, मजहबी मान्यता (जैसे कि जीसस परमेश्वर का एकमात्र पुत्र है, जीसस ने हमारे पापों के लिए स्वयं का बलीदान दिया, आदि), धर्म और राज्य का अलगाव, आदि के संदर्भ में समझते है, पर एकमात्र यहूदी मत के अपवाद को छोड़कर, रोमन संसार के किसी भी धर्म पर इनमें से एक भी बिंदु...
बाबा माधवदास की वेदना और ईसाई मिशनरियां

बाबा माधवदास की वेदना और ईसाई मिशनरियां

धर्म, सामाजिक
बाबा माधवदास की वेदना और ईसाई मिशनरियां...----------------------------------------------कई वर्ष पहले दूर दक्षिण भारत से बाबा माधवदास नामक एक संन्यासी दिल्ली में ‘वॉयस ऑफ इंडिया’ प्रकाशन के कार्यालय पहुँचे। उन्होंने सीताराम गोयल की कोई पुस्तक पढ़ी थी, जिसके बाद उन्हें खोजते-खोजते वह आए थे। मिलते ही उन्होंने सीताराम जी के सामने एक छोटी सी पुस्तिका रख दी। यह सरकार द्वारा 1956 में बनी सात सदस्यीय जस्टिस नियोगी समिति की रिपोर्ट का एक सार-संक्षेप था। यह संक्षेप माधवदास ने स्वयं तैयार किया, किसी तरह माँग-मूँग कर उसे छपाया और तब से देश भर में विभिन्न महत्वपूर्ण, निर्णयकर्ता लोगों तक उसे पहुँचाने, और उन्हें जगाने का अथक प्रयास कर रहे थे। किंतु अब वह मानो हार चुके थे और सीताराम जी तक इस आस में पहुँचे थे कि वह इस कार्य को बढ़ाने का कोई उपाय करेंगे।माधवदास ने देश के विभिन्न भागों में घूम-घूम कर ईसाई ...
नवबौद्ध बनना: नौटंकी या फैशन

नवबौद्ध बनना: नौटंकी या फैशन

धर्म
नवबौद्ध बनना: नौटंकी या फैशन #डॉ_विवेक_आर्य दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम का नाम चर्चा में है। इनकी सभा का कुछ लोगों को नवबौद्ध बनाते हुए वीडियो वायरल हुआ है। जिसमें हिन्दू बहिष्कार की प्रतिज्ञा लेते कुछ लोग दिख रहे है। बुद्ध मत स्वीकार करने वाला 99.9 %दलित वर्ग बुद्ध मत को एक फैशन के रूप में स्वीकार करता हैं। उसे महात्मा बुद्ध कि शिक्षाओं और मान्यताओं से कुछ भी लेना देना नहीं होता। उलटे उसका आचरण उससे विपरीत ही रहता हैं। उदाहरण के लिए-1. मान्यता- महात्मा बुद्ध प्राणी हिंसा के विरुद्ध थे एवं मांसाहार को वर्जित मानते थे।समीक्षा- नवबौद्ध जाधवपुर, हैदराबाद यूनिवर्सिटी आदि में बीफ फेस्टिवल बनाने है। 99.9% नवबौद्ध मांसाहारी है। बुद्ध मत के देश दुनिया के सबसे बड़े मांसाहारी हैं। इसे कहते है "नाम बड़े दर्शन छोटे" 2. मान्यता- महात्मा बुद्ध अहिंसा के पुजारी थे। वो क...
एक कमरे के मंदिर से शुरू हुआ था दुबई का ‘हिंदू टेंपल’

एक कमरे के मंदिर से शुरू हुआ था दुबई का ‘हिंदू टेंपल’

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एक कमरे के मंदिर से शुरू हुआ था दुबई का ‘हिंदू टेंपल’ *रजनीश कपूर कहते हैं कि एक बड़ी उपलब्धि कि शुरुआत छोटी सी पहल से ही होती है। दुबई का जेबेल अली इलाक़ा हाल ही में सुर्ख़ियों में था। दुनिया भर के हिंदुओं के लिए यह एक गर्व की बात है कि मुस्लिम बाहुल्य संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी दुबई में राम नवमी के दिन एक विशाल हिंदू मंदिर का लोकार्पण हुआ। इस विशाल हिंदू टेंपल की शुरुआत एक छोटे से कमरे से हुई थी। आज वही छोटा से कमरे वाला मंदिर 70 हज़ार वर्ग फ़ीट का एक विशाल मंदिर बन गया है। इस मंदिर को शांति, सद्भाव और सहिष्णुता के एक मजबूत संदेश के तौर पर भी देखा जा रहा है। 1958 में बने इस एक कमरे के मंदिर को गुरु दरबार सिंधी मंदिर के नाम से जाना जाता था। इस मंदिर की स्थापना रामचन्द्रन सवलानी और विक्योमल श्रॉफ़ ने की थी। ज्यों-ज्यों दुबई में बसे हिंदुओं को इस मंदिर के बारे में पता चला तब से वे ब...
श्रीराम मंगल भवन हैं और अमंगलहारी

