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Political pilgrimage of pseudo-secularists not allowed in Kashmir valley

Political pilgrimage of pseudo-secularists not allowed in Kashmir valley

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It refers to Administration of Jammu and Kashmir rightly sending back from Srinagar airport back to Delhi a group of pseudo-secularist politicians of some political parties led by former President of largest opposition party in Parliament without allowing to enter the valley. Their political pilgrimage would have been justified in case some similar trip would have been planned by them in the valley in the year 1990 when Kashmiri Pandits had to leave the valley after mass-killing of many Kashmiri Pandits. However state-Governor also committed a mistake when, though in good gesture, invited Rahul Gandhi to visit the valley to take stock of the situation himself. Only sensible people deserve such types of goodwill gestures sent with a noble intention. SUBHASH CHANDRA AGRAWAL
दक्षिण में हिन्दी का विरोध क्यों?

दक्षिण में हिन्दी का विरोध क्यों?

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गतदिनों बंगलूरू के गणेशबाग में एक जैन आचार्य के चातुर्मास के लिए लगाए गए हिंदी बैनर कोे कथित तौर पर फाड देने एवं तोड़फोड़ करने की हिंसक घटना न केवल विडम्बनापूर्ण बल्कि एक राष्ट्र-विरोधी त्रासदी है। इनदिनों दक्षिण भारत में हिन्दी भाषा का विरोध करते हुए संघर्ष एवं आन्दोलन की स्थितियां देखने को मिल रही है। इस आन्दोलन के उग्र होने का कारण हाल ही में प्रस्तुत राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में दक्षिण के गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने का आरोप है। हालांकि इससे पहले की यह मुद्दा 1960 के दशक की भांति हिंदी विरोधी आंदोलन की तरह राजनीतिक आंदोलन का रूप लेता, केंद्र सरकार ने विवादित प्रावधान को खत्म कर दिया और आश्वासन दिया कि हिंदी किसी पर थोपी नहीं जाएगी। प्रश्न हिन्दी को थोपने या न थोपने का नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय एकता एवं अस्मिता की रक्षा का है। प्रश्न भाषा के नाम पर एक शांतिप्रिय अह...
Reforms necessary for polls to Delhi University Students Union (DUSU) to make these realistic representative

Reforms necessary for polls to Delhi University Students Union (DUSU) to make these realistic representative

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Process for elections for Delhi University Union (DUSU) has begun with elections to be held in the month of September. Reforms are necessary to DUSU polls. A simple practical approach to place groups fielding contestants for all the posts of DUSU in the beginning of ballot-papers in alphabetical order of name of the group will make the process simple by doing with unethical tricks to field candidates with identical names or to pre-fix A, AA etc to place names first in ballot-papers for confusing voters. DUSU polls should be conducted through EVMs equipped with VVPAT system. DUSU polls in future should be made more realistic and with widest representation by making it compulsory for all colleges affiliated to Delhi University to get their students automatically enrolled as members of DUS...
Removal of stray animals from streets of Delhi should include stray dogs

Removal of stray animals from streets of Delhi should include stray dogs

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It refers to news-item that a civic body has ensured to clean streets of Delhi in its area from stray animals. But it is not clarified if these stray animals include only the holy cow or unhygienic dogs also. Stray dogs (and even unchecked pet dogs) in Delhi have become a big nuisance creating a big challenge to ambitious Clean-India movement of Prime Minister. The matter of stray dogs has repeatedly been a subject-matter in High Courts and Supreme Court because of frequent dog-bites and spread of unhygienic conditions when in the year 2015, senior advocate  Dushyant Dave appointed as  amicus curiae by Supreme Court also pleaded for urgency of removal of about four lakhs stray dogs at that time. But the plea was opposed by some Non-Government-Organisation NGO as according it, the step wi...
सोनभद्र हत्याकांड : आदिवासियों का हक़ लूटने की कहानी

सोनभद्र हत्याकांड : आदिवासियों का हक़ लूटने की कहानी

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By राजेश कुमार आर्य उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में हालही में ज़मीन पर कब्ज़े की कोशिश के दौरान हुए खूनी संघर्ष में 10 आदिवासी मारे गए। दरअसल यह घटना दो तरह के सवाल खड़े करती है, पहला उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति और दूसरा जंगल की ज़मीन को लेकर हुए फर्जीवाड़े। यह घटना उत्तर प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न सोनभद्र जि़ले में हुई। इस जि़ले में पहाडिय़ां और जंगल भूरपूर हैं। इस वजह से यहां कल-कारखाने और खदाने भी बहुतायत में हैं। आदिवासियों का विस्थापन राबट्र्सगंज के वरिष्ठ पत्रकार आवेश तिवारी बताते हैं कि सोनभद्र जिले का औद्योगिकीकरण यहां के आदिवासियों के लिए परेशानी का सबब भी बना है। हालात यह है कि यहां के आदिवासी परिवारों को कई-कई बार विस्थापित होना पड़ा है। वो बताते हैं कि आदिवासियों को पहले रिहंद बांध के लिए विस्थापित होना पड़ा। उसके बाद उन्हें यहां बने बिज...
अब कश्मीर में क्या होगा?

अब कश्मीर में क्या होगा?

