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राष्ट्रीय ध्वज और सैनिकों का सम्मान

राष्ट्रीय ध्वज और सैनिकों का सम्मान

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आर्य समाजी विद्यालय में शिक्षा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में समाजसेवा के संगम से मेरे दिल और दिमाग पर राष्ट्रभक्ति की विशेष छाप है। मेरा सारा राजनीतिक जीवन राष्ट्रभक्ति के भावों के बिना शून्य ही रह जाता। जब मन पर समाज और राष्ट्र की सुरक्षा से सम्बन्धित विचारों का प्रभाव होता है तो व्यक्ति स्वार्थ में बहकर राजनीतिक जीवन को भ्रष्टाचारी कार्यों की बलि नहीं चढ़ाता। आज यदि राजनीतिक जीवन में या किसी भी अन्य क्षेत्र में जब भी भ्रष्टाचार, अपराध, अनैतिकता, लड़ाई-झगड़ा या लूट-खसोट आदि अनैतिक आचरण दिखाई देते हैं तो एक सहज कल्पना की जा सकती है कि ऐसे कार्यों में लिप्त लोग राष्ट्रभक्ति की अवधारणाओं और मान्यताओं से कोसों दूर हैं। इसलिए मेरा यह निश्चित मत है कि समाज से यदि हर प्रकार की अनैतिकता और दुराचार आदि को समाप्त करना है तो हमें देश के नागरिकों को बचपन से ही राष्ट्रभक्ति और समाजसेवा का भरपूर पाठ पढ़ान...
कुपोषण से हृदय रोग तक लड़ने में मदद कर सकते हैं गांधी के सिद्धांत

कुपोषण से हृदय रोग तक लड़ने में मदद कर सकते हैं गांधी के सिद्धांत

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पैदल चलना, शारीरिक गतिविधियां, ताजा सब्जियों व फलों का सेवन, शर्करा, नमक तथा वसा वाले खाद्य पदार्थों का कम सेवन, तंबाकू तथा शराब से दूरी और पर्यावरणीय एवं व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना। कुछ लोगों को ये बातें विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी गैर-संचारी एवं संचारी रोगों से बचाव के लिए जारी सलाह लग सकती हैं। पर, अच्छे स्वास्थ्य से जुड़े ये कुछ ऐसे सिद्धांत हैं, जिन पर एक सदी पहले खुद महात्मा गांधी अमल करते थे और लोगों के बीच इनका प्रचार भी करते थे। इनमें से कई विचारों को आज वैज्ञानिक साक्ष्यों का समर्थन प्राप्त है और पोषण विशेषज्ञ भी उन्हें प्रासंगिक मानते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कुपोषण से लेकर हृदय रोगों जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से लड़ने में ये सिद्धांत मदद कर सकते हैं। जून 1945 में बिड़ला हाउस, मुंबई में वजन तोलते हुए महात्मा गांधी (फोटो : आईजेएमआर) गांधी का मानना था कि अत...
CORPORATES SHOULD ADOPT COLONIES OF HINDU REFUGEES FROM PAKISTAN IN COLLABORATION WITH CENTRAL AND DELHI GOVERNMENTS

CORPORATES SHOULD ADOPT COLONIES OF HINDU REFUGEES FROM PAKISTAN IN COLLABORATION WITH CENTRAL AND DELHI GOVERNMENTS

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It refers to media-reports about miserable living conditions of Hindu refugees from Pakistan now settled in Delhi like in colonies near Majnu-ka-Teela and Adarsh Nagar. Union Minister of External Affairs has recently taken up matter of forcible conversion and marriage of Hindu girls in Pakistan. It is but natural that Hindu refugees from Pakistan did not leave their homes in Pakistan willingly, rather they had to do so under compulsion. Corporates including from public-sector have to compulsorily spend two-percent of their income on social-welfare. Central government should issue a press-release whereby it may be made clear that spending on welfare and living of Hindu refugees from Pakistan will be allowed under CSR. If private corporates do not come forward to spend CSR funds on the...
Save India from being economically bankrupt for vote-bank politics

Save India from being economically bankrupt for vote-bank politics

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Make people work hard rather than making them beggars dependent on freebies Congress President has come with big pre-poll announcement to give rupees 72000 per annum to five crore families covering about 25 crores population in case his party comes in power. Poll-promise is gimmick in itself because Congress President has said that the scheme is planned to be introduced in phased manner without any elaboration of the term phased-manner. India would have been a developed nation if such allegedly pro-poor gimmick schemes would not have been allowed distributing free items or providing money without or nominal work just on paper like MNERAGA. Useless subsidies have tend to eaten up Indian economy like termites where most such subsidies in name of poor are misused by affording ones like ...
क्या गंगा को सिर्फ चुनावी वाहन मानने वालों को अपना प्रतिनिधि चुनें ?

