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फिर चौराहे पर कश्मीर

फिर चौराहे पर कश्मीर

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विराग गुप्ता जम्मू कश्मीर मामले में राज्यपाल के फैसले को अदालत में चुनौती देने के लिए पीडीपी, नेशनल कांफ्रेन्स और कांग्रेस के विधायकों को एकजुट होकर आना पड़ेगा। इन दलों के अंतर्विरोध को देखते हुए ऐसा होना मुश्किल लगता है। पीडीपी की महबूबा मु ती की तरफ से सोशल मीडिया के जरिए सरकार बनाने के दावों को दरकिनार करते हुए राज्यपाल एस.पी. मलिक ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया। मामला अदालत में जाए तो भी विधानसभा का बहाल होना मुश्किल है। संविधान के अनुसार भारत के सभी राज्यों में विधानसभा का कार्यकाल 5 साल है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्ष होता है। विधानसभा भंग होने के बाद क्या लोकसभा के साथ ही जम्मू-कश्मीर में चुनाव होंगे? नए चुनावों में अगर किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो खण्डित जनादेश की वजह से क्या विधानसभा फिर भंग होगी? देश के कई राज्यों में इसके पहले ...
Welcome step of JK Governor to put Jammu-Kashmir Bank under RTI Act

Welcome step of JK Governor to put Jammu-Kashmir Bank under RTI Act

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Governor of Jammu and Kashmir deserves all compliments to put Jammu-Kashmir Bank under ambit of RTI Act on reports of political interference used for backdoor appointments of about 2000 candidates and sanctioning massive loans to undeserving ones including Chennai-based close relation of erstwhile political ruler of the state. Many of loan-defaulters managed more borrowings to divert funds to Dubai and other Gulf countries as per media-reports. It is time for central government to follow footsteps by putting all Public-Private-Partnerships PPPs, sports-bodies, cooperative-societies and other such bodies affecting lives of millions to be directly under RTI Act to effectively check massive misuse of public-funds by their office-bearers. Co-operative giant IFFCO through which annual fertili...
रोशनी योजना रद्द कर दी गई

रोशनी योजना रद्द कर दी गई

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जम्मू-कश्मीर राज्य भूमि (अधिग्रहण के लिए स्वामित्व का अधिकार) अधिनियम -2001 के तहत पहले किए गए कार्यों के लिए सुरक्षा उपाय प्रदान किए गए जम्मू 28 नवम्बर 2018- राज्यपाल सत्य पाल मलिक की अध्यक्षता में आज यहां हुई राज्य प्रशासनिक परिषद (एसएसी), की बैठक में जम्मू-कश्मीर राज्य भूमि (अधिग्रहण के लिए स्वामित्व का अधिकार) अधिनियम, 2001 (जिसे आमतौर पर रोशनी योजना जाना जाता है ) को निरस्त करने की मंजूरी दे दी। सलाहकार बी बी व्यास, के विजय कुमार, खुर्शीद अहमद गणई और के के शर्मा, मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम और राज्यपाल के प्रधान सचिव उमंग नरुला ने बैठक में भाग लिया। अधिनियम के तहत सभी लंबित कार्यवाही तुरंत रद्द हो जाएंगी और समाप्त हो जाएंगी। हालांकि, एसएसी ने निर्देश दिया कि निरस्त अधिनियम के प्रावधानों के तहत की गई कोई भी कार्रवाई अमान्य नहीं होगी। जम्मू-कश्मीर राज्य भूमि (कब्जे के लिए स्वामित...
राजस्थान में ऊंट किस करवट बैठेगा? 

राजस्थान में ऊंट किस करवट बैठेगा? 

Today News, राज्य
राजस्थान में मतदान का समय जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, चुनावी समीकरण ज्वारभाटे की तरह बदल रहे हैं। प्रारंभिक परिदृश्यों में कांग्रेस भाजपा पर भारी साबित होती दिख रही थी, लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की ताजा चुनावी सभाएं भाजपा की हारी बाजी को जीत में बदलती दिख रही है। कांग्रेस के भीतर चल रही गुटबाजी से भी यह जमीन तैयार हो रही है, एक तरह से जीत की ओर बढ़ती कांग्रेस को नुकसान होने की पूरी-पूरी आशंका है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक एवं चुनाव पूर्व के अनुमान अभी भी कांग्रेस के ही पक्ष में हैं और माना जा रहा है कि  इस बार सत्ता परिवर्तन होगा और स्पष्ट बहुमत के साथ कांग्रेस की सरकार बनेगी। सट्टा बाजार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस 125 सीटों के साथ सरकार बना रही है वहीं भाजपा 50 से 55 सीटों पर सिमट जाएगी, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है। जिन पांच राज्यों में वि...
Dissolution of Kashmir state-assembly: Right but delayed step

Dissolution of Kashmir state-assembly: Right but delayed step

BREAKING NEWS, राज्य
Dissolution of Kashmir state-assembly on 22.11.201 just following wide-spread news of possible formation of an opportunist alliance between PDP, National Conference and Congress was a delayed step in right direction. BJP spokesperson on media revealed that talks about such an alliance were going on in Dubai and London at behest of Pakistan for last so many days. If this is true, then Intelligence authorities must have warned in advance to make state-governor act swiftly to dissolve the state-assembly well in advance rather than being blamed for not allowing formation of a democratically elected government at behest of BJP. However process of checking militancy in governor-rule must not have been derailed by allowing any anti-national alliance of which unfortunately a national party was ...
Kolkata 50-years old bridge-collapse – case of murder not of mere accident

Kolkata 50-years old bridge-collapse – case of murder not of mere accident

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Sudden day-light collapse of just 50-years old Majherhat-bridge in Kolkata on 04.09.2018, third such incident in past six years, is a clear-cut case of corruption and negligence in public-projects. Bridges built during British regime in India including nearby Howrah bridge are much more reliable and strong even after more than a century of their completion. Any enquiry into corruption in building the collapsed bridge may now lead to nowhere because those found guilty might have been dead by now. However a fast-track enquiry by a Special Investigation Team under supervision of Kolkata High Court with wide-ranging terms for enquiry including suggesting ways to check corruption and malpractices in public-projects may perhaps tend to check such future accidents. Case of murder and not mere acc...
उत्तराखंड: महिला टीचर उत्तरा पंत पर क्यों क्रूर हुआ सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का जनता दरबार?

