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फरीदाबाद पहुंचे प्रदेश के मुख्य चुनाव आयुक्त

फरीदाबाद पहुंचे प्रदेश के मुख्य चुनाव आयुक्त

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लोकसभा चुनाव को लेकर अधिकारियों के साथ की समीक्षा,  टोल फ्री नंबर पर भी लिया फीडबैक द्य आदित्य गोयल हरियाणा के मुख्य चुनाव आयुक्त श्री राजीव रंजन ने कहा कि प्रदेश में लोकसभा चुनाव-2019 को निष्पक्ष, स्वतंत्र एवं पारदर्शी तरीके से कराने के लिए चुनाव ड्यूटी में लगे सभी अधिकारी चुनाव आयोग की हिदायतों एवं निर्देशों के अनुसार कार्य करें। श्री रंजन फरीदाबाद मंडल के अंतर्गत आने वाले जिला निर्वाचन अधिकारियों, सहायक निर्वाचन अधिकारियों व चुनावी प्रक्रिया में लगे अन्य अधिकारियों के साथ लघु सचिवालय में फरीदाबाद मंडल में चुनावी तैयारियों की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में फरीदाबाद के जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त श्री अतुल द्विवेदी ने जिले में लोस चुनाव की तैयारियों की मौजूदा स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट भी प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि 31 जनवरी 2019 को मतदाता सूची का प्रकाशन किया ...
उत्तराखंड की ठंडी और शांत वादियों में चुनावी शोर

उत्तराखंड की ठंडी और शांत वादियों में चुनावी शोर

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देश में लोकसभा चुनाव का शंख बजने के बाद उत्तराखंड की ठंडी और शांत वादियों में चुनावी शोर ने भले ही अभी गति न पकड़ी हो पर प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टी बीजेपी और कांग्रेस में अंतरकलह की गर्माहट ने राजनीतिक माहौल को खासा गरमा रखा है। प्रदेश के 76.28 लाख मतदाता 11 अप्रैल को अपना मतदान कर सूबे की 5 लोकसभा सीटों पर किस दल को काबिज करने जा रहे हैं यह तो अभी नहीं कहा जा सकता पर राजनीति के रणनीतिककारों का मानना है कि इस बार सत्तारूढ़ बीजेपी और कांग्रेस दोनों की हालत चिकन सूप की तरह पतली बनी हुई है। एक ओर प्रदेश में कांग्रेस का अंतर्कलह का बीज फूट फूटकर आपसी कलह की नई पौध को जन्म देने पर तुला हुआ है तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी के सिरमौर माने जाने वाले बड़े नेता वनवास की ओर रुख किये बैठे हैं जिसके चलते देश के इस सबसे बड़े उत्सव का रंग सूबे की जनता पर अभी तक नहीं चढ़ पाया है। उत्तराखंड की पांचों लोकसभ...
राजनीतिक दलदल में फंसी ममता के हाथ से फिसल रहा है बंगाल

राजनीतिक दलदल में फंसी ममता के हाथ से फिसल रहा है बंगाल

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लोग अक्सर कहते हैं कि राजनीति में सबकुछ बदल जाने के लिए एक सप्ताह काफी है। लेकिन जिस तरह से बंगाल की राजनीति की दिशा और दशा पिछले कुछ दिनों में बदली है वो हैरान करने वाला है। जो ममता बनर्जी एक महीने पहले देश की प्रधानमंत्री बनने के सपने देख रही थी वो आज अपने ही घर में घिर गई है। बंगाल में बीजेपी के पक्ष में एक अंडरकरेंट चल रहा है। बीजेपी मजबूत होती जा रही है और ममता की पार्टी का ग्राफ धरातल की ओर जा रहा है। ये अंडरकरेंट कहां थमेगा और कब थमेगा ये कहना तो मुश्किल है लेकिन हकीकत ये है कि भारतीज जनता पार्टी की नजर अब बंगाल से 15-20 सीटें जीतने पर टिक गई है। इसकी सबसे बड़ी वजह तृणमूल कांग्रेस के एक एमएलए अर्जुन सिंह हैं जिन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया है। इससे बंगाल का पूरा परिदृश्य बदल गया है। ये बीजेपी का एक गेम-चेंजर दांव साबित होने वाला है क्योंकि ममता बनर्जी ने अपनी सेना का अर्जुन खो दिय...
सुमेधानंद के खिलाफ हंगामा खड़ा करने में जातिवाद समीकरण

