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उत्तरप्रदेश सरकार अधीन Hon’ble स्टेट पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल इंदिरा भवन में सरकारी धन और सरकारी समय के सार्वजानिक दुरुपयोग पर माननीय मुख्यमंत्रीजी से संज्ञान लेने की अपील

उत्तरप्रदेश सरकार अधीन Hon’ble स्टेट पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल इंदिरा भवन में सरकारी धन और सरकारी समय के सार्वजानिक दुरुपयोग पर माननीय मुख्यमंत्रीजी से संज्ञान लेने की अपील

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उत्तरप्रदेश सरकार अधीन Hon'ble स्टेट पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल इंदिरा भवन में सरकारी धन और सरकारी समय के सार्वजानिक दुरुपयोग पर माननीय मुख्यमंत्रीजी से संज्ञान लेने की अपील विषय : वित्तवर्ष 2017 -18 के बजट में सरकारी धन के दुरुपयोग पर अंकुश लगाने का माननीय मुख्यमंत्रीजी का विचार प्रशंसनीय एवं सराहनीय तो है लेकिन व्यवहारिक स्वरुप वास्तविकता से भिन्न है इसी सन्दर्भ में माननीय मुख्यमंत्रीजी यूपी सरकार और माननीय अध्यक्ष यूपी स्टेट मानवाधिकार आयोग लखनऊ ,दोनों की ही सेवा में निम्न पत्र विचारार्थ प्रस्तुत है और अपेक्षा है कि दोनों माननीय महोदय अवश्य संज्ञान लेंगे सेवा में माननीय मुख्यमंत्रीजी आदरणीय श्री योगी आदित्यनाथ जी मुख्यमंत्री कार्यालय ,उत्तरप्रदेश सरकार ,लखनऊ वाया ईमेल प्रेषक श्रीमती रचना दुबलिश दिनांक 13 जुलाई 2017 माननीय महोदय , यूपी स्टेट पब्लिक सर्विस ट्रिब्य...
कश्मीर का इलाज ईसाबेला तो नहीं ?

कश्मीर का इलाज ईसाबेला तो नहीं ?

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डॉ. वेदप्रताप वैदिक 2017 का साल कश्मीर के लिए बहुत बुरा रहा। कितने आतंकी हमले हुए और कितने लोग मारे गए- यह बताने की जरुरत नहीं है। सबको पता है। यह सब कुछ तब हो रहा है, जबकि केंद्र और कश्मीर, दोनों जगह भाजपा की सरकारें हैं। यहां प्रश्न यह उठता है कि कांग्रेस और भाजपा, दोनों की ही कश्मीर नीति क्या एक-जैसी नहीं है ? कांग्रेस ने तो अलगाववादियों से बातचीत के रास्ते भी कई बार खोले थे। लेकिन मोदी सरकार न बात चलाती है और न ही लात चलाती है। जो बात न चला सके, उसे लात तो जरा मुस्तैदी से चलानी चाहिए। यदि चलाई होती तो सर्जिकल स्ट्राइक, फर्जीकल स्ट्राइक सिद्ध नहीं हो जाती। आतंकियों के दिल में सरकार की लात की दहशत होती तो क्या अमरनाथ के यात्रियों पर हमला हो सकता था ? इस हमले ने कश्मीरियत और इस्लाम दोनों को कलंकित कर दिया है। पाकिस्तान और कश्मीरी आतंकियों को पता है कि दिल्ली की सरकारें सिर्फ बातें बनात...
नाम आदर्श, काम पतित

नाम आदर्श, काम पतित

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डॉ. वेदप्रताप वैदिक मुंबई की आदर्श हाउसिंग सोसायटी के घोटाले में चार मुख्य मंत्रियों, कुछ मंत्रियों, कुछ नौकरशाह और कुछ सेनापतियों के नाम उछले, यही बताता है कि इस सोसायटी का नाम जितना खरा है, काम इसका उतना ही खोटा है। नाम आदर्श, काम पतित ! कोलाबा में बने इस 31 मंजिले भवन के फ्लैट करगिल युद्ध के शहीदों को मिलने थे लेकिन उन्हें हड़प लिया नेताओं ने, नौकरशाहों ने, सैन्य अफसरों ने। यह पता नहीं चला कि करगिल के शहीदों की कितनी विधवाओं को ये फ्लैट दिए गए। यह भी पता नहीं कि शहीद होनेवाले जवान और कनिष्ठ अफसरों के परिजनों के पास इन फ्लैटों को खरीदने के लिए पैसे भी थे या नहीं ? 75-75 लाख रु. वे कहां से लाते ? दूसरे शब्दों में इस सरकारी जमीन का दुरुपयोग करने का षड़यंत्र पहले से ही बना हो सकता है। करगिल युद्ध के नाम पर कुछ भी किया जा सकता है। इसीलिए 31 मंजिल ऊंचा भवन बनाने की बाकायदा इजाजत भी ले ली गई। स...
‘सिस्टम’ की रोग मुक्ति सफलता का आधार

