Shadow

राष्ट्रीय

जातिवाद से आजाद होता देश का लोकतंत्र

जातिवाद से आजाद होता देश का लोकतंत्र

addtop, Today News, TOP STORIES, राष्ट्रीय
2019 के लोकसभा चुनाव परिणाम कई मायनों में ऐतिहासिक रहे।  इस बार के चुनावों की खास बात यह थी कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के चुनाव परिणामों पर देश ही नहीं दुनिया भर की नज़रें टिकी थीं। और इन चुनावों के  परिणामों ने विश्व में जो आधुनिक भारत की नई छवि बन रही थी उस पर अपनी ठोस मोहर लगा दी है कि ये वो भारत है जिसका केवल नेतृत्व ही नहीं बदला बल्कि यहां का जनमानस भी बदला है उसकी सोच भी बदल रही है। ये वो भारत है जो केवल  बाहर से ही नहीं भीतर से भी बदल रहा है। इस भारत का  लोकतंत्र भी बदल रहा है। जो लोकतंत्र जातिवाद मजहब समुदाय की बेड़ियों में कैद था उसे विकास ने आज़ाद करा लिया है। इसकी बानगी दिखी नतीज़ों के बाद जब सेंसेक्स ने भी मोदी  सरकार की वापसी पर रिकॉर्ड  40000 की उछाल दर्ज की। आज़ाद भारत के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि किसी गैर कांग्रेस सरकार को दोबारा जनता ने सत्ता की बागडोर सौंप दी हो व...
राष्ट्रवाद का विजय रथ

राष्ट्रवाद का विजय रथ

addtop, Today News, TOP STORIES, राष्ट्रीय
17 वीं लोकसभा के चुनावी निर्णयों से यह स्पष्ट है कि मोदी जी के नेतृत्व में NDA की यह भारी विजय स्वस्थ राष्ट्रवाद की जीत है। सामान्यतः भारतीय जन मानस सहिष्णु व उदार होने के कारण प्रायः हिंसक नही होता। उसको प्रेम, दया व क्षमा में धर्म के दर्शन होते है। अतः श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में 5 वर्ष के अल्पकाल में सम्पूर्ण राष्ट्र में शांति का जो वातावरण बना उससे राष्ट्रवादी समाज अवश्य प्रभावित हुआ। कश्मीर,बंगाल व केरल आदि के कुछ मुस्लिम बहुल क्षेत्रो को छोड़ कर इस्लामिक जिहाद से सामान्यतः देशवासियों को पूर्व की तुलना में स्थिति कुछ संतोषजनक रही। लेकिन सीमाओं पर शत्रु देश पाकिस्तान युद्धविराम का उल्लंघन करके सुरक्षा बलों को ललकारता रहा और आतंकवादियों द्वारा बम विस्फोट करवाने में लिप्त रहा। इस पर शासन-प्रशासन का आक्रोशित होना स्वाभाविक था। अंततोगत्वा मोदी सरकार ने दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया।...
बच्चों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए

बच्चों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए

addtop, TOP STORIES, राष्ट्रीय
भारत की तकनीकी प्रगति को चिह्नित करने और विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ावा देने के लिए 11 मई को भारत भर में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय देश में नवाचार और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अर्जित उपलब्धियों के उपलक्ष्य में वर्ष 1999 से प्रत्येक वर्ष 11 मई इस दिवस का आयोजन करता है। इस अवसर देशभर में राष्ट्र की सेवा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की सफलता का उत्सव मनाया जाता है। ज्ञातव्य है कि यह दिवस 11 मई को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि प्राप्त होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह राजस्थान के पोखरण में 11 से 13 मई 1998 तक आयोजित आपरेशन शक्ति (पोखरण -2) परमाणु परीक्षण के पांच परमाणु परीक्षणों में से पहले परीक्षण की याद में हर वर्ष मनाया जाता है। आपरेशन का नेतृत्व पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कि...
एक खामोश क्रांति, लाखों युवक लेते कारोबार के लिए लोन