क्या गंगा को सिर्फ चुनावी वाहन मानने वालों को अपना प्रतिनिधि चुनें ?

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2014 के लोकसभा चुनाव को याद कीजिए। ’’मैं आया नहीं हूं। मां गंगा ने बुलाया है।’’ मोदी जी का यह वाक्य याद कीजिए। कहना न होगा कि गंगा के सहारे चुनावी नौका पार करना, 2014 के प्रधानमंत्री पद के दावेदार श्री मोदी का एजेण्डा था। 2019 में अब यह राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की अपील करने वाली प्रियंका गांधी का एजेण्डा है। प्रियंका ने लोगों को लिखे खुले खत में कहा है, ’’गंगाजी उत्तर प्रदेश का सहारा है और मैं भी गंगा जी के सहारे हूं।’’ मोदी जी ने पांच साल तक गंगा के हितों की जमकर अनदेखी की। गंगा की अविरलता-निर्मलता के अनशन करते हुए स्वामी सानंद की मौत हो गई। कुछ पता नहीं कि संत गोपालदास कहां और कैसे लापता हो गए ? स्वामी आत्मबोधानन्द, आज भी संघर्ष कर रहे हैं। मातृ सदन के स्वामी शिवानंद सरस्वती जी अपेक्षा कर रहे हैं कि गंगा संबंधी मांगों पर निर्णस करे। निर्णय करना तो दूर, मोदी जी ने इनसे बात करना ...
गरीबों को गुमराह करने का षड़यंत्र

गरीबों को गुमराह करने का षड़यंत्र

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सत्तर साल से गरीबी एवं गरीबों को मजबूत करने वाली पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने दुनिया की सबसे बड़ी न्यूनतम आय गारंटी योजना से गरीबों के हित की बात करके देश की गरीबी का भद्दा मजाक उडाया है। इस चुनावी घोषणा एवं आश्वासन का चुनाव परिणामों पर क्या असर पड़ेगा, यह भविष्य के गर्भ में है, लेकिन इस घोषणा ने आर्थिक विशेषज्ञों एवं नीति आयोग की नींद उड़ा दी है। इस योजना को बीजेपी सरकार द्वारा किसानों को सालाना 6000 रुपए देने की घोषणा का जवाब माना जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अनुसार, अगर उनकी सरकार सत्ता में आई तो सबसे गरीब 20 प्रतिशत परिवारों को हर साल 72,000 रुपए दिए जाएंगे। इस सहायता राशि को सीधे गरीबों के खातों में हस्तांतरित किया जाएगा और 5 करोड़ परिवार अथवा करीब 25 करोड़ लोग इससे लाभान्वित होंगे। क्या यह घोषणा सीधे तौर पर पच्चीस करोड़ गरीबों के वोट को हथियाने का षडयंत्र है? रा...
ग्रामीण अर्थ व्यवस्थाः एनडीए बनाम यूपीए

ग्रामीण अर्थ व्यवस्थाः एनडीए बनाम यूपीए

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लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही आरोपों-प्रत्यारोपों का बाजार गर्म है। तरह-तरह के आकड़ें जनता के समक्ष पेश कर ज्यादातर मामलों में जितना कुछ भी बताया जा रहा है, उससे ज्यादा तथ्य छिपाया भी जा रहा है। रक्षा मंत्रालय के दस्तावेजों की चोरी कर के उनमें अपना मतलब साधने वाले तथ्यों को ही बताकर और सुप्रीम कोर्ट में आधी-अधूरी सूचना का गलत हलफनामा दायर कर जनता को गुमराम करने की भरपूर कोशिश की जा रही है। जबकि संचिका के मात्र एक भ्रामक टिप्पणी के ऊपर और नीचे की दूसरी टिप्पणियों को छुपा लिया गया है। यही रोजगार के मामले में हो रहा है। रोजगार के मामले में एक डाटा पेश किया जा रहा है जो भविष्य निधि खाता के संबंध में है। यह आकड़ा स्थायी नहीं होता है। देश के भविष्य निधि खाता धारकों की संख्या का विभिन्न कारणों से घटते-बढ़ते रहना स्वाभाविक है। जैसे धान की बोआई,गेहूं की कटाई,शादी-ब्याह के लगन में लाखों श्रमिक एक से दो...
लोकतंत्र की बंद गली का विचार मार्ग

