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सौगंध राम की खाते हैं-हम मंदिर वहीं बनाएंगे

सौगंध राम की खाते हैं-हम मंदिर वहीं बनाएंगे

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आरएसएस व विहिप द्वारा अर्ध कुम्भ में बुलाई गई धर्म संसद में जमकर हंगामा हुआ। मंच से संघ, विहिप और उनके बुलाये संतों के मुख से ये सुनकर कि अयोध्या में श्री राम मंदिर बनाने में जल्दी नहीं की जाएगी। कानून और संविधान का पालन होगा। अभी पहले चुनाव हो जाने दें। आप सब भाजपा को वोट दें जिससे जीतकर आई नई सरकार फिर मंदिर बनवा सके। इतना सुनना था कि पहले से ही आधा खाली पंडाल आक्रामक होकर मंच की तरफ दौड़ा। श्रोता, जिनमे ज्यादातर विहिप के कार्यकर्ता थे, आग बबूला हो गए और मंचासीन वक्ताओं को जोर जोर से गरियाने लगे। उनका कहना था की तीस वर्षों से उन्हें उल्लू बनाकर मंदिर की राजनीति की जा रही है। अब वो अपने गांव और शहरों में जनता को क्या मुँह दिखाएंगे ? उल्लेखनीय है कि गत कुछ महीनों से संघ, विहिप और भाजपा लगातार मंदिर की राजनीति को गर्माने में जुटे थी। इस म...
राष्ट्रीय सरकार क्यों न बने?

राष्ट्रीय सरकार क्यों न बने?

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संसदीय चुनाव दस्तक दे रहा है। सत्ता पक्ष खम ठोक कर अपने वापिस आने का दावा कर रहा है और साथ ही विपक्षी दलों के गठबंधन को अवसरवादियों का जमावाड़ा बता रहा है। आने वाले दिनों में दोनों ओर से हमले तेज होंगे। कुछ अप्रत्याशित घटनाएं भी हो सकती हैं। जिनसे मतों का ध्रुवीकरण किया जा सके। पर चुनाव के बाद की स्थिति अभी  स्पष्ट नहीं है। हर दल अपने दिल में जानता है कि इस बार किसी की भी बहुमत की सरकार बनने नहीं जा रही। जो दूसरे दलों को अवसरवादी बता रहे हैं, वे भी सत्ता पाने के लिए चुनाव के बाद किसी भी दल के साथ गठबंधन करने को तत्पर होंगे। इतिहास इस बात का गवाह है कि भजपा हो या कांग्रेस, तृणमूल हो या सपा, तेलगुदेशम् हो या डीएमके, शिवसेना हो या राष्ट्रवादी कांग्रेस, रालोद हो या जनता दल, कोई भी दल, अवसर पडऩे पर किसी भी अन्य दल के साथ समझौता कर लेता है। तब सारे मतभेद भुला दिये जाते हैं। चुनाव के पहले की कटुत...
धर्मसंसद: हिंदू समाज, धर्म, परंपरा एवं आस्था के बचाव हेतु महत्वपूर्ण प्रस्ताव

धर्मसंसद: हिंदू समाज, धर्म, परंपरा एवं आस्था के बचाव हेतु महत्वपूर्ण प्रस्ताव

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धर्मसंसद जगद्गुरु स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती जी महाराज की अध्यक्षता में प्रारम्भ हुई, जिसमें देशभर के पूज्य सन्तों की उपस्थिति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूज्य सरसंघचालक माननीय मोहन भागवत जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि शबरीमला समाज का संघर्ष है। वामपंथी सरकार न्यायपालिका के आदेशों के परे जा रही है। वे छलपूर्वक कुछ गैर श्रद्धालुओं को मन्दिर के अन्दर ले गए हैं, जो अयप्पा भक्त हैं, उनका दमन किया जा रहा है, जिससे हिन्दू समाज उद्वेलित है। हम समाज के इस आन्दोलन का समर्थन करते हैं। न्यायपालिका में जाने वाले याचिकाकर्ता भी भक्त नहीं थे। आज हिन्दू समाज के विघटन के कई प्रयास चल रहे हैं। कई प्रकार के संघर्षों का षड्यंत्र किया जा रहा है। जातिगत विद्वेष निर्माण किये जा रहे हैं। इनके समाधान के लिए सामाजिक समरसता, जातिगत सद्भाव तथा कुटुम्ब प्रबोधन के कदम उठाने पड़ेंगे। धर्म जागरण के माध्यम से जो हिन्द...
सर्व शक्तिशाली नये भारत के निर्माण की मोदी सरकार के अगले 10 वर्षों की 10 परिकल्पनाये