उत्तराखंड: महिला टीचर उत्तरा पंत पर क्यों क्रूर हुआ सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का जनता दरबार?

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उत्तरा पंत बहुगुणा और त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का जनता दरबार, जहां आम लोग अपनी परेशानियां बता सकते हैं. 28 जून को हुए जनता दरबार में माइक उत्तरकाशी में 20 से ज़्यादा सालों से टीचर उत्तरा पंत बहुगुणा के हाथ में आता है. वो कहना शुरू करती हैं, ''मेरी समस्या ये है कि मेरी पति की मौत हो चुकी है. मेरे बच्चों को कोई देखने वाला नहीं है. घर पर मैं अकेली हूं, अपने बच्चों का सहारा. मैं अपने बच्चों को अनाथ नहीं छोड़ सकती और नौकरी भी नहीं छोड़ सकती. आपको मेरे साथ न्याय करना होगा.'' न्याय की इस फरियाद को सुनकर रावत उत्तरा से सवाल पूछते हैं, ''जब नौकरी की थी तो क्या लिखकर दिया था?'' उत्तरा जवाब देती हैं, ''लिखकर दिया था सर. ये नहीं बोला था कि मैं वनवास भोगूंगी ज़िंदगीभर. ये आपका है 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ.' और ये नहीं कि वनवास के लिए भेज रहे हैं हम...
Why vote bank politics even in announcing dating system in text books  in Tamil Nadu ?

Why vote bank politics even in announcing dating system in text books  in Tamil Nadu ?

TOP STORIES, राज्य
A few days after introducing Before Common Era ( B.C.E) and Common Era (C.E.) as the dating system in text books, Tamil Nadu government has reversed the decision and said that it would revert to the system of using Before Christ ( BC) and Anno Domini ( AD). What is surprising is that after announcing the reversion of the decision, the Education Minister in Tamil Nadu has claimed that such decision has been taken " to protect the interest of minorities" What is the minority issue involved in this and how minority interests will be affected by changing the dating system in text books? Obviously, Tamil Nadu government is playing vote bank politics , which amounts to minority appeasement in this case. So called secularism and minority interests are subjects now taken to ridiculous level. Is...
कर्नाटक का जनमत किसके पक्ष में है?

कर्नाटक का जनमत किसके पक्ष में है?

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चुनावों के दौरान चलने वाला सस्पेन्स आम तौर पर परिणाम आने के बाद खत्म हो जाता है लेकिन कर्नाटक के चुनावी नतीजों ने सस्पेन्स की इस स्थिति को और लम्बा खींच दिया है। राज्य में जो नतीजे आए हैं और इसके परिणामस्वरूप जो स्थिति निर्मित हुई है और उससे जो बातें स्पष्ट हुई हैं आइए जरा उस पर गौर करें। 1.भाजपा जिसके पास पिछली विधानसभा में 40 सीटें थीं वो आज राज्य में 105 सीटों पर विजयी होकर सबसे बड़े राजनैतिक दल के रूप में उभर कर आती है। 2.कांग्रेस जो कि 122 सीटों के साथ सत्ता में थी,आज 78 सीटों तक सिमट कर रह जाती है। 3.उसके 10 निवर्तमान मंत्री चुनाव हार जाते हैं। 4. उसके निवर्तमान मुख्यमंत्री  दो जगहों से चुनाव लड़ते हैं। जिसमें वे मात्र 1696 वोटों से अपनी बादामी सीट बचाने में कामयाब रहते हैं। लेकिन अपनी दूसरी चामुंडेश्वरी सीट पर उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ता है। 6. यहाँ यह जानना भी महत...
योगी सरकार का एक साल :  भाजपाराज स्थापित, योगीराज का इंतज़ार 

योगी सरकार का एक साल : भाजपाराज स्थापित, योगीराज का इंतज़ार 

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  उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का एक साल पूरा हो गया है। इस एक साल में उत्तर प्रदेश में परिवर्तन की बयार बह निकली है। व्यवस्था के ढीले पड़े पेंच कसावट महसूस कर रहे हैं। ईमानदार एवं सख्त योगी की नीयत साफ है किन्तु उनके हाथ बंधे हुये हैं। कार्यकर्ताओं की अनदेखी एवं दिल्ली के अनावश्यक हस्तक्षेप से उत्तर प्रदेश में 'भाजपाराज’ तो स्थापित हुआ है, 'योगीराज’ नहीं। योगी आदित्यनाथ को करीब से जानने वाले समझते हैं कि अपनों से घिरे योगी बहुत दिनों तक जकडऩ में रहने वाले नेता नहीं हैं। या तो दिल्ली उनकी जकडऩ कम कर देगी या योगी स्वयं इस जकडऩ से बाहर आना जानते हैं। उत्तर प्रदेश में सरकार के एक साल पर ग्राउंड ज़ीरो से अमित त्यागी का एक विश्लेषण।   खिरकार, एक बरस बीत गया। उत्तर प्रदेश सरकार के कामकाज की समीक्षा का यह पहला पड़ाव है। सरकार की समीक्षा दो तरह से की जानी चाहिए। एक प्रशासनिक स्तर पर ए...