‘सिस्टम’ की रोग मुक्ति सफलता का आधार

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ललित गर्ग- उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी का सौ दिनों का कार्य अंधेरों में रोशनी का प्रतीक बना है। सरकार ने इन दिनों में विकास के प्रतिमानों को ऊंचा रखते हुए लोगों के दिल को जीतने का काम किया है। इस अल्पावधि में सरकार ने अपनी नीतियों, योजनाओं एवं कार्यों से जन-जन में लोकप्रियता प्राप्त की है। प्रदेश की जनता ने बदलाव भी देखा और महसूस भी किया, भय, भ्रष्टाचार एवं अफसरशाही पर लगाम कसी है, बिजली की कटौती से राहत मिली है, विकास की नयी संभावनाओं ने पांव पसारना शुरु कर दिया है। लेकिन इन प्रशंसनीय स्थितियों के बीच कानून व्यवस्था अभी भी चरमराई हुई है। पिछले चैदह सालों से भ्रष्टाचार और गुंडाराज से जूझ रहे प्रदेश में एक नई तरह की कार्य संस्कृति और बदलाव देखने को मिल रहा है लेकिन कानून-व्यवस्था की दृष्टि से सकारात्मक नतीजे सामने आने जरूरी हैं। उत्तर प्रदेश में विकास से भी ज्यादा आवश्य...
Press-release by West Bengal Governor sufficient for President Rule in the state

Press-release by West Bengal Governor sufficient for President Rule in the state

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It refers to press-release issued on 05.07.2017 by office of West Bengal governor justifying stand of state-Governor on allegations made by state Chief Minister Mamta Banerjee on the Governor on his alleged biased role and talking to her allegedly in some threatening tone. Official press-release by office of the Governor in itself is a virtual recommendation for imposing President Rule in the state because of the state-government mishandling situation in areas hit by communal violence. Second point in favour of President Rule in the state is a biased role of the state-government towards a particular section of society, some of such steps at times having even been struck down by the courts. Thirdly it was against constitutional norms that state Chief Minister publicly referred to he...
Mamta Banerjee can make public her conversation with state-Governor to know the reality

Mamta Banerjee can make public her conversation with state-Governor to know the reality

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It is indeed a matter of big concern that for the first time in history of India that a state Chief Minister has made a verbal attack on the state Governor in a media-conference when Mamta Banerjee blamed Kesrinath Tripathi allegedly for talking to her in such an insulting manner that she thought of even resigning. State governor has exhibited political maturity by not making public his conversation with state Chief Minister. Since Mamta Banerjee has already bypassed norms by publically levelling serious allegations against the state Governor, she should prove her allegations by making public phone-recording between her and Kesrinath Tripathi in case conversation has been recorded on mobile-phone. Otherwise she can reveal some exact quotes of state Governor to justify her allegatio...
मैं गरीब हूं, इबारत गरीबी का मजाक है