एक खामोश क्रांति, लाखों युवक लेते कारोबार के लिए लोन

addtop, Today News, TOP STORIES, राष्ट्रीय
देश में लोकसभा चुनावों के स्वाभाविक कोलाहल के बीच एक अहम खबर दब सी गई है। पर यह अपने आप में अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। खबर यह है कि सरकार ने मुद्रा लोन योजना के तहत अपने 2018-19 के लक्ष्य को पूरा कर लिया है। ये राशि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 23 फीसद अधिक है । सरकार ने इस अवधि के दौरान 3 लाख करोड़ रुपये का लोन देने का लक्ष्य बनाया था। आपको पता ही है कि उपर्युक्त मुद्रा योजना के तहत देशभर के उन नवयुवकों / नवयुवतियों को आसान दरों पर लोन उपलब्ध करवाया जाता है, जो पहली बार अपना कोई कारोबार शुरू करना चाहते हैं। आज से बीसेक साल पहले जिन कारोबारियों ने अपना कोई बिजनेस शुरू किया है, वे ही बता सकते हैं कि उन्हें पूंजी जुटाने के लिए दिन में ही रात के तारे नजर आ जाते थे। बैंकों के चक्कर लगाते-लगाते जूतियाँ घिस जाती थीं । इसी वजह से ज्यादातर भावी कारोबारियों के कुछ खास करने के ख्वाब बिखर जाया करते थे...
प्रेस की स्वतंत्रता एक मौलिक जरूरत है

प्रेस की स्वतंत्रता एक मौलिक जरूरत है

addtop, EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस प्रत्येक वर्ष 3 मई को मनाया जाता है। प्रेस किसी भी समाज का आइना होता है। 1991 में यूनेस्को की जनरल असेंबली के 26वें सत्र में अपनाई गई सिफारिश के बाद, संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने दिसंबर 1993 में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की घोषणा की थी। प्रेस की आजादी से यह बात साबित होती है कि किसी भी देश में अभिव्यक्ति की कितनी स्वतंत्रता है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में प्रेस की स्वतंत्रता एक मौलिक जरूरत है। आज हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं, जहाँ अपनी दुनिया से बाहर निकल कर आसपास घटित होने वाली घटनाओं के बारे में जानने का अधिक वक्त हमारे पास नहीं होता। ऐसे में प्रेस और मीडिया हमारे लिए एक खबर वाहक का काम करती हैं, जो हर सवेरे हमारी टेबल पर गरमा गर्म खबरें परोसती हैं। प्रेस केवल खबरे पहुंचाने का ही माध्यम नहीं है बल्कि यह नये युग के निर्माण और जन चेतना के उद्बोधन ए...
75% आबादी प्यासी लेकिन इसकी चिंता कौन करे?

75% आबादी प्यासी लेकिन इसकी चिंता कौन करे?

addtop, Today News, TOP STORIES, राष्ट्रीय
लोकसभा चुनावों में व्यस्त देश को आगामी 23 मई को इनके नतीजों के आने के बाद जल संकट से जुड़े सवाल पर गहराई से सोचना होगा। भले ही चुनावों में राजनीतिक दलों में वैचारिक मतभेद रहते हैं, पर जल संकट का सामना करने के बिंदु पर तो कोई मतभेद हरगिज़ नहीं होने चाहिए। देश वास्तव में भीषण जल संकट से गंभीरता से जूझ रहा है। गर्मियों में मांग बढ़ने के कारण स्थिति और भी बदतर हो जाती है। एक अनुमान के मुताबिक देश के 60 करोड़ आबादी को आज के दिन भीषण जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। देश के नीति आयोग का तो यहां तक कहना है कि देश के 70 फीसद घरों में साफ पेयजल नहीं मिल रहा है। ये दोनों ही आंकड़ें किसी को डराने के लिए पर्याप्त हैं। इनसे समझा जा सकता है कि देश में जल संकट ने कितना विकराल रूप ले चुका है। पर हैरानी तो यह होती है कि जल संकट इस लोकसभा चुनाव का कोई मुद्दा ही नहीं बना पाया।   दक्षिण अफ्रीका शहर केपटाउन को...
बेरोजगारी है सबसे बड़ी चिन्ता 