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जहाँ सारा देश मोदी सरकार के कश्मीर कदम से बमबम है वहीं अलगाववादी तत्वों के समर्थक अभी भी मानते हैं कि घाटी के आतंकवादी फिलिस्तानियों की तरह लंबे समय तक आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देते रहेंगे। जिसके कारण अमरीका जैसे-शस्त्र निर्माता देश भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को बढ़ाकर हथियारों बिक्री करेंगे। उनका ये भी मानना है कि केंद्र के निर्देश पर जो पूंजी निवेश कश्मीर में करवाया जाएगा, उसका सीधा लाभ आम आदमी को नहीं मिलेगा और इसलिए कश्मीर के हालात सामान्य नहीं होंगे। पर ये नकारात्मक सोच है। इतिहास गवाह है कि मजबूत इरादों से किसी शासक ने जब कभी इस तरह के चुनौतीपूर्णं कदम उठाये हैं, तो उन्हें अंजाम तक ले जाने की नीति भी पहले से ही बना ली होती है। कश्मीर में जो कुछ मोदी और शाह जोड़ी ने किया, वो अप्रत्याशित और ऐतिहासिक तो है ही, चिरप्रतिक्षित कदम भी है। हम इसी कॉलम में कई बार लिखते आए हैं, कि जब कश्मीर...
जो कश्मीर में मौतों का इंतज़ार कर रहे हैं!

जो कश्मीर में मौतों का इंतज़ार कर रहे हैं!

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हिंदुस्तान से लेकर पाकिस्तान तक जिन लोगों को कश्मीरियों की सबसे ज़्यादा फिक्र है वही लोग इस बात को लेकर सबसे ज़्यादा परेशान हैं कि कश्मीर में अभी तक कोई बड़ी हिंसा क्यों नहीं हुई! हिंसा देखने की इनकी बेचैनी इतनी है कि कोई हिंसा के पुराने वीडियो शेयर कर रहा है। कोई एक जगह हुई छिटपुट हिंसा को पूरे कश्मीर का माहौल बता रहा है। कोई विदेशी अख़बार या साइट का लिंक शेयर कर डाल रहा है। मगर ऐसा सोचने और करने के पीछे दोनों पक्षों की अपनी-अपनी मजबूरियां हैं। पाकिस्तान को भी पता है सीधी लड़ाई वो हमसे लड़ नहीं सकता। यूएन में जाने से कुछ होगा नहीं। और बाकी तमाम बड़े देशों के भारत के साथ व्यापारिक हित इतने बड़े हैं कि कोई कश्मीर के फटे में अपनी टांग नहीं अड़ाता है। चीन से लेकर मलेशिया तक, सऊदी अरब से लेकर तुर्की तक हर किसी के भारत के साथ ऐसे व्यापारिक रिशते जुड़े हैं कि कोई भी कश्मीर के फटे में टांग अ...
कश्मीर अभी इम्तिहान आगे और भी है।

कश्मीर अभी इम्तिहान आगे और भी है।

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कश्मीर में "कुछ बड़ा होने वाला है" के सस्पेंस से आखिर पर्दा उठ ही गया। राष्ट्रपति के एक हस्ताक्षर ने उस ऐतिहासिक भूल को सुधार दिया जिसके बहाने पाक सालों से वहां आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने में सफल होता रहा  लेकिन यह समझ से परे है कि कश्मीर के राजनैतिक दलों के महबूबा मुफ्ती फ़ारूख़ अब्दुल्ला सरीखे नेता और कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष जो कल तक यह कहता था कि कश्मीर समस्या का हल सैन्य कार्यवाही नहीं है बल्कि राजनैतिक है, वो मोदी सरकार के इस राजनीतक हल को क्यों पचा पा रहे हैं। शायद इसलिए कि मोदी सरकार के इस कदम से कश्मीर में अब इनकी राजनीति की कोई गुंजाइश नहीं बची है। लेकिन क्या यह सब इतना आसान था ? घरेलू मोर्चे पर भले ही मोदी सरकार ने इसके संवैधानिक कानूनी राजनैतिक आंतरिक सुरक्षा और विपक्ष समेत लागभग हर पक्ष को साधकर अपनी कूटनीतिक सफलता का परिचय दिया है लेकिन अभी इम्तिहान आगे और भी है। क्य...
Karnataka political drama over but permanent remedial measures necessary to prevent immoral politics and to prevent unstable governments and hung assemblies

Karnataka political drama over but permanent remedial measures necessary to prevent immoral politics and to prevent unstable governments and hung assemblies

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After week-long drama by deferring trust-vote by outgoing Karnataka Chief Minister, BJP is set to form a new government in the state with 10 Congress and 3 JD(S) MLAs having resigned from membership of the state-assembly evidently to pave way for fall of Kumaraswamy government which always ruled on ventilator with Chief Minister at times publicly crying on his helplessness to run government according to his will. Evidently present system of electing Speaker helped Congress-JD(S) alliance make a Speaker who helped Kumaraswamy government deferring trust-vote for so long despite even Supreme Court seized with the issue. Any MP or MLA resigning mid-term must not be allowed to contest any election for next six years as an effective check for unnecessary burden of mid-term elections on public...
Justified demand to re-spell Delhi: All re-spellings and re-naming of cities and states should be in one go

Justified demand to re-spell Delhi: All re-spellings and re-naming of cities and states should be in one go

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It refers to justified and logical demand raised by BJP Parliamentarian Vijay Goel in Rajya Sabha on 24.07.2019 for re-spell British-distorted spelling of Delhi as Dilli. But re-spelling should be Dehli which means entrance, and was a common household name till several decades after independence. Even Dilli is the distorted name. Many other countries like Bangladesh and China have already respelled names of their capitals as per actual pronunciation. Central government should also accept resolution by West Bengal state-assembly to re-name the state to remove confusing pre-fix West and to have a name in Bangla rather than English. Only old-timers know that since western part of pre-independence undivided Bengal came to India, the state was named as West Bengal, and East Bengal turned int...