नोएडा-दुबई जैसा बनेगा कानपुर तो नारायणमूर्ति भी करेंगे कानपुर में निवेश
आर.के. सिन्हा
गंगा किनारे बसे प्राचीन कानपुर शहर में आपको अब भी इस तरह के अनेक लोग मिल जाएंगे, जिन्हें अच्छी तरह से याद है जब उनके शहर की पहचान एशिया के मैनचेस्टर के रूप में हुआ करती थी। भारत में कपड़े का सबसे अधिक उत्पादन इसी कानपुर शहर में होता था। इसलिए ही इसे एशिया का मैनचेस्टर कहा जाता था। जाहिर है, देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था में कानपुर का बेहद महत्त्वपूर्ण योगदान हुआ करता था। कुछ दशक पहले तक कानपुर में सायरन, मशीनों की गड़गड़ाहट और अपनी-अपनी मिलों के लिए सड़क किनारे भागते श्रमिकों के साइकिल की घंटियों की आवाजें सुनाई दिया करती थीं। फिर महान स्वाधीता सेनानी और शहीद ए आजाम भगत सिंह के गुरु गणेश शंकर विद्यार्थी के शहर कानपुर का चेहरा-मोहरा धीरे-धीरे बदलने लगा। यहां से कपड़ा मिलें बंद होने लगीं। मजदूर बेरोजगार होते चले गए। कानपुर जैसा जीवंत शहर अपनी पहचान खोने लगा।
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