सर्व शक्तिशाली नये भारत के निर्माण की मोदी सरकार के अगले 10 वर्षों की 10 परिकल्पनाये

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने घरेलू मोर्चे से लेकर अंतरराष्ट्रीय मोर्चे तक अपनी ताकतवर पहचान बनाई है। अगले 10 वर्षों में इसमें कई आयाम जुड़ने जा रहे हैं, जिससे एक ऐसा भारत दुनिया के सामने होगा जहां गरीबी, कुपोषण, गंदगी और निरक्षरता गए जमाने की बात होगी। इसका विश्वास दिखा केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल द्वारा पेश किए गए 2019-20 के अंतरिम बजट में, जिसमें उन्होंने 10 सबसे महत्वपूर्ण आयामों को सूचीबद्ध करते हुए अगले दशक की सरकार की परिकल्पना पेश की। आइए जानने का प्रयास करते हैं कि इन परिकल्पनाओं पर अमल के साथ कितना बदल जाएगा 2030 का इंडिया। 1. 10 ट्रिलियन डॉलर की भारतीय अर्थव्यवस्था – मोदी सरकार में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनने के साथ भारत को दुनिया की छठी सबसे बड़ी इकोनॉमी होने का गौरव हासिल हुआ है। सरकार की 10-आयामी परिकल्पना के तहत देश को 10 ट्रिलियन डॉलर की अ...
Follow great ideals of Nanaji Deshmukh in practice while honouring him with Bharat Ratna

Follow great ideals of Nanaji Deshmukh in practice while honouring him with Bharat Ratna

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Great social activist Chandikadas Amritrao Deshmukh (Nanaji Deshmukh) who devoted big last part of life by dedicated social service in remote tribal areas definitely deserved greatest national honour of Bharat Ratna. But need of the hour is to adopt ideal principles advocated by him public life. He declined post of Union Cabinet Minister in Morarji Desai government after emergency-era of 1975-77 only on the ground that he advocated the principle to stay away from politics after age of 60 years. But now politicians even at the age of eighties or nineties kept glued to legislative posts with some ones dreaming to be Prime Minister even at such high age. In present era of too many aspirants in opposition for post of Prime Minister, only present BJP government at the centre can and do massi...
ग्राम विकास व राष्ट्र-धर्म के अग्रदूत भारत रत्न नानाजी देशमुख

ग्राम विकास व राष्ट्र-धर्म के अग्रदूत भारत रत्न नानाजी देशमुख

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यूं तो हमारा देश पुरातन काल से ही ॠषियों, मुनियों, मनीषियों, समाज सुधारकों व महापुरुषों का जनक रहा है जिन्होंने न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व का मार्गदर्शन कर जगत कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। किंतु आधुनिक युग की बदलती हुई परिस्थितियों में ऐसे महापुरुष बिरले ही हैं। ग्यारह अक्टूबर, 1916 को महाराष्ट्र के परभणी जिले के एक छोटे से ग्राम कडोली में जन्मे चंडिका दास अमृतराव देशमुख ने अपने बाल्यावस्था में शायद ही ऐसी कल्पना की होगी कि वह अपने जीवन काल में किये गये सेवा, संस्कार व शिक्षा के प्रसार के माध्यम से 50,000से अधिक विद्यालयों की स्थापना, 500 से अधिक ग्रामों का विकास, भारतीय जनसंघ, जनता पार्टी, दीनदयाल शोध संस्थान, राष्ट्र, धर्म, पांचजन्य व‘दैनिक स्वदेश’ का संपादन/प्रबंधन के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम पूरे विश्व में फैलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा पायेगा। भारत सरकार उ...
सात समंदर पार बसे भारतीय जुड़े भारत से

सात समंदर पार बसे भारतीय जुड़े भारत से

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15 वां प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन 21 जनवरी से वाराणसी में उस समय  शुरू हुआ है, जब अमेरिका में बसी दो भारतीय मूल की महिलाओं की चर्चा विशेष रूप से विश्व भर में हो रही है। पहली गीता गोपीनाथ हैं। उन्होंने अंतर राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अध्यक्ष का पद भार संभाल लिया है। दूसरी हैं चैन्नई में पैदा हुई इंदिरा नूई। कभी कोका कोला जैसी प्रख्यात शीतलपेय बनाने वाली कंपनी की प्रमुख रही इंदिरा नूर्इ को विश्व बैंक का प्रमुख बनाए जाने की चर्चाएं जोरों पर हैं। दरअसल ये दोनों उदाहरण मात्र हैं, यह सिद्ध करने के लिए कि सारी दुनिया में भारतीय अपने ज्ञान, मेहनत,लगन के बल पर आगे बढ़ते ही चले जा रहे हैं।हालांकि, ये दोनों प्रवासी सम्मेलन में अपरिहार्य कारणों से नहीं उपस्थित हो पा रही हैं, पर इनकी चर्चाएं होती ही रहेगी। दरअसल कुंभ मेला और गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने के लिए आ रहे  सात समंदर पार बसे भारती...
गणतंत्र के 69 वर्ष में क्या खोया, क्या पाया?