लोकतंत्र की बंद गली का विचार मार्ग

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एक वकील के घर मिलन के अवसर पर लोकमान्य तिलक द्वारा गुलामी को राजनीतिक समस्या बताने की प्रतिक्रया में स्वामी विवेकानंद ने कहा था - ''परतंत्रता राजनीतिक समस्या नहीं है। यह भारतीयों के चारित्रिक पतन का परिणाम है।'' बापू को लिखी एक चिट्ठी के जरिए लाॅर्ड माउंटबेटन ने भी चेताया था - ''मिस्टर गांधी क्या आप समझते हैं कि आजादी मिल जाने के बाद भारत.. भारतीयों द्वारा चलाया जायेगा। नहीं ! बाद में भी दुनिया गोरों द्वारा ही चलाई जायेगी'' यही बात बहुत पहले अपनी आजादी के लिए अकबर की शंहशाही फौजों से नंगी तलवार लेकर जंग करने वाली चांदबीबी की शौर्यगाथा का गवाह बने अहमदनगर फोर्ट में कैद ब्रितानी हुकूमत के एक बंदी ने एक पुस्तक में लिखी थी। 'ग्लिम्सिस ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री' के जरिए पंडित जवाहरलाल नेहरु ने संयुक्त राज्य अमेरिका के आर्थिक साम्राज्यवाद का खुलासा करते हुए 1933 में लिखा था - ''सबसे नये किस्म का य...
अंग्रेजो भारत छोडो के बाद –नौकरशाही भारत छोडो—

अंग्रेजो भारत छोडो के बाद –नौकरशाही भारत छोडो—

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वर्तमान अनिश्चित राजनीतिक परिदृश्य की पृष्ठभूमि में, देश के  वातावरण में  न तो हमारे संवैधानिक अधिकार और न ही संसद के निर्वाचित सदस्य, और न ही विधानमंडल के सदस्य संबंधित लोक सेवकों को जनता का काम करने के लिए लोगों की सहायता कर पा रहे हैं, जब तक कि स्व-प्रेरणा से  उच्च न्यायालय और   शीर्ष अदालत  कुछ जनादेश देने के लिए सरकार और विशेष रूप से संबंधित लोक सेवक को कानूनी रूप से कार्य करने और / या अवैध भूमिका से दूर रहने के लिए हस्तक्षेप नहीं करता है ।    हमारे बुद्धिमान,ईमानदार, ईमानदारी से चुने हुए प्रतिनिधियों के लिए स्वतंत्रता का जयंती के 50 वें समारोह में लोगों को ठीक से जानने और महसूस करने के लिए स्थिति का जायजा लेना चाहिए। सार्वजनिक प्रशासन को कुछ   रूढ़िवादी, अनम्य, असंवेदनशील लोगों  द्वारा चलाया और प्रबंधित किया जा रहा है । 'नौकरशाहों' के रूप में जाने जाने वाले लोक सेवक एक शब्द में तुच्छ...
वैश्विक राजनीति में भारत की बदलती भूमिका

वैश्विक राजनीति में भारत की बदलती भूमिका

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ये वो नया भारत है जो पुराने मिथक तोड़ रहा है, ये वो भारत है जो नई परिभाषाएं गढ़ रहा है, ये वो भारत है जो आत्मरक्षा में जवाब दे रहा है ये वो भारत है जिसके जवाब पर विश्व सवाल नहीं उठा रहा है । पुलवामा हमले के जवाब में पाक स्थित आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक करने के बाद अब भारतीय सेना का कहना है की आतंकवाद के खिलाफ अभी ऑपरेशन पूरा नहीं हुआ है। ये नया भारत है जिसने  एक कायराना हमले में अपने 44 वीर जवानों को खो देने के बाद केवल उसकी कड़ी निंदा करने के बजाए उस  की प्रतिक्रिया की और आज इस नए भारत की ताकत को विश्व महसूस कर रहा है । आज विश्व इस न्यू इंडिया को केवल महसूस ही नहीं कर रहा बल्कि स्वीकार भी कर रहा है। ये वो न्यू इंडिया है जिसने विश्व को आतंकवाद की परिभाषा बदलने के लिए मजबूर कर दिया । जो भारत अब से कुछ समय पहले तक आतंकवाद के मुद्दे पर विश्व में अलग थलग था आज पूरी दुनिया उसके स...