श्रीराम मंगल भवन हैं और अमंगलहारी

धर्म
श्रीराम मंगल भवन हैं और अमंगलहारी ह्रदय नारायण दीक्षित श्रीराम मंगल भवन हैं और अमंगलहारी। वे भारत के मन में रमते हैं। मिले तो राम राम, अलग हुए तो राम राम। राम का नाम हम सब बचपन से सुनते आए हैं। वे धैर्य हैं। सक्रियता हैं। परम शक्तिशाली हैं। भाव श्रद्धा में वे ईश्वर हैं। राम तमाम असंभवों का संगम हैं। युद्ध में पौरुष पराक्रम और निजी जीवन में मर्यादा के पुरुषोत्तम। राम भारतीय आदर्श व आचरण के शिखर हैं। भारतीय मनीषा ने उन्हें ब्रह्म या ईश्वर जाना है। श्रीकृष्ण भी विष्णु के अवतार हैं। वे अर्जुन को गीता (10.31) में बताते हैं ‘‘पवित्र करने वालों में मैं वायु हूँ और शास्त्रधारियों में राम हूँ।‘‘ राम महिमावान हैं। श्रीकृष्ण भी स्वयं को राम बताते हैं। श्रीराम प्रतिदिन प्रतिपल उपास्य हैं लेकिन विजयादशमी व उसके आगे पीछे श्रीराम के जीवन पर आधारित पूरे देश में श्रीराम लीला के उत्सव होते हैं। सम्प्रति...
आत्मनिर्भर भारत बनाम रामराज्य

आत्मनिर्भर भारत बनाम रामराज्य

धर्म
आत्मनिर्भर भारत बनाम रामराज्य या रामराज्य की परिकल्पना पर आधारित है आत्मनिर्भरता डॉ. शंकर सुवन सिंह हिन्दू संस्कृति में राम द्वारा किया गया आदर्श शासन रामराज्य के नाम से प्रसिद्ध है। वर्तमान समय में रामराज्य का प्रयोग सर्वोत्कृष्ट शासन या आदर्श शासन के रूप (प्रतीक) के तौर पर किया जाता है। रामराज्य, लोकतन्त्र का परिमार्जित रूप माना जा सकता है। वैश्विक स्तर पर रामराज्य की स्थापना गांधीजी की चाह थी। गांधीजी ने भारत में अंग्रेजी शासन से मुक्ति के बाद ग्राम स्वराज के रूप में रामराज्य की कल्पना की थी। आत्मनिर्भरता, रामराज्य की परिकल्पना पर आधारित है। आत्मनिर्भर भारत की नींव गांधी के रामराज्य पर टिकी थी। गाँधी का स्वराज्य, रामराज्य की परिकल्पना का आधार था। स्वराज का अर्थ है जनप्रतिनिधियों द्वारा संचालित ऐसी व्यवस्था जो जन-आवश्यकताओं तथा जन-आकांक्षाओं के अनुरूप हो। यही स्वराज्य रा...
हिन्दू जागरण के सूत्रधार  अशोक सिंहल जी

हिन्दू जागरण के सूत्रधार अशोक सिंहल जी

धर्म
हर_दिन_पावन "27 सितम्बर/#जन्म_दिवस" #हिन्दू_जागरण_के_सूत्रधार #अशोक_सिंहल_जी #श्रीराम_जन्मभूमि_आन्दोलन के दौरान जिनकी हुंकार से रामभक्तों के हृदय हर्षित हो जाते थे, वे श्री अशोक सिंहल संन्यासी भी थे और योद्धा भी; पर वे स्वयं को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक प्रचारक ही मानते थे। 27 सितम्बर, 1926 को आगरा (उ.प्र.) में हुआ। सात भाई और एक बहिन में वे चौथे स्थान पर थे। मूलतः यह परिवार #ग्राम_बिजौली (जिला #अलीगढ़, उ.प्र.) का निवासी था। उनके पिता श्री महावीर जी शासकीय सेवा में उच्च पद पर थे। घर में संन्यासी तथा विद्वानों के आने के कारण बचपन से ही उनमें हिन्दू धर्म के प्रति प्रेम जाग्रत हो गया। 1942 में प्रयाग में पढ़ते समय #प्रो_राजेन्द्र_सिंह (#रज्जू_भैया) ने उन्हें स्वयंसेवक बनाया। उन्होंने अशोक जी की मां विद्यावती जी को संघ की प्रार्थना सुनायी। इससे प्रभावित होकर उन्होंने अशोक जी को शा...
श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग

श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग

धर्म
श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग कवि तोरवे नरहरि (कुमार वाल्मीकि) कृत कन्नड़ रामायण में जाबाली मुनि द्वारा श्रीराम का दु:ख निवारण आदिकवि वाल्मीकिजी की रामायण से प्रभावित होकर भारत में विभिन्न भाषाओं में श्रीरामकथा एवं काव्य की रचना की गई। गोस्वामी तुलसीदासजी के बहुत वर्ष पहले ही इतनी अधिक रामायणें तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम आदि भाषाओं में लिखी और पारायण की जाती रही थी। कन्नड़ भाषा में नागचन्द्र, पौन्न, कुमुदेन्दु, नारायण, विजगुणार्थ, योगीन्द्र, निम्भस प्रभृति कवियों ने अपने-अपने दृष्टिकोण से श्रीरामचरित्र लिखे। भारतीय साहित्य में रामायण-काव्यों की कोई कमी नहीं है। इस महत्वपूर्ण तथ्य को कन्नड़ भाषा के ख्याति प्राप्त कवि 'कुमार व्यासÓ ने बड़े ही हृदय स्पर्शीय पंक्तियों में इस प्रकार व्यक्त किया है। तिणुकिदनु फणिराय रामायणद कविगल भारदलि। तिंर्थिणय रघुवर चरित येलि कालिऽलु तेरपिलु।। रामा...