बेरोजगारी है सबसे बड़ी चिन्ता 

addtop, BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
दुनिया भर के शासक एवं सत्ताएं अपनी उपलब्धियों का चाहे जितना बखान करें, सच यह है कि आम आदमी की मुसीबतें एवं तकलीफें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। इसके बजाय रोज नई-नई समस्याएं उसके सामने खड़ी होती जा रही हैं, जीवन एक जटिल पहेली बनता जा रहा है। विकसित एवं विकासशील देशों में महंगाई बढ़ती है, मुद्रास्फीति बढ़ती है, यह अर्थशास्त्रियों की मान्यता है। पर बेरोजगारी क्यों बढ़ती है? एक और प्रश्न आम आदमी के दिमाग को झकझोरता है कि तब फिर विकास से कौन-सी समस्या घटती है? बहुराष्ट्रीय मार्केट रिसर्च कंपनी इप्सॉस के द्वारा इसी माह कराया गया सर्वेक्षण 'वॉट वरीज दि वल्र्ड ग्लोबल सर्वे’ के निष्कर्ष विभिन्न देशों की जनता की अलग-अलग चिंताओं को उजागर करते हैं। जहां तक भारत का प्रश्न है तो यहां बीते मार्च में किए गए सर्वे में ज्यादातर लोगों ने यह तो माना कि सरकार की नीतियां सही दिशा में हैं, लेकिन आतंकवाद की...
राष्ट्रीय नेता के चयन करने के मानदंड

राष्ट्रीय नेता के चयन करने के मानदंड

addtop, Today News, TOP STORIES, राष्ट्रीय
भारत में चुनावी बुखार अपने चरम पर है। 300 से अधिक लोकसभा सीटों के भाग्य को अंतिम रूप दे दिया गया है। 23 मई 2019 से देश का नेतृत्व कौन करेगा, इस बार यह बहुत बड़ा सवाल नहीं है। सभी जनमत सर्वेक्षण वर्तमान पीएम के पक्ष में एक स्पष्ट फैसला दिखा रहे हैं, जिन्होंने पिछले पांच वर्षों के दौरान एक दिन की भी छुट्टी नहीं ली और उनके पास सुशासन, विकास और आतंकवाद की एक भी घटना नहीं (जम्मू-कश्मीर और नक्सल क्षेत्र को छोड़कर) होने के रिकॉर्ड हैं। एक भी विपक्षी नेता ऐसा नहीं है जो उन्हें चुनौती दे सके। हालांकि कई क्षेत्रीय नेता और सबसे पुरानी पार्टी के नेता त्रिशंकु संसद की उम्मीद कर रहे हैं और संख्या के कुछ अलग संयोजन से वे मोदी को बाहर करना चाहते हैं। वे पूरी तरह से अवसरवादी हैं और मीडिया की मदद से आम जनता को अकल्पनीय, अवास्तविक वादों और अस्थायी कहानियों के साथ बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उनके लिए पह...
Weak Monsoon Concern for Farmers

Weak Monsoon Concern for Farmers

addtop, EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय
The prediction of ‘near normal’ South West monsoon this year by the Indian Meteorological Department notwithstanding, there is fear of a ‘weak monsoon’ raising concern for farm sector in the country. The Met Department has said that the possibility of rainfall being ‘excessive’ or ‘above normal’ is very low. Overall, the IMD says that the monsoon will be 96% which is near normal spread over four months beginning June next. What makes the farmers worry is weak rainfall in the first two months of June and July which is the sowing time for khariff crop particularly paddy. In rice growing States sowing of paddy begins in May end- June in upland that is commonly known as ‘taand’ in local parlance in rural areas. Once the paddy is strewn in the field, farmers look at sky for the rain bearing cl...
चुनावी लोकतंत्र : बस, पांच कदम चलना होगा..

चुनावी लोकतंत्र : बस, पांच कदम चलना होगा..

addtop, EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
पार्टिंयां चुनावों की तैयारी करती हैं. पार्टियां ही उम्मीदवार तय करती हैं. पांच साल वे क्या करेंगी; इसका घोषणापत्र भी पार्टियां ही बनाती हैं. चुनाव किन मुद्दों पर लड़ा जायेगा; मीडिया के साथ मिलकर ये भी पार्टियां ही तय कर रही हैं. मतदान की मशीन पर चुनने के लिए छपे हुए निशान भी  पार्टियों के ही होते हैं. मतदाता भी अपना मत, उम्मीदवार से ज्यादा, पार्टियों को ध्यान में रखकर ही देता है. यह लोकसभा के लिए लोक-प्रतिनिधि चुनने का चुनाव है कि पार्टिंयां चुनने का ? लोगों  को अपना प्रतिनिधि चुनना है. क्या चुनाव से पूर्व कभी लोगों से पूछा जाता है, हां भई, आप बताइए कि किस-किस को उम्मीदवार बनाया जाए ? सोचिए. स्वयं से पूछिए कि इस चुनाव में चुनाव आयोग है, मतदाता है, मतदान की मशीन है; किंतु इसमें लोक कहां है ? लोक-प्रतिनिधियों का चुनाव है, तो उम्मीदवार, चुनावी प्रक्रिया, और तौर-तरीके से लेकर चुनावी एजेण...