मैं गरीब हूं, इबारत गरीबी का मजाक है

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ललित गर्ग- राजस्थान में गरीबों का मखौल उड़ाने का एक गंभीर मामला सामने आया है, जो हमारी राजनीति के साथ-साथ प्रशासनिक मूल्यहीनता एवं दिशाहीनता का परिचायक है। राजनीतिक लाभ लेने के लिये किस तरह सरकार के द्वारा जनयोजनाआंें को भुनाने के प्रयत्न होते हैं, उसका राजस्थान एक घिनौना एवं अमानवीय उदाहरण बनकर प्रस्तुत हुआ है। गौरतलब है कि राज्य के दौसा जिले में बीपीएल यानी गरीबी रेखा से नीचे आने वाले परिवारों के घरों की दिवारों पर उकेर दिया गया है- ‘मैं गरीब हूं, मैं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत राशन लेता हूं।’ कोई भी अपनी मर्जी से अपने घर की दीवार पर यह नहीं लिखना चाहेगा। दौसा में हजारों घरों पर यह लिखा मिलेगा, तो समझा जा सकता है कि अधिकारियों के निर्देश पर ही ऐसा हुआ होगा। अधिकारियों को निर्देश सत्ता से जुड़े शीर्ष नेतृत्व ने ही प्रदत्त किया होगा, यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। लेकिन इस तरह...
पोस्टरबॉय एनकाउंटर के बाद.

पोस्टरबॉय एनकाउंटर के बाद.

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➖समाचारों से ज्ञात हो रहा है कि कश्मीरी आतंकियों का पोस्टरबॉय बुरहानबानी जो पिछले वर्ष 8 जुलाई को मुठभेड़ में मारा गया था कि पहली बरसी (8.7.2017 ) पर बदला लेने के लिए पाकिस्तानी सेना व आतंकी अत्यधिक उग्र व आक्रामक हो रहे है | जिहाद के लिए ये मजहबी आतंकी अपने एक एक साथी की मौत का बदला लेने के लिए कैसा भी दुस्साहस करने के लिए संकल्पित है | ➖परन्तु क्या यह हम देशवासियों के लिए संतोषजनक है कि हम अपने सैनिको के बलिदानों पर बार बार शोक सभा व केंडल मार्च द्वारा निंदा करने तक ही सीमित रह जाते है | क्या हमारी रक्त वाहिनियों में उबाल लाने वाले राष्ट्रभक्ति के जीवाणुओं का अभाव हो गया है या हम इतने कर्तव्यविमुख हो गए है कि अपने रक्षको के प्रति केवल संवेदनाओं के सरलीकरण का मार्ग अपना कर समाचार पत्रों में छपते रहें ? क्यों नहीं हम अपने वीर सैनिकों के निरन्तर हो रहें बलिदानों पर आक्रोशित होते ? ➖ " वय...
Modified delimitation needed in Delhi before any next elections

Modified delimitation needed in Delhi before any next elections

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Delimitation in Delhi should be streamlined by having two exclusive constituencies for trans-Yamuna areas with simplified names as East-Delhi and Yamuna-Vihaar with river Yamuna as boundary to separate rest of the five seats on other side of the river which could have easy names as New-Delhi, Old-Delhi, South-Delhi, North-Delhi and West-Delhi eliminating confused nomenclature like North-East Delhi or North-West Delhi. All the seven Lok Sabha constituencies may comprise of ten assembly-seats even though twenty trans-Yamuna assembly-seats may have slightly less representation of voters. Major roads or rail-lines should be dividing boundaries between different constituencies. Such slight modifications can be done through an ordinance before forthcoming Lok Sabha polls. There is a pecu...
राजस्थान के धरतीपुत्रों के आगे झुकी सरकार

राजस्थान के धरतीपुत्रों के आगे झुकी सरकार

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रामस्वरूप रावतसरे सानों के कर्जे माफ करने, फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाने समेत कई मांगों को लेकर देश भर में शुरु हुआ किसान आंदोलन धीरे-धीरे राजस्थान को भी चपेट में ले रहा था। राजस्थान में भी इन मांगों को लेकर धरने-प्रदर्शन और महापड़ाव शुरु हो गए हैं। दो दिन से कई जिलों में किसानों व किसान संगठनों ने महापड़ाव शुरु कर दिए थे । जयपुर में भी संभागीय स्तर का महापड़ाव चलाया गया । किसानों ने रात को कैण्डल मार्च निकाला था और धरना दिया। भारतीय किसान संघ जयपुर प्रांत के युवा प्रमुख गजानंद कुमावत ने बताया कि महापड़ाव में सैकड़ों किसानों ने हिस्सा लिया और कैण्डल मार्च निकालकर सरकार का ध्यान आकृष्ट किया किया था। किसान संगठनों ने चेताया कि अगर सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो आंदोलन को तेज किया जाएगा। उधर किसानों के बढ़ते आंदोलन व नाराजगी को देखते हुए राजस्थान सरकार की सांसें ऊपर नीचे हो रही...