सुमेधानंद के खिलाफ हंगामा खड़ा करने में जातिवाद समीकरण

राज्य
राजस्थान, सीकर, अलग अलग जगह से 5-10 असंतुष्ट कार्यकर्ता नजऱ आ रहे हैं जिनमें कॉलेज के वो लड़के भी हैं जो एबीवीपी अध्यक्ष का पत्ता साफ़ कर चुके थे। सांसद का चुनाव राज्य का चुनाव नहीं होता, प्रधानमंत्री के चयन का चुनाव होता है मगर सांसद सीट पर दावेदारी को मजबूत करने के लिए वर्तमान उम्मीदवार का हार जाना जरुरी है जिसके चलते अगले चुनाव में उम्मीदवारी का समीकरण बदलने लगेगा। सीकर जिले में 8 -0 की करारी हार झेल चुकी भाजपा, इल्जाम सांसद पर सीकर में भाजपा पूरी तरह साफ़ हो गई। 8 सीटों में से एक भी नहीं आना कोई हल्की बात नहीं है। दरअसल यहां किसी भी विधायक ने जनता के साथ ऐसा कोई कनेक्ट ही नहीं बनाया जिससे वह उन्हें अपना पसंदीदा उम्मीदवार समझने लगते। केवल अपने कार्यकर्ताओं का काम करवाकर जहां बाकि जनता को तो नाराज़ किया ही वहीं कार्यकर्ताओं में भी सौ फीसदी संतुष्टि नहीं हैँ। एंटी इनकम्बेंसी भी होत...
सर्वे को  झुठलाने की जुगत में प्रदेश कांग्रेस

सर्वे को  झुठलाने की जुगत में प्रदेश कांग्रेस

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राजस्थान में विधान सभा की जीत के बाद कांग्रेस में इस बात का भी भारी उत्साह था कि अब तो लोकसभा चुनावों में जनता उन्हें बाग बाग कर देगी। जैसे प्रदेश में सत्ता का परिवर्तन हुआ है वैसे ही लोक सभा चुनावों में 25 का मिशन पूरा होगा। इस मिशन को पूरा करने के लिये गहलोत ने सरकार बनने के बाद जनहित के कितने काम किये या जनहित में कितने निर्णय लिये, इसका तो कोई मालूम नहीं चला, लेकिन आईएएस से लेकर अन्तिम स्तर तक के लगभग सभी विभागों के कर्मचारियों के तबादले कर दिये। बताया जा रहा है कि सरकार ने सुशासन के लिये पूरी मशीनरी को ही बदल दिया है। वह भी इस उम्मीद के साथ कि जनता में सकारात्मक संदेश जायेगा। लेकिन जिस प्रकार के सर्वे सामने आ रहे हैं उससे तो नहीं लगता कि कांग्रेस अपने मिशन को पूरा करने में सफल होगी। कांग्रेस ने भले ही लोकसभा चुनावों को लेकर मिशन 25 का टारगेट रखा हो, लेकिन आधा दर्जन से अधिक सीटों पर का...
लोकसभा चुनाव 2019 : जीत हार के अधर में अमेठी

लोकसभा चुनाव 2019 : जीत हार के अधर में अमेठी

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अमेठी संसदीय क्षेत्र की यूं तो देश ही नहीं विदेशों में भी अच्छी खासी धमक रही है। कारण कि गांधी परिवार के लिए हमेशा से महफूज रही अमेठी ने वक्त बेवक्त कांग्रेस को झटके भी देकर अपनी पृष्ठभूमि का अहसास कराया है। अमेठी संसदीय क्षेत्र में पांच विधान सभा क्षेत्र क्रमश: अमेठी, गौरीगंज, जगदीशपुर, तिलोई व सलोन शामिल हैं। भौगोलिक लिहाज से भी तीन जिलों के भूभाग मिलाकर बने इस संसदीय क्षेत्र के चुनाव में पूर्व की तरह इस बार भी काफी रोचक व दिलचस्प मुकाबले देखने को मिलेंगे। अमेठी लोकसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिलेगा। उम्मीद जताई जा रही है कि पिछले लोकसभा चुनाव की भांति भाजपा यहां से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुकाबला करने के लिए केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा सदस्य स्मृति ईरानी को एक बार फिर से उतारकर राहुल को उनकी ही कर्मभूमि पर कड़ी चुनौती देने के मूड में नजर आ रही है। ...
रोचक मोड़ पर जा पहुंचा है बिहार का चुनावी परिदृश्य

