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धर्म स्थलों का धन क्या विकास में लगे?

धर्म स्थलों का धन क्या विकास में लगे?

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जब से कोरोना का लॉकडाउन शुरू हुआ है तब से अपनी जान बचाने के अलावा दूसरा सबसे महत्वपूर्ण चर्चा का विषय वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर है। हर आदमी खासकर व्यापारी, कारखानेदार और मजदूर अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। अर्थव्यवस्था के इस तेजी से पिछड़ जाने के कारण प्रधान मंत्री और मुख्यमंत्रीगण तक सार्वजनिक रूप से आर्थिक तंगी, वेतन में कटौती, सरकारी खर्च में फिजूल खर्च रोकना और जनता से दान देने की अपील कर रहे हैं। ऐसे में सबका ध्यान भारत के धर्म स्थलों में जमा अकूत दौलत की तरफ भी गया है। बार-बार यह बात उठाई जा रही है कि इस धन को धर्म स्थलों से वसूल कर समाज कल्याण के या विकास कार्यों में लगाया जाए। आरोप लगाया जा रहा है कि भारी मात्रा में जमा यह धन, निष्क्रिय पड़ा है। या इसका दुरुपयोग हो रहा है। कुछ सीमा तक उपरोक्त आरोप में दम हो सकता है। पर इस धन को सरकारी तंत्र के हाथ में दिए जाने के बहुतसे लोग श...
देश कब समझेगा रील और ऱीयल दुनिया के नायकों का अंतर

देश कब समझेगा रील और ऱीयल दुनिया के नायकों का अंतर

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  अभी हाल ही में देश के दो रीयल और रील लाइफ के नायकों के संसार से विदा होने पर जिस तरह की प्रतिक्रिया देश में देखने को मिलीं वह सबकों हैरान करने वाली थी। पहले सशक्त अभिनेता और पीकू, लंच बॉक्स, पान सिंह तोमर जैसी बेहतरीन फिल्मों में अपने यादगार अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाले इरफान खान और उसके बाद राज कपूर के छोटे बेटे ऋषि कपूर की मृत्यु पर देश में जिस तरह की शोक की लहर उमड़ी वह निश्चित रूप से अभूतपूर्व और अप्रत्याशित मानी जाएगी ऋषि कपूर ने अपने लगभग आधी सदी लंबे फिल्मी सफर में बॉबी, मुल्क,  लैला-मजनूं जैसी दर्जनों उम्दा फिल्मों में नायक का रोल निभाया । हालांकि वे बीच-बीच में अपने कुछ विवादास्पद बयानों के कारण खबरों में भी आ जाते थे। तो भी यह तो  मानना ही होगा कि वे एक लोकप्रिय सितारें थे। पर इन दोनों के दिवंगत होने के फौरन बाद कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए सेन...
तबलीगी जमात की कालिमा को धोने के उपक्रम

तबलीगी जमात की कालिमा को धोने के उपक्रम

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कोरोना कहर से समूचा भारत संकट में है और इस संकट को तबलीगी जमात ने बढ़ा दिया, इसकी गलती से कोरोना संक्रमण पीड़ितों व मौतों की संख्या बढ़ी है। जमात के अमीर मौलाना साद की इस अक्षम्य गलती से न केवल संपूर्ण भारतीय मुस्लिम समाज को गंभीर संकट में डाला बल्कि साम्प्रदायिक सौहार्द एवं आपसी सद्भावना की भारतीय सांझा-संस्कृति को भी धुंधलाया। जबकि देश का एक बड़ा मुस्लिम समुदाय इस संकट की घड़ी में देश के साथ खड़ा है, अपने-अपने स्तर पर सेवा, सहयोग एवं सहायता के उपक्रम कर रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने भी हाल ही में स्वीकार किया है कि मुस्लिम समाज में एक वर्ग ऐसा भी है जो सरकार के निर्देशों का पालन कर रहा है, जमात के लोगों की खोज करने में प्रशासन की मदद कर रहा हैं। उन्होंने मुस्लिम समाज में तबलीगी जमात के सदस्यों का विरोध होने की भी सराहना की। भारत का एक बड़ा मुस्लिम वर्ग कोरोना...
आधुनिक और विकसित देशों के नागरिक स्वदेश लौटने को तैयार नहीं