गणतंत्र के 69 वर्ष में क्या खोया, क्या पाया?

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आज हमारा देश अपना 69वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। यह अवसर है जब हमें चाहिए कि एक बार शांत मन से आत्मविश्लेषण कर लें कि भारत ने गणतंत्र होने के बाद क्या खोया-क्या पाया? मतलब देश को संविधान से क्या मिला और क्या रह गया? किन मोर्चो पर संविधान असफल रहा? वैसे तो सभी सवाल वाजिब ही हैं। लेकिन इन सारे सवालों के जवाब तो हमें तलाशने ही होंगे। यही गणतंत्र का तकाजा भी है। स्वस्थ लोकतंत्र के परीपक्व होने की यही प्रक्रिया हैl निर्विवाद रूप से भारत ने संविधान के दिखाए रास्ते पर चलते हुए हमने भुखमरी, गरीबी, निरक्षरता वगैरह जैसे गंभीर मसलों को काफी हद तक सुलझाया है। यह तो कोई नहीं दावा कर रहा है कि हमने उपर्युक्त मसलों पर पूरी तरह विजय पा ली है। जरा सोचिए तो कि देश में आजादी के वक्त और फिर संविधान के लागू होने के समय हम कहां खड़े थे? आप जब 26 जनवरी,1950 के भारत और आज के भारत की तुलना करेंगे तब आप पाएंगे ...
राष्ट्रीय सरकार क्यों न बने?

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संसदीय चुनाव दस्तक दे रहा है। सत्ता पक्ष खम ठोक कर अपने वापिस आने का दावा कर रहा है और साथ ही विपक्षी दलों के गठबंधन कोअवसरवादियों का जमावाड़ा बता रहा है। आने वाले दिनों में दोनों ओर से हमले तेज होंगे। कुछ अप्रत्याशित घटनाऐं भी हो सकती है। जिनसे मतोंका ध्रुवीकरण किया जा सके। पर चुनाव के बाद की स्थिति अभी  स्पष्ट नहीं है। हर दल अपने दिल में जानता है कि इस बार किसी की भीबहुमत की सरकार बनने नहीं जा रही। जो दूसरे दलों को अवसरवादी बता रहे हैं, वे भी सत्ता पाने के लिए चुनाव के बाद किसी भी दल के साथगठबंधन करने को तत्पर होंगे। इतिहास इस बात का गवाह है कि भजपा हो या कांग्रेस, तृणमूल हो या सपा, तेलगुदेशम् हो या डीएमके,शिवसेना हो या राष्ट्रवादी कांग्रेस, रालोद हो या जनता दल, कोई भी दल, अवसर पड़ने पर किसी भी अन्य दल के साथ समझौता कर लेता है।तब सारे मतभेद भुला दिये जाते है। चुनाव के पहले ...
नागा साधु एक बड़ा ही रहस्यमय नाम?

नागा साधु एक बड़ा ही रहस्यमय नाम?

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नागा साधु हिन्दू धर्मावलम्बी साधु हैं जो कि नग्न रहने तथा युद्ध कला में माहिर होने के लिये प्रसिद्ध हैं। ये विभिन्न अखाड़ों में रहते हैं। जिनकी परम्परा आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा की गयी थी। इनके आश्रम हरिद्वार और दूसरे तीर्थों के दूरदराज इलाकों में हैं जहां ये आम जनजीवन से दूर कठोर अनुशासन में रहते हैं। इनके गुस्से के बारे में प्रचलित किस्से कहानियां भी भीड़ को इनसे दूर रखती हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि यह शायद ही किसी को नुकसान पहुंचाते हों। हां, लेकिन अगर बिना कारण अगर कोई इन्हें उकसाए या तंग करे तो इनका क्रोध भयानक हो उठता है। कहा जाता है कि भले ही दुनिया अपना रूप बदलती रहे लेकिन शिव और अग्नि के ये भक्त इसी स्वरूप में रहेंगे। नागा साधु तीन प्रकार के योग करते हैं जो उनके लिए ठंड से निपटने में मददगार साबित होते हैं। वे अपने विचार और खानपान, दोनों में ही संयम रखते हैं। नागा साधु ...