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एक कार्यकर्ता का मोदी सरकार के लिए एजेंडा

एक कार्यकर्ता का मोदी सरकार के लिए एजेंडा

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इस वर्ष हुए आम चुनाव में भाजपा को 303/542 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत प्राप्त हुआ है. अगले 5 वर्षों तक श्री नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री पद पर आसीन रहेंगे और देशहित के कार्य करेंगे. एक नागरिक होने के नाते मेरी भारत सरकार से निम्नलिखित अपेक्षाएं हैं और मुझे आशा है, श्री नरेंद्र मोदी जी इस दिशा में कार्य करेंगे : 1. हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने की दिशा में सार्थक प्रयास, संसद और न्यायपालिका से अंग्रेजी की विदाई, अंग्रेजी के स्थान पर देशी भाषाओं को प्रोत्साहन 2. रेलों में खान-पान, शौचालय, स्वच्छता और सुरक्षा-सम्बन्धी सुधार. जनरल क्लास में भीड़ का उचित प्रबंधन 3. विदेशी संग्रहालयों में विद्यमान भारतीय पुरा-सम्पदा को भारत वापस लाने सम्बन्धी ठोस और निर्णायक पहल 4. केवल बौद्ध ही नहीं, अपितु रामायण-संस्कृति और शाक्त परंपरा के आधार पर विदेशों से सम्बन्ध सुदृढ़ किए जाएं. 5. न्यायालयों में...
प्रधानमंत्री को स्वस्थ भारत ने लिखा पत्र, स्वस्थ भारत की दिशा में दिए अहम सुझाव

प्रधानमंत्री को स्वस्थ भारत ने लिखा पत्र, स्वस्थ भारत की दिशा में दिए अहम सुझाव

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आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी, सादर प्रणाम! स्वस्थ भारत अभियान,स्वस्थ भारत (न्यास) व स्वस्थ भारत यात्रा के साथियों की ओर से आपको पुनः प्रधानमंत्री बनने हेतु शुभकामनाएं प्रेषित कर रहा हूं। आपका राष्ट्र के प्रति समर्पण अनुकरणीय है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि भारत के इतिहास में यह पहला मौका है जब स्वास्थ्य संबंधी कारकों ने चुनाव को इतना प्रभावित किया। स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए कार्यों को चुनाव में जीत का मंत्र बनाया गया। यह इस बात का प्रमाण है कि आपकी सरकार देश के स्वास्थ्य को लेकर बहुत गंभीर है। और इस गंभीरता की जरूरत भी है। उज्ज्वला योजना से होते हुए प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के रास्ते आयुष्मान भारत की जो नीतिगत सफर आपकी सरकार ने की है, उसकी मैं तारीफ करता हूं। नई स्वास्थ्य नीति को आपकी सरकार ने अंगीकार किया है। इसके लक्ष्य-निर्धारण भी स्वागत योग्य हैं। इन ...
मोदी सरकार में हिन्दी को प्राथमिकता मिले

मोदी सरकार में हिन्दी को प्राथमिकता मिले

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देश के लोकतांत्रिक इतिहास में सबसे चमत्कारी एवं ऐतिहासिक जीत के साथ भारतीय जनता पार्टी श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाने जा रही हैं। संभावना की जा रही है कि मोदी के नेतृत्व में बनने वाली सरकार राष्ट्रीयता एवं राष्ट्रीय प्रतीकों मजबूती प्रदान करेंगी। जैसे राष्ट्रभाषा हिन्दी, राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय गीत, राष्ट्रीय पक्षी आदि को सम्मानजनक स्थान प्रदत्त किया जायेगा। मूल प्रश्न राष्ट्रभाषा हिन्दी को सशक्त बनाने का है। चुनाव में प्रचार का सशक्त माध्यम हिन्दी ही बनी, लेकिन जिस हिन्दी का उपयोग करके प्रत्याशी संसद में पहुंचते हैं, वहां पहुंचते ही हिन्दी को भूल जाते हैं, विदेशी भाषा अंग्रेजी के अंधभक्त बन जाते है, यह लोकतंत्र की एक बड़ी विसंगति है, राष्ट्रभाषा का अपमान है। हिन्दी की दुर्दशा एवं उपेक्षा आहत करने वाली है। इस दुर्दशा के लिये हिन्दी वालों का जितना हाथ है, उतना किसी अन्य का ...
सनातनता की विजय – मौलिक भारत के निर्माण का समय