रोचक मोड़ पर जा पहुंचा है बिहार का चुनावी परिदृश्य

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पुलवामा में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में वायुसेना की साहसिक और सनसनीखेज कार्रवाई के बाद पूरे देश के साथ-साथ बिहार का भी चुनावी मन-मिजाज बदला-बदला सा है। नेता, नीति, एजेंडा, सियासी गठजोड़, जातीय व वर्गीय समीकरणों से अटे-गुंथे चुनावी महासमर में बिहार इन दिनों बेहद रोमांचक मोड़ पर खड़ा दिखाई देता है। आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर अभी हाल तक राजनीतिक पंडित जहां सत्तारूढ़ राजग और विपक्षी महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर का अनुमान जता रहे थे, वहीं फिलहाल पलड़ा एक तरफ कुछ झुकता हुआ दिखाई दे रहा है। चाहे व्यक्तित्व या छवि की बात हो या फिर चुनावी गठबंधन या फिर नीति या उपलब्धियों की, इन तमाम मोर्चों पर राजग को बढ़त मिली हुई है। हालांकि बिहार में जाति भी एक बड़ा फैक्टर है, जो दोनों खेमों को बढ़-चढ़कर दावे करने से रोक भी रही है। चुनाव कहीं न कहीं व्यक्तित्व और छवि की भी लड़ाई है। इस मामले में राजग...
यूपीए बनाम एनडीए सरकार : कौन सही, कौन आगे?

यूपीए बनाम एनडीए सरकार : कौन सही, कौन आगे?

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  प्रियंका वाड्रा के सक्रिय राजनीति में आने के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति का परिदृश्य अचानक से बदल गया। सपा-बसपा के द्वारा गठबंधन में कांग्रेस को स मान न देने के कारण प्रियंका का आना कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक बन गया है। अब कांग्रेस के साथ ही भाजपा को भी इसका फायदा मिलता दिखने लगा है। सपा-बसपा गठबंधन की जड़ें कमजोर हो गयी हैं। बसपा को सपा की अनुकूल सीटें देने पर मुलायम सिंह आहत हैं। उनका टिकट वितरण के बाद अपनी लाचारी दिखाना सपा के असंतुष्टों को अखिलेश विरोध दिखाने का अवसर दे चुका है। शिवपाल यादव एवं कांग्रेस के साथ आने की संभावनाएं बनती तो दिख रही हैं किन्तु अभी तक ऐसा हो नहीं पाया है। 2014 में भ्रष्टाचार एक बड़ा चुनावी मुद्दा था किन्तु 2019 में ऐसा नहीं है। जीएसटी और नोटबंदी से अर्थव्यवस्था पर कुछ लगाम लगी थी किन्तु उसके द्वारा भी भाजपा के वोटबैंक में कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा ...
Immediate abolition of articles 35A and 370 of the Constitution necessary

Immediate abolition of articles 35A and 370 of the Constitution necessary

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Funds under Corporate Social Responsibility and MPLADS for families of war-victims   Indian government has taken several practical steps including abolition of government-provided security to separatist-leaders, snatching status of Most-Favoured-Nation from Pakistan, increasing custom-duty on imports from Pakistan, giving totally free hand to security-forces to tackle militancy and like others. Economic steps initiated from India will virtually destroy Pakistan economically which is even more critical than war-sufferings. It was indeed shocking that Pakistan never gave India status of Most-Favoured-Nation.   But real remedy lies in abolition of articles 35A and 370 which will make retired army-persons and others to settle in Kashmir. Setting up of industries in Kashmir the...
राजनीतिक सोच में बौना पड़ता जनहित

राजनीतिक सोच में बौना पड़ता जनहित

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  राजस्थान में विधान सभा चुनावों के बाद लगता है जैसे सब कुछ ठहर सा गया है। प्रदेश में शिक्षा, चिकित्सा, पानी, सड़कें, बेरोजगारी, रोजगार, सरकारी कर्मियों की मांगें मुहं बाये खड़ी थी। क्या सरकार के बदलते ही सारी समस्याओं  का स्वत: ही समाधान हो गया है? या यों कहें कि मतदाताओं ने वह सब प्राप्त कर लिया है जिसकी वे विधान सभा चुनावों से पहले मांग कर रहे थे। पिछली सरकार में शुरू किये गये जनहित के काम किसी ना किसी बहाने बन्द पड़े हैं। लगता है अब उन कामों की जरूरत नहीं है। जानकारी के अनुसार 135 विधायक जो कि राजस्थान की पौने तीन करोड़ जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं, इन्होंने सदन में पहुंचने के बाद जनसमस्याओं से स बन्धित एक भी प्रश्न ना ही पूछा और ना ही सदन में रखा ऐसा बताया जा रहा है। नई सरकार में चुन कर आए विधायकों की सक्रियता और जनता के प्रति अपनी कितनी जवाबदेही समझते हैं, इससे स्पष्ट हो ...