आधुनिक और विकसित देशों के नागरिक स्वदेश लौटने को तैयार नहीं

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कोरोना वायरस के असर से अब संसार का कोई भी देश बचा नहीं है। कोरोना वायरस ने सच में सारी दुनिया को घुटनों पर लाकर खड़ा कर दिया है। हर जगह कोरोना से रोज हजारों मौतें हो रही हैं। दुनिया इस वायरस के असर के कारण डरी-सहमी है। पर इसका एक दूसरा पहलू यह भी है कि अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और चीन, जहां से इस वायरस की उत्पति हुई और अन्य कई विकसित देशों के पेशेवर मैनेजर मल्टीनेशनल कंपनियों के भारत में रहने वाले हजारों नागरिक अपने को यहां पर अपने खुद के देश की बजाय ज्यादा सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। फिलहाल ये अपने देशों में वापस जाने के लिए भी तैयार नहीं हैं। विमान की और मुफ्त सफ़र की व्यवस्था के बावजूद आनाकानी कर रहे हैं । अगर बात अमेरिका से शुरू करें तो वहां पर रोज बड़ी संख्या में लोग कोरोना के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। अपने को सर्वशक्तिमान समझने वाले अमेरिका की दर्दनाक स्थिति अब तो इतनी खराब हो ग...
तब्लीगी मरकज” को सील किया जाए 

तब्लीगी मरकज” को सील किया जाए 

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हज़ारों-लाखों लोगों के जीवन पर जीवाणुओं का जान लेवा आक्रमण होने की बढ़ती सम्भावना के उत्तरदायी तब्लीगी मरकज को सील न किया जाना क्या विश्व की कोई न्यायायिक व्यवस्था उचित ठहराएगी? इसके आयोजकों और इसमें सम्मलित होने वाले कट्टरपंथियों पर कठोर दंडात्मक कार्यवाही भारतीय न्यायायिक प्रणाली के अनुसार अवश्यम्भावी होनी चाहिये।तब्लीगी मरकज, निज़ामुद्दीन, दिल्ली में पिछले माह मॉर्च में आये हज़ारों जमातियों ने कोरोना वायरस की आपदा में अपने तुच्छ जिहादी सोच के कारण देश के सामने एक बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। शासन व प्रशासन द्वारा बार-बार चेतावनी देने के उपरांत भी हज़ारों की संख्या में एक ही भवन में एकत्रित होकर कानूनों का खुला उल्लंघन करने वालों ने इसप्रकार अपनी जिंदगी के साथ-साथ देश के करोड़ों लोगों की जिंदगी को भी संकट में डाल दिया है।आज सम्पूर्ण समाज व राष्ट्र इन पापियों के कर्मों को भुगतने के खौफ से आक्रोशित...
भारत बनेगा कोरोना मुक्ति की प्रयोगभूमि

भारत बनेगा कोरोना मुक्ति की प्रयोगभूमि

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कोरोना वायरस अब तक के मानव इतिहास का सबसे बड़ा संकट है, क्योंकि जब भी कोई प्राकृतिक संकट आया, विश्वयुद्ध की स्थितियां बनी या किसी महामारी ने घेरा तो कुछ देशों अथवा राज्यों तक ही वह सीमित रहा लेकिन इस बार का संकट ऐसा है, जिसने समूचे विश्व एवं पूरी मानव जाति को संकट में डाल दिया है। इस महासंकट के निजात पाने में दुनिया की बड़ी-बड़ी शक्तियां धराशायी हो गई या स्वयं को निरुपाय महसूस कर रही है, ऐसे समय में दुनिया की नजरे भारत की ओर लगी है। क्योंकि भारत की जनता एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी सुनियोजित तैयारियों, संकल्प एवं संयम के जरिये कोरोना को दूसरे चरण में बांध रखा है। दुनिया भारत की ओर आशाभरी निगाहों से देख रही है। भारत में इस महामारी से लड़ने की तैयारी एवं जिजीविषा की दुनिया ने प्रशंसा की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी स्वीकार किया है कि जनसंख्या के लिहाज से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश भ...
लाॅकडाउन में एकांकी वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल

लाॅकडाउन में एकांकी वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल

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कोरोना महामारी की गति अनियंत्रित तरीके से लगातार उफान पर है। सारे संसार में कोरोना पीड़ितों की संख्या 10 लाख के आंकड़े तक पहुँचने जा रही है। मृतकों की संख्या भी 50 हजार के निकट पहुँच रही है। सारा विश्व जानता है कि अमेरिका और इटली इस महामारी का सबसे अधिक शिकार हुए हैं। इटली में 23 प्रतिशत जनसंख्या वरिष्ठ नागरिकांे की है और अमेरिका में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या केवल 13 प्रतिशत है। जबकि भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार वरिष्ठ नागरिकों की जनसंख्या 8.6 0प्रतिशत है। शहरों में वरिष्ठ नागरिकों को अक्सर अनेकों प्रकार के रोगों का सामना करना पड़ता है। कोरोना से उत्पन्न परिस्थितियों ने अनेकों देशों को लाॅकडाउन के लिए मजबूर कर दिया। कोरोना रोग की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए यह कदम आवश्यक भी हो गया। इस लाॅकडाउन व्यवस्था के परिणामस्वरूप आज देश का हर नागरिक केवल अपने घर में पारिवारिक सदस्यों के बीच बंधकर रह ग...
संतुलन बनाते-बनाते सच का मुंह तो नहीं नोचने लगे हैं हम?