सनातनता की विजय – मौलिक भारत के निर्माण का समय

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यह भारत की इंडिया पर जीत है। यह मोदीत्व की जय है। यह कर्मयोगियों की जीत है। यह सनातन संस्कृति के उन पहरुओं की जीत है जो 'राष्ट्र प्रथम’ बस इसी भाव से अपना सर्वस्व न्यौछावर कर इस भारत भूमि को पुष्पित पल्लवित करने को उद्धत हैं। यह उस आक्रामक राष्ट्रवाद की जीत है जो हम पर बुरी नजऱ रखने वाले दुश्मन देश की आंख निकाल लेने की दृढ़ इच्छाशक्ति रखता है। यह 'नए भारत’ की उस संकल्पना की जीत है जो प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने देश की जनता के सामने रखी और जनता ने उस पर अपने भरोसे व समर्थन की मुहर लगा दी। टूटते वंशवाद के किलों और सम्प्रदाय-जाति की हवेलियों के बीच नए भारत की नयी इमारत बनकर सामने आ रही है जिसमें पहली बार इतनी व्यापक जनभागीदारी और जनसहभागिता है। एक जगे हुए आंदोलित राष्ट्र के एक एक जन ने उन स्वरों व भाषाओं के कहकरों को सुन समझ ताल से ताल मिला ली है और द्रुतगति से विश्वपटल पर अपनी खो...
जातिवाद से आजाद होता देश का लोकतंत्र

जातिवाद से आजाद होता देश का लोकतंत्र

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2019 के लोकसभा चुनाव परिणाम कई मायनों में ऐतिहासिक रहे।  इस बार के चुनावों की खास बात यह थी कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के चुनाव परिणामों पर देश ही नहीं दुनिया भर की नज़रें टिकी थीं। और इन चुनावों के  परिणामों ने विश्व में जो आधुनिक भारत की नई छवि बन रही थी उस पर अपनी ठोस मोहर लगा दी है कि ये वो भारत है जिसका केवल नेतृत्व ही नहीं बदला बल्कि यहां का जनमानस भी बदला है उसकी सोच भी बदल रही है। ये वो भारत है जो केवल  बाहर से ही नहीं भीतर से भी बदल रहा है। इस भारत का  लोकतंत्र भी बदल रहा है। जो लोकतंत्र जातिवाद मजहब समुदाय की बेड़ियों में कैद था उसे विकास ने आज़ाद करा लिया है। इसकी बानगी दिखी नतीज़ों के बाद जब सेंसेक्स ने भी मोदी  सरकार की वापसी पर रिकॉर्ड  40000 की उछाल दर्ज की। आज़ाद भारत के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि किसी गैर कांग्रेस सरकार को दोबारा जनता ने सत्ता की बागडोर सौंप दी हो व...
राष्ट्रवाद का विजय रथ

राष्ट्रवाद का विजय रथ

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17 वीं लोकसभा के चुनावी निर्णयों से यह स्पष्ट है कि मोदी जी के नेतृत्व में NDA की यह भारी विजय स्वस्थ राष्ट्रवाद की जीत है। सामान्यतः भारतीय जन मानस सहिष्णु व उदार होने के कारण प्रायः हिंसक नही होता। उसको प्रेम, दया व क्षमा में धर्म के दर्शन होते है। अतः श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में 5 वर्ष के अल्पकाल में सम्पूर्ण राष्ट्र में शांति का जो वातावरण बना उससे राष्ट्रवादी समाज अवश्य प्रभावित हुआ। कश्मीर,बंगाल व केरल आदि के कुछ मुस्लिम बहुल क्षेत्रो को छोड़ कर इस्लामिक जिहाद से सामान्यतः देशवासियों को पूर्व की तुलना में स्थिति कुछ संतोषजनक रही। लेकिन सीमाओं पर शत्रु देश पाकिस्तान युद्धविराम का उल्लंघन करके सुरक्षा बलों को ललकारता रहा और आतंकवादियों द्वारा बम विस्फोट करवाने में लिप्त रहा। इस पर शासन-प्रशासन का आक्रोशित होना स्वाभाविक था। अंततोगत्वा मोदी सरकार ने दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया।...
बच्चों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए

बच्चों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए

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भारत की तकनीकी प्रगति को चिह्नित करने और विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ावा देने के लिए 11 मई को भारत भर में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय देश में नवाचार और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अर्जित उपलब्धियों के उपलक्ष्य में वर्ष 1999 से प्रत्येक वर्ष 11 मई इस दिवस का आयोजन करता है। इस अवसर देशभर में राष्ट्र की सेवा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की सफलता का उत्सव मनाया जाता है। ज्ञातव्य है कि यह दिवस 11 मई को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि प्राप्त होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह राजस्थान के पोखरण में 11 से 13 मई 1998 तक आयोजित आपरेशन शक्ति (पोखरण -2) परमाणु परीक्षण के पांच परमाणु परीक्षणों में से पहले परीक्षण की याद में हर वर्ष मनाया जाता है। आपरेशन का नेतृत्व पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कि...
एक खामोश क्रांति, लाखों युवक लेते कारोबार के लिए लोन

एक खामोश क्रांति, लाखों युवक लेते कारोबार के लिए लोन

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देश में लोकसभा चुनावों के स्वाभाविक कोलाहल के बीच एक अहम खबर दब सी गई है। पर यह अपने आप में अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। खबर यह है कि सरकार ने मुद्रा लोन योजना के तहत अपने 2018-19 के लक्ष्य को पूरा कर लिया है। ये राशि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 23 फीसद अधिक है । सरकार ने इस अवधि के दौरान 3 लाख करोड़ रुपये का लोन देने का लक्ष्य बनाया था। आपको पता ही है कि उपर्युक्त मुद्रा योजना के तहत देशभर के उन नवयुवकों / नवयुवतियों को आसान दरों पर लोन उपलब्ध करवाया जाता है, जो पहली बार अपना कोई कारोबार शुरू करना चाहते हैं। आज से बीसेक साल पहले जिन कारोबारियों ने अपना कोई बिजनेस शुरू किया है, वे ही बता सकते हैं कि उन्हें पूंजी जुटाने के लिए दिन में ही रात के तारे नजर आ जाते थे। बैंकों के चक्कर लगाते-लगाते जूतियाँ घिस जाती थीं । इसी वजह से ज्यादातर भावी कारोबारियों के कुछ खास करने के ख्वाब बिखर जाया करते थे...
प्रेस की स्वतंत्रता एक मौलिक जरूरत है

प्रेस की स्वतंत्रता एक मौलिक जरूरत है

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विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस प्रत्येक वर्ष 3 मई को मनाया जाता है। प्रेस किसी भी समाज का आइना होता है। 1991 में यूनेस्को की जनरल असेंबली के 26वें सत्र में अपनाई गई सिफारिश के बाद, संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने दिसंबर 1993 में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की घोषणा की थी। प्रेस की आजादी से यह बात साबित होती है कि किसी भी देश में अभिव्यक्ति की कितनी स्वतंत्रता है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में प्रेस की स्वतंत्रता एक मौलिक जरूरत है। आज हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं, जहाँ अपनी दुनिया से बाहर निकल कर आसपास घटित होने वाली घटनाओं के बारे में जानने का अधिक वक्त हमारे पास नहीं होता। ऐसे में प्रेस और मीडिया हमारे लिए एक खबर वाहक का काम करती हैं, जो हर सवेरे हमारी टेबल पर गरमा गर्म खबरें परोसती हैं। प्रेस केवल खबरे पहुंचाने का ही माध्यम नहीं है बल्कि यह नये युग के निर्माण और जन चेतना के उद्बोधन ए...
75% आबादी प्यासी लेकिन इसकी चिंता कौन करे?

75% आबादी प्यासी लेकिन इसकी चिंता कौन करे?

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लोकसभा चुनावों में व्यस्त देश को आगामी 23 मई को इनके नतीजों के आने के बाद जल संकट से जुड़े सवाल पर गहराई से सोचना होगा। भले ही चुनावों में राजनीतिक दलों में वैचारिक मतभेद रहते हैं, पर जल संकट का सामना करने के बिंदु पर तो कोई मतभेद हरगिज़ नहीं होने चाहिए। देश वास्तव में भीषण जल संकट से गंभीरता से जूझ रहा है। गर्मियों में मांग बढ़ने के कारण स्थिति और भी बदतर हो जाती है। एक अनुमान के मुताबिक देश के 60 करोड़ आबादी को आज के दिन भीषण जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। देश के नीति आयोग का तो यहां तक कहना है कि देश के 70 फीसद घरों में साफ पेयजल नहीं मिल रहा है। ये दोनों ही आंकड़ें किसी को डराने के लिए पर्याप्त हैं। इनसे समझा जा सकता है कि देश में जल संकट ने कितना विकराल रूप ले चुका है। पर हैरानी तो यह होती है कि जल संकट इस लोकसभा चुनाव का कोई मुद्दा ही नहीं बना पाया।   दक्षिण अफ्रीका शहर केपटाउन को...