संतुलन बनाते-बनाते सच का मुंह तो नहीं नोचने लगे हैं हम?

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कोरोना चीन से फैला, चीन ने फैलाया, लेकिन इसे चीनी वायरस कहने से यह रेसियल कमेंट हो जाता है। तबलीगी जमात में दुनिया भर के मजहबी धर्म प्रचारक कोरोना संक्रमण लेकर शामिल हुए और फिर सरकार व प्रशासन से छिपाते हुए घूम-घूम कर पूरे देश में इसे फैला दिया, लेकिन इसके लिए जमात की निंदा करने से यह कम्युनल कमेंट हो जाता है। कथित प्रोग्रेसिव व सेक्युलर लोग कोरोना की तुलना आए दिन होने वाली सड़क दुर्घटनाओं और अन्य बीमारियों से होने वाली मौतों से कर कर के थक गए, तो अब तबलीगी जमात की बैठक की तुलना तिरुपति बाला जी या वैष्णो देवी के श्रद्धालुओं की भीड़ से की जा रही है, बिना इस बात का जवाब दिये कि उन श्रद्धालुओं में कितने विदेशी थे, कितने कोरोना संक्रमित होने के कारण मर गए, लॉकडाउन के बाद कितनों ने मंदिर में पूजा करने की ज़िद की, कितने मंदिरों में छिपकर बैठे थे, कितनों ने संक्रमण की बात छिपाई और कितनों ...
तबलीगी जमात का निजामुद्दीन मुख्यालय कैसे बना मानव बम की फैक्ट्री

तबलीगी जमात का निजामुद्दीन मुख्यालय कैसे बना मानव बम की फैक्ट्री

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◆ दिल्ली के निजामुद्दीन वेस्ट के बंगलेवाली मरकज में 17 से 19 मार्च 2020 को हुए आलमी मसाबरात में विश्व भर के हजारों जमातियों ने भाग लिया था। ◆ निजामुद्दीन मरकज तबलीगी जमात का दिल्ली मुख्यालय है। ◆ इसमें से 24 जमाती आज दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने अभी तक  कोरोना पॉजिटिव कन्फर्म किये है, सैंकड़ों की जांच जारी है। ◆ इस मरकज में मलेशिया इंडोनेशिया चीन सहित दर्जनों देशों तथा भारत के 20 से अधिक राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया  था। ◆ इनमें से बहुत से जमाती साउथ ईस्ट एशिया की ग्लोबल मसाबरात 'इज्तिमा एशिया' से लौटे थे। ◆ ये इज्तिमा एशिया मलेशिया के सेलअंगोर नामक स्थान पर शेरीपेल्टिंग मस्जिद में हुआ था। ◆ 13 मार्च से दिल्ली में 50 से अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। ◆ जनता कर्फ्यू के बाद 23 मार्च को दिल्ली सरकार ने लॉक डाउन की घोषणा की। ◆ उसी दिन कानून तोड़ते हुए इ...
वैदिक जीवन पद्धति की ओर ढकेलेगा ‘करोना’

वैदिक जीवन पद्धति की ओर ढकेलेगा ‘करोना’

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-विनीत नारायण जब प्रधानमंत्री ने 22 मार्च को थाली या ताली बजाने का आवाह्न किया, तो मैंने सोशल मीडिया पर अपील जारी की कि ‘‘जिन घरों, मंदिरों, आश्रमों और संस्थाओं के पास शंख है वे 22 मार्च की शाम 5 बजे से, 5 मिनट तक, घर के बाहर आकर लगातार जोर से शंख ध्वनि करें। ऐसा वैज्ञानिक प्रयोगों से सिद्ध हो चुका है कि शंख ध्वनि करने से वातावरण में उपस्थित नकरात्मक ऊर्जा और बैक्टीरिया का नाश होता है। इसीलिए वैदिक संस्कृति में हर घर में सुबह शाम, पवित्रता के साथ, शंख ध्वनि करने की व्यवस्था हजारों वर्षों से चली आ रही है। जिसका हम, अपने घर में, आज भी पालन करते हैं। अगर देश की कुछ मेडिकल रीसर्च यूनिट्स चाहें तो तय्यारी कर लें। इस प्रस्तावित शंख ध्वनि के पहले और बाद में ये संस्थान अपने क्षेत्र में ‘करोना’ वाइरस पर इस ध्वनि के प्रभाव का अध्ययन भी कर सकते हैं। जिस तरह विश्व समुदाय ने मोदी जी की अपील पर योग द...